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तानपूरा

सूची तानपूरा

तानपुरा बजाती एक महिला तानपूरा अथवा ""तम्बूरा"" भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। तानपूरे में चार तार होते हैं सितार के आकार का पर उससे कुछ बड़ा एक प्रसिद्ध बाजा जिसका उपयोग बड़े बड़े गवैये गाने के समय स्वर का सहारा लेने के लिए करते हैं। .

6 संबंधों: तंतुवाद्य, तीजनबाई, भारतीय वाद्य यंत्र, मसूद जमील, ग़ुलाम मुस्तफ़ा दुर्रानी, के राघवन

तंतुवाद्य

तंतुवाद्य या तंतवाद्य भारतीय संगीत में उन यंत्रों कों कहा जाता है जिनमें तार का प्रयोग हुआ है। प्रमुख तंतुवाद्य हैं सितार, तानपूरा, वीणा आदि। .

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तीजनबाई

तीजनबाई (जन्म- २४ अप्रैल १९५६) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं। देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली तीजनबाई को बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। वे सन १९८८ में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और २००३ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत की गयीं। उन्हें १९९५ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा २००७ में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है। भिलाई के गाँव गनियारी में जन्मी इस कलाकार के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था। नन्हीं तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियाँ गाते सुनाते देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया। १३ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया। उस समय में महिला पंडवानी गायिकाएँ केवल बैठकर गा सकती थीं जिसे वेदमती शैली कहा जाता है। पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गाते थे। तीजनबाई वे पहली महिला थीं जो जिन्होंने कापालिक शैली में पंडवानी का प्रदर्शन किया।। देशबन्धु।६ अक्टूबर, २००९ एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तबसे तीजनबाई का जीवन बदल गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया। प्रदेश और देश की सरकारी व गैरसरकारी अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत तीजनबाई मंच पर सम्मोहित कर देनेवाले अद्भुत नृत्य नाट्य का प्रदर्शन करती हैं। ज्यों ही प्रदर्शन आरंभ होता है, उनका रंगीन फुँदनों वाला तानपूरा अभिव्यक्ति के अलग अलग रूप ले लेता है। कभी दुःशासन की बाँह, कभी अर्जुन का रथ, कभी भीम की गदा तो कभी द्रौपदी के बाल में बदलकर यह तानपूरा श्रोताओं को इतिहास के उस समय में पहुँचा देता है जहाँ वे तीजन के साथ-साथ जोश, होश, क्रोध, दर्द, उत्साह, उमंग और छल-कपट की ऐतिहासिक संवेदना को महसूस करते हैं। उनकी ठोस लोकनाट्य वाली आवाज़ और अभिनय, नृत्य और संवाद उनकी कला के विशेष अंग हैं। भारत भवन भोपाल में पंडवानी प्रस्तुति के दौरान .

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भारतीय वाद्य यंत्र

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित कादम्बरी '''सितार''' बजाते हुए पुलुवन् पुत्तु बजाती एक महिला जलतरंग Chenda (top) and Chande (below) are different drums. Chande 200 ईसा पूर्व से 200 ईसवीं सन् के समय में भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्‍त्र में ध्‍वनि की उत्‍पत्ति के आधार पर संगीत वाद्यों को चार मुख्‍य वर्गों में विभाजित किया गया है.

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मसूद जमील

मसूद जमील (जन्म 1902 – मृत्यु अकतूबर 31, 1963) एक तुर्क संगीत तथा तानपूरा-नवाज़ थे। उनके पिता का नाम तानबुरी जमील बेग था। मसूद ने 1932 में अरब संगीत की काहिरा बैठक में भाग लिया था। मसूद ने तशेलो (एक संगीत यंत्र) और वाइलिन में प्रशिक्षण प्राप्त किया और बर्लिन संगीत अकादमी में तशेलो के विध्यार्थी के रूप में शिक्षा प्राप्त की। 1927 में उन्हें इस्तान्बुल रेडियो में काम का अवसर प्राप्त हुआ। मसूद को कई भूमिकाएँ दी गई थी जिनमें घोषणाकर्ता, निर्माता, संगीत सेवाओं के अध्यक्ष और तानपूरा नवाज़ शामिल हैं। मसूद को अंकारा के स्थानीय संगीत समूह बनाने के श्रेय प्राप्त है। हालांकि 1960 में वे सेवानिवृत हुए पर इस्तांबुल रेडियो पर सामूहिक संगीत उनके निर्देशानुसार में प्रस्तुत होती रही। .

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ग़ुलाम मुस्तफ़ा दुर्रानी

ग़ुलाम मुस्तफ़ा दुर्रानी, सामान्यतः संक्षिप्त रूप में जी॰एम॰ दुर्रानी (1919 – 8 सितम्बर 1988) (درانى مصطفى غلام, دراني مصطفی غلام, ਗੁਲਾਮ ਮੁਸਤਫਾ ਦੁੱਰਾਨੀ) लोकप्रिय और प्रसिद्ध भारतीय पार्श्वगायक, अभिनेता और संगीत निर्देशक थे। .

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के राघवन

के॰ राघवन (കെ.) (2 दिसम्बर 1913 – 19 अक्टूबर 2013), जिन्हें मुख्यतः राघवन मास्टर के नाम से जाना जाता है, एक मलयाली संगीत रचयिता थे। बाबूराज के साथ-साथ राघवन को अक्सर मलयालम फिल्म संगीत के पुनरोधार के लिए जाना जाता है। के राघवन ने मलयाली संगीत को पहचाना एवं एक नई दिशा दी। उन्होंने लगभग ४०० मलयाली सिनेमा में गानों की रचना की और मलयालम फ़िल्म उद्योग में चार दशकों तक सक्रिय रहे। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

तम्बूरा

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