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त्वरण

सूची त्वरण

विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.

53 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी, चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा, एटलस (चंद्रमा), एपिमेथियस (चंद्रमा), डाफनिस (चंद्रमा), त्वरणमापी, त्वरक भौतिकी, दालाँवेयर का सिद्धान्त, द्रव्यमान, निम्नताप मॉड्यूल, न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त, न्यूटन के गति नियम, परवलयिक गति, पान (चंद्रमा), प्राचलिक समीकरण, प्रोमेथियस (चंद्रमा), प्लूटो (बौना ग्रह), पृथ्वी का गुरुत्व, पृथ्वी का गुरूत्व, पैंडोरा (चंद्रमा), बल (भौतिकी), बलयुग्म, बुध (ग्रह), ब्रेक, बीटाट्रॉन, भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली, भौतिकी की शब्दावली, भूकम्प, भूकम्पमापी, रैखिक गति, रैखिक कण त्वरक, रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुवी, सरल आवर्त गति, साइक्लोट्रॉन, सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत, स्थिति सदिश, जड़त्वीय फ्रेम, जानूस (चंद्रमा), घूर्णन, विद्युत कर्षण, विमीय विश्लेषण, विस्थापन (सदिश), वैज्ञानिक उपकरण, गति विज्ञान, गति के समीकरण, गुरुत्वाकर्षण, गुरुत्वजनित त्वरण, गुरुत्वीय तरंग, आपेक्षिकता सिद्धांत, आयन रोपण, ..., आयलर समीकरण, आइज़क न्यूटन, अवमंदक विकिरण सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा

चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा: .

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एटलस (चंद्रमा)

एटलस (Atlas), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह 1980 (12 नवम्बर से पहले किसी समय) में वॉयेजर से मिली छवियों से रिचर्ड टेराइल द्वारा खोजा गया तथा से पदनामित हुआ। यह 1983 में अधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र एटलस पर नामित हुआ था क्योंकि यह छल्लों को अपने कंधो पर ठीक वैसे ही थाम कर रखता है जिस तरह एटलस पृथ्वी को आकाश में उठाकर रखता है। यह सेटर्न XV तौर पर भी नामित है। .

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एपिमेथियस (चंद्रमा)

एपिमेथियस (Epimetheus), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न XI तौर पर भी जाना जाता है। यह पौराणिक पात्र एपिमेथियस पर नामित हुआ है जो कि प्रोमेथियस का भाई है। .

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डाफनिस (चंद्रमा)

डाफनिस (Daphnis) (Δάφνις), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न XXXV रूप में भी जाना जाता है। इसका अस्थायी पदनाम था। May 6, 2005 (discovery) डाफनिस व्यास में करीबन 8 किमी है और अपने ग्रह की परिक्रमा A रिंग में किलर अंतराल के भीतर रहकर करता है। .

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त्वरणमापी

कोई भी ऐसी युक्ति जो त्वरण मापने के काम आती है, त्वरणमापी (accelerometer) कहलाती है। प्रायः ये विद्युतयांत्रिक (एलेक्ट्रोमेकैनिकल) युक्तियाँ होती हैं जो त्वरण के संगत उपयुक्त वैद्युत संकेत (विभवान्तर या धारा) प्रदान करती हैं। .

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त्वरक भौतिकी

त्वरक भौतिकी (Accelerator physics), अनुप्रयुक्त भौतिकी की एक शाखा है जिसका सम्बन्ध कण त्वरकों के डिजाइन, निर्माण एवं प्रचालन से है। त्वरक भौतिकी को आपेक्षिकीय आवेशित कणों (relativistic charged particle) के पुंज की गति का अध्ययन करने वाला, गति बदलने, तथा उनका प्रेक्षण करने वाला भौतिकी कह सकते हैं। गति बदलने के अन्तर्गत त्वरण (वेग बढ़ाना), गति की दिशा बदलना, फोकस करना आदि आते हैं। .

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दालाँवेयर का सिद्धान्त

दालाँबेयर का सिद्धान्त (D'Alembert's principle) गति के मूलभूत नियमों से सम्बन्धित एक कथन है। इस सिद्धान्त का नाम इसके आविष्कर्ता फ्रांसीसी गणितज्ञ एवं भौतिकशास्त्री दालाँवेयर के नाम पर पड़ा है। इसे 'दालाँवेयर-लाग्रेंज सिद्धान्त' के नाम से भी जाना जाता है। इस सिद्धान्त को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है- where |- | \mathbf _i || i-वें कण पर लगाए गए सभी बलों का योग (व्यवरोध (constraint) बलों को छोड़कर), |- | m_i \scriptstyle || i-वें कण का द्रव्यमान, |- | \mathbf a_i || i-वें कण का त्वरण, |- | m_i \mathbf a_i || i-वें कण के संवेग परिवर्तन की दर को निरूपित करता है, तथा |- | \delta \mathbf r_i || i-वें कण का आभासी विस्थापन है। | दूसरे शब्दों में, आभासी विस्थापन की किसी भी दिशा में, द्रव्यमानधारी कणों के किसी समुदाय पर लगने वाले बलों तथा उनके संवेगों का समय के सापेक्ष अवकलजों के अन्तर का योग शून्य होता है। स्थैतिक तन्त्र में आभासी कार्य (virtual work) के सिद्धान्त की जो स्थिति है, वही स्थिति वास्तव में गतिक तन्त्रों के लिए दालाँवेयर के सिद्धान्त की है। यह सिद्धान्त हैमिल्टन के सिद्धान्त (Hamilton's principle) से अधिक व्यापक सिद्धान्त है। उपरोक्त समीकरण को प्रायः 'दालाँवेयर का सिद्धान्त' कहा जाता है यद्यपि इस रूप में यह सबसे पहले जोसेफ लुई लागरेंज (Joseph Louis Lagrange) द्वारा लिखा गया था। .

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द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

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निम्नताप मॉड्यूल

क्रायोमॉड्यूल (cryomodule) या निम्नताप मॉड्यूल उन पात्रों (cryostats) को कहते हैं जिनके अन्दर अतिचालक रेडियो आवृत्ति कैविटी को रखकर उसे अतिचालक बनाया जाता है। इसके लिये क्रायोमॉड्यूल के अन्दर द्रव हिलियम का प्रवेश कराकर उसकी सहायता से कैविटी को 4K या 2K (2 केल्विन्) तक ठण्डा किया जाता है। ये कैविटीज आधुनिक कण त्वरक के प्रमुख अंग हैं। इनके द्वारा ही आवेशित कण किरणपुंज को त्वरित किया जाता है। .

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न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त

कोई भी वस्तु ऊपर से गिरने पर सीधी पृथ्वी की ओर आती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई अलक्ष्य और अज्ञात शक्ति उसे पृथ्वी की ओर खींच रही है। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की है। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम इसके बाद सर आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को "गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम" (Inverse Square Law) भी कहा जाता है। उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: मान लिया m1 और संहति वाले m2 दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल F का मान होगा:; F .

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न्यूटन के गति नियम

न्यूटन के गति के प्रथम एवं द्वितीय नियम, सन १६८७ में लैटिन भाषा में लिखित न्यूटन के '''प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका''' से न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है। न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं-.

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परवलयिक गति

प्रक्षेप्य गति गति का एक रूप है, जहाँ कण (जिसे प्रक्षेप्य कहा जाता है) को पृथ्वी की सतह के निकट क्षितिज से किसी कोण पर प्रक्षेपित किया (फेंका) जाता है और यह गुरुत्वाकर्षण के अधीन वक्रीय गति करता है। प्रक्षेप्य के पथ को प्रक्षेप्य वक्र कहा जाता है। प्रक्षेप्य गति केवल तभी प्राप्त होती है जब यहाँ केवल एक बल प्रक्षेप्य वक्र के आरम्भ से आरोपित होता है उसके पश्चात इसका कोई प्रभाव नहीं रहता। .

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पान (चंद्रमा)

पान (Pan) (Πάν), शनि का एक अंतरतम चंद्रमा है। 35 किलोमीटर लम्बा और 23 किमी ऊँचाई वाला यह अखरोट के आकार का एक छोटा चंद्रमा है; जो कि शनि के A रिंग में एंके अंतराल के भीतर परिक्रमा करता है। पान एक चरवाहे के रूप में कार्य करता है और एंके अंतराल को कणों से मुक्त रखने के लिए उत्तरदायी है। इसकी खोज 1990 में मार्क आर. शोवाल्टर द्वारा वॉयेजर 2 यान की पुरानी तस्वीरों के विश्लेषण से हुई थी। तब इसे अपना अस्थाई पदनाम मिला था क्योंकि तस्वीरों से इसकी खोज 1981 से चली आ रही थी। July 16, 1990 (discovery) .

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प्राचलिक समीकरण

जब किसी वक्र के समीकरण को इस प्रकार लिखा जाय कि वक्र पर स्थित बिन्दु के x, y तथा z निर्देशांक किसी अन्य चर t के फलन के रूप में व्यक्त हों तो ऐसे समीकरण को प्राचलिक समीकरण (parametric equation) कहते हैं तथा t को प्राचल (parameter) कहलाता है। जब प्राचल किसी कोण को निरूपित करता हो तो प्रायः प्राचल के रूप में θ का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, x&.

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प्रोमेथियस (चंद्रमा)

प्रोमेथियस (Prometheus) (यूनानी: Προμηθεύς), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 27 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र प्रोमेथियस पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVI तौर पर भी नामित है। यह छोटा चांद अत्यंत लम्बा है, इसकी माप 136 x 79 x 59 किमी है। इस पर अनेकों मेड़े और घाटियां तथा करीब 20 किमी व्यास वाले अनेकानेक प्रहार क्रेटर दृश्यमान है, पर यह समीपवर्ती पैंडोरा, एपिमेथियस और जानूस से कम क्रेटर युक्त है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि प्रोमेथियस एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

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प्लूटो (बौना ग्रह)

यम या प्लूटो सौर मण्डल का दुसरा सबसे बड़ा बौना ग्रह है (सबसे बड़ा ऍरिस है)। प्लूटो को कभी सौर मण्डल का सबसे बाहरी ग्रह माना जाता था, लेकिन अब इसे सौर मण्डल के बाहरी काइपर घेरे की सब से बड़ी खगोलीय वस्तु माना जाता है। काइपर घेरे की अन्य वस्तुओं की तरह प्लूटो का अकार और द्रव्यमान काफ़ी छोटा है - इसका आकार पृथ्वी के चन्द्रमा से सिर्फ़ एक-तिहाई है। सूरज के इर्द-गिर्द इसकी परिक्रमा की कक्षा भी थोड़ी बेढंगी है - यह कभी तो वरुण (नॅप्टयून) की कक्षा के अन्दर जाकर सूरज से ३० खगोलीय इकाई (यानि ४.४ अरब किमी) दूर होता है और कभी दूर जाकर सूर्य से ४५ ख॰ई॰ (यानि ७.४ अरब किमी) पर पहुँच जाता है। प्लूटो काइपर घेरे की अन्य वस्तुओं की तरह अधिकतर जमी हुई नाइट्रोजन की बर्फ़, पानी की बर्फ़ और पत्थर का बना हुआ है। प्लूटो को सूरज की एक पूरी परिक्रमा करते हुए २४८.०९ वर्ष लग जाते हैं। .

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पृथ्वी का गुरुत्व

नासा के ग्रेस मिशन द्वारा मापा गया धरती का गुरुत्व: यह मानचित्र धरती को पूर्णतः समतल (स्मूथ) मानकर निकाले गये मान ('मानक मान') से कहीं कम और कहीं अधिक है। लाल रंग वाले क्षेत्र वे हैं गुरुत्व जहाँ 'मानक मान' से अधिक है, नीले रंग वाले क्षेत्रों में गुरुत्व 'मानक मान' से कम है और हरे क्षेत्रों में 'मानक मान' के बराबर है। पृथ्वी के गुरुत्व, वह त्वरण है जिससे पृथ्वी के सतह के निकट की वस्तुएँ पृथ्वी की ओर गति करतीं हैं (यदि वे गति करने के लिये स्वतन्त्र हों तथा उन पर कोई अन्य बल न लग रहा हो)। इसे g से दर्शाया जाता है। इसकी SI ईकाई मीटर/वर्ग सेकेण्ड (इसे m/s2 या m·s−2 लिखा जाता है) है। इसका मान लगभग 9.81 m/s2 होता है। श्रेणी:भौतिकी.

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पृथ्वी का गुरूत्व

नासा (NASA) के ग्रेस (GRACE) मिशन द्वारा मापा गया धरती का गुरुत्व पृथ्वी के सतह के निकट किसी पिण्ड के इकाई द्रव्यमान पर लगने वाला पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी का गुरुत्व कहलाता है। इसे g के रूप में निरूपित किया जाता है। यदि कोई पिण्ड धरती के सतह के निकट गुरुत्वाकरण बल के अतिरिरिक्त किसी अन्य बल की अनुपस्थिति में स्वतंत्र रूप से गति कर रही हो तो उसका त्वरण g के बराबर होगा। इसका मान लगभग 9.81 m/s2होता है। (ध्यान रहे कि G एक अलग है; यह गुरूत्वीय नियतांक है।) g का मान पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। g को त्वरण की भातिं भी समझा जा सकता है। यदि कोई पिंड पृथ्वी से ऊपर ले जाकर छोड़ा जाय और उस पर किसी प्रकार का अन्य बल कार्य न करे तो वह सीधा पृथ्वी की ओर गिरता है और उसका वेग एक नियत क्रम से बढ़ता जाता है। इस प्रकार पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण किसी पिंड में उत्पन्न होने वाली वेगवृद्धि या त्वरण को गुरूत्वजनित त्वरण कहते हैं। इसे अंग्रेजी अक्षर g द्वारा व्यक्त किया जाता है। ऊपर कहा जा चुका है कि इसे किसी स्थान पर गुरूत्व की तीव्रता भी कहते हैं। .

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पैंडोरा (चंद्रमा)

पैंडोरा (Pandora) (Πανδώρα), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 26 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र पैंडोरा पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVII तौर पर भी नामित है। पैंडोरा एफ रिंगEn का एक बाह्य सेफर्ड उपग्रहEn है। यह निकटवर्ती प्रोमेथियस की तुलना में अधिक भारी निर्मित हुआ है, तथा इसके पास 30 किलोमीटर (19 मील) व्यास के कम से कम दो बड़े खड्ड है। मलबे से भरे होने के कारण पैंडोरा पर अधिकांश खड्ड उथले हैं। इस उपग्रह के भूपृष्ठ पर मेड़ व नालियां भी मौजूद है। प्रोमेथियस के साथ चार 118:121 के माध्य गति अनुनादों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप पैंडोरा की कक्षा अस्तव्यस्त प्रतीत होती है। उनकी कक्षाओं में सबसे बड़ा परिवर्तन तकरीबन हर 6.2 वर्षों में पाया जाता है, जब पैंडोरा का उपशनिच्चर प्रोमेथियस के अपशनिच्चर के सीध में होता है और दोनों की आपसी पहुँच 1,400-किलोमीटर (870 मील) के भीतर होती है। पैंडोरा का माइमस के साथ भी एक 3:2 का माध्य गति अनुनाद है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि पैंडोरा एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

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बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

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बलयुग्म

बलयुग्म ऐसे बलों के समूह को बलयुग्म (Couple) कहते हैं जिनका परिणामी बल शून्य हो किन्तु उनका बलाघूर्ण अशून्य हो। इसके प्रभाव में केवल घूर्णी गति ही सम्भव है और स्थान-परिवर्तन (ट्रांस्लेशन) नहीं होता। अर्थात किसी पिण्ड पर बलयुग्म लगा हो तो द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण नहीं होता। बलयुग्म के परिणामी आघूर्ण को बलाघूर्ण (टॉर्क) कहते हैं। यह टॉर्क किसी भी संदर्भ बिन्दु के सापेक्ष नियत होता है। इस दृष्टि से यह 'टॉर्क' साधारण 'आघूर्ण' (मोमेन्ट) से भिन्न है। श्रेणी:भौतिक राशियाँ श्रेणी:यान्त्रिकी श्रेणी:आरम्भिक भौतिकी.

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बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

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ब्रेक

मोटरसायकिल के अगले पहिये में लगा '''डिस्क ब्रेक''' गति और त्वरण का अवरोध करने के लिए मुख्य यंत्र के साथ जो उपयंत्र लगाया जाता है, उसे ही रोधक या ब्रेक (Brake) कहते हैं। यंत्रविद्या में प्राकृतिक शक्तियों को नियोजित कर, इच्छित प्रकार की गति और त्वरण प्राप्त कर, उससे उपयोगी काम लेने से भी अधिक महत्व का काम इच्छित समय पर उचित प्रकार से उनकी गति और त्वरण का अवरोध करना है। सही काम करने की दृष्टि से और राजकीय नियमों के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से भी, प्रत्येक चलनेवाले यंत्र के साथ ब्रेक का होना आवश्यक है। .

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बीटाट्रॉन

वर्ष १९४२ में जर्मनी में विकसित एक बीटाट्रॉन (6 MeV) बीटाट्रॉन (betatron) एक प्रकार का चक्रीय कण त्वरक है। इसका विकास नार्वे के वैज्ञानिक रोल्फ विडरो ने किया था। बीटाट्रॉन को एक ट्रान्सफॉर्मर माना जा सकता है जिसकी सेकेण्डरी एक टर्न वाली निर्वात पाइप होती है जिसके अन्दर इलेक्ट्रॉन चक्कर करते हुए त्वरित होते हैं। ट्रान्सफॉर्मर की प्राइमरी में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर निर्वात पाइप में चक्कर कर रहे इलेक्ट्रॉन त्वरित होते हैं। बीटाट्रॉन मशीन पहली मशीन थी जिसके द्वारा साधारण इलेक्ट्रॉन गन से प्राप्त होने वाले इलेक्ट्रानों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन प्राप्त किये जा सके। श्रेणी:कण त्वरक.

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भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली

(abscissa) किसी ग्राफ पर किसी बिन्दु की Y-अक्ष से लम्बवत दूरी; इसे X-निर्देशांक भी कहते हैं। प्रति-कण (antiparticle) A counterpart of a subatomic particle having opposite properties (except for equal mass)। द्वारक (aperture) Any opening through which radiation may pass.

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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भूकम्प

भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फ़ीयर) में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्रों (सीस्मोमीटर) के साथ करा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का आघूर्ण परिमाण मापक्रम पारंपरिक रूप से नापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। ३ या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है, जबकि ७ रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। पृथ्वी की सतह पर, भूकंप अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकंप उपरिकेंद्र अपतटीय स्थति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सूनामी का कारण है। भूकंप के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं। सर्वाधिक सामान्य अर्थ में, किसी भी सीस्मिक घटना का वर्णन करने के लिए भूकंप शब्द का प्रयोग किया जाता है, एक प्राकृतिक घटना) या मनुष्यों के कारण हुई कोई घटना -जो सीस्मिक तरंगों) को उत्पन्न करती है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु केन्द्र या हाईपो सेंटर कहलाता है। शब्द उपरिकेंद्र का अर्थ है, भूमि के स्तर पर ठीक इसके ऊपर का बिन्दु। San Andreas faultके मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं, यह विरूपण दोष क्षेत्र (उदा. “बिग बंद ” क्षेत्र) में प्रमुख अनियमितताओं के कारण होते हैं। Northridge भूकंप ऐसे ही एक क्षेत्र में अंध दबाव गति से सम्बंधित था। एक अन्य उदाहरण है अरब और यूरेशियन प्लेट के बीच तिर्यक अभिकेंद्रित प्लेट सीमा जहाँ यह ज़ाग्रोस पहाड़ों के पश्चिमोत्तर हिस्से से होकर जाती है। इस प्लेट सीमा से सम्बंधित विरूपण, एक बड़े पश्चिम-दक्षिण सीमा के लम्बवत लगभग शुद्ध दबाव गति तथा वास्तविक प्लेट सीमा के नजदीक हाल ही में हुए मुख्य दोष के किनारे हुए लगभग शुद्ध स्ट्रीक-स्लिप गति में विभाजित है। इसका प्रदर्शन भूकंप की केन्द्रीय क्रियाविधि के द्वारा किया जाता है। सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं। (जैसे deglaciation).ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप को जन्म देते हैं। .

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भूकम्पमापी

भूकम्पमापी के आन्तरिक भाग एक सरल भूकम्पमापी भूकंपमापी (Seismometer) भूगति के एक घटक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विधि से अधिक यथार्थतापूर्वक अभिलिखित करने वाला उपकरण है। सुपरिचित प्राकृतिक भूकंपों, भूमिगत परमाणु परीक्षण एवं पेट्रोलियम अन्वेषण आदि में मनुष्यकृत विस्फोटों तथा तेज हवा, समुद्री तरंग, तेज मानसून एवं समुद्री क्षेत्र में तूफान या अवनमन आदि से उत्पन्न सूक्ष्मकंपों (microseism) के कारण भूगति उत्पन्न हो सकती है। उचित रीति से अनुस्थापित (oriented), क्षैतिज भूकंपमापी भूगति के पूर्व पश्चिम या उत्तर दक्षिण के घटक को अभिलिखित करता है और ऊर्ध्वाधर भूकंपमापी ऊर्ध्वाधर गति, अर्थात भूगति के ऊर्ध्वाधर घटक को अभिलिखित करता है। .

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रैखिक गति

रैखिक गति (Linear motion) या ऋजुरेखीय गति (rectilinear motion) वह गति है जिसमें पिण्ड का गतिपथ एक सरल रेखा हो। इस प्रकार की गति का गणितीय निरूपण केवल एक अवकाशीय विमा (spatial dimension) का उपयोग करते हुए किया जा सकता है। रैखिक गति सभी गतियों में सबसे सरल गति है। रैखिक गति दो प्रकार की हो सकती है-.

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रैखिक कण त्वरक

जापान के केक (KEK) नामक कण-त्वरक सुविधा में प्रयुक्त एक रैखिक कण त्वरक वे कण त्वरक रैखिक कण त्वरक (linear particle accelerator) या लिनैक (linac) कहलाते हैं जो आवेशित कणों को सीधी रेखा में (बिना मोड़े) त्वरित करते हैं। टीवी (पिक्चर ट्यूब वाली टीवी) सरलतम रैखिक त्वरक है जो ट्यूब के पिछले सिरे पर स्थित कैथोड से उत्सर्जित एलेक्ट्रॉनों की वेग वृद्धि करके अधिक तेजी से पर्दे पर टकराने में मदद करता है। रैखिक कण त्वरक का आविष्कार सन् १९२८ में रॉल्फ विडेरो (Rolf Widerøe) ने किया था। .

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रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुवी

रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुवी त्वरक का योजनामूलक चित्र रेडियो आवृत्ति चतुर्ध्रुवी (radio-frequency quadrupole (RFQ)), रैखिक त्वरक का एक अवयव है जो कम ऊर्जा (50keV से 3MeV) के कणपुंज (बीम) के त्वरित करने के लिये प्रयुक्त होता है। श्रेणी:कण त्वरक.

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सरल आवर्त गति

घर्षणरहित फर्श पर स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान की गति 'सरल आवर्त गति' है। भौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है। उदाहरण - किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति, किसी सरल लोलक की गति, किसी घर्षणरहित क्षैतिज तल पर किसी स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान की गति आदि। .

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साइक्लोट्रॉन

साइक्लोट्रॉन में आवेशित कण जैसे-जैसे त्वरित होता है, उसके गति-पथ की त्रिज्या बढ़ती जाती है। साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) एक प्रकार का कण त्वरक है। 1932 ई. में प्रोफेसर ई. ओ. लारेंस (Prof. E.O. Lowrence) ने वर्कले इंस्टिट्यूट, कैलिफोर्निया, में सर्वप्रथम साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) का आविष्कार किया। वर्तमान समय में तत्वांतरण (transmutation) तकनीक के लिए यह सबसे प्रबल उपकरण है। साइक्लोट्रॉन के आविष्कार के लिए प्रोफेसर लारेंस को 1939 ई. में "नोबेल पुरस्कार" प्रदान किया गया। .

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सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत

पेरिस स्थित '''SOLEIL''' (सूर्य) नामक सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत का योजनामूलक चित्र सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत (synchrotron light source) वह मशीन है जो वैज्ञानिक तथा तकनीकी उद्देश्यों के लिये विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे एक्स-किरण, दृष्य प्रकाश आदि) उत्पन्न करती है। यह प्रायः एक भण्डारण वलय (स्टोरेज रिंग) के रूप में होती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश सबसे पहले सिन्क्रोट्रॉन में देखी गयी थी। आजकल सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश, भण्डारण वलयों तथा विशेष प्रकार के अन्य कण त्वरकों द्वारा उत्पन्न की जाती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश प्रायः इलेक्ट्रॉन को त्वरित करके प्राप्त की जाती है। इसके लिये पहले उच्च ऊर्जा की इलेक्ट्रॉन पुंज पैदा की जाती है। इस इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज को एक द्विध्रुव चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र से गुजारा जाता है जिसका चुम्बकीय क्षेत्र इलेक्ट्रानों की गति की दिशा के लम्बवत होता है। इससे इलेक्ट्रानों पर उनकी गति की दिशा (तथा चुम्बकीय क्षेत्र) के लम्बवत बल लगता है जिससे वे सरल रेखा के बजाय वृत्तिय पथ पर गति करने लगते हैं। (दूसरे शब्दों में, इनका त्वरण होता है।)। इसी त्वरण के फलस्वरूप सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश उत्पन्न होता है जो अनेक प्रकार से उपयोगी है। चुम्बकीय द्विध्रुव के अलावा, अनडुलेटर, विगलर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन लेजर द्वारा भी सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश पैदा किया जाता है। .

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स्थिति सदिश

'''P''' तथा '''Q''' दो बिन्दु हैं जिनके स्थिति सदिश चित्र में दिखाये गये हैं। स्थिति सदिश (Position vector) किसी बिन्दु की स्थिति को प्रदर्शित करने वाली सदिश राशि है। ज्यामिति में इसे केवल स्थिति अथवा त्रिज्य सदिश कहा जाता है। इसे सामान्यतः r अथवा s से पर्दर्शित किया जाता है जो मूल बिन्दु O से अध्ययन बिन्दु P तक के विस्थापन के तुल्य है: सामान्यतः यह द्विविमीय अथवा त्रिविमीय समष्टि में उपयोग होता है लेकिन आसानी से इसे बहु-विमा में व्यापकीकृत किया जा सकता है।Keller, F. J, Gettys, W. E. et al.

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जड़त्वीय फ्रेम

जड़त्वीय फेम तथा घूर्णी फ्रेम (दाहिने) भौतिकी में जड़त्वीय फ्रेम (inertial frame या inertial frame of reference) वह संदर्भ विन्यास (फ्रेम ऑफ रिफरेन्स) है जो समय तथा स्पेस को समांग, समदैशिक और समय-निरपेक्ष (time-independent) मानता है। इसको 'गैलीली फ्रेम' भी कहते हैं। जड़त्वीय फ्रेम में जड़त्व का नियम (न्यूटन की गति का प्रथम नियम) वैध है। (जबकि अजड़त्वीय फ्रेम में यह वैध नहीं है।) सारे जड़त्वीय निर्देश तंत्र एक दूसरे से परस्पर सरल रेखीय और एकसामान दर की गति में होते हैं; वह त्वरित नहीं होते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी जड़त्वीय फ्रेम के सापेक्ष सरल रेखीय और एकसामान गति करने वाला फ्रेम भी जड़त्वीय होगा। इसका अर्थ यह है कि त्वरणमापी यन्त्र अगर इनमें स्थिर रखा जाये तो वह शून्य त्वरण मापेगा। पूर्णतः जड़त्वीय फ्रेम प्राप्त करना एक कठिन काम है। सभी जड़त्वीय फ्रेम 'लगभग' जड़त्वीय होते हैं। धरती भी पूर्णतः जडत्वीय फ्रेम नहीं है, बल्कि 'लगभग जड़त्वीय फ्रेम' है। .

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जानूस (चंद्रमा)

जानूस (Janus), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न X तौर पर भी जाना जाता है। यह पौराणिक पात्र जानूस पर नामित है। .

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घूर्णन

अक्ष पर घूर्णन करती हुई पृथ्वी घूर्णन करते हुए तीन छल्ले भौतिकी में किसी त्रिआयामी वस्तु के एक स्थान में रहते हुए (लट्टू की तरह) घूमने को घूर्णन (rotation) कहते हैं। यदि एक काल्पनिक रेखा उस वस्तु के बीच में खींची जाए जिसके इर्द-गिर्द वस्तु चक्कर खा रही है तो उस रेखा को घूर्णन अक्ष कहा जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है। .

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विद्युत कर्षण

विद्युत गाड़ी रेलगाड़ी, ट्राम अथवा अन्य किसी प्रकार की गाड़ी को खींचने के लिए, विद्युत् शक्ति का उपयोग करने की विधि को विद्युत कर्षण (Electric Traction) कहते हैं। इस क्षेत्र में, वाष्प इंजन तथा अन्य दूसरे प्रकार के इंजन ही सामान्य रूप से प्रयोग किए जाते रहे हैं। विद्युत्‌ शक्ति का कर्षण के लिए प्रयोग सापेक्षतया नवीन है परंतु अपनी विशेष सुविधाओं के कारण, इसका प्रयोग बढ़ता गया और धीरे-धीरे अन्य साधनों का स्थान यह अब लेता जा रहा है। विद्युत्कर्षण में नियंत्रण की सुविधा तथा गाड़ियों का अधिक वेग से संचालन हो सकने के कारण उतने ही समय में अधिक यातायात की उपलब्धि हो सकती है। साथ ही कोयला, धुआँ अथवा हानिकारक गैसों के न होने से अधिक स्वच्छता रहती है और नगर की घनी आबादीवाले भागों में भी इसका प्रयोग संभव है। विद्युत्‌ कर्षण हमारे युग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है, जिसका उपयोग अधिकाधिक बढ़ता जा रहा है। .

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विमीय विश्लेषण

विमीय विश्लेषण (Dimensional analysis) एक संकाल्पनिक औजार (कांसेप्चुअल टूल) है जो भौतिकी, रसायन, प्रौद्योगिकी, गणित एवं सांख्यिकी में प्रयुक्त होता है। यह वहाँ उपयोगी होता है जहाँ कई तरह की भौतिक राशियाँ किसी घटना के परिणाम के लिये जिम्मेदार हों। भौतिकविद अक्सर इसका उपयोग किसी समीकरण आदि कि वैधता (plausibility) की जाँच के लिये करते रहते हैं। दूसरी तरफ इसका उपयोग जटिल भौतिक स्थितियों से सम्बंधित चरों को आपस में समीकरण द्वारा जोड़ने के लिये किया जाता है। विमीय विश्लेषण की विधि से प्राप्त इन सम्भावित समीकरणों को प्रयोग द्वारा जाँचा जाता है, या अन्य सिद्धान्तों के प्रकाश में देखा जाता है। बकिंघम का पाई प्रमेय (Buckingham π theorem), विमीय विश्लेषण का आधार है। .

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विस्थापन (सदिश)

एक कण द्वारा तय दूरी व विस्थापन का सापेक्ष अध्ययन विस्थापन (Displacement) एक सदिश राशि है। जब कोई वस्तु एक बिन्दु P से दूसरे बिन्दु Q तक किसी भी पथ से होते हुए गति करती है तो इस विस्थापन का परिमाण उन दो बिन्दुओं के मध्य की निम्नतम दूरी होगी तथा विस्थापन की दिशा, रेखा PQ की दिशा में (P से Q की तरफ) होगी। विस्थापन को s से दर्शाते हैं। विस्थापन का परिमाण काल्पनिक सीधे पथ की लम्बाई है, अतः यह कण द्वारा तय की गई कुल दूरी से अलग हो सकता है। जब कोई वस्तु p बिन्दु से q बिन्दु तक जाती है और वापस पुनः p बिन्दु आ जाती हैं, तब विस्थापन शून्य होगा, जबकि चली गयी दूरी शून्य नहीं होगी। .

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वैज्ञानिक उपकरण

वैज्ञानिक उपकरण से हमारे काम आसानी से हो जाते हैं। वैज्ञानिक उपकरण किसी विज्ञान के कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। यह उन वैज्ञानिक कार्यों को भी सहज से कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। .

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गति विज्ञान

गति विज्ञान (Dynamics) अनुप्रयुक्त गणित की यह शाखा पिंडों की गति से तथा इन गतियों को नियमित करनेवाले बलों से संबद्ध है। गतिविज्ञान को दो भागों में अंतिर्विभक्त किया जा सकता है। पहला शुद्धगतिकी (Kinematics), जिसमें माप तथा यथातथ्य चित्रण की दृष्टि से गति का अध्ययन किया जाता है, तथा दूसरा बलगतिकी (Kinetics) अथवा वास्तविक गति विज्ञान, जो कारणों अथवा गतिनियमों से संबद्ध है। व्यापक दृष्टि से दोनों दृष्टिकोण संभव हैं। पहला गतिविज्ञान को ऐसे विज्ञान के रूप में प्रस्तुत करता है जिसका निर्माण परीक्षण की प्रक्रियाओं (प्रयोगों) के आधार पर तथ्योपस्थापन (आगम, अनुमान) द्वारा हुआ है। तदनुसार गति विज्ञान में गतिनियम यूक्लिड के स्वयंसिद्धों का स्थान ग्रहण करते हैं। दावा यह है कि प्रयोगों द्वारा इन नियमों की परीक्षा की जा सकती है, परंतु यह भी निश्चित है कि व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण कोई सैद्धांतिक नियम यथातथ्य रूप में प्रकाशित नहीं हो पाता है। इन नियमों को प्रमाणित कर सकने में व्यावहारिक कठिनाइयों के अतिरिक्त कुछ तर्कविषयक बाधाएँ भी हैं, जो इस स्थिति को दूषित अथवा त्रुटिपूर्ण बना देती हैं। इन कठिनाइयों का परिहार किया जा सकता है, यदि हम दूसरा दृष्टिकोण अपनाएँ। उक्त दृष्टिकोण के अनुसार गतिविज्ञान शुद्ध अमूर्त विज्ञान (abstract science) है, जिसके समस्त नियम कुछ आधारभूत कल्पनाओं से निकाल जा सकते हैं। .

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गति के समीकरण

गति के समीकरण, ऐसे समीकरणों को कहते हैं जो किसी पिण्ड के स्थिति, विस्थापन, वेग आदि का समय के साथ सम्बन्ध बताते हैं। गति के समीकरणों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि गति में स्थानान्तरण हो रहा है या केवल घूर्णन है या दोनो हैं; एक ही बल काम कर रहा है या कई; बल (त्वरण) नियत है या परिवर्तनशील; पिण्ड का द्रव्यमान स्थिर है या बदल रहा है (जैसे रॉकेट में) आदि। परम्परागत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) में गति का समीकरण इस प्रकार है: m \cdot \frac .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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गुरुत्वजनित त्वरण

गुरुत्वजनित त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity) निम्नलिखित तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है-.

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गुरुत्वीय तरंग

thumb लेजर व्यतिकरणमापी का योजनामूलक चित्र भौतिकी में दिक्काल के वक्रता की उर्मिकाओं को गुरुत्वीय तरंग (gravitational waves) कहते हैं। ये उर्मिकाएँ तरंग की तरह स्रोत से बाहर की तरफ गमन करतीं हैं। अलबर्ट आइंस्टाइन ने वर्ष १९१६ में अपने सामान्य आपेक्षिकता सिद्धान्त के आधार पर इनके अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। ११ फरवरी २०१६ को अमेरिका में वाशिंगटन, जर्मनी में हनोवर और कुछ अन्य देशों के शहरों में एक साथ यह घोषणा की गई कि ब्रह्मांड में गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का सीधा प्रमाण मिल गया है। खगोलविदों का मानना है कि गुरुत्वीय तरंगों की पुष्टि हो जाने के बाद अब ब्रह्मांड की उत्पत्ति के कुछ और रहस्यों पर से पर्दा उठ सकता है। गुरुत्वीय तरंगों का संसूचन (detection) आसान नहीं है क्योंकि जब वे पृथ्वी पर पहुँचती हैं तब उनका आयाम बहुत कम होता है और विकृति की मात्रा लगभग 10−21 होती है जो मापन की दृष्टि से बहुत ही कम है। इसलिये इस काम के लिये अत्यन्त सुग्राही (sensitive) संसूचक चाहिये। अन्य स्रोतों से मिलने वाले संकेत (रव / noise) इस कार्य में बहुत बाधक होते हैं। अनुमानतः गुरुत्वीय तरंगों की आवृत्ति 10−16 Hz से 104 Hz होती है। .

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आपेक्षिकता सिद्धांत

सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

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आयन रोपण

आयन रोपण का योजनामूलक चित्र आयन रोपण (Ion implantation), पदार्थ इंजीनियरी का एक प्रक्रम है जिसमें किसी पदार्थ के आयनों को विद्युत क्षेत्र की सहायता से त्वरित करते हुए किसी दूसरे ठोस पदार्थ पर टकराया जाता है। इस प्रकार के टक्कर के कारण उस पदार्थ के भौतिक, रासायनिक एवं वैद्युत गुण बदल जाते हैं। आयन रोपण का उपयोग अर्धचालक युक्तियों के निर्माण (जैसे आईसी निर्माण) में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग धातु परिष्करण (मेटल फिनिशिंग) एवं पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में किया जाता है। श्रेणी:पदार्थ विज्ञान श्रेणी:अर्धचालक युक्ति निर्माण.

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आयलर समीकरण

चिरसम्मत यांत्रिकी में, आयलर के घूर्णी समीकरण घूर्णी निर्देश तन्त्र की सहायता से दृढ़ पिण्डों की घूर्णन गति का वर्णन करते हैं। इसमें जो घूर्णी फ्रेम लिया जाता है उसका अक्ष उस पिण्ड से जुड़ा हुआ (फिक्ड) तथा पिण्ड के मुख्य जड़त्व अक्षों के समान्तर होता है। आयलर समीकरण, सदिश अर्धरैखिक प्रथम ऑर्डर वाले साधारण अवकल समीकरण होते हैं। आयलर समीकरणों का सामान्य रूप निम्नलिखित है- \mathbf \cdot \dot + \boldsymbol\omega \times \left(\mathbf \cdot \boldsymbol\omega \right) .

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आइज़क न्यूटन

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र "प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों "" सन् १६८७ में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुर्त्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी। उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है। इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया। यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित "न्यूटन की विधि" का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया। वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।.

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अवमंदक विकिरण

जब कोई उच्च ऊर्जा वाला इलेक्ट्रॉन किसी परमाणु के नाभिक के विद्युत क्षेत्र द्वारा विक्षेपित होता है तो '''अवमन्दक विकिरण''' (ब्रेम्स्ट्रालुंग) उत्पन्न होता है। अवमंदक विकिरण या ब्रेम्स्ट्रालुंग (Bremsstrahlung) का संकीर्ण अर्थ उस विकिरण से है जो किसी आवेशित कण के अवमन्दित होने पर निकलता है। (ब्रेम्स्ट्रालुंग .

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निवर्तमानआने वाली
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