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तिरुमला

सूची तिरुमला

तिरुमला भारत के राज्य आंध्रप्रदेश के जिला चितूर का एक पहाडी टौन है, जो तिरूपती रूरल मंडल और तिरुपती रेवेन्यू क्षेत्र में आता है। (PDF).

3 संबंधों: तिरुपति, दोलोत्सव, वेंकटेश्वर

तिरुपति

तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थिम तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्‍वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। .

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दोलोत्सव

दोलोत्सव (अपभ्रंश: डोलोत्सव) मुख्यत: वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में मनाया जानेवाला प्रमुख उत्सव है जिसमें श्रीकृष्ण की मूर्ति हिंडोले में रखकर उपवनादि में उत्सवार्थ ले जाते हैं। यों तो समस्त भारत में इस उत्सव का प्रचलन है किंतु वृंदावन तथा बंगाल में यह विशेष समारोह से मनाया जात है। बंगाल में इसे 'दोलयात्रा' कहते हैं। आजकल यह उत्सव प्रतिपदा से युक्त फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा तथा चैत्र शुक्ला द्वादशी को मनाया जाता है। जैसा नाम से ही स्पष्ट है, इसमें दोल या हिंडोल (झूला) की प्रमुखता है। श्री गोपालभट्ट गोस्वामी विरचित 'श्री हरिभक्ति विलास' नामक निबंधग्रंथ के अनुसार चैत्र शुक्ला द्वादशी को वैष्णवों को आमंत्रित कर गीत-वाद्य-संकीर्तन-सहित विविध उपचारों से भगवान श्री कृष्ण या विष्णु का पूजन करके प्रणामपूर्वक उन्हें दोलारूढ़ कराके झुलाने का विधान है। इस प्रकार दिन व्यतीत होने पर वैष्णवों सहित रात्रि जागरण करे। चैत्र शुक्ला तृतीया तथा उत्तराफाल्गुनी से युक्त फाल्गुनी पूर्णिमा को भी यह उत्सव करना चाहिए। पद्मपुराण के पाताल खंड में भी दोलोत्सव या दोलयात्रा का विशद वर्णन है: उक्त पौराणिक वर्णन से यह स्पष्ट है कि यह उत्सव अति प्राचीन काल से प्राय: समस्त भारत में प्रचलित था। पहले यह उत्सव फाल्गुन तथा चैत्र मास में अनेक दिनों तक होता था। कालांतर में यह संक्षिप्त होता गया। अब यह केवल दो दिनों का रह गया है- फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा तथा चैत्र शुक्ला द्वादशी। इस उत्सव को वसंतोत्सव का अंग माना जा सकता है। पद्मपुराण (पाताल खंड), गरुड़ पुराण, दोलयात्रातत्व तथा श्रीहरिभक्तिविलास में इस उत्सव के विशद विवेचन तथा मतमतांतर उपलब्ध हैं। तिरुमला में भी दोलोत्सव या 'दोलसेवा' की जाती है। श्रेणी:हिन्दू उत्सव श्रेणी:वैष्णव सम्प्रदाय श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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वेंकटेश्वर

वेंकटेश्वर (వెంకటేశ్వరుడు, வெங்கடேஸ்வரர், ವೆಂಕಟೇಶ್ವರ, वेंकटेश्वरः) भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें गोविंदा, श्रीनिवास, बालाजी, वेंकट आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था। यह तालाब तिरुमला के पास स्थित है। तिरुमाला-तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियाँ, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं 'सप्तगिर‍ि' कहलाती हैं। वैकुण्ठ एकादशी के अवसर पर लोग तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर पर प्रभु के दर्शन के लिए आते हैं, जहाँ पर आने के पश्चात उनके सभी पाप धुल जाते हैं। मान्यता है कि यहाँ आने के पश्चात व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। .

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