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ताम्रलिप्त

सूची ताम्रलिप्त

ताम्रलिप्त या ताम्रलिप्ति (তাম্রলিপ্ত) बंगाल की खाड़ी में स्थित एक प्राचीन नगर था। विद्वानों का मत है कि वर्तमान तामलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्ति था। ऐसा माना जाता है कि मौर्य साम्राज्य के दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए यह नगर व्यापारिक निकास बिन्दु था। पश्चिमी बंगाल के मिदनापुर जिले का आधुनिक तामलुक अथवा तमलुक जो कलकत्ता से ३३ मील दक्षिण पश्चिम में रूपनारायण नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यद्यपि समुद्र से इसकी वर्तमान दूरी ६० मील है, प्राचीन और मध्यकालीन युग में १७वीं शताब्दी तक समुद्र उसको छूता था और वह भारतवर्ष के दक्षिण-पूर्वी तट का एक प्रसिद्ध बंदरगाह था। ताम्रलिप्ति, नगर की ही नहीं, एक विशाल जनपद की भी संज्ञा थी। उन दिनों गंगा नदी भी उसके नगर के पास से होकर ही बहती थी और उसके द्वारा समुद्र से मिले होने के कारण नगर का बहुत बड़ा व्यापारिक महत्व था। भारतवर्ष के संबंध में लिखनेवाला सुप्रसिद्ध भूगोलशास्त्री प्लिनी उसे 'तामलिटिज' की संज्ञा देता है। प्राचीन ताम्रलिप्ति नगर के खंडहर नदी की उपजाऊ घाटी में अब भी देखे जा सकते हैं। .

3 संबंधों: तमलुक, पार्श्वनाथ, ग्रैंड ट्रंक रोड

तमलुक

तमलुक (बांग्ला: তমলুক) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्वी मेदिनापुर जनपद का मुख्यालय है। विद्वानों का विचार है कि तमलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्त है जो प्राचीन भारत में एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र था। यह नगर बंगाल की खाड़ी से सटे हुए रूपनारायण नदी के किनारे स्थित है। उसकी प्राचीन समृद्धि अथवा गौरव के कोई चिन्ह अब वहाँ नहीं दिखाई देते। इसे हिंदू और बौद्ध दोनों ही अपना तीर्थस्थान मानते हैं। .

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पार्श्वनाथ

भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेइसवें (23वें) तीर्थंकर हैं। जैन ग्रंथों के अनुसार वर्तमान में काल चक्र का अवरोही भाग, अवसर्पिणी गतिशील है और इसके चौथे युग में २४ तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। .

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ताम्रलिप्ति

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