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द्विनाम पद्धति

सूची द्विनाम पद्धति

द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) जीवों (जंतु एवं वनस्पति) के नामकरण की पद्धति है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक लिनिअस ने इसका प्रतिपादन किया। इसके अनुसार दिए गए नाम के दो अंग होते हैं, जो क्रमशः जीव के वंश (जीनस) और जाति (स्पीशीज) के द्योतक हैं। जैसे 'एलिअम सेपा' (प्याज)। यहाँ “एलिअम” वंश को और “सेपा” जाति को सूचित करता है। .

3 संबंधों: नाम, नामकरण, वानस्पतिक नाम

नाम

नाम का प्रयोग एक वस्तु को दूसरी से अलग करने में सहायक होता है। नाम किसी एक वस्तु का हो सकता है या बहुत सी वस्तुओं के समूह का हो सकता है। किसी वस्तु का नाम 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' (प्रॉपर नाउन) कहलाती है। .

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नामकरण

यह लेख आधुनिक विज्ञानों, प्रद्योगिकी एवं अन्य विषयों के विचारों एवं कांसेप्ट को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त तकनीकी शब्दों को समुचित नये नाम देने से संबन्धित है। हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार के लिये संबन्धित लेख देखें। ---- किसी वस्तु, गुण, प्रक्रिया, परिघटना आदि को समझने-समझाने के लिये समुचित नाम देना आवश्यक है। इसे ही नामकरण (Nomenclature) कहते हैं। इसमें तकनीकी शब्दों की सूची, नामकरण से संबन्धित सिद्धान्त, प्रक्रियाएं आदि शामिल हैं। .

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वानस्पतिक नाम

वानस्पतिक नाम (botanical names) वानस्पतिक नामकरण के लिए अन्तरराष्ट्रीय कोड (International Code of Botanical Nomenclature (ICBN)) का पालन करते हुए पेड़-पौधों के वैज्ञानिक नाम को कहते हैं। इस प्रकार के नामकरण का उद्देश्य यह है कि पौधों के लिए एक ऐसा नाम हो जो विश्व भर में उस पौधे के संदर्भ में प्रयुक्त हो। .

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