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द्वयाधारी संख्या पद्धति

सूची द्वयाधारी संख्या पद्धति

द्वयाधारी संख्या पद्धति (दो नम्बर का सिस्टम या binary numeral system; द्वयाधारी .

12 संबंधों: डिजिटल वीडियो इंटरफेस (डिजिटल दृश्य अंतरफलक), दशमलव पद्धति, द्वयाधारी कूट, द्वि-आधारी योजक, दो की घात, बाइट, संख्या पद्धतियाँ, संगणन हार्डवेयर का इतिहास, स्थानिक मान, हर्ट्ज़, हेक्साडेसिमल (षोडश आधारी), जेनेटिक एल्गोरिद्म

डिजिटल वीडियो इंटरफेस (डिजिटल दृश्य अंतरफलक)

डिजिटल वीडियो इंटरफेस (डीवीआई (DVI)) एक वीडियो इंटरफेस मानक है जो डिजिटल दृश्य उपकरणों, जैसे कि फ्लैट पैनल एलसीडी (LCD) कम्प्यूटर डिस्प्ले एवं डिजिटल प्रोजेक्टरों में उच्च गुणवत्ता की दृश्यता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे डिजिटल डिस्प्ले वर्किंग ग्रुप (डीडीडब्ल्यूजी (DDWG)) नामक उद्योग संघ द्वारा "प्राचीन एनालॉग प्रौद्योगिकी" वीजीए (VGA) कनेक्टर मानक का स्थान लेने के लिए विकसित किया गया था। इसे असम्पीड़ित डिजिटल वीडियो डाटा को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह डिजिटल मोड (डीवीआई-डी/DVI-D) में आंशिक रूप से हाई डेफिनेशन मल्टीमीडिया इंटरफेस (एचडीएमआई/HDMI) मानक, तथा एनालॉग मोड (डीवीआई-ए (DVI-A)) में वीजीए (VGA) के अनुरूप है। .

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दशमलव पद्धति

दशमलव पद्धति या दाशमिक संख्या पद्धति या दशाधारी संख्या पद्धति (decimal system, "base ten" or "denary") वह संख्या पद्धति है जिसमें गिनती/गणना के लिये कुल दस संख्याओं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का सहारा लिया जाता है। यह मानव द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त संख्यापद्धति है। उदाहरण के लिये 645.7 दशमलव पद्धति में लिखी एक संख्या है। (गलतफहमी से बचने के लिये यहाँ दशमलव बिन्दु के स्थान पर 'कॉमा' का प्रयोग किया गया है।) इस पद्धति की सफलता के बहुत से कारण हैं-.

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द्वयाधारी कूट

'''Wikipedia''' शब्द का आस्की ASCII द्वयाधारी कूट द्वारा निरूपन द्विआधारी कूट या बाइनरी कोड (binary code) वह कूट है जिसमें दो संप्रतीक (प्राय: ० तथा १) वाले वर्णों का उपयोग किया जाता है। द्वयाधारी संख्या पद्धति अनेक द्वायाधारी कूटों में से एक है। कूटों की सहायता से किसी शब्द या संगणक आदेश (कम्प्यूटर इन्स्ट्रक्सन) को केवल दो ही संकेतों के माध्यम से निरूपित करने की सुविधा मिलती है। उदाहरणार्थ ८ बाइनरी अंकों के मेल से २५६ प्रतीकों को निरुपित किया जा सकता है। संगणन और संचार के क्षेत्र में द्विआधारी कूट का उपयोग अनेक तरह से आकड़ों (जैसे वर्णसमूह (कैरेक्टर स्ट्रिंग)), को लिखने के लिये किया जाता है। .

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द्वि-आधारी योजक

बाइनरी ऐडर एक डिजिटल सर्किट होता है जो दो बाइनरी नंबरों का योग करता है। बाइनरी ऐडर दो मूलभूत अंगों से बनता है - अर्ध ऐडर (half adder) और पूर्ण ऐडर (full adder)। .

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दो की घात

दो की घात1 से 1024 (20 से 210) तक दो की घात का चाक्षुषीकरण। गणित में दो की घात का मतलब 2^n के रूप में लिखने योग्य संख्या से है जहाँ n एक पूर्णांक है, अर्थात 2 के आधार पर घातांक परिणाम जहाँ घातांक पूर्णांक n है। उस प्रसंग में जहाँ केवल पूर्णांक काम में लिए जाते हैं n अपूर्णांक मान नहीं रख सकता। अतः हमें 1, 2 और 2 अपने ही विभिन्न गुणज प्राप्त होंगे। क्योंकि दो द्वयाधारी संख्या पद्धति का आधार है अतः दो की घात संगणक विज्ञान में सामान्य है। द्वयाधारी में लिखने पर दो की घात हमेसा 100…0 या 0.00…01 के रूप में प्राप्त होती हैं जो दशमलव में 10 की घात के तुल्य है। .

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बाइट

बाइट संगणन व दूरसंचार में सूचना की इकाई होता है। यह ८ बिट से मिलकर बना होता है। बाइट कंप्यूटर की स्मृति में एक अक्षर द्वारा ली जाने वाली जगह को कह्ते है। ये कंप्यूटर स्मृति की दूसरी सबसे छोटी इकाई होती है। १ बाइट में ८ बिट के बराबर जगह होती है। १ बिट या १ अक्षर (० अथवा १) से मिलकर बना होता है। ये द्विधारी संख्या पद्द्ति में अक्षर को लिखने के लिये होता है। १ बिट में आंकडे ० या १ के जोडे में होते हैं। ये जोडे निम्नलिखित में से कोई एक होते हैं। ०१, ००, ११, १० चुंकि कंप्यूटर की स्मृति में आंकडों को विद्दुत संकेतों कि तरह लिखा जाता है इसलिये यहॉं द्विधारी संख्या पद्द्ति का इस्तेमाल होता है। अक्षरों को विद्दुत संकेतों के रूप में दर्शाने के लिये ० या १ का उपयोग होता है। ० और १ विद्दुत संकेत होते हैं। इन्हें गणित कि संख्या ना समझें। १ बाइट .

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संख्या पद्धतियाँ

संख्याओं को लिखने एवं उनके नामकरण के सुव्यवस्थित नियमों को संख्या पद्धति (Number system) कहते हैं। इसके लिये निर्धारित प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है जिनकी संख्या निश्चित एवं सीमित होती है। इन प्रतीकों को विविध प्रकार से व्यस्थित करके भिन्न-भिन्न संख्याएँ निरूपित की जाती हैं। दशमलव पद्धति, द्वयाधारी संख्या पद्धति, अष्टाधारी संख्या पद्धति तथा षोडषाधारी संख्या पद्धति आदि कुछ प्रमुख प्रचलित संख्या पद्धतियाँ हैं। .

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संगणन हार्डवेयर का इतिहास

सूचना संसाधन (ब्लॉक आरेख) के लिए कंप्यूटिंग हार्डवेयर एक उचित स्थान है संगणन हार्डवेयर का इतिहास कंप्यूटर हार्डवेयर को तेज, किफायती और अधिक डेटा भंडारण में सक्षम बनाने के लिए चल रहे प्रयासों का एक रिकॉर्ड है। संगणन हार्डवेयर का विकास उन मशीनों से हुआ है जिसमें हर गणितीय ऑपरेशन के निष्पादन के लिए, पंच्ड कार्ड मशीनों के लिए और उसके बाद स्टोर्ड प्रोग्राम कम्प्यूटरों के लिए अलग मैनुअल कार्रवाई की आवश्यकता होती है। स्टोर्ड प्रोग्राम कंप्यूटरों के इतिहास का संबंध कंप्यूटर आर्किटेक्चर यानी इनपुट और आउटपुट को निष्पादित करने, डेटा संग्रह के लिए और एक एकीकृत यंत्रावली के रूप में यूनिट की व्यवस्था से होता है (दाएं ब्लॉक आरेख को देखें).

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स्थानिक मान

स्थानिक मान पद्धति (place-value notation) या स्थिति-चिह्न (Positional notation) संख्याओं को निरूपित करने की वह प्रणाली जिसमें किसी संकेत (अंक) का मान इस बात पर निर्भर करता है कि संख्या में उस अंक का स्थान कहाँ है। उदाहरण के लिये ३२५ (तीन सौ पचीस) में ५ का स्थानीय मान पांच है किन्तु ५२३ में ५ का स्थानीय मान 'पाँच सौ' है। इस तरह संख्याओं के निरूपण की यह पद्धति रोमन अंक पद्धति आदि अन्य निरूपण पद्धतियों से भिन्न है। स्थानीय मान पर आधारित संख्या निरूपण से बहुत सी अंकगणितीय संक्रियाएँ बहुत सरलता से की जाने लगीं और इस कारण यह पद्धति शीघ्र ही पूरे संसार में अपना ली गयी। आजकल स्थानीय मान पर आधारित बहुत सी पद्धतियाँ प्रचलित हैं जिनमें दस आधार वाली हिन्दू अंक पद्धति सबसे पुरानी और सर्वाधिक प्रयुक्त पद्धति है। इसके अतिरिक्त द्विआधारी संख्या पद्धति (बाइनरी नम्बर सिस्टम), अष्टाधारी संख्या पद्धति (ऑक्टल नम्बर सिस्टम) तथा षोडशाधारी संख्या पद्धति (हेक्साडेसिमल नम्बर सिस्टम) भी प्रयुक्त होते हैं (मुख्यत: संगणकीय गणित में)। स्थानीय मान पद्धति में दशमलव बिन्दु का प्रयोग करके भिन्नात्मक संख्याओं (fractions) को भी निरूपित करने की क्षमता रखती है। अर्थात यह पद्धति सभी वास्तविक संख्याओं को निरूपित करने की क्षमता रखती है। .

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हर्ट्ज़

हर्ट्ज़ आवृत्ति की अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली (SI) की इकाई है। इस का अाधार है आवर्तन प्रति सैकिण्ड या साईकल प्रति सै.

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हेक्साडेसिमल (षोडश आधारी)

गणित और कंप्यूटर विज्ञान में, हेक्साडेसिमल (आधारांक, या हेक्स अर्थात् षोडश) एक स्थितीय अंक प्रणाली (पोजीशनल न्यूमरल सिस्टम) है जिसके एक मूलांक (रैडिक्स) या आधारांक (बेस) का मान 16 होता है। इसमें सोलह अलग-अलग प्रतीकों का इस्तेमाल होता है जिसमें 0 से 9 तक के प्रतीक शून्य से नौ तक के मानों को प्रदर्शित करते हैं और A, B, C, D, E, F (या वैकल्पिक रूप से a से f) तक के प्रतीक दस से पंद्रह तक के मानों को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए, हेक्साडेसिमल संख्या 2AF3 का मान दाशमिक संख्या प्रणाली में (2 × 163) + (10 × 162) + (15 × 161) + (3 × 160) या 10,995 के बराबर होता है। प्रत्‍येक हेक्साडेसिमल अंक, चार बाइनरी अंकों (बिट्स) (जिसे "निबल" (nibble) भी कहा जाता है) का प्रतिनिधित्व करता है और हेक्साडेसिमल नोटेशन का उपयोग, कंप्यूटिंग एवं डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स में बाइनरी कोडित मानों के एक मानव-अनुकूल प्रदर्शन के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए, बाईट के मान 0 से 255 (दशमलव अंक) तक हो सकता है लेकिन इसके मानों को और सुविधाजनक ढ़ंग से 00 से लेकर FF तक वाले दो हेक्साडेसिमल अकों के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। हेक्साडेसिमल का इस्तेमाल आम तौर पर कंप्यूटर मेमोरी एड्रेसों को दर्शाने के लिए भी किया जाता है। .

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जेनेटिक एल्गोरिद्म

2006 में निर्मित नासा का अंतरिक्षयान एण्टेना (ST5): एण्टेना का यह जटिल आकार एक विकासात्मक एल्गोरिद्म का प्रयोग करके प्राप्त किया गया था। जेनेटिक एल्गोरिथ्म (GA) एक सर्च (खोज) तकनीक है जिसका उपयोग इष्टतमीकरण तथा खोजने की समस्याओं के लिए सटीक या सन्निकट हल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एल्गोरिद्म, अनेकों विकासात्मक कलनविधियों में से एक है। विकासात्मक कलनविधियाँ, विकासवाद तथा उससे सम्बन्धित अवधारणाओं (वंशागति, उत्परिवर्तन, चुनाव, तथा क्रासओवर आदि) तकनीकों के अनुसरण पर आधारित हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

द्विआधारी संख्या पद्धति, बाइनरी नम्बर सिस्टम

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