4 संबंधों: दोहरी प्रविष्टि प्रणाली, रोकड़ बही, हिन्दी पुस्तकों की सूची/य, खाता बही।
दोहरी प्रविष्टि प्रणाली
लेखाकरण में दोहरी प्रविष्टि प्रणाली या दोहरी खतान प्रणाली (Double-entry system) बहीखाता की एक पद्धति है। इसका नाम 'दोहरी प्रविष्टि' इसलिए है क्योंकि इसके अन्तर्गत किसी खाते की प्रत्येक प्रविष्टि के संगत किसी दूसरे खाते में एक विपरीत प्रविष्टि का होना जरूरी है। उदाहरण के लिए, १०० रूपए की कमाई को दर्ज करने के लिए दो प्रविष्टियाँ आवश्यक होंगी-.
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रोकड़ बही
रोकड़ बही (कैश बुक या कैश एकाउण्ट) प्रारम्भिक लेखे की पुस्तक है जिसमें मुद्रा की प्राप्तियों तथा भुगतानों का लेखा किया जाता है। रुपया कहाँ-कहाँ से कितना आता है कहाँ-कहाँ कितना चला जाता है, फिर शेष कितना बच जाता है - इसे प्रकट करने के लिए रोकड़ बही बनायी जाती है। रोकड़ की समस्त प्राप्तियाँ डेबिट पक्ष में और समस्त भुगतान क्रेडिट पक्ष में लिखे जाते हैं। रोकड़ बही वह पुस्तक है जो रोजनामचा व खाता-बही दोनों के उद्देश्य की पूर्ति करती है। रोकड़ बही को सहायक पुस्तक के साथ-साथ एक प्रधान पुस्तक भी माना जाता है। चूँकि रोकड़ बही में लेन-देन की प्राथमिक प्रविष्टि की जाती है इसलिए इसे 'मूल प्रविष्टि की बही' (Book of Original Entry) भी कहा जाता है। .
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हिन्दी पुस्तकों की सूची/य
कोई विवरण नहीं।
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खाता बही
खाता-बही या लेजर (ledger) उस मुख्य बही (पुस्तक) को कहते हैं जिसमें पैसे के लेन-देन का हिसाब रखा जाता है। आजकल यह कम्पयूटर-फाइल के रूप में भी होती है। खाता बही में सभी लेन-देन को खाता के अनुसार लिखा जाता है जिसमें डेबित और क्रेडित के के दो अलग-अलग कॉलम होते हैं। .
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