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दलदल

सूची दलदल

दलदल भू-भाग का वह इलाका होता जो या तो मौसमी पानी के कारण, या स्थाई तौर पर पानी में डूबा होता है। भारत में स्थाई दलदल के प्रमुख उदाहरण हैं उत्तर प्रदेश के तराई के दलदल तथा पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन। असम में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मौसमी दलदल बन जाता है जब ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है। दलदल का पानी स्वच्छ या मीठा हो सकता है जैसे तराई का, या वहाँ का पानी खारा हो सकता है जैसे सुन्दरवन का क्योंकि सुन्दरवन समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण वहाँ समुद्र का पानी होना स्वाभाविक है। दलदल में पानी की बहुतायत की वजह से कुछ विशेष प्रकार की वनस्पती ही उग सकती है, जिसने अपने आप को उस माहौल में ढाल लिया हो। इसी प्रकार कुछ विशेष प्राणी ही वहाँ जीवित रह सकते हैं, क्योंकि जीवित रहने के लिए वहाँ की परिस्थितियाँ बहुत विषम होती हैं। मीठे पानी वाले दलदल में सरकण्डा नामक घास प्रचुर मात्रा में उगती है। यह घास बहुत ऊँची होती है और मृग की प्रजाति के पशुओं को परभक्षियों से छिपने में मदद करती है। वहीं दूसरी ओर खारे पानी के दलदल में ज़्यादातर मैन्ग्रोव वन ही देखने को मिलते हैं। श्रेणी:स्थलरूप श्रेणी:जलीय स्थलरूप श्रेणी:जलीय पारितंत्र.

11 संबंधों: नीलगिरी (यूकलिप्टस), प्राच्य, पैंटानल, बारहसिंगा, भूमंडलीय ऊष्मीकरण, हिन्दी पुस्तकों की सूची/त, जैव विविधता, वन, ओकावंगो डेल्टा, कॉसर एल्नील मार्ग, अजीतगढ़

नीलगिरी (यूकलिप्टस)

नीलगिरी मर्टल परिवार, मर्टसिया प्रजाति के पुष्पित पेड़ों (और कुछ झाडि़यां) की एक भिन्न प्रजाति है। इस प्रजाति के सदस्य ऑस्ट्रेलिया के फूलदार वृक्षों में प्रमुख हैं। नीलगिरी की 700 से अधिक प्रजातियों में से ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया मूल की हैं और इनमें से कुछ बहुत ही अल्प संख्या में न्यू गिनी और इंडोनेशिया के संलग्न हिस्से और सुदूर उत्तर में फिलपिंस द्वीप-समूहों में पाये जाते हैं। इसकी केवल 15 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया के बाहर पायी जाती हैं और केवल 9 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया में नहीं होतीं.

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प्राच्य

प्राच्य या आर्किया (Archaea) एककोशिकीय सूक्ष्मजीवों का अधिजगत निर्मित करते हैं। ये सूक्ष्मजीव अकेन्द्रिक होते हैं, अर्थात् इनके पास कोशिका केन्द्रक नहीं होता हैं। प्राच्य प्रारम्भ में जीवाणु की तरह वगीकृत किये गएँ थे, जिससे उन्हें प्राच्यजीवाणु का नाम मिला (प्राच्यजीवाणु अधिजगत में), पर यह वर्गीकरण अब पुराना हो चुका हैं। प्राच्यीय कोशिकाओं के पास विशिष्ट विशेषताएँ हैं, जो उसे जीवन के अन्य दो अभिजगतों, जीवाणु और सुकेन्द्रिक, से पृथक करता हैं। प्राच्य आगे और कई अभिज्ञात संघों में विभाजित किया जाता हैं। प्राच्य और जीवाणु आम तौर पर आकर और आकृति में समान ही होते हैं, यद्यपि कुछ प्राच्यों का बहुत विचित्र आकार होता हैं, जैसे कि लवणवर्गाकार वॉलस्बी की समतल और वर्गाकार कोशिकाएँ। प्राच्यों को प्रारंभिक रूप से कठोर वातावरण,जैसे हॉट स्प्रिंग्स और नमक झीलों, में रहने वाले चरमपसंदियों के रूप में देखा जाता था, लेकिन वे तब से मिट्टीयों, महासागरों और दलदलों सहित पर्यवासों की एक विस्तृत शृंखला में पाएँ गएँ हैं। प्राच्य महासागरों में विशेष रूप से बहुत संख्या में पाया जाता हैं, और प्लवक में प्राच्य ग्रह पर जीवों के सबसे प्रचुर मात्रा में समूहों में से एक हो सकते हैं। .

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पैंटानल

पैंटानल विश्व का सबसे विशालकाय आर्द्रभूमि/दलदली भूमि वाला उष्णकटिबन्धीय प्राकृतिक क्षेत्र है। यह मुख्यत: ब्राज़ील के राज्य मातो ग्रोसो दो सुल में स्थित है लेकिन इसके कुछ हिस्से अन्य राज्य मातो ग्रोसो और ब्राज़ील की सीमा पार बोलीविया और पराग्वे तक भी फैले हुए हैं। यह अनुमानत: के क्षेत्रफल में फैला हुआ विशालकाय क्षेत्र है। यहाँ विभिन्न उपक्षेत्रीय पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं जिनमें विभिन्न किस्म के जलीय, भौगोलिक और पारिस्थितिकीय अभिलक्षण मिलते हैं। इनमें से कम से कम १२ को (रैडमब्राज़ील 1982) में परिभाषित किया गया है।सुजन मक्ग्राथ, जोएल सारतोरे द्वारा चित्र, Brazil's Wild Wet, नैशनल जियोग्राफ़िक पत्रिका, अगस्त 2005 पैंटानल के लगभग 80% आहार क्षेत्र बारिश के मौसम में डूब जाते हैं जिसमें एक बेहद ही विविध और विभिन्न प्रकार के जैव विविधता वाले जलीय पौधों का विकास होता है। इनसे एक बहुत ही भारी संख्या में जलीय पशुओं को विकास में सहायता मिलती है। "पैंटानल" शब्द पुर्तगाली भाषा के शब्द pântano से निकला है जिसका अर्थ है आद्र/दलदली भूमि। .

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बारहसिंगा

बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है। बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला।Prater, S. H. (1948) The book of Indian animals.

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण

वैश्‍विक माध्‍य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्‍न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्‍न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्‍वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/त

* तकीषी की कहानियां - बी.डी. कृष्णन.

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जैव विविधता

--> वर्षावन जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी), के अनुसार जैवविविधता biodiversity विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष, घोषित किया गया है। .

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वन

National Park)). एक क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते हैं। पेड़ जंगल के कई परिभाषाएँ, है जो कि विभिन्न मानदंडों पर आधारित हैं। वनों ने पृथ्वी के लगभग ९.४% भाग को घेर रखा है और कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 30% भाग घेर रखा है। कभी वन कुल भूमि क्षेत्र के ५०% भाग में फैल हुए थे। वन जीव जन्तुओं के लिए आवास स्थल, जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं इसी कारण यह पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा कहलाते हैं। इतिहास बताता है, कि "वन" एक बीहड़ क्षेत्र जिसका मतलब कानूनी तौर पर बाजू के लिए निर्धारित शिकार के द्वारा सामंती कुलीनता है और इन शिकार जंगलों जरूरी ज्यादा अगर में सभी (देखें जंगली नहीं थे रॉयल वन। हालांकि, शिकार के जंगलों अक्सर वुडलैंड के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया जबकि, शब्द वन अंततः जंगली भूमि अधिक सामान्यतः मतलब करने के लिए आया था। एक वुडलैंड जो की एक जंगल से भिन्न है। .

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ओकावंगो डेल्टा

ओकावंगो डेल्टा वास्तव में अद्वितीय और दुनिया में सबसे बड़ा अंतर्देशीय डेल्टा है। .

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कॉसर एल्नील मार्ग

क़ॉसर एल्नील मार्ग, जिसे क़ॉसर अल-नील भी लिखा जाता है, मिस्र की राजधानी काहिरा के काहिरा नगर क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध मार्ग व पर्यटन स्थल है। क़ॉसर एल्नील मार्ग काहिरा शहर क्षेत्र का एक बहुत बड़ा मार्ग है। यहाँ पर बहुत सारे व्यापारिक प्रतिष्ठान, व्यवसाय, होटल, रेस्तरां व लगातार चलने वाला रात में मनोरंजन (nightlife) उपलब्ध हैं। यहाँ पर अतीत के नगर नियोजन द्वारा निर्मित स्मारक, भवन और वास्तुकला १९वीं सदी के यूरोप की विख्यात ललित कला बोज़ोर कला व मिस्र की वास्तुकला - इस्लामी वास्तुकला — मूरिश वास्तुकला का पुनर्जागरण जैसी विभिन्न कलाओं की याद दिलाता है। मार्ग और उसके नए भवनों की बनावट एक नए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शहरी जनपद बनाने की कवायद का हिस्सा है जिसका उद्देस्य तमाम नई विदेशी उपक्रमों को मिस्र की समृद्ध एतिहासिक इस्लामी धरोहर से जोड़ना है। .

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अजीतगढ़

अजीतगढ़ (ਮੋਹਾਲੀ, Mohali) चंडीगढ़ के पड़ोस में एक शहर है और भारत के राज्य पंजाब, का १८वाँ जिला है। इसका आधिकारिक नाम गुरु गोविंद सिंह के ज्येष्ठ पुत्र साहिबज़ादा अजीत सिंह की याद में (एस ए एस नगर) रखा गया है। अजीतगढ़, चंडीगढ़ और पंचकुला मिल कर चंडीगढ़ त्रिनगरी कहलाते हैं। यह पहले रूपनगर जिले का हिस्सा था, पर हाल के कुछ वर्षों में इसे अलग जिला बना दिया गया। .

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