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दृष्टि पटल

सूची दृष्टि पटल

कशेरुकी जीवों में दृष्टि पटल, आंख के अंदर एक प्रकाश-संवेदी ऊतक पर्त को कहते हैं। आंख की प्रणाली एक लेंस की सहायता से इस पटल पर सामने का दृष्य प्रकाश रूप में उतारती है और ये पटल लगभग एक फिल्म कैमरा की भांति उसे रासायनिक एवं विद्युत अभिक्रियाओं की एक श्रेणी के द्वारा तंत्रिकाओं को भेज देता है। ये मस्तिष्क के दृष्टि केन्द्रों को दृष्टि तंत्रिकाओं द्वाआ भेज दिये जाते हैं। .

20 संबंधों: एंजल्स एंड डीमन्स (फ़िल्म), दृष्टि, निकटदृष्टि, नेत्रपटलदर्शन, नेत्रविज्ञान, नेत्रकाचाभ द्रव, बायोमेट्रिक्स, मधुमेही नेफ्रोपैथी, मानव मस्तिष्क, माइक टायसन, मिक्रोप्सिया, मंददृष्टि, यूवाइटिस (आंखों की सूजन), रंगहीनता, सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण, वास्तविक प्रतिबिम्ब, आँख, आवृत्तिदर्शी, कर्कट रोग, अवगम

एंजल्स एंड डीमन्स (फ़िल्म)

एंजल्स एंड डीमन्स डैन ब्राउन के इसी नाम के उपन्यास का अमेरिकी फ़िल्म रूपांतरण है। यह दा विंची कोड की अगली कड़ी है, हालांकि उपन्यास एंजल्स एंड डीमन्स पहले प्रकाशित हुआ था और दा विंची कोड से पहले घटित होता है। इसका फ़िल्मांकन रोम, इटली और कल्वर सिटी, कैलिफ़ोर्निया के सोनी पिक्चर्स स्टूडियो में किया गया। टॉम हैंक्स ने रॉबर्ट लैंगडन की मुख्य भूमिका दोहराई है, जबकि निर्देशक रॉन हावर्ड, निर्माता ब्रायन ग्रेज़र, संगीतकार हैन्स ज़िम्मर और पटकथा लेखक अकिवा गोल्ड्समैन की भी वापसी हुई है। .

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दृष्टि

स्तनपोषी प्राणियों का दृकतंत्र: इसमें आँखें, आँखों और मस्तिष्क को जोडने वाली तंत्रिकाएँ तथा मस्तिष्क सम्मिलित हैं। दृष्टि (Vision) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का भाग है। इसमें प्रकाशिक संकेतों को ग्रहण करने, उन्हें प्रसंस्कृत करने और उनके आधार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रदान करती है। दृष्टि का मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। यह चारों ओर के पदार्थों के प्रत्यक्ष ज्ञान का साधन ही नहीं है वरन् मनुष्य के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। .

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निकटदृष्टि

निकटदृष्टि के दोष से ग्रसित आँख द्वारा बना प्रतिबिम्ब निकटदृष्टि दोष (Myopia या shortsightedness) आँखों का दोष है जिसमें निकट की चीजें तो साफ-साफ दिखतीं हैं किन्तु दूर की चीजें नहीं। आंखों में यह दोष उत्पन्न होने पर प्रकाश की समान्तर किरणपुंज आँख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देता है (न कि रेटिना पर) इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनती (आउट ऑफ फोकस) और चींजें धुंधली दिखतीं हैं। जिन लोगों को दो मीटर या 6.6 फीट की दूरी के बाद चीजें धुंधली दिखती हैं, उन्हें मायोपिया का शिकार माना जाता है। निकट दृषिट दोष में नेत्र का दूर बिऩदु अनऩत से कम दूरी पर हो जाता है | इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है कि अनऩत पर रखी वसतु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के दूर बिऩदु से चली हुई पृतीत हो | तब ये किरणें नेत्र लेंस से अपवरतित होकर रेटिना पर मिलती हैं | |उपयुक्त फोकस दूरी वाले अवतल लेंस से युक्त चश्में के प्रयोग से निकटदृष्टि को सुधारा जाता है। इससे दूर की चीजें भी स्पष्ट दिखने लगती हैं। जब नेत्र की गोलियता बढ़ जाती है तो उसका फोकस कम हो जाता है जिससे वस्तुये रेटिना पर न बनकर उससे पहले ही बन जाता हैं।जिससे वस्तुये धुन्दली दिखाई देती हैं। .

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नेत्रपटलदर्शन

नेत्रपटलदर्शी (बाएँ) तथा ओटोस्कोप (otoscope) नेत्र का अन्तर्दर्शन या नेत्रपटलदर्शन नेत्रपटलदर्शन (Ophthalmoscopy या funduscopy) एक प्रकार का नेत्र परीक्षण है जिसमें चिकित्सक आँखों के फण्डस (fundus) के अन्दर देखता है| इसके लिए जो उपकरन उपयोग में लाया जाता है उसे नेत्रपटलदर्शी (ophthalmoscope या funduscope) कहते हैं। दृष्टिपटल (रेटिना) के स्वास्थ्य को जाँचने के लिए यह जाँच अति महत्वपूर्ण है। श्रेणी:नेत्र.

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नेत्रविज्ञान

नेत्र परीक्षण नेत्रविज्ञान (Ophthalmology), चिकित्साविज्ञान का वह अंग है जो आँख की रचना, कार्यप्रणाली, उसकी बीमारियों तथा चिकित्सा से संबधित है। नेत्रचिकित्सा, चिकित्सा व्यवसाय का एक प्रधान महत्वपूर्ण अंग समझा जाना चाहिए। नेत्र जीवन के लिए अनिवार्य तो नहीं, किंतु इसके बिना मानव शरीर के अस्तित्व का मूल्य कुछ नहीं रहता। ऐसे अंग की जीवन पर्यंत रक्षा का प्रबंध रखना रोगी, उसके परिचायक एवं चिकित्सक का पुनीत कर्तव्य होना चाहिए। यह बहुत ही पुराना विज्ञान है, जिसका वर्णन अथर्ववेद में भी मिलता है। सुश्रुतसंहिता, संस्कृत भाषा की अनुपम कृति है, जिसमें आँख की बीमारियों तथा उनी चिकित्सा का सबसे प्रारंभिक विवरण मिलता है। सुश्रुत, आयुर्वेद शास्त्र के प्रथम शल्यचिकित्सक थे, जिन्होंने विवरणपूर्वक और पूर्णत: आँख की उत्पत्ति, रचना, कार्यप्रणाली, बीमारियों तथा उनकी चिकित्सा के विषय में लिखा है, यह नेत्रविज्ञान के लेख "सुश्रुतसंहिता" के "उत्तरातांत्रा" के 1-19 तक अध्याय में सम्मिलित है। इसमें पलकें कजंक्टाइवा, स्वलेरा, कॉर्निया लेंस और कालापानी इत्यादि का विवरण मिलता है। मोतियाबिंद का सबसे पहले आपरेशन करने का श्रेय शल्य चिकित्सक सुश्रुत को प्राप्त है। .

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नेत्रकाचाभ द्रव

नेत्रकाचाभ द्रव एक स्पष्ट जेल है जो लेंस और नेत्रगोलक की रेटिना के बीच अंतरिक्ष भरता है। .

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बायोमेट्रिक्स

वॉल्ट डिज़नी वर्ल्ड में बॉयोमेट्रिक माप मेहमानों की उंगलियों से यह सुनिश्चित करने के लिए लिये जाते हैं कि व्यक्ति की टिकट का इस्तेमाल दिन-प्रतिदिन एक ही व्यक्ति द्वारा किया जाता रहे. जैवमिति या बायोमैट्रिक्स जैविक आंकड़ों एंव तथ्यों की माप और विश्लेषण के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को कहते हैं। अंग्रेज़ी शब्द बायोमैट्रिक्स दो यूनानी शब्दों बायोस (जीवन) और मैट्रोन (मापन) से मिलकर बना है।। हिन्दुस्तान लाइव। २८ मार्च २०१० नेटवर्किंग, संचार और गत्यात्मकता में आई तेजी से किसी व्यक्ति की पहचान की जांच पड़ताल करने के विश्वसनीय तरीकों की आवश्यकता बढ़ गई है। पहले व्यक्तियों की पहचान उनके चित्र, हस्ताक्षर, हाथ के अंगूठे और अंगुलियों के निशानों से की जाती रही है, किन्तु इनमें हेरा-फेरी होने लगी। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने जैविक विधि से इस समस्या का समाधान करने का तरीका खोजा है। इसका परिणाम ही बायोमैट्रिक्स है। वेनेजुएला में आम चुनावों के दौरान दोहरे मतदान को रोकने के लिए बायोमैट्रिक कार्ड का प्रयोग किया जाता है। .

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मधुमेही नेफ्रोपैथी

मधुमेही नेफ्रोपैथी (नेफ्रोपेटिया डायबीटिका) को किमेलस्टील-विल्सन सिंड्रोम या नौड्युलर डायबीटिक ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस तथा इंटरकैपिलरी ग्लोमेरुलोनेफ्राईटिस के नाम से भी जाना जाता है। गुर्दे की यह प्रगतिशील बीमारी गुर्दे की ग्लोमेरुली की कोशिकाओं में वाहिकारुग्णता (एंजियोपैथी) की वजह से होती है। यह नेफ्रोटिक सिंड्रोम तथा फैली हुई ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस द्वारा पहचानी जाती है। यह दीर्घकालिक मधुमेह के कारण उत्पन्न हो सकती है और पश्चिमी देशों में इसे गुर्दे के मरीजों को बड़ी संख्या में डायलिसिस तक लाने वाली बीमारी के रूप में जाना जाता है। .

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मानव मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क के एम.आर.आई. प्रतिबिंब को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क शरीर का एक आवश्यक अंग होने के साथ-साथ प्रकृति की एक उत्कृष्ट रचना भी है। देखने में यह एक जैविक रचना से अधिक नहीं प्रतीत होता। परन्तु यह हमारी इच्छाओं, संवेगों, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, चेतना, ज्ञान, अनुभव, व्यक्तित्व इत्यादि का केन्द्र भी होता है। मानव मस्तिष्क कैसे काम करता है यह एक ज्वलंत प्रश्न के रूप में जीवविज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित और दर्शनशास्त्र में स्थान रखता है। प्रस्तुत आलेख में मस्तिष्क के विभिन्न संरचनात्मक एवं क्रियात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई है। 200px .

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माइक टायसन

माइकल जेरार्ड "आयरन माइक" टायसन (जन्म 30 जून 1966) एक सेवानिवृत्त अमेरिकी बॉक्सर हैं। वे अविवादित हेवीवेट चैंपियन थे और आज भी सबसे कम उम्र के WBC, WBA और IBF विश्व हेवीवेट ख़िताब विजेता बने हुए हैं। उन्होंने WBC ख़िताब सिर्फ 20 साल 4 महीने और 22 दिन की उम्र में जीता, जब उन्होंने दूसरे दौर में एक TKO द्वारा ट्रेवर बर्बिक को हराया.

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मिक्रोप्सिया

मिक्रोप्सिया मानव के दृश्य धारणा की स्थिति को संबोधित करता है। जिसमे वस्तुओं को वास्तव से छोटी आकार में देखना माना जाता है। मिक्रोप्सिया आँख में ऑप्टिकल छवियों के विरूपण से (चश्मे से या कुछ ओकुलर स्थिति के कारन) या एक स्नायविक रोग द्वारा भी हो सकता है। मिक्रोप्सिया दृश्य विरूपण के अलावा किसी भी अन्य कारकों के द्वारा हो सकता है। मिक्रोप्सिया होने के कारणों मैं मस्तिष्क चोट, कारकों को दवा कॉर्निया पर सूजन, मिरगी, माइग्रेन, औषध विधि और औषध का अवैध उपयोग, रेटिनल एडम, धब्बेदार अध: पतन, केंद्रीय तरल चोरिओरेतिनोपथ्य, मस्तिष्क घावों और मनोवैज्ञानिक घटक शामिल है। अलग करनेवाला घटना मिक्रोप्सिया के साथ जुड़े हुए हैं, जिसका परिणाम मस्तिष्क लतेरलिज़तिओन अशांति हो सकता है। विशिष्ट प्रकार के मिक्रोप्सिया में एस हेमिमिक्रोप्सिया शामिल है, यह मिक्रोप्सिया का भाग है जो मस्तिष्क के गोलार्द्ध स्थानीयकृत है, जिसेके द्वारा मस्तिष्क घावा हो सकता है। संबंधित दृश्य विरूपण शर्तों मक्रोप्सिया शामिल मक्रोप्सिया शर्त के साथ रिवर्स आम, एक कम प्रभाव मिक्रोप्सिया और दोनों और ऐलिस वोंदेर्लंद सिंड्रोम में शामिल कर सकते हैं कि एक शर्त यह है कि लक्षण है। .

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मंददृष्टि

मंददृष्टि (Amblyopia) ऐसा विकार है जिसमें यद्यपि बाहर से नेत्र पूर्णत: स्वस्थ दिखाई देते हैं, परंतु वस्तुत: उनमें किसी भी चीज को स्पष्ट देखने की क्षमता नहीं रहती। .

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यूवाइटिस (आंखों की सूजन)

यूवाइटिस, विशेष रूप से "यूविया" नाम से जानी जाने वाली आंख के बीच की परत की सूजन को संदर्भित करता है, लेकिन साधारण उपयोग में यह आंख के भीतर की किसी भी सूजन को संदर्भित कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार यूवाइटिस, संयुक्त राज्य अमेरिका में दृष्टिहीनता के लगभग 10% के लिए जिम्मेदार है। यूवाइटिस के लिए एक नेत्र विशेषज्ञ या नेत्ररोग विशेषज्ञ द्वारा तत्काल गहन परीक्षण तथा सूजन नियंत्रण हेतु तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। .

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रंगहीनता

रंगहीनता (ऐल्बिनिज़म) (लैटिन ऐल्बस, "सफ़ेद" से; विस्तारित शब्द व्युत्पत्ति देखें, इसे ऐक्रोमिया, ऐक्रोमेसिया, या ऐक्रोमेटोसिस (वर्णांधता या अवर्णता) भी कहा जाता है), मेलेनिन के उत्पादन में शामिल एंजाइम के अभाव या दोष की वजह से त्वचा, बाल और आँखों में रंजक या रंग के सम्पूर्ण या आंशिक अभाव द्वारा चिह्नित किया जाने वाला एक जन्मजात विकार है। ऐल्बिनिज़म, वंशानुगत तरीके से रिसेसिव जीन एलील्स को प्राप्त करने के परिणामस्वरूप होता है और यह मानव सहित सभी रीढ़धारियों को प्रभावित करता है। ऐल्बिनिज़म से प्रभावित जीवधारियों के लिए सबसे आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द "रजकहीन जीव (एल्बिनो) " है। अतिरिक्त क्लिनिकल विशेषणों के तहत कभी-कभी जानवरों को संदर्भित करने के लिए "ऐल्बिनोइड" और "ऐल्बिनिक" शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐल्बिनिज़म कई दृष्टि दोषों के साथ जुड़ा हुआ है, जैसे फोटोफोबिया (प्रकाश की असहनीयता), नीस्टैगमस (अक्षिदोलन) और ऐस्टिगमैटिज्म (दृष्टिवैषम्य).

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सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण

सामान्य चिकित्सा और क्लिनिकों (अर्थात् आंतरिक चिकित्सा और बाल रोग) में प्रयुक्त उपकरण इस प्रकार हैं: .

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वास्तविक प्रतिबिम्ब

उत्तल लेंस तथा अवतल दर्पण से निर्मित वास्तविक प्रतिबिम्ब प्रकाशिकी में जब किसी वस्तु से निकलने वाली किरणें प्रकाशीय युक्ति/युक्तियों से निकलने के बाद वास्तव में किसी बिन्दु पर मिलतीं हैं तो उस बिन्दु पर वास्तविक प्रतिबिम्ब (real image) बनता है। जिस तल में किरणें मिल रहीं हैं, उस तल पर कोई पर्दा (स्क्रीन) रखा जाय तो प्रतिबिम्ब उस पर्दे पर दिखेगा। वास्तविक प्रतिबिम्ब के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं-.

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आँख

मानव आँख का पास से लिया गया चित्र मानव नेत्र का योजनात्मक आरेख आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है। .

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आवृत्तिदर्शी

उछलती हुई गेंद को आवृत्तिदर्शी में देखने पर आवृत्तिदर्शी (स्ट्रोबोस्कोप) एक यंत्र हैं जिससे चलते हुए किसी पिंड को स्थिर रूप में देखा जा सकता है। इसकी क्रिया दृष्टिस्थापकत्व (परसिस्टैंस ऑव विज्हन) पर निर्भर है। हमारी आंख के कृष्णपटल (रेटिना) पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब वस्तु को हटा लेने के लगभग १/१६ सेकेंड से लेकर १/१० सेकेंड बाद तक बना रहता है। साधारण आवृत्तिदर्शी में एक वृत्ताकार पत्र या चक्र (डिस्क) होता है, जिसकी बारी के समीप बराबर दूरियों पर एक अथवा दो तीन वृत्ताकार पंक्तियों में छिद्र बन रहते हैं। वृत्ताकार पत्र को एक चाल से घुमाया जाता है और छिद्रों के समीप आंख वृत्ताकार पत्र को एक चाल से घुमाया जाता है और छिद्रों के समीप आंख लगाकर गतिमान वस्तु का निरीक्षण किया जाता है। जब छिद्र वस्तु के सामने आता है तभी वस्तु दिखाई पड़ती है। यदि किसी आवृत्तिदर्शी को ऐसी गति से घुमाया जाए कि मशीन की प्रत्येक आवृत्ति में मशीन का वही भाग घूमते पत्र के एक छिद्र के सामने बराबर आता रहे तो दृष्टिस्थापकत्व के कारण चलती हुई मशीन हमें स्थिर, किंतु सामान्य प्रकाश में धुंधली, दिखाई पड़ेगी। स्पष्ट निरीक्षण के लिए मशीन को अत्यंत तीव्र प्रकाश में रहना चाहिए। यदि एकसमान तीव्र प्रकाश के बदले मशीन को प्रकाश में रहना चाहिए। यदि एकसमान तीव्र प्रकाश के बदले मशीन को प्रकाश की तीव्र दमकों (फ्लैशेज़) द्वारा प्रकाशित किया जाए और यदि दमकों की आवृत्तिसंख्या इतनी हो कि एक दमक मशीन पर इसके ठीक एक परिभ्रमण पर पड़े तो मशीन स्थिर दिखाई पड़ेगी। इस आयोजन से मशीन के किसी भाग के किसी भाग को फोटो लिया जा सकता है, उसका निरीक्षण किया जा सकता है और मशीन का कोणीय वेग ज्ञात किया जा सकता है। किसी दोलतीय वस्तु, जैसे कंपित स्वरित्र (टयूनिंग फ़ार्क) की भी आवृत्तिसंख्या निकाली जा सकती है। .

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कर्कट रोग

कर्कट (चिकित्सकीय पद: दुर्दम नववृद्धि) रोगों का एक वर्ग है जिसमें कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित वृद्धि (सामान्य सीमा से अधिक विभाजन), रोग आक्रमण (आस-पास के उतकों का विनाश और उन पर आक्रमण) और कभी कभी अपररूपांतरण अथवा मेटास्टैसिस (लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है) प्रदर्शित करता है। कर्कट के ये तीन दुर्दम लक्षण इसे सौम्य गाँठ (ट्यूमर या अबुर्द) से विभेदित करते हैं, जो स्वयं सीमित हैं, आक्रामक नहीं हैं या अपररूपांतरण प्रर्दशित नहीं करते हैं। अधिकांश कर्कट एक गाँठ या अबुर्द (ट्यूमर) बनाते हैं, लेकिन कुछ, जैसे रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता) गाँठ नहीं बनाता है। चिकित्सा की वह शाखा जो कर्कट के अध्ययन, निदान, उपचार और रोकथाम से सम्बंधित है, ऑन्कोलॉजी या अर्बुदविज्ञान कहलाती है। कर्कट सभी उम्र के लोगों को, यहाँ तक कि भ्रूण को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन अधिकांश किस्मों का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। कर्कट में से १३% का कारण है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, २००७ के दौरान पूरे विश्व में ७६ लाख लोगों की मृत्यु कर्कट के कारण हुई। कर्कट सभी जानवरों को प्रभावित कर सकता है। लगभग सभी कर्कट रूपांतरित कोशिकाओं के आनुवंशिक पदार्थ में असामान्यताओं के कारण होते हैं। ये असामान्यताएं कार्सिनोजन या का कर्कटजन (कर्कट पैदा करने वाले कारक) के कारण हो सकती हैं जैसे तम्बाकू धूम्रपान, विकिरण, रसायन, या संक्रामक कारक.

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अवगम

नॅकर क्यूब और रुबिन गुलदस्ते ऐसे दो चित्र हैं जिनको दो भिन्न बोधों से देखा जा सकता है अपने वातावरण के बारे में इन्द्रियों द्वारा मिली जानकारी को संगठित करके उस से ज्ञान और अपनी स्थिति के बारे में जागरूकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को अवगम या प्रत्यक्षण (perception) कहते हैं।Pomerantz, James R. (2003): "Perception: Overview".

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

दृष्टिपटल, रेटिना, रेटीना

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