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दन्त्य व्यंजन

सूची दन्त्य व्यंजन

दन्त्य ध्वनियाँ वो होती हैं जिनके उच्चारण में जीभ दांतों के पिछले भाग को छूती है। जैसे कि "त","थ", "द", "ध", " न"। याद रहे कि बिन्दु वाला "ऩ" जिसका ठीक उच्चारण बहुत कम लोग जानते हैं, वो भी इसी श्रेणी से संबद्ध है। "ऩ" की ध्वनि लगभग न होने के बराबर पाई जाती है लेकिन आम तौर पर इसका उच्चारण भारत के गायक अपनी गायकी में कर जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता। जब आप कभी राहत फ़तह अली खान का कोई गीत सुनेंगे तो ध्यान दीजिए कि वो "न" को बड़ी कोमलता से उच्चारित कर जाता है और उसकी ध्वनि कुछ "र्ँ" करके आती है। वही "ऩ" ठीक उच्चारण है। और ये लगभग दंतव्य ध्वनि है। श्रेणी:व्यंजन (भाषा) * श्रेणी:उच्चारण के ढंग.

5 संबंधों: दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त, दन्त्य, वर्त्स्य और पश्वर्त्स्य नासिक्य, संस्कृत भाषा, घोष दन्त्य संघर्षी, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त

दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त (Dental and alveolar flaps) एक प्रकार का उत्क्षिप्त व्यंजन है जो विश्व की कई भाषाओं में पाया जाता है। इसे हिन्दी में 'र' लिखा जाता है और अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसका चिन्ह 'ɾ' है। .

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दन्त्य, वर्त्स्य और पश्वर्त्स्य नासिक्य

वर्त्स्य नासिक्य (alveolar nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो कई भाषाओं में पाया जाता है। हिन्दी में इसे "न" द्वारा लिखा जाता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'n' लिखा जाता है। हिन्दी में इसका उच्चारण एक वर्त्स्य व्यंजन की तरह होता है लेकिन यह ध्वनि दन्त्य व्यंजन की तरह भी बनाई जा सकती है - हिन्दी भाषी इसको अपनी जिह्वा की नोक को ऊपर के दांतों से छूकर "न" बोलकर देख सकते हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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घोष दन्त्य संघर्षी

घोष दन्त्य संघर्षी (voiced dental fricative) एक प्रकार का व्यंजन है। यह हिन्दी, जर्मन, फ़ारसी, चीनी और जापानी में नहीं पाया जाता, और इन भाषाओं के बोलने वाले इसे बोलने में आमतौर पर अक्षम होते हैं। इसे सुनने पर अक्सर उन्हें यह 'ज़' (z, यानि घोष वर्त्स्य संघर्षी) प्रतीत होता है और उनके लिए घोष द्वयोष्ठ्य संघर्षी और घोष वर्त्स्य संघर्षी एक जैसी ध्वनियाँ हैं। ब्रिटेन और अमेरिका के अंग्रेज़ी-मातृभाषी इसे उच्चारित करते हैं, मसलन इसे "फ़ादर" (father) शब्द में "द" के स्थान पर बोला जाता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ð' लिखा जाता है। .

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अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध्व॰व॰, अंग्रेज़ी: International Phonetic Alphabet, इंटरनैशनल फ़ोनॅटिक ऐल्फ़ाबॅट) एक ऐसी लिपि है जिसमें विश्व की सारी भाषाओं की ध्वनियाँ लिखी जा सकती हैं। इसके हर अक्षर और उसकी ध्वनि का एक-से-एक का सम्बन्ध होता है। आरम्भ में इसके अधिकतर अक्षर रोमन लिपि से लिए गए थे, लेकिन जैसे-जैसे इसमें विश्व की बहुत सी भाषाओँ की ध्वनियाँ जोड़ी जाने लगी तो बहुत से यूनानी लिपि से प्रेरित अक्षर लिए गए और कई बिलकुल ही नए अक्षरों का इजाद किया गया। इसमें सन् २०१० तक १६० से अधिक ध्वनियों के लिए चिह्न दर्ज किए जा चुके थे, लेकिन किसी भी एक भाषा को दर्शाने के लिए इस वर्णमाला का एक भाग की ही ज़रुरत होती है। इस प्रणाली के ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन (ट्रान्सक्रिप्शन) में सूक्ष्म प्रतिलेखन के चिन्हों के बीच में और स्थूल प्रतिलेखन / / के चिन्हों के अन्दर लिखे जाते हैं। इसकी नियामक अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ है। उदाहरण के लिए.

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