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द्वितीय चीन-जापान युद्ध

सूची द्वितीय चीन-जापान युद्ध

द्वितीय चीन-जापान युद्ध चीन तथा जापान के बीच 1937-45 के बीच लड़ा गया था। 1945 में अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने समर्पण कर दिया और युद्ध की समाप्ति हो गई। इसके परिणामस्वरूप मंचूरिया तथा ताईवान चीन को वापस सौंप दिए गए जिसे जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध में उससे लिया था। 1941 तक चीन इसमें अकेला रहा। 1941 में जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए आक्रमण के बाद यह द्वितीय विश्व युद्ध का अंग बन गया। .

12 संबंधों: चीन जापान सम्बन्ध, नानचिंग नरसंहार, प्रथम चीन-जापान युद्ध, बाई यांग, युद्ध, राष्ट्र संघ, रेन्या मुतागुची, शाही जापानी सेना, शिजियाझुआंग, सिंगापुर का इतिहास, जापान का इतिहास, अपमान की सदी

चीन जापान सम्बन्ध

चीन (हरा) तथा जापान (नारंगी) चीन और जापान भौगोलिक रूप से पूर्वी चीन सागर द्वारा विलगित हैं। जापान के ऊपर चीन की भाषा, वास्तु, संस्कृति, धर्म, दर्शन तथा विधि से काफी प्रभाव है। १९वीं शताब्दी के मध्य में जब युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि ने जापान को अपना व्यापार खोलने के लिये विवश कर दिया तो इसका परिणाम सकारात्मक हुआ और जापान तेजी से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ा जिसे मीजी पुनःस्थापन (मीजी रिस्टोरेशन) कहते हैं। उसके बाद जापान चीन को ऐसा देश मानने लगा जो पिछड़ा तथा अपने आप को पश्चिमी देशों से रक्षा करने में असमर्थ है। .

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नानचिंग नरसंहार

नानचिंग नरसंहार द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान 13 दिसंबर 1937 को शुरू हुआ, और छह हफ़्तों तक चला.

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प्रथम चीन-जापान युद्ध

चीन-जापान युद्ध 1894-95 के दौरान चीन और जापान के मध्य कोरिया पर प्रशासनिक तथा सैन्य नियंत्रण को लेकर लड़ा गया था। जापान की मेइजी सेना इसमें विजयी हुई थी और युद्ध के परिणाम स्वरूप कोरिया, मंचूरिया तथा ताईवान का नियंत्रण जापान के हाथ में चला गया। इस युद्ध में हारने के कारण चीन को जापान के आधुनिकीकरण का लाभ समझ में आया और बाद में चिंग राजवंश के खिलाफ़ 1911 मे क्रांति हुई। इसे प्रथम चीन-जापान युद्ध का नाम भी दिया जाता है। 1937-45 के मध्य लड़े गए युद्ध को द्वितीय चीन-जापान युद्ध कहा जाता है। .

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बाई यांग

बाय यांग ( ४ मार्च १९२० – १८ सितम्बर १९९६) चीनी फ़िल्म और नाटक अभिनेत्री थीं। वो १९३० के दशक से १९५० के दशक तक देश की लोकप्रिय फ़िल्म अभिनेत्रियों में से एक थीं। वो किन यी, शु शिऊ वेन और झांगरुइफ़ांग के साथ "चार महान नाटक अभिनेत्रियों" में से एक थीं। उनकी प्रसिद्ध फ़िल्मों में क्रॉसरोड्स (१९३७), द स्प्रिंग रिवर फ्लोज ईस्ट (१९४७), एट थाउजेंड ली ऑफ़ क्लाउड एंड मून (१९४७) और न्यूयॉर्कज़ सैक्रिफाइस (१९५५) शामिल हैं। .

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युद्ध

वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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रेन्या मुतागुची

रेन्या मुतागाची (Renya Mutaguchi|牟田口 廉也|Mutaguchi Renya|extra.

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शाही जापानी सेना

शाही जापानी सेना (जापानी: 大日本帝國陸軍 दाइ निप्पोन तेइकोकु रिकुगुन), अर्थात् "महान जापानी साम्राज्य की सेना" १८७१ से १९४५ तक जापानी साम्राज्य की थल सेना थी। इसका नियंत्रण शाही जापानी सेना सामान्य स्टाफ़ कार्यालय और युद्ध मंत्रालय करते थे, और दोनों जापानी सम्राट के नाममात्र अधीन थे, जो थल सेना और नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी थे। बाद में सैन्य विमानन का महानिरीक्षणालय सेना की निगरानी करने वाली तीसरी एजेंसी बन गई। युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल के समय, कमान शाही सामान्य मुख्यालय में केन्द्रित होता था, जिसमें सेना के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, युद्ध मंत्री, विमानन के मुख्या निरीक्षक, और सैन्य प्रशिक्षण के मुख्य निरीक्षक शामिल थे।   .

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शिजियाझुआंग

शिजियाझुआंग के कुछ नज़ारे शिजियाझुआंग (石家庄, Shijiazhuang) जनवादी गणराज्य चीन के उत्तरी भाग में स्थित हेबेई प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह चीन की प्रशासन प्रणाली के अनुसार एक उपप्रांतीय शहर (प्रीफ़ेक्चर, दिजी) का दर्जा रखता है और चीन की राजधानी बीजिंग से २८० किमी दक्षिण पर स्थित है। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी १,०१,६३,७८८ अनुमानित की गई थी, जिमें से २६,०४,९३० शहरी इलाक़ों में, ३८,३३,६०६ नगर पालिका के क्षेत्र में और अन्य आसपास के देहाती इलाक़ों में रहते थे। शिजियाझुआंग में नया औद्योगीकरण बहुत हुआ है और इसके अलावा इस शहर का कोई ख़ास सांस्कृतिक महत्व नहीं है। बीजिंग से नज़दीकी की वजह से यहाँ चीनी फ़ौज की बड़ी छावनी है जो ज़रुरत पड़ने पर राष्ट्रीय राजधानी की रक्षा करने के लिए तैयार है। यहाँ कुछ सैन्य विश्वविद्यालय और कॉलेज भी हैं। भारत से द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान चीन भेजे गए डॉक्टर द्वारकानाथ कोटणीस की समाधि शिजियाझुआंग शहर में स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार यह शहर कुछ रेलवे मार्गों के पास होने की वजह से ही १०० साल में एक गाँव से एक शहर बन गया है वरना इसमें कोई विशेषता नहीं है।, Simon Foster, Jen Lin-Liu, Sharon Owyang, Sherisse Pham, Beth Reiber, Lee Wing-sze, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-0-470-52658-3,...

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सिंगापुर का इतिहास

सिंगापुर के इतिहास का विवरण 11वीं सदी से उपलब्ध है। 14वीं सदी के दौरान श्रीविजयन राजकुमार परमेश्वर के शासनकाल में इस द्वीप का महत्त्व बढ़ना शुरु हुआ और यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह बन गया, लेकिन दुर्भाग्यवश 1613 में पुर्तगाली हमलावरों द्वारा इसे नष्ट कर दिया गया। आधुनिक सिंगापुर के इतिहास की शुरुआत 1819 में हुई, जब एक अंग्रेज सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा इस द्वीप पर एक ब्रिटिश बंदरगाह की स्थापना की गयी। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत-चीन व्यापार और भंडारगृह (एंट्रीपोट) व्यापार, दोनों के एक केंद्र के रूप में इसका महत्त्व काफी बढ़ गया और यह बड़ी तेजी से एक प्रमुख बंदरगाह शहर में तब्दील हो गया। द्वितीय विश्व युद्घ के समय जापानी साम्राज्य ने सिंगापुर को अपने अधीन कर लिया और 1942 से 1945 तक इसे अपने अधीन रखा। युद्ध समाप्त होने के बाद सिंगापुर वापस अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया और स्व-शासन के अधिकार के स्तर को वढ़ाया गया और अंततः 1963 में फेडरेशन ऑफ मलाया के साथ सिंगापुर का विलय कर मलेशिया का निर्माण किया गया। हालांकि, सामाजिक अशांति और सिंगापुर की सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी तथा मलेशिया की एलायंस पार्टी के बीच विवादों के परिणाम स्वरूप सिंगापुर को मलेशिया से अलग कर दिया गया। 9 अगस्त 1965 को सिंगापुर एक स्वतंत्र गणतंत्र बन गया। गंभीर बेरोजगारी और आवासीय संकट का सामना करने के कारण, सिंगापुर ने एक आधुनिकीकरण कार्यक्रम पर काम करना शुरू कर दिया जिसमें विनिर्माण उद्योग की स्थापना, बड़े सार्वजनिक आवासीय एस्टेट के विकास और सार्वजनिक शिक्षा पर भारी निवेश करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आजादी के बाद से सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष औसतन नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। 1990 के दशक तक यह एक अत्यंत विकसित मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था, सुदृढ़ अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक संबंध और जापान के बाहर एशिया में सर्वोच्च प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक बन गया था। .

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जापान का इतिहास

जापान के प्राचीन इतिहास के संबंध में कोई निश्चयात्मक जानकारी नहीं प्राप्त है। जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा। फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए। हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है। पौराणिक मतानुसार जिम्मू नामक एक सम्राट् ९६० ई. पू.

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अपमान की सदी

अपमान की सदी (चीनी: 百年国耻 (सरलीकृत), 百年國恥 (पारम्परिक)), को राष्ट्रीय अपमान की सदी, अपमान के सौ वर्ष और अन्य समान नामों से भी जाना जाता है। १९२० के दशक से चीन में राष्ट्रवाद के उदय के साथ ही गुओमिन्दांग और साम्यवादी दुष्प्रचारकों और इतिहासकारों द्वारा इन अवधारणाओं का उपयोग किया गया जिसमें पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों और जापानी उपनिवेशवाद के अधीन रहकर चीन के दमन को चित्रित किया गया। .

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