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दर्रा

सूची दर्रा

पहाडियों एव पर्वतिय क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा कहा जाता हैं। .

73 संबंधों: चरम उदग्र शिखर, चित्राल ज़िला, चुम्बी घाटी, चुशूल, चोयु, टागलांग ला, तुर्किस्तान शृंखला, दरकोट दर्रा, द्रांग द्रुंग हिमानी, नाथूला दर्रा, पटकाई, पर्वतमाला, पलसदरी, पंगसौ दर्रा, पेन्सी ला, पीर पंजाल पर्वतमाला, फ़ाहियान, बरोग़िल दर्रा, बाबूसर दर्रा, बाज़ारक, पंजशीर, बुम ला, बुरज़िल दर्रा, बेल्जियम, भालन लोग, मलाकंद दर्रा, महालंगूर हिमाल, मिलाकतोंग ला, मिंटका दर्रा, यासीन वादी, राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन), रिमो मुज़ताग़, रेज़ांग ला, रोल्वालिंग हिमाल, लानक दर्रा, लिपुलेख ला, लुंगालाचा ला, ल्हात्से, ल्हाग्बा ला, लीपा घाटी, शन्दूर दर्रा, शानहाइगुआन, शिंगो ला, शुपियाँ, सफ़ेद कोह, सरचु, ससेर मुज़ताग़, सिएर्रा मोरेना, संगलाख़, सुग़्द प्रान्त, हल्दीघाटी, ..., हिन्दु कुश, हिन्दूताश दर्रा, जेलेप ला, वख़जीर दर्रा, ख़ुंजराब दर्रा, ख़ैबर दर्रा, ख़ोतान, ग़िज़र ज़िला, गुरला मन्धाता, ग्याचुंगकांग, गोमल दर्रा, इर्शाद दर्रा, इंदिरा कोल, क़ाराक़ोरम दर्रा, कानजी, किरथर पर्वत, केरिन्थिया (Kärnten), कोल (भूविज्ञान), कोहाट दर्रा, कोंगका दर्रा, अलाय वादी, उत्तर कोल, उनई दर्रा सूचकांक विस्तार (23 अधिक) »

चरम उदग्र शिखर

विश्व भर के चरम उदग्र शिखरों का मानचित्रचरम उदग्र शिखर (अंग्रेजी: Ultra Prominent Peak), या संक्षिप्त में केवल चरम उन शिखरों का एक वर्गीकरण है जिनकी स्थलाकृतिक उदग्रता (मोटे अर्थों में ऊँचाई) 1,500 मीटर (4,921 फुट) या उससे अधिक है। विश्व में ऐसी लगभग 1,524 चोटियों हैं। उदग्रता के अनुसार विश्व के पहले तीन सबसे प्रसिद्ध चरम उदग्र शिखर हैं, एवरेस्ट पर्वत, अकांकागुआ और मैककिनले पर्वत। मैटरहॉर्न और आइजर जैसी कुछ प्रसिद्ध चोटियों, चरम उदग्र शिखर नहीं हैं क्योंकि वे ऊँचे पहाड़ों से दर्रों के द्वारा जुड़ी हैं और इसलिए इन्हें पर्याप्त स्थलाकृतिक उदग्रता हासिल नहीं है। .

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चित्राल ज़िला

चित्राल (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Chitral) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित एक ज़िला है। यह उस प्रान्त का सबसे बड़ा ज़िला है। इसका क्षेत्रफल १४,८५० वर्ग किमी है और १९९८ की जनगणना में इसकी आबादी ३,१८,६८९ थी। ७,७०८ मीटर ऊँचा तिरिच मीर, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों में से है, इस ज़िले में स्थित है। चित्राल ज़िले की राजधानी चित्राल शहर है।, Sarina Singh, Lindsay Brown, Paul Clammer, Rodney Cocks, John Mock, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-542-0 .

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चुम्बी घाटी

चुम्बी घाटी तिब्बत के शिगात्से विभाग में स्थित एक घाटी है। यह उस स्थान पर स्थित है जहाँ भारत के सिक्किम राज्य, भूटान और तिब्बत तीनों की सीमाएँ मिलती हैं। हालांकि तिब्बत एक ठंडा प्रदेश है, चुम्बी वादी में गर्मियों में मौसम अच्छा होता है और स्थानीय वनस्पतियों में बहुत फूल आते हैं। कूटनीतिक दृष्टि से ३,००० मीटर पर स्थित चुम्बी घाटी का बहुत महत्व रहा है क्योंकि भारत पर तिब्बत से आक्रमण करने का यह एक आसान मार्ग है। १९०४ में भारत की ब्रिटिश सरकार ने तिब्बत पर चढ़ाई करके चुम्बी पर नौ महीने का क़ब्ज़ा कर लिया था। ब्रिटिश सरकार के अन्दर चुम्बी को औपचारिक रूप से भारत का भाग बनाने के लिये काफ़ी खीचातानी चली लेकिन अन्त में इसे तिब्बती सरकार के हवाले कर दिया गया।, Alex McKay, pp.

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चुशूल

चुशूल (Chushul) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िलेमें स्थित एक गाँव है। यह चुशूल घाटी में स्थित है। .

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चोयु

चोयु या चो ओयु (तिब्बती: ཇོ་བོ་དབུ་ཡ, अंग्रेज़ी: Cho Oyu) विश्व का छठा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह ८,१८८ मीटर (२६,८६४ फ़ुट) ऊँचा पर्वत हिमालय की महालंगूर हिमाल भाग के खुम्बु उपभाग का पश्चिमतम पर्वत है और एवरेस्ट पर्वत से २० किमी पश्चिम में स्थित है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमा पर खड़ा है। चोयु से कुछ ही किलोमीटर पश्चिम में ५,७१६ मीटर (१८,७५३ फ़ुट) की ऊँचाई पर नांगपा ला नामक दर्रा है जो हिमालय के खुम्बु और रोलवालिंग भागों को अलग करता है और तिब्बती लोगों और खुम्बु क्षेत्र के शेरपाओं के बीच का मुख्य व्यापारी मार्ग है। .

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टागलांग ला

टागलांग ला (Taglang La) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िले में लेह-मनाली राजमार्ग पर हिमालय में एक पहाड़ी दर्रा है। यह 5,328 मीटर (17,480 फ़ुट) की ऊँचाई पर उपशी से दक्षिण में स्थित है। .

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तुर्किस्तान शृंखला

तुर्किस्तान पर्वत शृंखला मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है जो पामीर-अलाय पर्वत मंडल का एक भाग है। यह पर्वतों की कतार ज़रफ़शान पर्वत शृंखला से उत्तर में स्थित है और किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान की सरहद पर अलाय पर्वत शृंखला से शुरू होकर पश्चिम में ३४० किमी दूर उज़्बेकिस्तान में समरक़ंद के नख़्लिस्तान (ओएसिस) पर ख़त्म होती है। .

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दरकोट दर्रा

दरकोट दर्रा (Darkot Pass), जो दरकूट दर्रा भी कहलाता है, हिन्दु कुश पर्वतों की हिन्दु राज शृंखला का एक पहाड़ी दर्रा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले की बरोग़िल वादी को पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की रावत वादी से जोड़ता है। भौगोलिक दृष्टि से यह यरख़ुन नदी घाटी क्षेत्र को यासीन घाटी क्षेत्र से जोड़ता है।, Jason Neelis, pp.

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द्रांग द्रुंग हिमानी

द्रांग द्रुंग हिमानी (Drang-Drung Glacier) या दुरुंग द्रुंग हिमानी (Durung Drung Glacier) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के कर्गिल ज़िले में स्थित एक हिमानी है। यह हिमालय की ज़ंस्कार पर्वतमाला में कर्गिल-ज़ंस्कार राजमार्ग पर स्थित पेन्सी ला नामक पहाड़ी दर्रे के पास उत्पन्न होती है और डोडा नदी (स्तोद नदी) का स्रोत है। डोडा नदी आगे चलकर ज़ंस्कार नदी की एक मुख्य उपनदी बनती है, जो स्वयं सिन्धु नदी की एक उपनदी है। लद्दाख़ में काराकोरम से बाहर यह सियाचिन हिमानी के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिमानी है। .

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नाथूला दर्रा

नाथूला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है।, G. S. Bajpai, pp.

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पटकाई

पटकाई भारत के पूर्वोत्तर में बर्मा के साथ लगी अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र पर स्थित पहाड़ी शृंखलाओं का नाम है। इसके पहाड़ों की ऊँचाई हिमालय की तुलना में काफ़ी कम है। पटकाई पहाड़ों में तीन मुख्य शृंखलाएँ शामिल हैं: पटकाई बुम, खसी-गारो-जयंतिया शृंखला और लुशाई पहाड़ियाँ। यह पर्वत भारत के नागालैंड, मणिपुर, मेघालय और मीज़ोरम राज्यों में विस्तृत हैं। पंगसौ दर्रा पटकाई पहाड़ों का सबसे महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रा है और भारत को बर्मा से जोड़ने वाली लेडो रोड इसी दर्रे से निकलती है।, Center of Military History, United States Army, pp.

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पर्वतमाला

अंतरिक्ष से देखने पर हिमालय पर्वतमाला एक पर्वतमाला या पर्वत श्रृंखला पहाड़ों की एक श्रृंखला होती है जहाँ एक पर्वत दूसरे से सटा रहता हैं और इन पर्वतों को कोई दर्रा या घाटी ही से दूसरे पर्वतों से अलग करती है। यह आवश्यक नहीं है कि एक ही पर्वत श्रृंखला के भीतर आने वाले हर पर्वत का भूविज्ञान (संगठन) एक समान ही हो पर अक्सर ऐसा ही होता है और एक ही श्रृंखला में पृथक उत्पत्ति के पर्वत हो सकते हैं, उदाहरणत: ज्वालामुखी, प्रोत्थान पर्वत या वलित पर्वत एक ही श्रृंखला में हो सकते हैं जो वस्तुतः अलग अलग चट्टान से बने होते हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला में पृथ्वी की सतह पर स्थित दुनिया के कुछ सर्वोच्च पर्वत शामिल हैं और जिसमें से उच्चतम माउंट एवरेस्ट है। एण्डीज़ पृथ्वी की सतह पर विश्व की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है। सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला वास्तव में मध्याह्न अटलांटिक पर्वतश्रेणी है, जिसका फैलाव अटलांटिक महासागर के तल पर बीच में है। आर्कटिक कॉर्डिलेरा विश्व के सबसे उत्तर में स्थित पर्वतमाला है जिसमे पूर्वी उत्तरी अमेरिका के कुछ ऊँचे पर्वत समाहित हैं। .

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पलसदरी

पलसदरी, (पहले पलसधरी; मराठी: पळसदरी), मुंबई उपनगरीय रेल के कर्जत -खोपोली खंड पर स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और एक रेलवे जंक्शन है। यह कर्जत-लोनावला लाइन पर भी पड़ता है। खोपोली मार्ग पर इससे अगला स्टेशन केलावली है। पलसदरी का नाम "पलास" के पेड़ और "दरी" यानि "दर्रा" (पहाड़ियों के बीच से जाने वाला मार्ग) नामक दो शब्दों के मेल से बना है। यह कर्जत खोपोली राज्य राजमार्ग सं 35 पर स्थित है। पलसदरी में ही प्रसिद्ध पलसदरी बांध स्थित है। पलसदरी में ब्रिटिश राज काल और उससे भी पुराने कई मंदिर उपस्थित हैं। विशेष रूप से बरसात के मौसम में, मुंबई, पनवेल और नवी मुंबई से बहुत से पर्यटक यहाँ आते हैं। मानसून के दौरान पूरे क्षेत्र के झरने सक्रिय हो जाते हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है। पलसदरी का एक अन्य आकर्षण यहाँ स्थित श्री स्वामी समर्थ महाराज अक्कलकोट का "मठ" है जो एक बहुत ही खूबसूरत जगह पर स्थित है। पलसदरी को इसकी प्राकृतिक सुंदरता और कठिन रास्तों के लिए जाना जाता है। पहाड़ों पर पैदल यात्रा, पर्यटकों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। लेकिन पर्यटकों को इन यात्राओं के दौरान यहाँ की कंटीली झाड़ियों से सावधान रहना चाहिए। यह कंटीली झाड़ियां किसी लापरवाह पथिक के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। पलसदरी में कई स्थान निजी स्वामित्व में हैं और इनसे होकर गुजरना अवैध है। .

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पंगसौ दर्रा

पंगसौ दर्रा या पन सौंग दर्रा पटकाई पहाड़ो में ३,७२७ फ़ुट (१,१३६ मीटर) की ऊँचाई पर स्थित भारत को बर्मा से जोड़ने वाला एक पहाड़ी दर्रा है। यह बर्मा से पश्चिम में असम के मैदानी इलाक़ों तक पहुँचने का सबसे सरल मार्ग है और इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि असम में १३वीं सदी में आकर बसने वाले अहोम लोगों ने इसी दर्रे से भारत में प्रवेश किया था। दर्रे का नाम बर्मा के पंगसौ गाँव पर पड़ा है जो दर्रे से २ किमी पूर्व में बसा हुआ है। भारत को बर्मा से जोड़ने वाली लेडो रोड इसी दर्रे से निकलती है।, Center of Military History, United States Army, pp.

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पेन्सी ला

पेन्सी ला (Pensi La) हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत में स्थित है। यह जम्मू और कश्मीर राज्यके लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित है और "ज़ंस्कार का द्वार" कहलाता है। यह दर्रा लद्दाख़ की सुरु घाटी को ज़ंस्कार घाटी से जोड़ता है। 4,400 मीटर (14,436 फ़ुट) की ऊँचाई वाला यह दर्रा रंगदुम मठ नामक प्रसिद्ध बौद्ध गोम्पा से लगभग 25 किमी दूर है। .

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पीर पंजाल पर्वतमाला

पीर पंजाल पर्वतमाला (Pir Panjal Range) हिमालय की एक पर्वतमाला है जो भारत के हिमाचल प्रदेश व जम्मू और कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर में चलती है। हिमालय में धौलाधार और पीर पंजाल शृंख्लाओं की ओर ऊँचाई बढ़ने लगती है और पीर पंजाल निचले हिमालय की सर्वोच्च शृंख्ला है। सतलुज नदी के किनारे यह हिमालय के मुख्य भाग से अलग होकर अपने एक तरफ़ ब्यास और रावी नदियाँ और दूसरी तरफ़ चेनाब नदी रखकर चलने लगती है। पश्चिम में आगे जाकर उत्तरी पाकिस्तानी पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की पहाड़ी गलियाँ इसी पीर पंजाल शृंख्ला का अंतिम कम-ऊँचाई वाला भाग है। इसी में उत्तरी पंजाब का मरी हिल-स्टेशन स्थित है। पाक-अधिकृत कश्मीर के बाग़ ज़िले में गंगा चोटी पीर पंजाल शृंख्ला का एक प्रसिद्ध ३,०४४ मीटर (९,९८७ फ़ुट) ऊँचा पर्वत व पर्यटन-स्थल है। .

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फ़ाहियान

फ़ाहियान के यात्रा-वृत्तान्त का पहला पन्ना फ़ाहियान या फ़ाशियान (चीनी: 法顯 या 法显, अंग्रेज़ी: Faxian या Fa Hien; जन्म: ३३७ ई; मृत्यु: ४२२ ई अनुमानित) एक चीनी बौद्ध भिक्षु, यात्री, लेखक एवं अनुवादक थे जो ३९९ ईसवी से लेकर ४१२ ईसवी तक भारत, श्रीलंका और आधुनिक नेपाल में स्थित गौतम बुद्ध के जन्मस्थल कपिलवस्तु धर्मयात्रा पर आए। उनका ध्येय यहाँ से बौद्ध ग्रन्थ एकत्रित करके उन्हें वापस चीन ले जाना था। उन्होंने अपनी यात्रा का वर्णन अपने वृत्तांत में लिखा जिसका नाम बौद्ध राज्यों का एक अभिलेख: चीनी भिक्षु फ़ा-शियान की बौद्ध अभ्यास-पुस्तकों की खोज में भारत और सीलोन की यात्रा था। उनकी यात्रा के समय भारत में गुप्त राजवंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का काल था और चीन में जिन राजवंश काल चल रहा था। फा सिएन पिंगगयांग का निवासी था जो वर्तमान शांसी प्रदेश में है। उसने छोटी उम्र में ही सन्यास ले लिया था। उसने बौद्ध धर्म के सद्विचारों के अनुपालन और संवर्धन में अपना जीवन बिताया। उसे प्रतीत हुआ कि विनयपिटक का प्राप्य अंश अपूर्ण है, इसलिए उसने भारत जाकर अन्य धार्मिक ग्रंथों की खोज करने का निश्चय किया। लगभग ६५ वर्ष की उम्र में कुछ अन्य बंधुओं के साथ, फाहिएन ने सन् ३९९ ई. में चीन से प्रस्थान किया। मध्य एशिया होते हुए सन् ४०२ में वह उत्तर भारत में पहुँचा। यात्रा के समय उसने उद्दियान, गांधार, तक्षशिला, उच्छ, मथुरा, वाराणसी, गया आदि का परिदर्शन किया। पाटलिपुत्र में तीन वर्ष तक अध्ययन करने के बाद दो वर्ष उसने ताम्रलिप्ति में भी बिताए। यहाँ वह धर्मसिद्धांतों की तथा चित्रों की प्रतिलिपि तैयार करता रहा। यहाँ से उसने सिंहल की यात्रा की और दो वर्ष वहाँ भी बिताए। फिर वह यवद्वीप (जावा) होते हुए ४१२ में शांतुंग प्रायद्वीप के चिंगचाऊ स्थान में उतरा। अत्यंत वृत्र हो जाने पर भी वह अपने पवित्र लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहा। चिएन कांग (नैनकिंग) पहुँचकर वह बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुवाद के कार्य में संलग्न हो गा। अन्य विद्वानों के साथ मिलकर उसने कई ग्रंथों का अनुवाद किया, जिनमें से मुख्य हैं-परिनिर्वाणसूत्र और महासंगिका विनय के चीनी अनुवाद। 'फौ-कुओ थी' अर्थात् 'बौद्ध देशों का वृत्तांत' शीर्षक जो आत्मचरित् उसने लिखा है वह एशियाई देशों के इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विश्व की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा चुका है। .

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बरोग़िल दर्रा

बरोग़िल (Baroghil) या बोरोग़िल या ब्रोग़िल या ब्रोग़ोल (Broghol) हिन्दु कुश पर्वतमाला में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल क्षेत्र की मस्तुज वादी को अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से जोड़ता है। अन्य क्षेत्रीय दर्रों की तुलना में इसकी ऊँचाई कम है। साल में तीन महीने बर्फ़ग्रस्त होने से यह बन्द रहता है लेकिन बाक़ी के नौ महीने खुला होता है।, Royal Geographical Society (Great Britain), pp.

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बाबूसर दर्रा

बाबूसर दर्रा (Babusar Pass, درہ بابوسر) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो काग़ान घाटी को पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के चिलास शहर से जोड़ता है। .

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बाज़ारक, पंजशीर

बाज़ारक (दरी फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Bazarak) उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर प्रान्त की राजधानी है। यह १०० किमी लम्बी पंजशीर वादी के लगभग मध्य में स्थित है और यहाँ पर बसने वाले अधिकतर लोग ताजिक समुदाय के हैं। यह प्रसिद्ध अफ़ग़ान नेता अहमद शाह मसूद का जन्मस्थान है और उनका मकबरा भी यहीं स्थित है।, Susan Vollmer, pp.

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बुम ला

बुम ला या बुम दर्रा भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य और तिब्बत (चीन-नियंत्रित) के ल्होखा विभाग के बीच हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है। यह समुद्रतल से १५,२०० फ़ुट की ऊँचाई पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग शहर से ३७ किमी की दूरी पर स्थित है। .

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बुरज़िल दर्रा

बुरज़िल दर्रा (Burzil Pass) कश्मीर क्षेत्र का एक ऐतिहासिक दर्रा है जो श्रीनगर को पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित गिलगित और स्कर्दू से जोड़ता है। यहाँ से यात्री और व्यापारी घोड़ों और टट्टुओं पर सवार यातायात करा करते थे लेकिन भारत के विभाजन के बाद यह पाकिस्तान द्वारा बन्द कर दिया गया। इसके शिखर पर एक चौकी हुआ करती थी जहाँ से भारत और चीन के दरम्यान डाक आया-जाया करती थी। .

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बेल्जियम

किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .

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भालन लोग

भालन बृहत भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में बसने वाले आर्य समुदाय का एक क़बीला था। ऋग्वेद के सातवे मंडल में वे पुरुओं द्वारा स्थापित उस मित्रपक्ष में थे जिन्होने दस राजाओं के युद्ध (दशराज्ञ युद्ध) में भारत क़बीले के राजा सुदास से जंग की थी जिसमें पुरुओं की हार हुई थी। कुछ विद्वानों के अनुसार भालन लोग आधुनिक बलोचिस्तान के बोलन दर्रे क्षेत्र में रहते थे और उस दर्रे का नाम उन्ही पर पड़ा है।, pp.

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मलाकंद दर्रा

मलाकन्द दर्रे में प्रवेश कराती सुरंग मलाकंद दर्रा (Malakand Pass) पाकिस्तान में पेशावर के ६० किमी उत्तर, उत्तर-पूर्व स्थित दक्षिणी स्वात क्षेत्र में एक दर्रा है। प्रशासनिक रूप से यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मलाकंद जिले में स्थित है। सामरिक रूप से यह एक महत्वपूर्ण भौगोलिक संरचना है। इस दर्रे से होकर एक प्राचीन बौद्धकालीन सड़क जाती है। १६वीं शताब्दी के प्रारंभ में यूसुफजाई पठानों ने इसी दर्रे में से होकर स्वात घाटी में प्रेवश किया था। ब्रिटिश काल में इसी दर्रे और इसके उत्तरी भाग में १८९७ ई॰ में भारतीय और ब्रिटिश सेनाओं का स्वात क्षेत्र के पठान विद्रोहियों से युद्ध हुआ था जिसे मलाकंद की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। इस लड़ाई में भारतीय-ब्रिटिश सेनाएँ विजयी रहीं थीं। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान की मलाकंद डिविजन ही वह प्रमुख क्षेत्र है जहाँ मलाला युसुफजई ने लड़कियों को स्कूल पहुँचाने के लिये संघर्ष छेड़ रखा है समीप में स्थित मलाकंद गाँव में जलविद्युतगृह है। .

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महालंगूर हिमाल

महालंगूर हिमाल (नेपाली: महालंगूर हिमाल) हिमालय का एक भाग है जो पूर्वोत्तरी नेपाल और दक्षिण-मध्य तिब्बत में स्थित है। यह पूर्व में नांगपा ला नामक दर्रे से पश्चिम में अरुण नदी तक विस्तृत है। हिमालय के उपभागों की दृष्टि से इसके पश्चिम में खुम्बु हिमाल (जिस से आगे पश्चिम में रोल्वालिंग हिमाल) और पूर्व में कंचनजंघा हिमाल आता है। पृथ्वी के छ्ह में से चार सर्वोच्च पर्वत - माउंट एवरेस्ट, ल्होत्से, मकालू और चोयु - इसमें शामिल हैं। इसके तिब्बती ओर रोंगबुक और कंगशुंग हिमानियाँ (ग्लेशियर) बहती हैं जबकि नेपाली ओर बरुण, न्गोजुम्बा, खुम्बु और अन्य हिमानियाँ चलती हैं। यह सभी उत्तर व पूर्व में अरुण नदी द्वारा और दक्षिण में दुधकोशी नदी द्वारा कोसी नदी को जल प्रदान करती हैं। .

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मिलाकतोंग ला

मिलाकतोंग ला (Milakatong La) भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के पश्चिमोत्तरी कोने में तवांग ज़िले में तवांग शहर से बुम ला के मार्ग पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह भारत व तिब्बत के ल्होखा विभाग की सीमा के पास समुद्रतल से १६,५०० फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। .

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मिंटका दर्रा

मिंटका दर्रा पाकिस्तान का एक प्रमुख दर्रा है। श्रेणी:पाकिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:दर्रा.

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यासीन वादी

यासीन (Yasin) या वोरशीगूम (Worshigum) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की एक घाटी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह ग़िज़र ज़िले की एक तहसील भी है। यासीन वादी हिन्दु कुश पर्वतों में स्थित है और यहाँ से पूर्व में इश्कोमन वादी पहुँचने के लिए असम्बर दर्रे नामक एक पर्वतीय दर्रे से गुज़रना पड़ता है।, Robert W. Bradnock, Trade & Travel Publications, 1994,...

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राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन)

तिब्बत के रुतोग ज़िले में तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग पर लगी एक शिला राजमार्ग २१९ अक्साई चिन (गुलाबी रंग वाला क्षेत्र) से निकलता हुआ शिंजियांग और तिब्बत को जोड़ता है राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जिसे तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग भी कहा जाता है, चीन द्वारा निर्मित एक राजमार्ग है जो भारत की सीमा के नज़दीक शिंजियांग प्रान्त के कारगिलिक शहर से लेकर तिब्बत के शिगात्से विभाग के ल्हात्से शहर तक जाता है। इसकी कुल लम्बाई २,७४३ किलोमीटर है। इसका निर्माण सन् १९५१ में शुरू किया गया था और यह सड़क १९५७ तक पूरी हो गई। यह राजमार्ग भारत के अक्साई चिन इलाक़े से निकलता है जिसपर चीन ने १९५० के दशक में क़ब्ज़ा कर लिया था और जिसको लेकर १९६२ का भारत-चीन युद्ध भी भड़क गया। .

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रिमो मुज़ताग़

रिमो मुज़ताग़ (Rimo Muztagh) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पर्वतमाला है, जो महान काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रेणी है। .

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रेज़ांग ला

रेज़ांग ला (Rezang La) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में चुशूल घाटी के दक्षिणपूर्व में उस घाटी में प्रवेश करने वाला एक पहाड़ी दर्रा है। यह २.७ किमी लम्बा और १.८ किमी चौड़ा है और इसकी औसत ऊँचाई १६,००० फ़ुट है। .

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रोल्वालिंग हिमाल

रोल्वालिंग हिमाल (अंग्रेज़ी: Rolwaling Himal, नेपाली: रोल्वालिं हिमाल) पूर्व-मध्य नेपाल में तिब्बत की सीमा के साथ चलने वाला हिमालय का एक खण्ड है। यह नांगपा ला नामक पहाड़ी दर्रे से महालंगूर हिमाल से बंटा हुआ है और इसके दक्षिण में रोल्वालिंग घाटी है जहाँ कई छोटे शेरपा समुदाय के गाँव हैं। पश्चिमोत्तर में तमकोसी नदी के पार लाबुचे हिमाल स्थित है। .

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लानक दर्रा

लानक दर्रा या लानक ला जम्मू और कश्मीर राज्य के अक्साई चिन क्षेत्र और तिब्बत के न्गारी विभाग के बीच स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह अक्साई चिन के दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में स्थित है और भारत इसे भारत व तिब्बत की सीमा का एक बिन्दु मानता है। चीन द्वारा तिब्बत और उसके बाद अक्साई चिन पर क़ब्ज़ा हो जाने के पश्चात यह पूरी तरह चीन के नियंत्रण में है जो इस से पश्चिम में स्थित कोंगका दर्रे को भारत-तिब्बत सीमा मानता है। .

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लिपुलेख ला

लिपुलेख ला या लिपुलेख दर्रा हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो नेपालके दारचुला जिल्ले को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत,नेपालऔर तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।, pp.

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लुंगालाचा ला

लुंगालाचा ला या लाचुलुंग ला भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में लेह-मनाली राजमार्ग पर स्थित हिमालय में एक पहाड़ी दर्रा है। यह सरचु से 54 किमी और पंग से 24 किमी दूर 5,059 मीटर (16,600 फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित है। .

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ल्हात्से

ल्हात्से (Lhatse, तिब्बती: ལྷ་རྩེ་), जो चुत्सर (Chusar या Quxar) भी बुलाया जाता है, तिब्बत का एक शहर है। प्रशासनिक रूप से यह चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत स्वशासित प्रदेश नामक प्रशासनिक प्रान्त मे स्थित है। ४,०५० मीटर (१३,२८७ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित यह शहर भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहलाने वाली यरलुंग त्संगपो नदी की घाटी में बसा हुआ है। यह विभाग की राजधानी शिगात्से से १५१ किमी दक्षिण-पश्चिम में उस शहर जाने वाले एक पहाड़ी दर्रे से पश्चिम में स्थित है। आधुनिक ल्हात्से बस्ती से १० किमी उत्तर में पुराने ल्हात्से गाँव का स्थल है जहाँ एक प्राचीन गेलुगपा बौद्ध-मठ है और पास ही एक १५० मीटर (४९२ फ़ुट) ऊँची चट्टान पर यरलुंग त्संगपो महान घाटी के मुख पर खड़े एक पुराने क़िले (तिब्बती भाषा में 'द्ज़ोन्ग') के खंडहर हैं। .

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ल्हाग्बा ला

ल्हाग्बा ला (Lhagba La) या ल्हाक्पा ला (Lhakpa La) हिमालय में एवरेस्ट पर्वत से 7 किमी पूर्वोत्तर में स्थित एक कोल (पहाड़ी दर्रा) है। यह 6,849 मीटर (22,470 फ़ुट) की ऊँचाई पर तिब्बत के शिगात्से विभाग मे स्थित है। इस कोल से कादा हिमानी आरम्भ होती है जो पिघलकर कादा नदी बनती है और अरुण नदी की एक महत्वपूर्ण उपनदी है। कोल की पश्चिमी ओर पूर्व रोंगबुक हिमानी आरम्भ होती है। .

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लीपा घाटी

लीपा घाटी (अंग्रेज़ी: Leepa Valley, उर्दु: لیپا وادی) आज़ाद कश्मीर के हट्टियाँ बाला ज़िले में स्थित एक पर्वतीय घाटी है। यह मुज़फ़्फ़राबाद से १०५ किमी दूर रेशियाँ गली नामक पहाड़ी दर्रे के दूसरी पार है। अपने रमणीय भूदृश्य के कारण यह पर्यटक स्थल है। .

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शन्दूर दर्रा

शन्दूर दर्रा (Shandur Pass) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो ग़िज़र ज़िले को ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले से जोड़ता है। दर्रे के ऊपरी क्षेत्र में १२,२०० फ़ुट (३,७०० मीटर) की ऊँचाई पर एक पठारी इलाक़ा है जिसे शन्दूर टॉप (Shandur Top) के नाम से बुलाया जाता है। यहाँ शन्दूर झील स्थित है जो पास की हिमानी (ग्लेशियर) से भरती है और गिलगित नदी का स्रोत है।, S. Amjad Hussain, Literacy Circle of Toledo, 1998,...

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शानहाइगुआन

200px शानहाइ दर्रा (Shanhai Pass) या शानहाइगुआन (山海關, Shanhaiguan), जिसे यू दर्रा (榆關, Yu Pass) भी कहते हैं, चीन की विशाल दीवार में बना एक प्रमुख दर्रा है, जिसके ज़रिये दीवार को पार किया जा सकता है। यह दीवार के सुदूर पूर्वी छोर के पास स्थित है, जो दीवार के बोहाई सागर के किनारे अंत हो जाने से थोड़ा पहले पड़ता है। प्रशासनिक दृष्टि से शानहाइगुआन चीन के हेबेई प्रान्त के चिनहुआंगदाओ (秦皇岛, Qinhuangdao) शहर के शानहाइगुआन विभाग में पड़ता है। .

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शिंगो ला

शिंगो ला (Shingo La) या शिंगु ला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत में स्थित है। यह हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्यों की सीमा पर स्थित है और ज़ंस्कार की पदुम बस्ती को लाहौल की दारचा बस्ती से जोड़ता है। दर्रे से २० मीटर नीचे एक छोटा तालाब है। .

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शुपियाँ

शुपियाँ (अंग्रेज़ी: Shupiyan, उर्दु: شوپیاں), जिसे कभी-कभी शोपियाँ (Shopian) भी लिखा जाता है, भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में एक नगर और ज़िला है। यह क्षेत्र अपने सेब की पैदावार के लिये प्रसिद्ध है। इसे सन् २००७ में ज़िले का दर्जा मिला था। यह पीर पंजाल पर्वतमाला की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। .

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सफ़ेद कोह

अफ़्ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त के ख़ोगयानी ज़िले से दक्षिण में स्थित सफ़ेद कोह पर्वतों का नज़ारा सफ़ेद कोह (Safed Koh), जिन्हें पश्तो में स्पीन ग़र कहते हैं और जिन्हें १९वीं सदी तक हिन्दुस्तानी पर्वत (Indian Caucasus) भी कहा जाता था, पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के पश्चिमोत्तरी संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र के ख़ैबर और कुर्रम विभागों में स्थित एक पर्वत शृंखला है। हिन्दु कुश पर्वतों की इस उपशाखा का सबसे बुलंद शिखर ४,७६१ मीटर (१५,६२० फ़ुट) ऊँचा सिकराम पर्वत (Sikaram) है।, Asiatic Society of Bengal, The Society, 1879,...

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सरचु

सरचु (Sarchu), जिसे सिर भुम चुन (Sir Bhum Chun) भी कहते हैं, भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िले में लेह-मनाली राजमार्ग पर स्थित एक बस्ती है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर की सीमा के पास स्थित इस पड़ाव के दक्षिण में बड़ालाचा ला और उत्तर में लुंगालाचा ला के पहाड़ी दर्रे हैं। सरचु में कई यात्री रुककर मज़बूत तम्बुओं में रात गुज़ारते हैं। .

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ससेर मुज़ताग़

ससेर मुज़ताग़ (Saser Muztagh) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पर्वतमाला है, जो महान काराकोरम पर्वतमाला की पूर्वतम उपश्रेणी है। दक्षिण, पूर्व और पूर्वोत्तर में इसे श्योक नदी घेरती है जो श्रेणी के दक्षिणपूर्व कोने में मोड़ लेती है। पश्चिम में नुब्रा नदी इसे कैलाश श्रेणी से अलग करती है। ससेर ला नामक पहाड़ी दर्रा इसे उत्तर के रिमो मुज़ताग़ नामक श्रेणी से अलग करता है। .

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सिएर्रा मोरेना

सिएर्रा मोरेना पहाड़ियों की शृंखला इस नक़्शे में लाल लक़ीर से दर्शाई गयी है सिएर्रा मोरेना (स्पैनिश: Sierra Morena) स्पेन की एक प्रमुख पहाड़ी शृंखला है। यह दक्षिणी स्पेन में पूर्व-पश्चिम दिशा में चलती है और आइबेरियाई प्रायद्वीप के मेसेटा सेंत्राल नामक पठार की दक्षिणी सीमा है। सिएर्रा मोरेना की शृंखला अपने उत्तर की ओर स्थित गुआदिआना घाटी और दक्षिण की ओर स्थित गुआदालकिविर घाटी के दोनों जलसम्भरों को पानी प्रदान करती है। .

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संगलाख़

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा संगलाख़ (Sanglakh) हिन्दु कुश पर्वत शृंखला की एक शाखा है। इस से अफ़्ग़ानिस्तान की दो महत्वपूर्ण नदियाँ - हेलमंद नदी और काबुल नदी - उत्पन्न होती हैं। संगलाख़ शृंखला के सब से प्रमुख दर्रे का नाम 'उनई दर्रा' या 'उनई कोतल' है।, Cambridge University Press, 1911,...

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सुग़्द प्रान्त

सुग़्द प्रान्त (ख़ाक़ी रंग में) ताजिकिस्तान के उत्तर में स्थित है ख़ुजन्द में स्थित सुग़्द ऐतिहासिक संग्राहलय सुग़्द (ताजिकी: Суғд) या विलोयत-इ-सुग़्द ताजिकिस्तान की एक विलायत (प्रान्त) है। यह मध्य एशिया के प्राचीन सोग़दा क्षेत्र में स्थित है जिस से इस प्रान्त का नाम भी पड़ा है। सुग़्द प्रान्त ताजिकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल २५,४०० वर्ग किमी है और सन् २००८ में इसकी आबादी १८.७ लाख अनुमानित कि गई थी। ताजिकिस्तान के ३०% लोग इस प्रान्त में रहते हैं। सुग़्द प्रान्त की राजधानी ख़ुजन्द शहर है।, Bradley Mayhew, Greg Bloom, Paul Clammer, Lonely Planet, 2010, ISBN 978-1-74179-148-8 .

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हल्दीघाटी

हल्दीघाटी इतिहास में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान में एकलिंगजी से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अरावली पर्वत शृंखला में एक दर्रा (pass) है। यह राजसमन्द और पाली जिलों को जोड़ता है। यह उदयपुर से ४० किमी की दूरी पर है। इसका नाम 'हल्दीघाटी' इसलिये पड़ा क्योंकि यहाँ की मिट्टी हल्दी जैसी पीली है। .

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हिन्दु कुश

हिन्दु कुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादीत भाग से मध्य अफ़्ग़ानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० किमी चलने वाली पर्वत शृंखला है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) लम्बा तिरिच मीर पर्वत है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

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हिन्दूताश दर्रा

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में कंगशेवार​ बस्ती को पूषा बस्ती से जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा दर्शाया गया है सन् १८७३ के इस नक्शे में हिन्दूताग़ दर्रा दिखाया गया है हिन्दूताश दर्रा (अंग्रेजी: Hindutash Pass) या हिन्दूताग़​ दर्रा मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग क्षेत्र में स्थित कुनलुन पर्वतों का एक ऐतिहासिक पहाड़ी दर्रा है। यह काराकाश नदी की घाटी में स्थित कंगशेवार​ नामक एक उजड़ी हुई बस्ती को योरुंगकाश नदी की घाटी में स्थित पूषा नामक शहर से जोड़ता है और आगे चलकर यही सड़क महत्वपूर्ण ख़ोतान तक जाती है।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, B. Blom, 1968,...

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जेलेप ला

जेलेप ला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य को दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है।, G. S. Bajpai, pp.

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वख़जीर दर्रा

वख़जीर दर्रा (Wakhjir Pass), जिसे फ़ारसी में कोतल-ए-वख़जीर कहते हैं, अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे और चीन-नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िले के बीच हिन्दु कुश या पामीर पर्वतों में एक ४,९२३ मीटर (१६,१५२ फ़ुट) ऊँचा पहाड़ी दर्रा है। यह वाख़ान गलियारे के सुदूर पूर्वी छोर पर स्थित है जहाँ अफ़ग़ानिस्तान की चीन के साथ एक छोटी-सी सरहद है। इस दर्रे से कोई सड़क नहीं गुज़रती और यह आम-यातायात के लिए बंद है। .

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ख़ुंजराब दर्रा

खुंजर्ब राष्ट्रीय उद्यान में विलुप्तप्राय प्रजाति का हिम तेंदुआ ख़ुंजराब दर्रा (चीनी भाषा:红其拉甫山口, अंग्रेजी: Khunjerab Pass, उर्दु) (ऊँचाई) काराकोरम पर्वतमाला में स्थित एक दर्रा है। यह पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र और चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बीच स्थित है। .

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ख़ैबर दर्रा

ख़ैबर दर्रा ख़ैबर दर्रा ख़ैबर दर्रा या दर्र-ए-ख़ैबर (Khyber Pass) उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान की सीमा और अफगानिस्तान के काबुलिस्तान मैदान के बीच हिंदुकुश के सफेद कोह पर्वत शृंखला में स्थित एक प्रख्यात ऐतिहासिक दर्रा है। यह दर्रा ५० किमी लंबा है और इसका सबसे सँकरा भाग केवल १० फुट चौड़ा है। यह सँकरा मार्ग ६०० से १००० फुट की ऊँचाई पर बल खाता हुआ बृहदाकार पर्वतों के बीच खो सा जाता है। इस दर्रे के ज़रिये भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया के बीच आया-जाया सकता है और इसने दोनों क्षेत्रों के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी है। ख़ैबर दर्रे का सबसे ऊँचा स्थान पाकिस्तान के संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र की लंडी कोतल (لنڈی کوتل, Landi Kotal) नामक बस्ती के पास पड़ता है। इस दर्रे के इर्द-गिर्द पश्तून लोग बसते हैं। पेशावर से काबुल तक इस दर्रे से होकर अब एक सड़क बन गई है। यह सड़क चट्टानी ऊसर मैदान से होती हुई जमरूद से, जो अंग्रेजी सेना की छावनी थी और जहाँ अब पाकिस्तानी सेना रहती है, तीन मील आगे शादीबगियार के पास पहाड़ों में प्रवेश करती है और यहीं से खैबर दर्रा आरंभ होता है। कुछ दूर तक सड़क एक खड्ड में से होकर जाती है फिर बाई और शंगाई के पठार की ओर उठती है। इस स्थान से अली मसजिद दुर्ग दिखाई पड़ता है जो दर्रे के लगभग बीचोबीच ऊँचाई पर स्थित है। यह दुर्ग अनेक अभियानों का लक्ष्य रहा है। पश्चिम की ओर आगे बढ़ती हुई सड़क दाहिनी ओर घूमती है और टेढ़े-मेढ़े ढलान से होती हुई अली मसजिद की नदी में उतर कर उसके किनारे-किनारे चलती है। यहीं खैबर दर्रे का सँकरा भाग है जो केवल पंद्रह फुट चौड़ा है और ऊँचाई में २,००० फुट है। ५ किमी आगे बढ़ने पर घाटी चौड़ी होने लगती है। इस घाटी के दोनों और छोटे-छोटे गाँव और जक्काखेल अफ्रीदियों की लगभग साठ मीनारें है। इसके आगे लोआर्गी का पठार आता है जो १० किमी लंबा है और उसकी अधिकतम चौड़ाई तीन मील है। यह लंदी कोतल में जाकर समाप्त होता है। यहाँ अंगरेजों के काल का एक दुर्ग है। यहाँ से अफगानिस्तान का मैदानी भाग दिखाई देता है। लंदी कोतल से आगे सड़क छोटी पहाड़ियों के बीच से होती हुई काबुल नदी को चूमती डक्का पहुँचती है। यह मार्ग अब इतना प्रशस्त हो गया है कि छोटी लारियाँ और मोटरगाड़ियाँ काबुल तक सरलता से जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त लंदी खाना तक, जिसे खैबर का पश्चिम कहा जाता है, रेलमार्ग भी बन गया है। इस रेलमार्ग का बनना १९२५ में आरंभ हुआ था। सामरिक दृष्टि में संसार भर में यह दर्रा सबसे अधिक महत्व का समझा जाता रहा है। भारत के 'प्रवेश द्वार' के रूप में इसके साथ अनेक स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। समझा जाता है कि सिकन्दर के समय से लेकर बहुत बाद तक जितने भी आक्रामक शक-पल्लव, बाख्त्री, यवन, महमूद गजनी, चंगेज खाँ, तैमूर, बाबर आदि भारत आए उन्होंने इसी दर्रे के मार्ग से प्रवेश किया। किन्तु यह बात पूर्णतः सत्य नहीं है। दर्रे की दुर्गमता और इस प्रदेश के उद्दंड निविसियों के कारण इस मार्ग से सबके लिए बहुत साल तक प्रवेश सहज न था। भारत आनेवाले अधिकांश आक्रमणकारी या तो बलूचिस्तान होकर आए या 2 साँचा:पाकिस्तान के प्रमुख दर्रे श्रेणी:भारत का इतिहास श्रेणी:पाकिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:अफ़्गानिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:पश्तून लोग श्रेणी:ऐतिहासिक मार्ग.

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ख़ोतान

ख़ोतान मस्जिद के सामने का नज़ारा ख़ोतान या होतान (उईग़ुर:, ख़ोतेन; चीनी: 和田, हेतियान; अंग्रेजी: Hotan या Khotan) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक शहर है जो ख़ोतान विभाग की राजधानी भी है। इसकी आबादी सन् २००६ में १,१४,००० अनुमानित की गई थी। ख़ोतान तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। कुनलुन शृंखला में ख़ोतान पहुँचने के लिए तीन प्रमुख पहाड़ी दर्रे हैं - संजु दर्रा, हिन्दु-ताग़ दर्रा और इल्ची दर्रा - जिनके ज़रिये ख़ोतान हज़ारों सालों से भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बनाए हुए था।, James Bell, A. Fullarton and co., 1831,...

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ग़िज़र ज़िला

ग़िज़र ज़िले का नक़्शा जिसमें गाँव-बस्तियाँ दिखाएँ गए हैं ग़िज़र​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का पश्चिमतम ज़िला है। इसकी राजधानी गाहकूच शहर है। यहाँ कई जातियाँ रहती हैं और तीन मुख्य भाषाएँ बोली जाती हैं - खोवार, शीना और बुरूशसकी। इनके अलावा इस ज़िले के इश्कोमन क्षेत्र में कुछ वाख़ी और ताजिक बोलने वाले भी यहाँ रहते हैं। कुछ गुज्जर लोग भी इस जिले में बसे हुए हैं। .

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गुरला मन्धाता

गुरला मन्धाता (Gurla Mandhata) तिब्बत में मानसरोवर झील के पास स्थित हिमालय का एक पर्वत है। यदि कैलाश पर्वत मानसरोवर के एक ओर खड़ा है तो गुरला मन्धाता झील के पार दूसरी तरफ़ स्थित है। यह हिमालय की नालाकंकर हिमाल श्रेणी का सदस्य है जो दक्षिणी तिब्बत और पश्चिमोत्तरी नेपाल में विस्तृत है। गुरला मन्धाता को तिब्बती भाषा में नाइमोनान्यी (Naimona'nyi) कहते हैं। तिब्बत पर चीन का क़ब्ज़ा होने के बाद वहाँ की सरकार इसे चीनी लहजे में मेमो नानी (納木那尼峰, Memo Nani) बुलाती है। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत स्वशासित प्रदेश के न्गारी विभाग के पुरंग ज़िले में स्थित है। .

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ग्याचुंगकांग

ग्याचुंगकांग (अंग्रेज़ी: Gyachung Kang, नेपाली: ग्याचुंकाङ) हिमालय के महालंगूर हिमाल नामक भाग में स्थित एक 7,952 मीटर (26,089 फ़ुट) ऊँचा पर्वत है जो विश्व का 15वाँ सबसे ऊँचा पहाड़ है। यह पृथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वत है जो आठ हज़ारी समूह से बाहर है। ग्याचुंगकांग चोयु और एवरेस्ट पर्वत के बीच नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इसकी ढलान पर 19,400 फ़ुट की ऊँचाई पर नुप ला नामक पहाड़ी दर्रा है जिस से नेपाल में से तिब्बत में प्रवेश करा जा सकता है। .

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गोमल दर्रा

गोमल दर्रा (उर्दू: گومل) पाकिस्तान का एक प्रमुख दर्रा है। सुलेमान पर्वतमाला के उत्तरी छोर पर 7,500 फुट की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा फोर्ट सैंडमन से 40 मील उत्तर है। यह प्रसिद्ध दर्रा खैबर तथा बोलन दर्रों के बीच में है। गोमल नदी के समांतर का मार्ग, जो मुर्तजा तथा डोमंडी से होता हुआ उत्तरी-पश्चिमी सरहदी सूबे को अफगान प्लेटो से जोड़ता है, इसी दर्रे से होकर जाता है। इस हिस्से का यह सबसे पुराना दर्रा है। प्राचीन समय में व्यापारियों के काफिले यहाँ से वस्तु विनिमय तथा क्रय विक्रय के लिये आया जाया करते थे। श्रेणी:पाकिस्तान के पहाड़ी दर्रे श्रेणी:दर्रा.

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इर्शाद दर्रा

इर्शाद दर्रा (Irshad Pass) या कोतल-ए-इर्शाद ओवीन काराकोरम पर्वतों का एक पहाड़ी दर्रा है जो पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की गोजाल तहसील में स्थित चिपोरसुन वादी को अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से जोड़ता है।, H. W. Tilman, pp.

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इंदिरा कोल

इंदिरा कोल (Indira Col) काराकोरम पर्वतमाला की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी के इंदिरा कटक (इंदिरा रिज) में स्थित एक कोल (यानि कटक में बना हुआ पहाड़ी दर्रा) है। यह सिआ कांगरी से 3 किमी पश्चिम में है, जो भारत, पाकिस्तान व चीन द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों के त्रिबिन्दु पर स्थित है। इंदिरा कोल दक्षिण में सियाचिन हिमानी (ग्लेशियर) और उत्तर में उरदोक हिमानी के बीच का सबसे निचला स्थान है, और सिन्धु नदी घाटी तथा तारिम द्रोणी के बीच के जलसम्भर में स्थित है। यहाँ से आसानी से उरदोक हिमानी पर उतरा नहीं जा सकता क्योंकि वह ढलान बहुत तीखी है। .

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क़ाराक़ोरम दर्रा

क़ाराक़ोरम दर्रा काराकोरम पर्वतमाला में भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य और जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रदेश के बीच ४,६९३ मीटर (१५,३९७ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह लद्दाख़ के लेह शहर और तारिम द्रोणी के यारकन्द क्षेत्र के बीच के प्राचीन व्यापिरिक मार्ग का सबसे ऊँचा स्थान है। .

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कानजी

कानजी (漢字 Category:Articles containing Japanese-language text; जापानी उच्चारण: kandʑi  सुनो Category:Articles with hAudio microformats ), जापान द्वारा अपनाए गए शब्द-चिह्निक चीनी अक्षरों (हानज़ी) जिन्हें आधुनिक जापानी लेखन पद्धति में हिरागाना और काताकाना के साथ उपयोग किया जाता है। जापानी शब्द कानजी के चीनी अक्षरों का शाब्दिक अर्थ है "हान अक्षर" और चीनी शब्द हानज़ी के समान अक्षरों से लिखा जाता है। .

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किरथर पर्वत

किरथर पर्वत किरथर पर्वत, सिंध तथा बलूचिस्तान में झालावान क्षेत्र की सीमा पर स्थित एक पर्वतश्रेणी है। मूला नदी जहाँ अपने पर्वतीय पथ से कच्छी मैदान में उतरती है, वहाँ से उक्त पर्वत ठीक दक्षिण दिशा में लगभग ३०० किमी तक, नग्न पथरीली पहाड़ियों की समांतर श्रेणियों के रूप में, फैला है। इसकी एक उपश्रेणी दक्षिणपूर्व में कराची जिले तक चली गई है। यह पर्वत पहाड़ियों की एक ही शृंखलाबद्ध श्रेणी के रूप में, मौज अंतरीप तक चला गया है। इसकी सर्वाधिक चौड़ाई लगभग ९० किमी है। जरदक नामक शिखर सर्वोच्च (७,४३० फुट) है। प्रधान उपशाखा लक्खी श्रेणी कहलाती है। कालोची अथवा गज नदी किरथर पर्वतमाला में खड्ड बनाती हुई प्रवाहित होती है। इस पर्वतश्रेणी में हरबाब, फुसी, रोहेल, गर्रे आदि प्रमुख दर्रे है। इन्हीं पहाड़ियों के नाम पर इस क्षेत्र में उपलब्ध चूना पत्थर का भूवैज्ञानिक नाम किरथर चूना पत्थर पड़ा है। बलूची, जाट तथा ब्राहुई इन पहाड़ियों में रहनेवाली प्रमुख जातियां हैं जिनका मुख्य धंधा भेड़ पालना है। वन्य जीवों में पर्वतीय भेड़, काला भालू तथा चीता प्रमुख हैं। श्रेणी:पाकिस्तान का भूगोल.

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केरिन्थिया (Kärnten)

केरिन्थिया (Kärnten, Koroška) एक सुदूर दक्षिणी ऑस्ट्रियाई राज्य या क्षेत्र है। यह ईस्टर्न आल्प्स के भीतर स्थित है और मुख्यतः पर्वतों और झीलों के लिए यह प्रसिद्ध है। एक विशेष (आसानी से पहचानने योग्य) दक्षिणी ऑस्ट्रो-बवारियन बोली के साथ यहां के लोग मुख्य रूप से जर्मन बोलते हैं जिसमें मुख्य रूप से दोहरे व्यंजन से पहले सभी छोटे जर्मन स्वर लम्बे होते हैं ("केरिन्थियान वोवेल स्ट्रेचिंग").

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कोल (भूविज्ञान)

भूविज्ञान में कोल (Col) दो पर्वतों के बीच में उपस्थित कटक (ridge) का सबसे नीचला स्थान होता है। यदी दो पर्वतों के बीच में से निकलना हो तो कोल ही सबसे निम्न स्थान होता है। बड़े कोल को अक्सर पहाड़ी दर्रा (mountain pass) कहा जाता है। विश्व में कई कोल प्रसिद्ध हैं, मसलन हिमालय में उत्तर कोल (North Col) एवरेस्ट पर्वत और चंग्त्से पर्वत के बीच में स्थित कटक के ऊपर से निकलने का एक तीखी दीवारों वाली दरार है जिसे हिमानियों लाखों वर्षों में बह-बह ने काटकर बनाया है। .

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कोहाट दर्रा

कोहाट दर्रा (Kohat Pass) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा राज्य में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो पेशावर को कोहाट ज़िले की राजधानी कोहाट से जोड़ता है। जून २००३ में यहाँ वाहन यातायात बढ़ाने के लिये कोहाट सुरंग बनाई गई। .

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कोंगका दर्रा

कोंगका दर्रा या कोंगका ला भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह हिमालय की छंग-चेम्नो शृंखला में स्थित है। भारत के अनुसार यह पूर्णत: भारत की भूमि पर है लेकिन चीन-द्वारा नियंत्रित अक्साई चिन क्षेत्र और लद्दाख़ के अन्य भाग के बीच में चीन-भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने के नाते यह इन दो देशों के नियंत्रित क्षेत्रों के बीच आता है। प्रशासनिक रूप से दर्रे-पार का क्षेत्र चीनी सरकार ने शिंजियांग प्रान्त के ख़ोतान विभाग मे विलय किया हुआ है। .

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अलाय वादी

अलाय वादी और अलाय-पार पर्वत अलाय वादी (किरगिज़: Алай өрөөнү, अंग्रेज़ी: Alay Valley) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश के ओश प्रांत के दक्षिणी भाग में पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत एक चौड़ी और शुष्क वादी है। यह घाटी पूर्व-पश्चिम दिशा में १८० किमी लम्बी और उत्तर-दक्षिण दिशा में ४० किमी चौड़ी है और इसकी औसत ऊँचाई २५००-३००० मीटर है। घाटी के उत्तर में अलाय पर्वत हैं जिनकी ढलानें फ़रग़ना वादी पर अंत होती हैं। अलाय वादी के दक्षिण में अलाय-पार पर्वत हैं जो ताजिकिस्तान के साथ लगी सरहद पर स्थित हैं। पूर्व में ताउनमुरुन दर्रा (Taunmurun Pass) है जहाँ से चीन की सरहद पर स्थित इरकेश्तम (Irkeshtam) नाम की आख़री किरगिज़ बस्ती है। अलाय वादी की परिस्थितियाँ यहाँ बसने वालों के लिए काफ़ी कठिन हैं। यहाँ से गुज़रे एक यात्री ने इस वादी का ब्यौरा देते हुए कहा कि 'बिना नौकरियों के, कठोर सर्दियों और खेती के लिए ख़राब हालत में यहाँ जीवन बहुत मुश्किल है और यहाँ के अधिकतर पुरुष अन्य जगहों पर काम ढूँढने जा चुके हैं'।, Laurence Mitchell, pp.

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उत्तर कोल

उत्तर कोल (North Col) हिमालय में एवरेस्ट पर्वत को पास ही स्थित चंग्त्से पर्वत से जोड़ने वाली पर्वतीय कटक (रिज) में हिमानियों द्वारा काटकर बन गए एक तंग पहाड़ी दर्रे का नाम है। भूविज्ञान में इस प्रकार के दर्रे को कोल कहा जाता है। अधिकतर पर्वतारोही एवरेस्ट को दक्षिण तरफ़ (यानि नेपाल) से चढ़ने का प्रयास करते हैं। वे पर्वतारोही जो इसके विपरीत उत्तर दिशा (यानि तिब्बत) से चढ़ते हैं, वे एवरेस्ट की ढलानों पर पहुंचकर अपना चढ़ाई का पहला खेमा इसी उत्तर कोल पर ही लगाते हैं। .

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उनई दर्रा

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा उनई दर्रा (Unai Pass) या उनई कोतल अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ उपशाखा में ३००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्रमुख पहाड़ी दर्रा है। यह राष्ट्रीय राजधानी काबुल से पश्चिम में है और इसमें से काबुल को हज़ाराजात क्षेत्र के बामियान शहर से जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग निकलता है।, Cambridge University Press, 1911,...

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