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तारों की श्रेणियाँ

सूची तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

149 संबंधों: चमकीला दानव तारा, चित्रा तारा, ऍचडी १०१८०, ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा, ऍप्सिलन पॅगासाई तारा, ऍप्सिलन महाश्वान तारा, ऍप्सिलन सिगनाए तारा, ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा, ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा, ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा, ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा, ऍप्सिलन कराइनी तारा, एटा महाश्वान तारा, एटा सॅन्टौरी तारा, एक्रक्स तारा, डॅल्टा महाश्वान तारा, डॅल्टा सिगनाए तारा, डॅल्टा स्कोर्पाए तारा, डॅल्टा वलोरम तारा, तारकीय आंधी, तितली तारागुच्छ, त्रिशंकु शिर तारा, थेटा स्कोर्पाए तारा, थेटा सॅन्टौरी तारा, देवयानी तारामंडल, ध्रुव तारा, ध्रुवमत्स्य तारामंडल, निहारिका, नीला महादानव तारा, पपिस तारामंडल, परमदानव तारा, पुनर्वसु-कैस्टर तारा, पुलस्त्य तारा, पुलह तारा, प्रस्वा तारा, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी, बर्नार्ड-तारा, बहिर्ग्रह खोज की विधियाँ, बिल्ली लोचन नीहारिका, ब्रह्महृदय तारा, बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा, बेटा ध्रुवमत्स्य तारा, बेटा पॅगासाई तारा, बेटा सॅटाए तारा, बेटा सॅफ़ॅई तारा, बेटा ग्रुईस तारा, बेटा कैसिओपिये तारा, बेटा अक्विलाए तारा, बॅलाट्रिक्स तारा, बीटा टाओरी तारा, ..., बीटा महाश्वान तारा, बीटा जिराफ़ तारा, बीटा कराइनी तारा, भट्टी तारामंडल, महादानव तारा, मायावती तारा, मारीचि तारा, मित्र तारा, मित्रक तारा, मघा तारा, मुख्य अनुक्रम, मूल तारा, मोर तारामंडल, ययाति तारामंडल, यर्कीज़ वेधशाला, राजन्य तारा, रंग सूचक, लाम्डा वलोरम तारा, लायरा तारामंडल, लाल दानव तारा, लाल बौना, लाल महादानव तारा, श्रवण तारा, सबसे रोशन तारों की सूची, साचाँ:Starbox character, सारस तारामंडल, सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा, सूंस तारामंडल, हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख, हंस तारा, ज़ेटा पपिस तारा, ज़ेटा ओरायोनिस तारा, ज्येष्ठा तारा, जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह, वशिष्ठ और अरुंधती तारे, व्याध तारा, वृषपर्वा तारामंडल, वेदी तारामंडल, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा, गामा ड्रेकोनिस तारा, गामा ध्रुवमत्स्य तारा, गामा पॅगासाई तारा, गामा लियोनिस तारा, गामा सिगनाए तारा, गामा जॅमिनोरम तारा, गामा वलोरम तारा, गामा कैसिओपिये तारा, गिरगिट तारामंडल, ग्लीज़ ४४५, ग्लीज़ ५८१, गेक्रक्स तारा, आयोटा कराइनी तारा, आर्द्रा तारा, आकरनार तारा, कन्या तारामंडल, कबूतर तारामंडल, कापा स्कोर्पाए तारा, कापा वलोरम तारा, कापा ओरायोनिस तारा, क्रतु तारा, कृत्तिका तारागुच्छ, केल्विन, केओआई ९६१, कॅप्लर-१० तारा, कॅप्लर-१६ तारा, कॅप्लर-१६बी, कॅप्लर-२० तारा, कॅप्लर-२२ तारा, कॅप्लर-६९ तारा, अतिशीतल बौना, अत्रि तारा, अभिजित तारा, अमरपक्षी तारामंडल, अम्बा तारा, अलफ़र्द तारा, अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा, अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा, अल्फ़ा परसई तारा, अल्फ़ा पैवोनिस तारा, अल्फ़ा पॅगासाई तारा, अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा, अल्फ़ा लूपाई तारा, अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा, अल्फ़ा ग्रुईस तारा, अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा, अल्फ़ा कैसिओपिये तारा, अल्फ़ा अरायटिस तारा, अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा, अश्वशाव तारामंडल, अगस्ति तारा, अंगिरस तारा, उत्तर फाल्गुनी तारा, उपदानव तारा, उपबौना तारा, १३ ट्राऐंगुलाए तारा, ३ सॅन्टौरी तारा, ५९ कन्या तारा, G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा सूचकांक विस्तार (99 अधिक) »

चमकीला दानव तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र चमकीला दानव तारा महादानव तारों और दानव तारों के बीच की श्रेणी का तारा होता है। यह ऐसे दानव तारे होते हैं जिनमें चमक बहुत ज़्यादा होती है लेकिन यह इतने बड़े नहीं होते के इन्हें महादानव तारों का दर्जा दिया जाए। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "II" होती है। वॄश्चिक तारामंडल का सर्गस नाम का तारा (जिसका बायर नाम "θ स्को" है) ऐसे एक चमकीले दानव का उदहारण है। .

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चित्रा तारा

आसमान में चित्रा तारा ढूँढने का तरीक़ा - स्वाती तारे (आर्कट्युरस) से सीधी लक़ीर खेंचे चित्रा या स्पाइका (Spica), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा वर्जिनिस" (α Virginis या α Vir) है, कन्या तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से पंद्रहवाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। चित्रा वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसका मुख्य तारा एक नीला दानव तारा है और छोटा तारा एक मुख्य अनुक्रम तारा है।, Elizabeth Howell, 20 जुलाई 2013, SPACE.com, Accessed: 19 Aug 2013,...

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ऍचडी १०१८०

ऍचडी १०१८० तारा ऍचडी १०१८० के ग्रहीय मंडल का काल्पनिक वीडियो चित्रकार की कल्पना से बनी तस्वीर जिसमें ऍचडी १०१८० डी (d) ग्रह से उसका तारा देखा जा रहा है - इसमें ऍचडी १०१८० बी (b) और ऍचडी १०१८० सी (c) भी छोटे-से दूर नज़र आ रहे हैं ऍचडी १०१८० (HD 10180) पृथ्वी से अनुमानित १२७ प्रकाश वर्ष दूर नर जलसर्प तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G1V श्रेणी का सूर्य-जैसा मुख्य अनुक्रम तारा है। इसके इर्द-गिर्द कम-से-कम ७ ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए ज्ञात हुए हैं और सम्भव है कि इन ग्रहों की कुल संख्या ९ भी हो। अभी तक यह सभी ज्ञात ग्रहीय मंडलों में सबसे अधिक ग्रहों वाला मंडल है और इसमें सम्भवतः हमारे सौर मंडल से भी ज़्यादा ग्रह हैं।, Mikko Tuomi, Astronomy & Astrophysics (Journal), 6 अप्रैल 2012 .

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ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा

काल्पनिक चित्र जिसमें ऍप्सिलन ऍरिडानी तारे के इर्द-गिर्द दो ग्रह और दो क्षुद्रग्रह घेरे परिक्रमा करते दिखाए गए हैं ऍप्सिलन ऍरिडानी (बाएँ) और सूरज (दाएँ) की तुलना ऍप्सिलन ऍरिडानी (बायर नाम: ε Eridani या ε Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 10.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (यानि सापेक्ष कान्तिमान) 3.73 मैग्नीट्यूड मापी गई है। यह एक नारंगी रंग का K2 श्रेणी वाला मुख्य अनुक्रम तारा है जिसका सतही तापमान लगभग 5,000 कैल्विन है। इसका द्रव्यमान (मास) और व्यास (डायामीटर) सूरज से थोड़े छोटे हैं। वैज्ञानिक पिछले 20 साल से ऍप्सिलन ऍरिडानी की हिलावट का अध्ययन कर रहें हैं और इस से उन्होंने अंदाज़ा लगाया है के इसके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसा एक गैस दानव ग्रह तारे से 3.4 खगोलीय इकाईयों (ख॰इ॰) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "बी" रखा है। उनका यह भी अनुमान है के इस तारे के इर्द-गिर्द दो क्षुद्रग्रहों (ऐस्टेरोईड) के घेरे हैं - एक 3 ख॰इ॰ की दूरी पर और दूसरा 20 ख॰इ॰ की दूरी पर। यह भी मुमकिन है के एक और भी ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा हो, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "सी" रखा है। अभी तक जितने भी तारों के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह मिले हैं, ऍप्सिलन ऍरिडानी उन सब में पृथ्वी के सब से पास है। .

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ऍप्सिलन पॅगासाई तारा

ऍप्सिलन पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (ε Pegasi या ε Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८२वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४ मैग्नीट्यूड है। ऍप्सिलन पॅगासाई हमसे लगभग ७०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल (हिन्दी नामों के साथ) - ऍप्सिलन महाश्वान तारा ("अधारा") कुत्ते की आकृति के निचले पाऊँ पर स्थित है ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा, जिसका बायर नाम "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (ε Canis Majoris या ε CMa) है, महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौबीसवा सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक द्वितारा मंडल है। .

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ऍप्सिलन सिगनाए तारा

हंस (सिग्नस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (ε Cygni या ε Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.५ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ७२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें ऍप्सिलन स्कोर्पाए 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन स्कोर्पाए (ε Sco, ε Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७६वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ६५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा "ε Sgr" से नामांकित है ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Sgr या ε Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १४४.६४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। इसका एक बहुत ही धुंधला साथी तारा भी है जिसे ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ बी बुलाया जाता है। .

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ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (ε Centauri या ε Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ३८० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२९ है। .

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ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा

नीले महादानव ऍप्सिलन ओरायोनिस तारे की भयंकर रौशनी और विकिरण से इर्द-गिर्द का ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल उजागर है कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कालपुरुष की आकृति के कमरबंद के बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस (ε) है कालपुरुष के कमरबंद का नज़दीकी दृश्य - बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस है ऍप्सिलन ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Ori या ε Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक नीला महादानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १३०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७० है। इस तारे का वर्णक्रम बहुत शुद्ध माना जाता है और खगोलशास्त्री इस से उत्पन्न हुए प्रकाश का प्रयोग अंतरतारकीय माध्यम (उर्फ़ "इन्टरस्टॅलर मीडयम", यानि तारों के बीच का व्योम जिसमें गैस, प्लाज़्मा और खगोलीय धूल मिलती है) का अध्ययन करने के लिए करते हैं। ऍप्सिलन ओरायोनिस के चंद लाख सालों में लाल महादानव बनकर महानोवा (सुपरनोवा) धमाके में फटने की संभावना है। वर्तमान में इसके इर्द-गिर्द एक ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल है जो इस तारे के विकिरण (रेडियेशन) से दमकता है। .

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ऍप्सिलन कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में ऍप्सिलन कराइनी तारा ऍप्सिलन कराइनी द्वितारे के दोनों तारों का काल्पनिक चित्रण ऍप्सिलन कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ε Car या ε Carinae) है, कराइना तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +१.८६ है और यह पृथ्वी से लगभग ६३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। .

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एटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में स्थित एटा महाश्वान तारा एटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "एटा कैनिस मेजोरिस" (η Canis Majoris या η CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। यह हमसे ३,००० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४५ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक +२.३८ से +२.४८ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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एटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'η' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है एटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (η Centauri या η Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३३ है। .

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एक्रक्स तारा

एक्रक्स एक्रक्स, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा क्रूसिस" (α Crucis या α Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 321 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक्रक्स वास्तव में एक बहु तारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। .

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डॅल्टा महाश्वान तारा

डॅल्टा महाश्वान तारा डॅल्टा महाश्वान, जिसका बायर नाम "डॅल्टा कैनिस मेजोरिस" (δ Canis Majoris या δ CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ३७वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे १,८०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८३ है। .

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डॅल्टा सिगनाए तारा

डॅल्टा सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (δ Cygni या δ Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.८७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग १६५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह हंस तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा है। .

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डॅल्टा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें डॅल्टा स्कोर्पाए 'δ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है डॅल्टा स्कोर्पाए (δ Sco, δ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७५वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४०२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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डॅल्टा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें डॅल्टा वलोरम "δ" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ स्थित तारा है डॅल्टा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (δ Vel या δ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक तारों का मंडल है जिसमें दो द्वितारे दिखाई दिए हैं। इसका सब से रोशन तारा "डॅल्टा वलोरम ए" +२.०३ मैग्निट्यूड की चमक (सापेक्ष कांतिमान) रखता है और पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ४९वाँ सब से रोशन तारा है। अगर डॅल्टा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.९५ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। यह तारे पृथ्वी से लगभग ७९.७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर हैं। .

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तारकीय आंधी

अल्फ़ा आराए (α Arae) तारा बहुत तेज़ी से घूर्णन कर रहा है और २,००० किलोमीटर प्रति सैकिंड की तारकीय आंधी से तेज़ी से द्रव्यमान खो रहा है (विशेषकर अपने ध्रुवों से) तारकीय आंधी आणविक या आयोनित गैस के उस प्रवाह को कहते हैं जो किसी तारे के ऊपरी वायुमंडल से तारे के बाहर के व्योम में बहता है। इस आंधी से तारों का द्रव्यमान तीव्र या धीमी गति से कम होता रहता है। भिन्न प्रकार के तारों की अलग-अलग तरह की तारकीय आंधियाँ होती हैं.

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तितली तारागुच्छ

तितली तारागुच्छ (उर्फ़ बटरफ़्लाए तारागुच्छ) तितली तारागुच्छ या बटरफ़्लाए तारागुच्छ, जिसे मॅसिये वस्तु ६ भी कहा जाता है, वॄश्चिक तारामंडल में स्थित एक खुला तारागुच्छ (तारों का समूह) है। इसका आकार एक तितली से ज़रा-बहुत मिलता है, जिस से इसका यह नाम पड़ा। यह पृथ्वी से लगभग १,६०० प्रकाश वर्षों की दूरी पर स्थित है और इस गुच्छे की चौड़ाई १२ प्रकाश वर्ष अनुमानित की गई है। .

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त्रिशंकु शिर तारा

त्रिशंकु शिर, इस चित्र का सब से रोशन तारा (दाँई तरफ) त्रिशंकु शिर, जिसका बायर नाम "बेटा क्रूसिस" (β Crucis या β Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 350 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। त्रिशंकुशिर वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसके मुख्य तारे की श्रेणी B0.5IV है। त्रिशंकु शिर कर्क रेखा के दक्षिण में ही देखा जा सकता है इसलिए उत्तर भारत के अधिकाँश भाग में और यूरोप-वग़ैराह में नहीं देखा जा सकता। मध्य और दक्षिण भारत में इसे देखा जा सकता है। .

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थेटा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें थेटा स्कोर्पाए 'θ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा स्कोर्पाए (θ Sco, θ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३९वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग २७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८६ है। .

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थेटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ϑ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (θ Centauri या θ Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ६०.९४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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देवयानी तारामंडल

देवयानी तारामंडल बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) उर्फ़ मिराक तारा देवयानी या ऐन्ड्रौमेडा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। देवयानी तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित है। एण्ड्रोमेडा आकाशगंगा भी आकाश में इसी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। .

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ध्रुव तारा

ध्रुव मंडल के कुछ तारे, जिनमें से ध्रुव ए (A) मुख्य तारा है कैमरे का लेंस रात्री में लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो प्रतीत होता है कि सारे तारे ध्रुव तारे के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं ध्रुव तारा, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा उर्साए माइनोरिस" (α Ursae Minoris या α UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ४५वां सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४३४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है, जिसका मुख्य तारा (ध्रुव "ए") F7 श्रेणी का रोशन दानव तारा या महादानव तारा है। वर्तमान युग में ध्रुव तारा खगोलीय गोले के उत्तरी ध्रुव के निटक स्थित है, यानि दुनिया में अधिकतर जगहों से ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर स्थित प्रतीत होता है। इस कारण से तारों से मार्गदर्शन लेते हुए समुद्र या रेगिस्तान जैसी जगहों से निकलने वाले यात्री अक्सर ध्रुव तारे का प्रयोग करते हैं। पृथ्वी के घूर्णन (रोटेशन) से रात्री में आकाश के लगभग सभी तारे धीरे-धीरे घुमते हुए लगते हैं, लेकिन ध्रुव तारा उत्तर की ओर स्थिर लगता है। अगर किसी कैमरे का लेंस लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो तस्वीर में ऐसा प्रतीत होता है की सारे तारे ध्रुव के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। .

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ध्रुवमत्स्य तारामंडल

ध्रुवमत्स्य तारामंडल ध्रुव तारे के बहु तारा मण्डल का एक काल्पनिक चित्र ध्रुवमत्स्य या अरसा माइनर एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। ध्रुवमत्स्य तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित है। ध्रुव तारा भी आकाश में इसी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। .

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निहारिका

चील नॅब्युला का वह भाग जिसे "सृजन के स्तम्भ" कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत से तारे जन्म ले रहे हैं। त्रिकोणीय उत्सर्जन गैरेन नीहारिका (द ट्रेंगुलम एमीशन गैरन नॅब्युला) ''NGC 604'' नासा द्वारा जारी क्रैब नॅब्युला (कर्कट नीहारिका) वीडियो निहारिका या नॅब्युला अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल को कहते हैं जिसमें धूल, हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और अन्य आयनीकृत (आयोनाइज़्ड) प्लाज़्मा गैसे उपस्थित हों। पुराने जमाने में "निहारिका" खगोल में दिखने वाली किसी भी विस्तृत वस्तु को कहते थे। आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) से परे कि किसी भी गैलेक्सी को नीहारिका ही कहा जाता था। बाद में जब एडविन हबल के अनुसन्धान से यह ज्ञात हुआ कि यह गैलेक्सियाँ हैं, तो नाम बदल दिए गए। उदाहरण के लिए एंड्रोमेडा गैलेक्सी (देवयानी मन्दाकिनी) को पहले एण्ड्रोमेडा नॅब्युला के नाम से जाना जाता था। नीहारिकाओं में अक्सर तारे और ग्रहीय मण्डल जन्म लेते हैं, जैसे कि चील नीहारिका में देखा गया है। यह नीहारिका नासा द्वारा खींचे गए "पिलर्स ऑफ़ क्रियेशन" अर्थात् "सृष्टि के स्तम्भ" नामक अति-प्रसिद्ध चित्र में दर्शाई गई है। इन क्षेत्रों में गैस, धूल और अन्य सामग्री की संरचनाएं परस्पर "एक साथ जुड़कर" बड़े ढेरों की रचना करती हैं, जो अन्य पदार्थों को आकर्षित करता है एवं क्रमशः सितारों का गठन करने योग्य पर्याप्त बड़ा आकार ले लेता हैं। माना जाता है कि शेष सामग्री ग्रहों एवं ग्रह प्रणाली की अन्य वस्तुओं का गठन करती है। .

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नीला महादानव तारा

गामा ओरायनिस (एक नीला महादानव), ऐल्गौल ए और सूरज नीले महादानव तारे वह महादानव तारे होते हैं जो 'O' या 'B' श्रेणी के तारे हों। इनमें आम तौर पर 10 से 50 सौर द्रव्यमान का द्रव्यमान होता है और इनका अर्धव्यास 25 सौर अर्धव्यास तक हो सकता है। यह ब्रह्माण्ड के सबसे गरम और सबे रोशन तारे होते हैं और कम तादाद में ही मिलते हैं। नीले माहादानव लाल महादानवों से छोटे अकार के होते हैं। क्योंकि इनका जीवनकाल बहुत छोटा होता है यह कम उम्र के खगोलीय समूहों में ही मिलते हैं, जैसे सर्पिल गैलेक्सियों की भुजाओं में, बेढंगी गैलेक्सियों में और खुले तारागुच्छों में.

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पपिस तारामंडल

पपिस तारामंडल धूल के भीमकाय बादलों के दरमयान तारों का सृजन हो रहा है पपिस तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। आकाश में क्षेत्र के हिसाब से यह एक काफ़ी बड़ा तारामंडल है। .

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परमदानव तारा

परमदानव तारे वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का अर्धव्यास (रेडियस) क़रीब २००० \beginsmallmatrixR_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज का दो हज़ार गुना - यह सब से बड़ा ज्ञात तारा है तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र परमदानव तारा एक अत्याधिक द्रव्यमान (मास) और चमक वाला तारा होता है जिस से लगातार गैस, प्लाज़्मा और अन्य द्रव्य बड़ी मात्राओं में अंतरिक्ष में उछलते रहते हैं। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "0" है (यानि सारे तारों में सब से अधिक)। .

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पुनर्वसु-कैस्टर तारा

पुनर्वसु-कैस्टर तारा पुनर्वसु-कैस्टर या सिर्फ़ कैस्टर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा जॅमिनोरम" (α Geminorum या α Gem) है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-पॅलक्स तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-कैस्टर पृथ्वी से लगभग 49.8 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वैज्ञानिकों को पता चला है के यह वास्तव में एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें चार तारे हैं। फिर उन्हें ज्ञात हुआ के इसमें एक और धुंधला-सा दिखने वाला द्वितारा भी गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है, यानि कुल मिलकर पुनर्वसु-कैस्टर मंडल में छह तारे हैं। इस तीसरे द्वितारे के दोनों सदस्य मुख्य अनुक्रम के बौने तारे हैं - यह असाधारण बात है क्योंकि द्वितारों में ज़्यादातर एक तारा दानव या महादानव तारा होता है। .

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पुलस्त्य तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलस्त्य तारे (γ UMa) का स्थान पुलस्त्य, जिसका बायर नामांकन "गामा अर्से मॅजोरिस" (γ UMa या γ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का छठा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ८६वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४१ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलस्त्य पर रखा गया है। .

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पुलह तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलह तारे (β UMa) का स्थान पुलह, जिसका बायर नामांकन "बेटा अर्से मॅजोरिस" (β UMa या β Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का पाँचवा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ७९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३४ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलह पर रखा गया है। .

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प्रस्वा तारा

हीनश्वान तारामंडल में प्रस्वा का स्थान प्रस्वा या प्रोसीयन, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा कैनिस माइनौरिस" (α Canis Minoris या α CMi) है, हीनश्वान तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से सातवा सब से रोशन तारा है। बिना दूरबीन के आँखों से यह एक तारा लगता है पर दरअसल द्वितारा है, जिनमें से एक "प्रस्वा ए" नाम का सफ़ेद मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी F5 VI-V है और दूसरा "प्रस्वा बी" नामक धुंधला-सा सफ़ेद बौना तारा है जिसकी श्रेणी DA है। वैसे तो प्रस्वा कोई ख़ास चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) नहीं रखता लेकिन पृथ्वी के पास होने से ज़्यादा रोशन लगता है। यह पृथ्वी से ११.४१ प्रकाश-वर्ष दूर है। भारतीय नक्षत्रों में प्रस्वा पुनर्वसु नक्षत्र का भाग माना जाता था, लेकिन उस नक्षत्र में और भी तारे शामिल हैं। .

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी

प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी या मित्र सी, जिसका बायर नाम α Centauri C या α Cen C है, नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। हमारे सूरज के बाद, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे ४.२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है।, Pierre Kervella and Frederic Thevenin, ESO, 15 मार्च 2003 फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता।, Govert Schilling, स्प्रिंगर, 2011, ISBN 978-1-4419-7810-3,...

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बर्नार्ड-तारा

बारनर्ड का तारा अपना आकाश में स्थान बदलता रहता है - यह तस्वीर उसका हर पाँचवे साल का स्थान दर्शा रहा है बारनर्ड का तारा सर्पधारी तारामंडल में नज़र आने वाला एक बहुत ही कम द्रव्यमान (मास) वाला लाल बौना तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 6 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। मित्र तारे के मंडल के तीन तारों के बाद बारनर्ड का तारा ही पृथ्वी का सब से समीपी तारा है। यह एक M4 श्रेणी का तारा है और पृथ्वी से इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) को 9। 54 मैग्नीट्यूड पर मापा गया है। आकाश में यह अपना स्थान बदलता रहता है इसलिए इसे "बारनर्ड का भागता तारा" भी कहते हैं। .

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बहिर्ग्रह खोज की विधियाँ

खगोलिकी में कोई भी ग्रह दूर से देखे जाने पर अपने पितृ तारे (जिसके इर्द-गिर्द वह कक्षा या ऑरबिट में हो) की कांति के सामने लगभग अदृश्य होता है। उदाहरण के लिए हमारा सूर्य हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह से एक अरब गुना से भी अधिक चमक रखता है। वैसे भी ग्रहों की चमक केवल उनके द्वारा अपने पितृतारे के प्रकाश के प्रतिबिम्ब से ही आती है और पितृग्रह की भयंकर चमके के आगे धुलकर ग़ायब-सी हो जाती है। यही कारण है कि बहुत ही कम मानव-अनवेषित बहिर्ग्रह (यानि हमारे सौर मंडल से बाहर स्थित ग्रह) सीधे उनकी छवि देखे जाने से पाए गए हैं। इसकी बजाय लगभग सभी ज्ञात बहिर्ग्रह परोक्ष विधियों से ढूंढे गए हैं, और खगोलज्ञों ऐसी विधियों का तीव्रता से विस्तार कर रहे हैं।Stuart Shaklan.

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बिल्ली लोचन नीहारिका

बिल्ली लोचन नीहारिका (१९९४ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बिल्ली लोचन नीहारिका का परिष्कृत चित्रण, जिसमें इसकी परतों के साथ-साथ कुछ धारें भी दिख रहीं हैं जो केन्द्रीय तारे से उभरते सामग्री के फव्वारे हो सकते हैं बिल्ली लोचन नीहारिका या बिल्ली की आँख नीहारिका (अंग्रेज़ी: Cat's Eye Nebula, कैट्स आय नॅब्युला), जिसे ऍन॰जी॰सी॰ ६५४३ और कैल्डवॅल ६ भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह ज्ञात नीहारिकाओं में बहुत ही पेचदार मानी जाती है और हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा जांच में इसके अंदर बहुत से गाँठ, फव्वारे, बुलबुले और चाप (आर्क) जैसे ढाँचे दिखें हैं। नीहारिका के केंद्र में एक रोशन और गरम तारा स्थित है। लगभग १००० वर्ष पूर्व इस तारे ने अपनी बाहरी परते खो दीं जो अब नीहारिका बनकर इसके इर्द-गिर्द स्थित हैं। बिल्ली लोचन नीहारिका के जटिल उलझेपन को देखकर कुछ वैज्ञानिकों की सोच है कि शायद केन्द्रीय तारा एक तारा नहीं बल्कि द्वितारा हो, हालांकि इसके लिए अभी कोई प्रमाण नहीं मिला है। .

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ब्रह्महृदय तारा

ब्रह्महृदय के चार तारों और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज नीचे बीच का पीला वाला गोला है ब्रह्महृदय या कपॅल्ला, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऑराइगे" (α Aurigae या α Aur) है, ब्रह्मा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। बिना दूरबीन के एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें कुल मिलकर चार तारे हैं जो पृथ्वी से एक ही प्रतीत होते हैं। पहले द्वितारे के दोनों तारे G श्रेणी के दानव तारे हैं और दोनों के व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास के लगभग दस गुना हैं। दुसरे द्वितारे के दोनों तारे छोटे और धुंधले से लाल बौने हैं। ब्रह्महृदय मंडल पृथ्वी से लगभग 42.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा

बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) देवयानी (ऐन्ड्रौमेडा) तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (β Andromedae या β And) है, देवयानी तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों को बेटा ऐन्ड्रौमिडे का एक परिवर्ती तारा होने का शक़ है क्योंकि पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०१ से २.१० के बीच बदलता रहता है।, database entry, table of suspected variable stars, Combined General Catalog of Variable Stars (GCVS4.2, 2004 Ed.), N. N. Samus, O. V. Durlevich, et al., Centre de Données astronomiques de Strasbourg ID.

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बेटा ध्रुवमत्स्य तारा

ध्रुवमत्स्य (अरसा माइनर) तारामंडल में बेटा ध्रुवमत्स्य 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ध्रुवमत्स्य, जिसका बायर नाम "बेटा उर्साए माइनोरिस" (β Ursae Minoris या β UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५६वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.०७ मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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बेटा पॅगासाई तारा

बेटा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (β Pegasi या β Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८५वाँ सब से रोशन तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है और पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.३१ से +२.७४ मैग्नीट्यूड के दरम्यान बदलती रहती है। बेटा पॅगासाई हमसे लगभग १९९ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बेटा सॅटाए तारा

नासा के चंद्रा ऍक्स-रे दूरबीन से ली गई बेटा सॅटाए की तस्वीर सीटस तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें बेटा सॅटाए "β" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ नामांकित तारा है बेटा सॅटाए, जिसका बायर नाम भी यही (β Cet, β Ceti) है, सीटस तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ५०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०४ है। आकाश के जिस क्षेत्र में यह नज़र आता है उसमें और कोई रोशन तारे नहीं हैं, जिस वजह से इसे आसानी से देखा जा सकता है। .

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बेटा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (β Cephei या β Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह हमसे क़रीब ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +३.१४ है, हालांकि यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक ऊपर-नीचे होती रहती है। इस तारे के नाम पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी का नामकरण किया गया है जिसके सददास्यों को बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारे बुलाया जाता है। .

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बेटा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमें बेटा ग्रुईस 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (β Gru या β Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६०वाँ सब से रोशन तारा है। बेटा ग्रुईस हमसे १७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.१३ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक २.० और २.३ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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बेटा कैसिओपिये तारा

बेटा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (β Cassiopeiae या β Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७१वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ५४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बेटा अक्विलाए तारा

गरुड़ तारामंडल में बेटा अक्विलाए β द्वारा नामांकित तारा है बेटा अक्विलाए, जिसका बायर नाम भी यही (β Aquilae या β Aql) है, गरुड़ तारामंडल का एक तारा है। यह एक G8IV श्रेणी का उपदानव तारा है। बेटा अक्विलाए का वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) इतना स्थाई है कि १९४३ से अन्य तारों का श्रेणीकरण अक्सर इस से तुलना कर के किया जाता है।, R. F. Garrison, Bulletin of the American Astronomical Society, Page 1319, volume 25, 1993, Accessed 2012-02-04 यह तारा पृथ्वी से लगभग ४४.७ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और यहाँ से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कांतिमान) +३.७१ मैग्नीट्यूड है। यह एक प्रतीत होने वाला तारा दूरबीन से देखने पर दोहरा तारा नज़र आता है। इसका साथी तारा बेटा अक्विलाए बी (β Aquilae B) कहलाता है और १२वे मैग्नीट्यूड की बहुत धुंधली चमक रखता है (याद रहे कि मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। .

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बॅलाट्रिक्स तारा

बॅलाट्रिक्स (बाएँ का नीला तारा) सूरज (बीच का पीला तारा) से बहुत बड़ा है - दाएँ का लाल तारा ऐल्गोल बी है बॅलाट्रिक्स, जिसका बायर नाम "गामा ओरायोनिस" (γ Orionis या γ Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २७वा सब से रोशन तारा भी है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) १.५९ से १.६४ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह पृथ्वी से २४५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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बीटा टाओरी तारा

काल्पनिक रेखाओं से बनी वृष तारामंडल की आकृति - बीटा टाओरी इस आकृति का सबसे ऊपर-दाई तरफ़ का तारा है मंगल और चन्द्रमा के बीच लटकते बीटा टाओरी (एल्नैट) की एक निशाकालीन तस्वीर बीटा टाओरी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Tau या β Tauri) दर्ज है, वृष तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से १३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २८वा सब से रोशन तारा भी है। .

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बीटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित बीटा महाश्वान तारा बीटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "बीटा कैनिस मेजोरिस" (β Canis Majoris या β CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ४६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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बीटा जिराफ़ तारा

बीटा जिराफ़ या बीटा कमॅलपार्डलिस (β Camelopardalis या β Cam) आकाश में जिराफ़ तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G-श्रेणी का पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक दोहरा तारा है। इसका सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +४.०३ है, जिसके दो तारों की अलग-अलग चमक लगभग +४.० और +७.४ मापी गई है (ध्यान दें कि मैग्निट्यूड एक ऐसा उल्टा माप होता है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह पृथ्वी से लगभग १,००० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। .

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बीटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में बीटा कराइनी तारा बीटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Car या β Carinae) दर्ज है, कराइना तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से ११० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २९वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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भट्टी तारामंडल

भट्टी (फ़ॉरनैक्स) तारामंडल भट्टी तारामंडल में दिखने वाला ग़ैर-सौरीय ग्रह हिप १३०४४ बी क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) में नहीं जन्मा था (काल्पनिक चित्र) बिग बैंग महाविस्फोट में हुए ब्रह्माण्ड के जन्म के ५० करोड़ वर्षों के अन्दर-अन्दर दिखती होगी भट्टी या फ़ॉरनैक्स खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में की गई थी और अब यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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महादानव तारा

लाल महादानव तारे मू सिफ़ई के आगे सूरज नन्हा लगता है - मू सिफ़ई का अर्धव्यास (रेडियस) सूरज का १,६५० गुना है तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र महादानव तारा एक अत्याधिक द्रव्यमान (मास) और चमक वाला तारा होता है। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "Ia" (बहुत चमकीले महादानव) और "Ib" (कम चमकीले महादानव) है। इनसे बड़े तारे ब्रह्माण्ड में मुट्ठी-भर ही हैं और वे परमदानव तारे कहलाते हैं। .

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मायावती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है ययाति (पर्सियस) तारामंडल में मायावती (अलग़ोल) तारा 'β' द्वारा नामांकित है मायावती या अलग़ोल, जिसका बायर नाम बेटा परसई (β Persei या β Per) है, ययाति तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५९वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह एक ऐसा द्वितारा है जिसके मुख्य तारे के इर्द-गिर्द घूमता साथी तारा कभी तो उसके और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी नहीं। इस से यह पृथ्वी से एक परिवर्ती तारा लगता है जिसकी चमक बदलती रहती है। वैदिक काल में इसकी मायावी बदलती प्रकृति के कारण ही इसका नाम "मायावती" पड़ा। इसे पश्चिम और अरब संस्कृतियों में एक दुर्भाग्य का तारा माना जाता था। यह पृथ्वी से लगभग ९३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) वैसे तो +२.१० मैग्नीट्यूड पर रहती है लेकिन हर २ दिन २० घंटे और ४९ मिनटों के बाद इसकी चमक गिरकर +३.४ हो जाती है (याद रखें कि मैग्नीट्यूड एक ऐसा उल्टा माप है कि यह जितना कम हो रोशनी उतनी अधिक होती है)। .

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मारीचि तारा

सप्तर्षि तारामंडल में मारीचि तारे (η UMa) का स्थान मारीचि, जिसका बायर नामांकन "एटा अर्से मॅजोरिस" (η UMa या η Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८५ है। .

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मित्र तारा

मित्र मंडल के तीन तारों और हमारे सूरज के आकारों और रंगों की आपस में तुलना शक्तिशाली दूरबीन के ज़रिये मित्र तारे का एक दृश्य (बीच का सब से रोशन तारा) मित्र "बी" की परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रह का काल्पनिक चित्रण मित्र या अल्फ़ा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम α Centauri या α Cen है, नरतुरंग तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौथा सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से एक दिखने वाला मित्र तारा वास्तव में तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इनमें से दो तो एक द्वितारा मंडल में हैं और इन्हें मित्र "ए" और मित्र "बी" कहा जाता है। तीसरा तारा इनसे कुछ दूरी पर है और उसे मित्र "सी" या "प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी" का नाम मिला है। सूरज को छोड़कर, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे 4.24 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता। अक्टूबर २०१२ में वैज्ञनिकों ने घोषणा करी कि मित्र तारा मंडल के एक तारे (मित्र "बी") के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। इस ग्रह का नाम 'मित्र बी-बी' (Alpha Centauri Bb) रखा गया और यह पृथ्वी से सब से नज़दीकी ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है लेकिन यह अपने तारे के बहुत पास है और वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता।, Mike Wall, 16 अक्टूबर 2012, NBC News, Accessed: 19 अक्टूबर 2012,...

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मित्रक तारा

मित्रक या बेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम β Centauri या β Cen है और जिसे हदर के नाम से भी जाना जाता है, नरतुरंग तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दसवा सब से रोशन तारा भी है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे "B1 III" की श्रेणी दी जाती है। .

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मघा तारा

मघा (रॅग्युलस) तारा मघा या रॅग्युलस​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लियोनिस" (α Leonis या α Leo) है, सिंह तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से बाईसवा सब से रोशन तारा है। मघा हमारे सौर मंडल से लगभग 77.5 प्रकाश-वर्ष दूर है। वास्तव में मघा एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि कुल मिलकर चार तारे हैं। .

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मुख्य अनुक्रम

यह चित्र २३,००० तारों के रंग और उनकी निरपेक्ष कान्तिमान (चमक) की तुलना कर रहा है और जो बाएँ ओर पट्टी बन गई है उसे से इन दोनों चीज़ों का सम्बन्ध साफ़ नज़र आता है। ऐसे तुलनात्मक चित्र को "हर्ट्ज़्प्रुन्ग-रसल" चित्रण कहते हैं। मुख्य अनुक्रम या मेन सीक्वॅन्स एक तारों की श्रेणी है। हज़ारों-लाखों तारों के अध्ययन के बाद देखा गया है के बहुत से छोटे आकार के तारों में तारे के रंग और उसकी निरपेक्ष कान्तिमान (यानि मूल चमक) में गहरा सम्बन्ध होता है। इन तारों की चमक जितनी ज़्यादा हो वे उतने ही नीले नज़र आते हैं और चमक जितनी कम हो वे उतने ही लाल नज़र आते हैं। ऐसे तारों को मुख्य अनुक्रम तारे या बौने तारे कहा जाता है। .

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मूल तारा

मूल तारा (λ Sco) वॄश्चिक तारामंडल में ठीक बिच्छु की काल्पनिक आकृति के डंक पर स्थित "λ" के निशान वाला तारा है मूल या शौला, जिसका बायर नाम "लाम्डा स्कोर्पाए" (λ Scorpii या λ Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले पच्चीसवा सब से रोशन तारा है। मूल तारा एक बहु तारा मंडल है जिसके तीन हिस्से दिखते हैं। .

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मोर तारामंडल

मोर (पेवो) तारामंडल पेवो तारामंडल के क्षेत्र में तीन "भिड़ती" गैलेक्सियाँ है मोर या पेवो तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक मोर (पक्षी) की आकृति बनाई जा सकती है। "पेवो" (Pavo) लातिनी भाषा में "मोर" के लिए शब्द है। इसकी परिभाषा औपचारिक रूप से सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी हालांकि इसके नाम का प्रयोग १५९७-१५९८ से ही शुरू हो चूका था। .

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ययाति तारामंडल

ययाति (पर्सियस) तारामंडल अलग़ोल (बेटा परसई) तारे की चमक तब घटती है जब मुख्य तारे के आगे एक कम रोशन साथी तारा आ जाता है ययाति या पर्सियस (अंग्रेज़ी: Perseus) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। ययाति तारामंडल में अलग़ोल (बायर नाम: β Per) नाम का मशहूर परिवर्ती तारा स्थित है। वार्षिक पर्सिड उल्कापिंडों की बौछार भी आकाश के इसी क्षेत्र में होती है। .

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यर्कीज़ वेधशाला

जनवरी २००६ में ली गई यर्कीज़ वेधशाला की तस्वीर यर्कीज़ वेधशाला एक खगोलशास्त्रिय वेधशाला है जो शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जाती है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य में विलियम्ज़ बे नाम के क़स्बे में स्थित है। इसे "आधुनिक खगोलभौतिकी का जन्मस्थान" कहा जाता है। यर्कीज़ वेधशाला सन् १८९७ में जॉर्ज ऍलरी हेल ने शुरू करी थी और इसके लिए पैसा चार्लज़ यर्कीज़ ने दिया था। .

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राजन्य तारा

राजन्य और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज बाएँ पर है राजन्य या राइजॅल, जिसका बायर नाम "बेटा ओरायोनिस" (β Orionis या β Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से छठा सब से रोशन तारा भी है। इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) 0.18 मैग्निट्यूड पर मापी गयी है। यह पृथ्वी से 700-900 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। राजन्य एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज के द्रव्यमान से 17 गुना द्रव्यमान (मास) है। इसकी अंदरूनी चमक (या निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की चमक की 85,000 गुना है। .

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रंग सूचक

रंग सूचक (Color index, कलर इंडॅक्स​) एक सरल संख्या होती है जिस से किसी वस्तु का रंग बताया जाता है। खगोलशास्त्र में किसी तारे के रंग और उसके तापमाप में गहरा सम्बन्ध होता है, इसलिए उसमें किसी तारे के रंग सूचक से उसके तापमान का पता चलता है।Handbook of Space Astronomy and Astrophysics, Martin V. Zombeck, Cambridge University Press, Page 105, 1990, ISBN 0-521-34787-4 .

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लाम्डा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें लाम्डा वलोरम "λ" के चिह्न वाला तारा है लाम्डा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (λ Velorum या λ Vel) है, पाल तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का चमकीला दानव या महादानव तारा है। लाम्डा वलोरम एक परिवर्ती तारा भी है जिसकी चमक समय के साथ-साथ +२.१४ से +२.३० मैग्नीट्यूड के बीच चढ़ती-उतरती रहती है। .

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लायरा तारामंडल

लायरा तारामंडल लायरा तारामंडल का एक और चित्र लायरा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका मुख्य तारा अभिजीत है जो रात्री के आसमान का पाँचवा सब से रोशन तारा है। .

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लाल दानव तारा

एक लाल दानव तारे और सूरज के अंदरूनी ढाँचे की तुलना खगोलशास्त्र में लाल दानव तारा (red giant star, रॅड जायंट स्टार) ऐसे चमकीले दानव तारे को बोलते हैं जो हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.५ से १० गुना द्रव्यमान (मास) रखता हो और अपने जीवनक्रम में आगे की श्रेणी का हो (यानि बूढ़ा हो रहा हो)। ऐसे तारों का बाहरी वायुमंडल फूल कर पतला हो जाता है, जिस से उस का आकार भीमकाय और उसका सतही तापमान ५,००० कैल्विन या उस से भी कम हो जाता है। ऐसे तारों का रंग पीले-नारंगी से गहरे लाल के बीच का होता है। इनकी श्रेणी आम तौर पर K या M होती है, लेकिन S भी हो सकती है। कार्बन तारे (जिनमें ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन अधिक होता है) भी ज़्यादातर लाल दानव ही होते हैं। प्रसिद्ध लाल दानवों में रोहिणी, स्वाति तारा और गेक्रक्स शामिल हैं। लाल दानव तारों से भी बड़े लाल महादानव तारे होते हैं, जिनमें ज्येष्ठा और आर्द्रा गिने जाते हैं। आज से अरबों वर्षों बाद हमारा सूरज भी एक लाल दानव बन जाएगा। .

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लाल बौना

ब्रह्माण्ड में अधिकतर तारे लाल बौने ही हैं - यह लाल बौने का चित्र एक चित्रकार ने अपनी कल्पना से बनाया है खगोलशास्त्र में लाल बौना या रॅड ड्वार्फ़ मुख्य अनुक्रम के एक छोटे और सूर्य की तुलना में ठन्डे, तारे को बोला जाता है जो "K" या "M" की श्रेणी का तारा होता है। इन तारों का रंग हमारे सूरज की तुलना में अधिक लाल होता है जिसकी वजह से इन्हें लाल बौना कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में अधिकतर तारे इसी श्रेणी के हैं। इनका सतही तापमान ४,०००° कैल्विन के आसपास होता है। अकार में यह सूर्य के ५०% से लेकर ७.५% तक के होते हैं। इस से भी अगर छोटे हो तो सही अर्थ में तारा बन नहीं पाते और उसके बजाए भूरा बौना बन जाते हैं।, 6 February 2013, Jason Palmer, BBC, retrieved at 11 April 2013 .

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लाल महादानव तारा

स्वाती (आर्कत्युरस) भी दिखाया गया है लाल महादानव तारे वह महादानव तारे होते हैं जो 'K' या 'M' श्रेणी के तारे हों। यह ब्रह्माण्ड में व्यास (डायामीटर) के अनुसार सब से बड़े तारे होते हैं, हालांकि द्रव्यमान के अनुसार नहीं। आद्रा (बीटलजूस) ऐसे तारे का उदहारण है। जिन तारों का शुरू में द्रव्यमान 10 सौर द्रव्यमान से अधिक हो वह अपना हाइड्रोजन इंधन ख़त्म करने के बाद हीलियम का नाभिकीय संलयन (न्यूक्लीयर फ़्युज़न) करना आरम्भ कर देते हैं। इस चरण में वह लाल महादानव बन जाते हैं। इन तारों का सतही तापमान काफ़ी कम होता है (3500-4500 कैल्विन) और इनका आकार बहुत ही बड़ा हो जाता है। ज़्यादातर लाल दानवों का व्यास सूरज से 200-800 गुना अधिक होता है। इनका जीवनकाल लगभग 10 करोड़ वर्ष का होता है और ऐसे तारे अक्सर झुंडों में मिलते हैं। .

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श्रवण तारा

श्रवण और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज पीला वाला गोला है तेज़ घूर्णन से श्रवण ध्रुवों पर पिचक गया है श्रवण या ऐल्टेयर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा अक्विला" (α Aquila या α Aql) है, गरुड़ तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से बारहवाँ सब से रोशन तारा है। यह एक A श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। श्रवण बहुत तेज़ी से घूर्णन करता है (यानि अपने अक्ष पर घूमता है) - इसकी मध्य रेखा पर इसके घूर्णन की रफ़्तार 286 किलोमीटर प्रति सैकिंड है, जिस वजह से इसका गोल अकार ध्रुवों पर पिचक गया है।Resolving the Effects of Rotation in Altair with Long-Baseline Interferometry, D. M. Peterson et al., The Astrophysical Journal 636, #2 (January 2006), pp.

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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साचाँ:Starbox character

श्रेणी:खगोलशास्त्र साँचे.

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सारस तारामंडल

सारस (ग्रस) तारामंडल सारस या ग्रस (अंग्रेज़ी: Grus) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६०३ में जर्मन खगोलशास्त्री योहन बायर ने की थी, जिन्होनें तारों को नाम देने की बायर नामांकन प्रणाली भी इजाद की थी। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक सारस की आकृति बनाई जा सकती है, जिसके पीछे इस तारामंडल का नाम रखा गया ("ग्रस" या "ग्रुस") लातिनी भाषा में "सारस" के लिए शब्द है। .

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सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा "σ Sgr" से नामांकित है सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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सूंस तारामंडल

सूंस (डॅल्फ़ाइनस) तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गई सूंस तारामंडल में दिखने वाले ऍन॰जी॰सी॰ ६९३४ नामक गोल तारागुच्छ की तस्वीर सूंस या डॅल्फ़ाइनस तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है जो खगोलीय मध्यरेखा के काफ़ी समीप पड़ता है। यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी उनमें भी शामिल था। .

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हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख

हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख (Hertzsprung–Russell diagram (HRD)), तारों का एक बिखराव ग्राफ है जो तारों के निरपेक्ष कांतिमान या दिप्तता के विरुद्ध उनके वर्णक्रमीय प्रकार या वर्गीकरण और प्रभावी तापमानों के बीच संबंधों को दर्शाता है। हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख तारों के स्थानों के चित्र या नक्शे नहीं हैं। बल्कि, वह प्रत्येक तारे को तारे के तापमान व रंग के विरुद्ध उसके निरपेक्ष कांतिमान या चमक को मापकर एक ग्राफ पर अंकित करता है। हर्ट्जस्प्रंग-रसेल आरेख संक्षिप्त रूप H-R डायग्राम या एचआरडी से भी निर्दिष्ट है। यह आरेख इंजर हर्ट्जस्प्रंग और हेनरी नोरिस रसेल द्वारा 1910 के आसपास बनाया गया और यह तारकीय विकास या "सितारों के जीवन" की समझ की दिशा में एक बड़े कदम को प्रस्तुत करता है। .

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हंस तारा

हंस तारा हमारे सूरज से 200 गुना से भी ज़्यादा बड़ा है हंस या डॅनॅब​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा सिगनाए" (α Cygni या α Cyg) है, हंस तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से उन्नीसवा सब से रोशन तारा है। हंस तारे की अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) बहुत भयंकर है और इसका माप -7.0 मैग्नीट्यूड है। यह सूरज से 60,000 गुना ज़्यादा चमकीला है। .

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ज़ेटा पपिस तारा

ज़ेटा पपिस का एक काल्पनिक चित्रण ज़ेटा पपिस, जिसका बायर नाम भी यही (ζ Puppis या ζ Pup) है, पपिस तारामंडल का सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६२वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १,०९० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक O श्रेणी का अत्यंत गरम नीला महादानव तारा है। .

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ज़ेटा ओरायोनिस तारा

ज़ेटा ओरायोनिस एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज से बहुत बड़ा है ज़ेटा ओरायोनिस कालपुरुष तारामंडल में आंच नीहारिका (फ़्लेम नेब्युला) के समीप नज़र आता है ज़ेटा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ζ Ori या ζ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इसका मुख्य तारा (जिसे "ज़ेटा ओरायोनिस ए" कहा जाता है) एक अति-गरम नीला महादानव तारा है और यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०४ है। अगर तीनों तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७२ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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ज्येष्ठा तारा

स्वाती (आर्कत्युरस) भी दिखाया गया है ज्येष्ठा या अन्तारॅस, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा स्कोर्पाए" (α Scorpii या α Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सोलहवा सब से रोशन तारा है। ज्येष्ठा समय के साथ अपनी चमक कम-ज़्यादा करने वाला एक परिवर्ती तारा है जिसकी औसत चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +1.09 मैग्नीट्यूड है। यह पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह

जी॰जे॰ ५०४ बी (GJ 504 b) कन्या तारामंडल के ५९ कन्या तारे (उर्फ़ ५९ वर्जिनिस या जी॰जे॰ ५०४) की परिक्रमा करता हुआ एक गैस दानव ग्रह है। अगस्त २०१३ में मिले इस ग्रह का द्रव्यमान (मास) हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से लगभग ४ गुना अनुमानित किया गया है। अन्दाज़ा लगाया जाता है कि यदि इस ग्रह को आँखों द्वारा सीधा देखा जा सकता तो इसका रंग गाढ़ा गुलाबी प्रतीत होता। ५९ कन्या तारा सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है और जिस समय जी॰जे॰ ५०४ बी की खोज हुई थी वह सूरज-जैसे तारों के ग्रहीय मंडलों में तब तक पाए गए ग्रहों में से सबसे कम द्रव्यमान रखता था।, August 06, 2013, Space.com,...

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वशिष्ठ और अरुंधती तारे

वशिष्ठ और अरुंधती तारे सप्तर्षि तारामंडल में ध्यान से देखने पर वशिष्ठ के पास अरुंधती तारा धुंधला-सा नज़र आता है वशिष्ठ, जिसका बायर नामांकन "ज़ेटा अर्से मॅजोरिस" (ζ UMa या ζ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का चौथा सब से रोशन तारा है, जो पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७०वाँ सब से रोशन तारा भी है। शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात हुआ है कि यह वास्तव में ४ तारों का एक मंडल है। इसके बहुत पास इस से काफ़ी कम रोशनी वाला अरुंधती तारा (बायर नाम: ८० अर्से मॅजोरिस, 80 UMa) दिखता है जो स्वयं एक द्वितारा है। इन दोनों के मिलकर जो ६ तारे हैं वे एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण से बंधे हुए हैं और पृथ्वी से लगभग ८१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वशिष्ठ का चार-तारा मंडल और अरुंधती का द्वितारा एक दूसरे से अनुमानित १.१ प्रकाश वर्ष की दूरी रखते हैं। वशिष्ठ की पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२३ है लेकिन इसके सबसे रोशन तारे की चमक +२.२७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे कि मैग्निट्यूड एक उल्टा माप है और यह जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन लगता है। .

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व्याध तारा

व्याध एक द्वितारा है जिसके "व्याध ए" और "व्याध बी" तारे इस तस्वीर में देखे जा सकते हैं (व्याध बी नीचे बाएँ पर स्थित बिंदु है) व्याध तारा(Sirius) पृथ्वी से रात के सभी तारों में सब से ज़्यादा चमकीला नज़र आता है। इसका सापेक्ष कान्तिमान -१.४६ मैग्निट्यूड है जो दुसरे सब से रोशन तारे अगस्ति से दुगना है। दरअसल जो व्याध तारा बिना दूरबीन के आँख से एक तारा लगता है वह वास्तव में एक द्वितारा है, जिसमें से एक तो मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी A1V है जिसे "व्याध ए" कहा जा सकता है और दूसरा DA2 की श्रेणी का सफ़ेद बौना तारा है जिसे "व्याध बी" बुलाया जा सकता है। यह तारे महाश्वान तारामंडल में स्थित हैं। व्याध पृथ्वी से लगभग ८.६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। व्याध ए सूरज से दुगना द्रव्यमान रखता है जबकि व्याध बी का द्रव्यमान लगभग सूरज के बराबर है। .

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वृषपर्वा तारामंडल

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल वृषपर्वा या सिफ़ियस (अंग्रेज़ी: Cepheus) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। "वृषपर्वा" का नाम दैत्यों के एक राजा पर रखा गया है, जबकि अंग्रेज़ी नाम "सिफ़ियस" इथियोपिया के एक मिथिक राजा पर रखा गया है। .

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वेदी तारामंडल

वेदी तारामंडल वेदी या ऍअरा (अंग्रेज़ी: Ara) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में वॄश्चिक और दक्षिण त्रिकोण तारामंडल के बीच स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके कुछ मुख्य रोशन तारों को कालपनिक लकीरों से जोड़ने पर एक पूजा की वेदी का चित्र बनता है जिसपर इसका नाम पड़ा है। .

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा

गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा गामा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (γ And या γ Andromedae) है, देवयानी तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२६ है और यह पृथ्वी से ३५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६९वाँ सब से रोशन तारा भी है। वैसे पृथ्वी से एक दिखने वाले इस तारे में शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर वास्तव में चार अलग तारे दिखते हैं। कम शक्तिशाली दूरबीन से यह दो तारों सा प्रतीत होता है - एक रोशन पीले रंग का और एक धुंधला सा गहरे नीले रंग का। इन दो अलग रंगों कि वजह से इसे एक सुन्दर दोहरा तारा समझा जाता है। .

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गामा ड्रेकोनिस तारा

शिशुमार तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा ड्रेकोनिस नीचे बाई तरफ स्थित "γ" के चिह्न वाला तारा है गामा ड्रेकोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Draconis या γ Dra) है, शिशुमार तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६४वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १४८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का नारंगी दानव तारा है। .

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गामा ध्रुवमत्स्य तारा

ध्रुवमत्स्य (अरसा माइनर) तारामंडल में गामा ध्रुवमत्स्य 'γ' द्वारा नामांकित तारा है गामा ध्रुवमत्स्य, जिसका बायर नाम "गामा उर्साए माइनोरिस" (γ Ursae Minoris या γ UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४८० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) लगभग +३.०३ मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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गामा पॅगासाई तारा

गामा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (γ Pegasi या γ Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.८३ मैग्नीट्यूड है। गामा पॅगासाई हमसे लगभग ३३५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गामा लियोनिस तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में गामा लियोनिस तारा 'γ' द्वारा नामांकित है ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण गामा लियोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Leonis या γ Leo) है, सिंह तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है (जो बिना दूरबीन से देखने पर एक ही तारा प्रतीत होता है)। इस जोड़े का अधिक रोशन तारा पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२८ मैग्नीट्यूड है और दोनों तारों की चमक मिलाकर +१.९८ मैग्नीट्यूड है (ध्यान दें की मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह द्वितारा पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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गामा सिगनाए तारा

गामा सिगनाए आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है, जो इस चित्र में दिखाई गई है गामा सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cygni या γ Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६६वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग १,५०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गामा सिगनाए तारा एक आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है। .

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गामा जॅमिनोरम तारा

मिथुन तारामंडल (फ़्रांसीसी में) - गामा जॅमिनोरम 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा जॅमिनोरम (γ Gem, γ Geminorum), जिसका बायर नाम में भी यही है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है (पुनर्वसु-पॅलक्स तारे के बाद)। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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गामा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा वलोरम "γ" के चिह्न वाला सबसे दाएँ पर स्थित तारा है गामा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (γ Vel या γ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक पाँच तारों का मंडल है जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षक बंधन रखते हैं। इसका मुख्य तारा, जिसे "γ वलोरम ए" या "γ२ वलोरम" कहते हैं, वास्तव में एक द्वितारा है जिसका एक तारा एक नीला महादानव तारा है और दूसरा एक बहुत ही रोशन वुल्फ़-रायेट तारा है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७८ है और यह पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ३४वां सब से रोशन तारा है। अगर गामा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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गामा कैसिओपिये तारा

गामा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cassiopeiae या γ Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का एक तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२० और +३.४० मैग्नीट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह तारा बहुत तेज़ी से अपने अक्ष (ऐक्सिस) पर घूर्णन कर रहा है जिस से एक तो इसका अकार पिचक गया है और दूसरा इसकी सतह से कुछ द्रव्य उखड़-उखड़कर इसके इर्द-गिर्द एक छल्ले के रूप में घूमता है। इसी छल्ले की वजह से इस तारे की चमक कम-ज़्यादा होती रहती है। खगोलशास्त्र में ऐसे सभी तारों की एक श्रेणी बनी हुई है जिसके सदस्यों को इसी तारे के नाम पर "गामा कैसिओपिये परिवर्ती" तारे कहा जाता है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। गामा कैसिओपिये हमसे लगभग ६१० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गिरगिट तारामंडल

गिरगिट (कमीलियन) तारामंडल गिरगिट या कमीलियन (अंग्रेज़ी: Chamaeleon) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। यह बहुत ही छोटा तारामंडल है और इसके सितारे भी कम रोशन हैं। इसकी परिभाषा लगभग ४०० वर्ष पूर्व दो डच नाविकों ने की थी, जिन्होनें पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़्येअर) से नज़र आने वाले १० अन्य तारामंडलों की भी परिभाषा की। .

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ग्लीज़ ४४५

ग्लीज़ ४४५ (Gliese 445 या Gl 445) एक ऍम-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है जो पृथ्वी के आकाश में जिराफ़ तारामंडल के क्षेत्र में ध्रुव तारे के पास नज़र आता है। वर्तमानकाल में यह हमारे सूरज से १७.६ प्रकाश-वर्ष दूर है और इसका सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १०.८ है। पृथ्वी पर यह कर्क रेखा से उत्तर के सभी क्षेत्रों में रातभर देखा जा सकता है लेकिन इसकी चमक इतनी मंद है कि इसे देखने के लिये दूरबीन आवश्यक है। यह हमारे सूरज का एक-तिहाई द्रव्यमान (मास) रखने वाला एक लाल बौना तारा है और वैज्ञानिक इसके इर्द-गिर्द मौजूद किसी ग्रह पर जीवन होने की सम्भावना कम समझते हैं।Page 168, Planets Beyond: Discovering the Outer Solar System, Mark Littmann, Mineola, New York: Courier Dover Publications, 2004, ISBN 0-486-43602-0.

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ग्लीज़ ५८१

कोई विवरण नहीं।

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गेक्रक्स तारा

त्रिशंकु तारामंडल के इस चित्र में गेक्रक्स सब से ऊपर का रोशन तारा है गेक्रक्स, जिसका बायर नाम "गामा क्रूसिस" (γ Crucis या γ Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का से स्थित एक लाल दानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ८८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और पृथ्वी का सब से समीपी लाल दानव तारा है। इसका गहरा लाल-नारंगी रंग खगोलशास्त्रियों में प्रसिद्ध है। गेक्रक्स वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। मुख्य लाल दानव तारे का एक सफ़ेद बौना साथी तारा भी है। .

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आयोटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में आयोटा कराइनी तारा आयोटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ι Car या ι Carinae) है, कराइना तारामंडल का एक तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२५ है और यह पृथ्वी से ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६८वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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आर्द्रा तारा

आर्द्रा या बीटलजूस, जिसका बायर नाम α ओरायनिस (α Orionis) है, कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक लाल महादानव तारा है।, Stephen D. Butz, Cengage Learning, 2002, ISBN 978-0-7668-3391-3,...

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आकरनार तारा

बहुत तेज़ी से घूर्णन करने की वजह से आकरनार का आकार पिचका हुआ है आकरनार स्रोतास्विनी तारामंडल के आख़िर में स्थित है - "स्रोतास्विनी" का अर्थ "नहर" होता है और "आकरनार" नाम "आख़िर अन-नहर" का बिगड़ा रूप है आकरनार, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऍरिडानी" (α Eridani या α Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से नौवा सब से रोशन तारा भी है। आकरनार बहुत गरम है और इसलिए इसका रंग नीला है। हालाँकि यह सूरज की ही तरह का एक मुख्य अनुक्रम तारा है, फिर भी इसकी चमक सूरज की 3,000 गुना है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे B3 की श्रेणी दी जाती है। यह पृथ्वी से 144 प्रकाश-वर्षों की दूरी पर है। आकरनार की एक सिफ़्त यह है की यह तारा बहुत तेज़ी से घूर्णन कर रहा है (यानि अपने अक्ष पर घूम रहा है) के इसका गोल अकार पिचक गया है और इसके मध्यरेखा की चौड़ाई इसके अक्ष की लम्बाई से 56% ज़्यादा है। पूरी आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में जितने तारों का अध्ययन हुआ है यह उन सारों में से सब से पिचका हुआ तारा है। .

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कन्या तारामंडल

कन्या तारामंडल बिना दूरबीन के रात में कन्या तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) कन्या या वर्गो (अंग्रेज़ी: Virgo) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक कन्या के रूप में दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में सिंह तारामंडल होता है और इसके पूर्व में तुला तारामंडल। कन्या तारामंडल को आकाश में इसके सबसे रोशन तारे, चित्रा (स्पाइका) के ज़रिये ढूँढा जा सकता है, जो आसमान का १५वा सब से चमकीला तारा है। .

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कबूतर तारामंडल

कबूतर तारामंडल कबूतर या कोलम्बा (अंग्रेज़ी: Columba) खगोलीय गोले पर महाश्वान और ख़रगोश तारामंडलों के दक्षिण में स्थित एक छोटा और धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १५९२ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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कापा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें कापा स्कोर्पाए 'κ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है कापा स्कोर्पाए (κ Sco, κ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह पृथ्वी से लगभग ४६० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३९ है। .

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कापा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें कापा वलोरम "κ" के चिह्न वाला तारा है कापा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (κ Velorum या κ Vel) है, पाल तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४७ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५४० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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कापा ओरायोनिस तारा

कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कापा ओरायोनिस 'κ' द्वारा नामांकित बाएँ नीचे की तरफ वाला तारा है कापा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (κ Ori या κ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल का छठा सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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क्रतु तारा

सप्तर्षि तारामंडल में क्रतु तारे (α UMa) का स्थान क्रतु, जिसका बायर नामांकन "अल्फ़ा अर्से मॅजोरिस" (α UMa या α Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है। .

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कृत्तिका तारागुच्छ

कृत्तिका तारागुच्छ अवरक्त प्रकाश (इन्फ़्रारॅड) में कृत्तिका के एक हिस्से का दृश्य - धूल का ग़ुबार साफ़ दिख रहा है कृत्तिका का एक नक़्शा कृत्तिका, जिसे प्लीयडीज़ भी कहते हैं, वृष तारामंडल में स्थित B श्रेणी के तारों का एक खुला तारागुच्छ है। यह पृथ्वी के सब से समीप वाले तारागुच्छों में से एक है और बिना दूरबीन के दिखने वाले तारागुच्छों में से सब से साफ़ नज़र आता है। कृत्तिका तारागुच्छ का बहुत सी मानव सभ्यताओं में अलग-अलग महत्व रहा है। इसमें स्थित ज़्यादातर तारे पिछले १० करोड़ वर्षों के अन्दर जन्में हुए नीले रंग के गरम और बहुत ही रोशन तारे हैं। इसके सबसे रोशन तारों के इर्द-गिर्द धूल भी दमकती हुई नज़र आती है। पहले समझा जाता था कि यह यहाँ के तारों के निर्माण के बाद बची-कुची धूल है, लेकिन अब ज्ञात हुआ है कि यह अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर मीडयम) में स्थित एक अलग ही धूल और गैस का बादल है जिसमें से कृत्तिका के तारे गुज़र रहें हैं। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि इस तारागुच्छ और २५ करोड़ वर्षों तक साथ हैं लेकिन उसके बाद आसपास गुरुत्वाकर्षण कि खींचातानी से एक-दूसरे से बिछड़कर तित्तर-बित्तर हो जाएँगे। कृत्तिका पृथ्वी से ४०० और ५०० प्रकाश वर्ष के बीच की दूरी पर स्थित है और इसकी ठीक दूरी पर वैज्ञानिकों में ४०० से लेकर ५०० प्रकाश वर्षों के बीच के आंकड़ों में अनबन रही है। .

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केल्विन

कैल्विन (चिन्ह: K) तापमान की मापन इकाई है। यह सात मूल इकाईयों में से एक है। कैल्विन पैमाना ऊष्मगतिकीय तापमान पैमाना है, जहाँ, परिशुद्ध शून्य, पूर्ण ऊर्जा की सैद्धांतिक अनुपस्थिति है, जिसे शून्य कैल्विन भी कहते हैं। (0 K) कैल्विन पैमाना और कैल्विन के नाम ब्रिटिश भौतिक शास्त्री और अभियाँत्रिक विलियम थामसन, प्रथम बैरन कैल्विन (1824–1907) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने विशुद्ध तापमानमापक पैमाने की आअवश्यकत जतायी थी। .

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केओआई ९६१

केओआई ९६१ के ग्रहीय मंडल का एक काल्पनिक चित्रण चंद्रमाओं से के॰ओ॰आई॰ ९६१ (अंग्रेज़ी: KOI-961) एक लाल बौना तारा है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग १३० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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कॅप्लर-१० तारा

कॅप्लर-१० का ग्रहीय मंडल, जिसमें कॅप्लर-१०सी एक गैस दानव ग्रह के रूप में और कॅप्लर-१०बी अपने तारे के आगे एक छोटे से बिंदु के रूप में दर्शाया गया है कॅप्लर-१०बी ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण कॅप्लर-१०, जिसे कॅप्लर-१०ए (Kepler-10a) और केओआई-७२ (KOI-72) के नाम से भी जाना जाता है, पृथ्वी से ५६४ प्रकाश वर्ष दूर शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा बड़ा, द्रव्यमान (मास) में ज़रा छोटा और और तापमान में उस से ठंडा है। २०११ में इस तारे के इर्द-गिर्द हमारे सौर मंडल से बहार मिला सब से पहला पत्थरीला ग्रह परिक्रमा करता पाया गया था।, Richard A. Lovett, National Geographic Society .

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कॅप्लर-१६ तारा

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६ (Kepler-16) एक द्वितारा मंडल है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके दोनों तारे एक-दूसरे से लगभग ०.२२ खगोलीय इकाईयों की दूरी पर हैं। दोनों ही तारे हमारे सूरज से छोटे बौने तारे हैं: इनमें से मुख्य तारा नारंगी रंग वाला K श्रेणी का तारा है और दूसरा लाल रंग का M श्रेणी का तारा है। सितम्बर २०११ में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि इस मंडल में हमारे सौर मंडल के शनि के आकार का एक गैस दानव ग्रह मिला है जो इन दोनों तारों की परिक्रमा कर रहा है। यह पहला ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारे की परिक्रमा करता पाया गया है और इसका नामकरण कॅप्लर-१६बी किया गया है। .

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कॅप्लर-१६बी

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६बी (Kepler-16b) एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित कॅप्लर-१६ नामक द्वितारे की परिक्रमा कर रहा है और पहला ऐसा ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारा के इर्द-गिर्द कक्षा (ऑर्बिट) में हो। अनुमान लगाया जाता है की यह आधा पत्थर और आधा गैस का बना हुआ लगभग शनि के द्रव्यमान (मास) वाला एक गैस दानव ग्रह है। यह ग्रह कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा शोध करने से मिला था और खगोलशास्त्रियों ने इसके पाए जाने की घोषणा सितम्बर २०११ में की थी। .

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कॅप्लर-२० तारा

शुक्र ग्रहों से तुलना कॅप्लर-२० उर्फ़ कॅप्लर-२०ए (Kepler-20a) पृथ्वी से ९५० प्रकाश वर्ष दूर लायरा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G8 श्रेणी का तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा छोटा है - इसका द्रव्यमान (मास) हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.९१ गुना और इसका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का ०.९४ गुना अनुमानित किया गया है। सम्भव है कि यह एक मुख्य अनुक्रम तारा है हालाँकि वैज्ञानिकों को अभी यह पक्का ज्ञात नहीं हुआ है। पृथ्वी से देखा गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +१२.५१ मैग्नीट्यूड मापी गई है, यानी इसे देखने के लिए दूरबीन आवश्यक है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल मिला है, जिसमें पांच ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा कर रहे हैं। .

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कॅप्लर-२२ तारा

कॅप्लर २२ के ग्रहीय मंडल की हमारे सौर मंडल के अंदरूनी भाग से तुलना कॅप्लर-२२ उर्फ़ कॅप्लर-२२ए (Kepler-22a) पृथ्वी से ६०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा छोटा और तापमान में उस से ठंडा है। .

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कॅप्लर-६९ तारा

कॅप्लर-६९ (Kepler-69) पृथ्वी से २,७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर आकाश में हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक हमारे सूरज के जैसा G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। १८ अप्रैल २०१३ को वैज्ञानिकों ने इसके इर्द-गिर्द दो ग्रहों की मौजूदगी ज्ञात होने की घोषणा करी। शुरु में उनका अनुमान था कि इनमें से एक 'कॅप्लर-६९सी' द्वारा नामांकित ग्रह इस ग्रहीय मंडल के वासयोग्य क्षेत्र में स्थित है लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह वास-योग्य क्षेत्र से अन्दर है। इसका अर्थ था कि यह हमारे सौर मंडल के शुक्र जैसी परिस्थितियाँ रखता होगा और यहाँ जीवन का पनप पाना बहुत कठिन है। .

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अतिशीतल बौना

अतिशीतल बौना (ultra-cool dwarf) वर्णक्रम श्रेणी M की ऐसी तारकीय या उपतारकीय खगोलीय वस्तु होती है जिसका तापमान 2,700 कैल्विन से कम हो। ट्रैपिस्ट-१ एक जाना-पहचाना अतिशीतल बौना तारा है। हमारे सूरज के पड़ोस के सभी तारों में से लगभग 15% अतिशीतल बौने हैं। अतिशीतल बौनों में हाइड्रोजन का संलयन (फ्यूज़न) धीमी गति से चलता है जिस कारणवश इनकी आयु बहुत लम्बी होती है। जहाँ हमारे सूरज की आयु 4.6 अरब वर्ष है और इसके पास अभी 5.4 अरब और वर्षों तक खपाने को हाइड्रोजन गैस है, अतिशीतल बौनों की आयु 100 अरब वर्षों से भी अधिक हो सकती है। हमारे ब्रह्माण्ड की कुल आयु केवल 13.8 अरब वर्ष होने के कारण सभी अतिशीतल बौने अभी अपने आरम्भिक काल में ही हैं और उनका बहुत जीवन शेष है। .

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अत्रि तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अत्रि तारे (δ UMa) का स्थान अत्रि, जिसका बायर नामांकन "डॅल्टा अर्से मॅजोरिस" (δ UMa या δ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सातवा सबसे रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +३.३२ है। इस तारे का नाम महर्षि अत्रि पर रखा गया है। .

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अभिजित तारा

अभिजित या वेगा (Vega), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लायरे" (α Lyrae या α Lyr) है, लायरा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से पाँचवा सब से रोशन तारा भी है। अभिजित पृथ्वी से 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। खगोलशास्त्री हज़ारों सालों से अभिजित का अध्ययन करते आए हैं और कभी-कभी कहा जाता है के यह "सूरज के बाद शायद आसमान में सब से महत्त्वपूर्ण तारा है"। .

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अमरपक्षी तारामंडल

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल अमरपक्षी या फ़ीनिक्स तारामंडल एक छोटा-सा तारामंडल है। इसके अधिकतर तारे बहुत धुंधले हैं और इसमें +५ मैग्नीट्यूड की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशनी रखने वाले केवल दो तारे हैं। इसकी परिभाषा सन् १५९७-९८ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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अम्बा तारा

अम्बा तारा कृत्तिका तारागुच्छ में अम्बा सबसे रोशन तारा है अम्बा या ऐलसायनी, जिसका बायर नामांकन एटा टाओरी (η Tau या η Tauri) है, वृष तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह कृत्तिका तारागुच्छ का सब से रोशन तारा भी है और इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड +२.८७ है। कृत्तिका के अन्य तारों की तरह यह भी पृथ्वी से लगभग ३७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। हालाँकि यह बिना दूरबीन के एक ही तारा नज़र आता है वास्तव में यह कई तारों का मंडल है, जिसमें अभी तक एक मुख्य द्वितारा और तीन अन्य साथी तारे (यानि कुल मिलाकर पाँच तारे) ज्ञात हुए हैं। .

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अलफ़र्द तारा

जलसर्प (हाइड्रा) तारामंडल में स्थित 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अलफ़र्द, जिसका बायर नाम में "अल्फ़ा हाइड्रे" (α Hya, α Hydrae) है, जलसर्प तारामंडल का सब से रोशन तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १७७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा

दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस बाईं तरफ़ 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस (α TrA, α Trianguli Australis), जिसका बायर नाम में भी यही है, दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ४२० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९१ है। वैज्ञानिकों को पक्का ज्ञात नहीं है लेकिन इसके दोहरे तारे होने की संभावना है। .

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अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा

अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे देवयानी तारामंडल में अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे का स्थान अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (α Andromedae या α And) है, देवयानी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक द्वितारा है जिसके दो तारे एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें से ज़्यादा रोशन तारे के वातावरण विचित्र है: उसमें बहुत अधिक मात्रा में पारा और मैंगनीज़ पाए गए हैं और वह सब से रोशन ज्ञात पारा-मैंगनीज़ तारा है।See §4 for component parameters and Table 3, §5 for elemental abundances in .

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अल्फ़ा परसई तारा

तारागुच्छ के छोटे तारे भी इसके इर्द-गिर्द नज़र आ रहे हैं अल्फ़ा परसई जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Per या α Persei) दर्ज है, आकाश में ययाति तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८२ है। यह एक पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। इसके इर्द-गिर्द और भी कई तारों का खुला तारागुच्छ है जिसे "अल्फ़ा परसई तारागुच्छ" कहा जाता है। .

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अल्फ़ा पैवोनिस तारा

मोर तारामंडल (पोलिश भाषा में) - अल्फ़ा पैवोनिस चित्र के ऊपर की तरफ़ 'Peacock' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पैवोनिस (α Pav, α Pavonis), जिसका बायर नाम में भी यही है, मोर तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १८३ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९४ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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अल्फ़ा पॅगासाई तारा

अल्फ़ा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Pegasi या α Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८९वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४९ मैग्नीट्यूड है। अल्फ़ा पॅगासाई हमसे लगभग १३३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा फ़ीनाइसिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Phoenicis या α Phe) है, अमरपक्षी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७९वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.४ है। .

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अल्फ़ा लूपाई तारा

वृक (लूपस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा लूपाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Lupi या α Lup) है, वृक तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ५५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.३ है। .

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अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (α Cephei या α Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह हमसे क़रीब ४९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.५ है। .

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अल्फ़ा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमे अल्फ़ा ग्रुईस 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Gru या α Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल में स्थित एक उपदानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३२वाँ सब से रोशन तारा है। अल्फ़ा ग्रुईस हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७४ है। .

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अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा

सर्पधारी (ऑफ़ीयूकस) तारामंडल में अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी, जिसका बायर नाम भी यही (α Ophiuchi या α Oph) है, सर्पधारी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५८वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४७ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१० मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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अल्फ़ा कैसिओपिये तारा

अल्फ़ा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (α Cassiopeiae या α Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६७वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग २२८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा अरायटिस तारा

मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed.

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अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा

उत्तरकिरीट (या कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल में "α" द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा उत्तरकिरीट, जिसका बायर नाम अल्फ़ा कोरोनाए बोरिऐलिस (α Coronae Borealis या α CrB) है, उत्तरकिरीट तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका बड़ा तारा, जिसे अल्फ़ा उत्तरकिरीट 'ए' (α CrB A) कहा जाता है, पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६५वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस द्वितारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ७५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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अश्वशाव तारामंडल

अश्वशाव (इक्वूलियस) तारामंडल अश्वशाव या इक्वूलियस एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। त्रिशंकु तारामंडल के बाद यह इस सूची का दूसरा सब से छोटा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके सभी तारे काफ़ी धुंधले हैं और उनमें से कोई भी +३.९ मैग्नीट्यूड (चमक या सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशन नहीं है। ध्यान रहे कि मैग्नीट्यूड एक विपरीत माप होता है: यह जितना अधिक हो तारे की चमक उतनी ही कम होती है। .

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अगस्ति तारा

अगस्ति तारा एक अत्यंत रोशन तारा है कराइना तारामंडल में अगस्ति तारा अगस्ति या कनोपस कराइना तारामंडल का सबसे रोशन तारा है और और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दूसरा सब से रोशन तारा है। यह F श्रेणी का तारा है और इसका रंग सफ़ेद या पीला-सफ़ेद है। इसका पृथ्वी से प्रतीत होने वाले चमकीलापन (यानि "सापेक्ष कान्तिमान") -०.७२ मैग्निट्यूड है जबकि इसका अंदरूनी चमकीलापन (यानि "निरपेक्ष कान्तिमान") -५.५३ मापा जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। .

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अंगिरस तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अंगिरस तारे (ε UMa) का स्थान अंगिरस, जिसका बायर नामांकन "ऍप्सिलन अर्से मॅजोरिस" (ε UMa या ε Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७६ है। .

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उत्तर फाल्गुनी तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में उत्तर फाल्गुनी (डॅनॅबोला) तारा 'Denebola' द्वारा नामांकित है उत्तर फाल्गुनी या डॅनॅबोला, जिसका बायर नाम बेटा लियोनिस (β Leonis या β Leo) है, सिंह तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६१वाँ सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१४ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ३६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र में यह तारा एक नक्षत्र मना जाता था। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक चंद घंटों के काल में हलकी-सी ऊपर-नीचे होती रहती है। .

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उपदानव तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र उपदानव तारा ऐसा तारा होता है जो मुख्य अनुक्रम के बौने तारों से तो अधिक चमकीला हो लेकिन इतनी भी चमक और द्रव्यमान न रखता हो के दानव तारों की श्रेणी में आ सके। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "IV" होती है। वॄश्चिक तारामंडल का सर्गस नाम का तारा (जिसका बायर नाम "θ स्को" है) ऐसे एक चमकीले दानव का उदहारण है। .

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उपबौना तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र उपबौना तारा ऐसा तारा होता है जो मुख्य अनुक्रम के बौने तारों से तो धीमी चमक रखता हो। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "VI" होती है। इनका निरपेक्ष कांतिमान (चमक) -१.५ से -२ मैग्निट्यूड का होता है। .

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१३ ट्राऐंगुलाए तारा

१३ ट्राऐंगुलाए (13 Trianguli) त्रिकोण तारामंडल में स्थित एक G0 V श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। इसका सापेक्ष कांतिमान 5.86 है और यह हमारे सूरज से 102 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। इसकी आयु हमारे सूरज की आयु से ज़रा अधिक है और 6.45 अरब वर्ष अनुमानित करी गई है। इसके पड़ोस से उत्पन्न अवरक्त विकिरण के अध्ययन से यह अनुमान लगाया जाता है कि इसके इर्द-गिर्द कोई मलबा चक्र नहीं है। .

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३ सॅन्टौरी तारा

३ सॅन्टौरी (3 Centauri) नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है जो पृथ्वी से ३४० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। इसका मुख्य तारा एक B-श्रेणी का नीला-श्वेत दानव तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +4.56 है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसका मैग्निट्यूड +4.27 से +4.32 के बीच बदलता रहता है। इसका साथी तारा B-श्रेणी का नीला-श्वेत मुख्य अनुक्रम बौना तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +6.06 है। मुख्य तारे के बारे में यह सम्भव समझा जाता है कि वह स्वयं एक द्वितारा है और यदि ऐसा सच है तो यह वास्तव में एक तीन तारों का मंडल है। .

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५९ कन्या तारा

५९ कन्या तारा का परिचित्रण कन्या राश कि उपयोग कर। ५९ कन्या या ५९ वर्जिनिस (59 Virginis), जिसे ई वर्जिनिस (e Virginis), ग्लीज़ ५०४ (Gliese 504) और जी॰जे॰ ५०४ (GJ 504) भी कहते हैं, एक G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ५७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और आकाशे में कन्या तारामंडल के क्षेत्र मे नज़र आता है। वैज्ञानिकों को इस तारे में दिलचस्पी है क्योंकि यह हमारे सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का तारा है और सन् २०१३ में इसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करता एक ग़ैर-सौरीय ग्रह पाया गया था।Kuzuhara, M.; M. Tamura, T. Kudo, M. Janson, R. Kandori, T. D. Brandt, C. Thalmann, D. Spiegel, B. Biller, J. Carson, Y. Hori, R. Suzuki, A. Burrows, T. Henning, E. L. Turner, M. W. McElwain, A. Moro-Martin, T. Suenaga, Y. H. Takahashi, J. Kwon, P. Lucas, L. Abe, W. Brandner, S. Egner, M. Feldt, H. Fujiwara, M. Goto, C. A. Grady, O. Guyon, J. Hashimoto, Y. Hayano, M. Hayashi, S. S. Hayashi, K. W. Hodapp, M. Ishii, M. Iye, G. R. Knapp, T. Matsuo, S. Mayama, S. Miyama, J.-I. Morino, J. Nishikawa, T. Nishimura, T. Kotani, N. Kusakabe, T. -S. Pyo, E. Serabyn, H. Suto, M. Takami, N. Takato, H. Terada, D. Tomono, M. Watanabe, J. P. Wisniewski, T. Yamada, H. Takami, T. Usuda (2013).

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G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा

श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा (G-type main-sequence star या G.V), जिसे पीला बौना या G बौना भी कहा जाता है, ऐसे मुख्य अनुक्रम तारे को बोलते हैं जिसकी वर्णक्रम श्रेणी G हो और जिसकी (तापमान और चमक पर आधारित) यर्कीज़ श्रेणी V हो। इन तारों का द्रव्यमान (मास) सूरज के द्रव्यमान का ०.८ से १.२ गुना और इनका सतही तापमान ५,३०० कैल्विन से ६,००० कैल्विन के बीच होता है।, G. M. H. J. Habets and J. R. W. Heintze, Astronomy and Astrophysics Supplement 46 (November 1981), pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Stellar classification, तारो का श्रेणीकरण, तारों का श्रेणीकरण, तारों की श्रेणियों, यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण

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