3 संबंधों: तिलहर, बनवारी लाल, मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'।
तिलहर
तिलहर (अंग्रेजी: Tilhar) भारतवर्ष के राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित शाहजहाँपुर जिले का एक महत्वपूर्ण नगर होने के साथ-साथ तहसील भी है। केवल इतना ही नहीं, यह उत्तर प्रदेश विधान सभा का एक प्रमुख क्षेत्र भी है। मुगल काल में सेना के लिये तीर और कमान बनाने के कारण प्राचीन भारत में इसे कमान नगर के नाम से ही जाना जाता था। तीर कमान तो अब नहीं बनते पर यहाँ के परम्परागत कारीगर मजबूत बाँस की निचले हिस्से पर लोहे का खोल चढ़ी गुलाही लाठी बनाने में आज भी माहिर हैं। टेढ़े से टेढ़े बाँस को शीरा लगाकर तेज आँच में गरम करके सीधा करना जब उन्हें आता है तो निस्सन्देह सीधे बाँस को इसी तकनीक से धनुष का आकार देने की कला भी उनके पूर्वजों को अवश्य ही आती होगी। .
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बनवारी लाल
बनवारी लाल (अंग्रेजी: Banwari Lal, जन्म: ग्राम तिलोकपुर जिला शाहजहाँपुर) ब्रिटिश काल के दौरान उत्तर प्रदेश में गठित क्रान्तिकारी संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का सक्रिय सदस्य ही नहीं अपितु रायबरेली का जिला संगठनकर्ता भी था। ९ अगस्त १९२५ को काकोरी के समीप हुई ऐतिहासिक डकैती में समूचे हिन्दुस्तान से ४० व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। बनवारी लाल की गिरफ्तारी रायबरेली से हुई थी। काकोरी काण्ड के मुकदमे के दौरान जब उस पर पुलिस ने दबाव डाला तो वह टूट गया और वायदा माफ गवाह (अंगेजी में अप्रूवर) बन गया। बनवारी लाल शाहजहाँपुर सदर तहसील के तिलोकपुर गाँव का रहने वाला था। अप्रूवर बन जाने के कारण काकोरी काण्ड में उसे एक अन्य अभियुक्त रामनाथ पाण्डेय से भी कम सजा हुई थी। जेल से छूटने के बाद वह अपने बाल-बच्चों के साथ अपने गाँव में रहने लगा। कुछ समय बाद जब उसे अपने गाँव के ब्राह्मणों से जान का खतरा महसूस हुआ तो उसने वह गाँव छोड़ दिया और पास के ही दूसरे गाँव केशवपुर में रहने लगा जहाँ उसकी कायस्थ बिरादरी के काफी लोग रहते थे। सन् २००० के आसपास उसकी मृत्यु हो गयी।.
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मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'
मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' (जन्म: २० दिसम्बर १९४७, शाहजहाँपुर) मूलत: हिन्दी के कवि तथा लेखक हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने उर्दू, संस्कृत तथा अंग्रेजी में भी कविताएँ लिखी हैं। क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाशित "सरफरोशी की तमन्ना" उनकी उल्लेखनीय पुस्तक है। "क्रान्तिकारी हिन्दी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना" विषय पर अतिविशिष्ट अनुसन्धान के लिये उन्हें भारत सरकार ने वर्ष २००४ में हिन्दी साहित्य की "सीनियर फैलोशिप" प्रदान की। .