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दतिया राज्य

सूची दतिया राज्य

दतिया ब्रिटिश शासनकाल में भारत का एक राज्य (रियासत) था। श्रेणी:भारत की रियासतें.

2 संबंधों: दतिया महल, रसनिधि

दतिया महल

दतिया महल, जिसे बीर सिंह महल या बीरसिंह देव महल भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से लगभग 75 किमी दूर स्थित है। यह महल ७ मंजिला है। वर्तमान में यहाँ पर शाही परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता है। बुंदेलखंड में दतिया साम्राज्य के संस्थापक - महाराज बीरसिंह देओ ने देश भर में ऐसे 52 स्मारक बनवाये थे। दतिया के महल या सतखंडा महल को दतिया महल भी कहा जाता है, साथ इसे ही पुराण महल या "पुराना महल" भी इसे कहते है। इतिहासकार अब्दुल हामिद लाहोरी, शाहजहाँ के साथ 19 नवंबर 1635 इस शहर में आए थे। यह महल लगभग 80 मीटर लंबा और बहुत ही व्यापक है। यह बहुत ही सुंदर और मजबूत महलों मे से एक माना जाता है। यह महल के निर्माण में नौ साल और 35 लाख रुपये (78 हजार अमेरिकी डॉलर) की लागत आई थी। यह दतिया शहर के पश्चिमी किनारे पर एक अलग चट्टान पर स्थित है। यह राजपूत वास्तुकला के साथ मुगल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है। यह राजा बिरिसिंग देव द्वारा निर्मित सभी 52 महलों में से सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध है और इसे आसानी से दूर से भी देखा जा सकता है। श्रेणी:मध्य प्रदेश का पर्यटन.

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रसनिधि

दतिया राज्य के बरौनी क्षेत्र के जमींदार पृथ्वीसिंह, 'रसनिधि' नाम से काव्यरचना करते थे। इनका रचनाकाल संवत् १६६० से १७१७ तक माना जाता है। इनका सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ 'रतनहजारा' है जो बिहारी सतसई को आदर्श मानकर लिखा गया प्रतीत होता है। बिहारी की दोहापद्धति का अनुकरण करते समय रसनिधि कहीं-कहीं ज्यों का त्यों भाव ही अपने दोहे में लिख गए हैं। रतनहजारा के अतिरिक्त विष्णुपदकीर्तन, बारहमासी, रसनिधिसागर, गीतिसंग्रह, अरिल्ल और माँझ, हिंडोला भी इनकी रचनाएँ बताई जाती हैं। इनके दोहों का एक संग्रह छतरपुर के श्री जगन्नाथप्रसाद ने प्रकाशित किया है। रसनिधि प्रेमी स्वभाव के रसिक कवि थे। इन्होंने रीतिबद्ध काव्य न लिखकर फारसी शायरी की शैली पर प्रेम की विविध दशाओं और चेष्टाओं का वर्णन किया है। फारसी के प्रभाव से इन्होंने प्रेमदशाओं में व्यापकता प्राप्त की किंतु भाषा और अभिव्यंजना की दृष्टि से इनका काव्य अधिक सफल नहीं हो सका। शब्दों का असंतुलित प्रयोग तथा भावों की अभिव्यक्ति में शालीनता का अभाव खटकनेवाला बन गया है। हाँ, प्रेम की सरस उक्तियों में रसनिधि को कहीं कहीं अच्छी सफलता मिली है। वस्तुत: जहाँ इनका प्रेम स्वाभाविक रूप से व्यक्त हुआ है वहाँ इनके दोहे बड़े सुंदर बन पड़े हैं। श्रेणी:हिन्दी कवि.

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