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तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान

सूची तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान

तहरीक-ए-तालिबान का ध्वज फ़ाटा क्षेत्र से शुरु हुई थी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (उर्दू), जिसे कभी-कभी सिर्फ़ टी-टी-पी (TTP) या पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं, पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा के पास स्थित संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र से उभरने वाले चरमपंथी उग्रवादी गुटों का एक संगठन है। यह अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान से अलग है हालांकि उनकी विचारधाराओं से काफ़ी हद तक सहमत है। इनका ध्येय पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी अमीरात को क़ायम करना है। इसकी स्थापना दिसंबर २००७ को हुई जब बेयतुल्लाह महसूद​ के नेतृत्व में १३ गुटों ने एक तहरीक (अभियान) में शामिल होने का निर्णय लिया।, Marlène Laruelle, Sébastien Peyrouse, pp.

7 संबंधों: बाचा ख़ान विश्वविद्यालय, बाचा ख़ान विश्वविद्यालय हमला, मलाला युसुफ़ज़ई, हकीमुल्ला महसूद, २०१३ में निधन, 2014 पेशावर स्कूल आक्रमण, 2016 लाहौर फ़िदायीन हमला

बाचा ख़ान विश्वविद्यालय

बाचा खान विश्वविद्यालय(باچا خان یونیورسٹی) चरसद्दा, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा पाकिस्तान में स्थित एक जन विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न से सम्मानित व शांति समर्थक पश्तून कार्यकर्ता बाचा खान के नाम पर रखा गया था। पाकिस्तान को विश्व पटल पर सम्मानित राष्ट्र का दर्ज़ा दिलाने के लिये बाचा ख़ान का वैश्विक भाईचारे व शांति का संदेश इस विश्वविद्यालय का ध्येय है। 20 जनवरी 2016 को इस विश्वविद्यालय पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने आतंकी हमला कर दिया। इसमें कम-से-कम २५ लोगों की मृत्यु हो गयी। .

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बाचा ख़ान विश्वविद्यालय हमला

20 जनवरी 2016 को सुबह 9:30 बजे पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर प्रांत ख़ैबर पख़्तूनख़्वा की राजधानी पेशावर के पास चरसद्दा में स्थित बाचा खान विश्वविद्यालय पर 4 आतंकियों ने आक्रमण कर दिया। परिसर में आते ही आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसके साथ ही अभी तक परिसर में सात धमाके भी सुने गए। हमले में पहले एक प्रोफेसर समेत 4 लोगों के मारे जाने की खबर थी लेकिन अब 60 से 70 छात्रों को आतंकियों द्वारा गोली मारने की खबर है। हमले के वक्त विश्वविद्यालय में बाचा खान जिन्हें खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम से भी जाना जाता है की बरसी के मौके पर काव्यगोष्ठी के लिए अनेक लोग यहां आए थे। खान का निधन 20 जनवरी 1988 को हुआ था। यह यूनिवर्सिटी इन्ही की याद में बनाई गई है। इस यूनिवर्सिटी का अपना ऐतिहासिक महत्व है। समाचार चैनल जियो के मुताबिक यूनिवर्सिटी के पीछे के रास्ते से जहां गेस्ट हाउस है, वहां से आतंकी घुसे। हमले की खबर के साथ ही छात्रों को निकल जाने का ऐलान किया गया जिसके बाद भगदड़ मची। .

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मलाला युसुफ़ज़ई

कैलाश सत्यार्थी मलाला युसुफ़ज़ई (पश्तो: ملاله یوسفزۍ जन्म: 12 जुलाई 1997) को बच्चों के अधिकारों की कार्यकर्ता होने के लिए जाना जाता है। वह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर की एक छात्रा है। 13 साल की उम्र में ही वह तहरीक-ए-तालिबान शासन के अत्याचारों के बारे में एक छद्म नाम के तहत बीबीसी के लिए ब्लॉगिंग द्वारा स्वात के लोगों में नायिका बन गयी। अक्टूबर 2012 में, मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने उदारवादी प्रयासों के कारण वे आतंकवादियों के हमले का शिकार बनी, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गई और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आ गई।http://www.guardian.co.uk/world/2012/oct/09/pakistan-girl-shot-activism-swat-taliban .

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हकीमुल्ला महसूद

उत्तरी वज़ीरिस्तान हकीमुल्ला महसूद (हकिम उल्ला, हकीमुल्लाह) महसूद (पश्तो/उर्दू: حکیم‌الله محسود), (c. 1979 - 1 नवम्बर 2013), जिनका जन्म का नाम जमशेद महसूद (पश्तो/उर्दू: جمشید محسود) और जिन्हें ज़ुल्फ़िक़ार महसूद (पश्तो/उर्दू: ذو الفقار محسود) के नाम से जाना जाता था, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के अमीर थे। वो पूर्व कमांडर बैतुल्ला महसूद के सहायक और आतंकवादी संगठन फिदायीन अल-इस्लाम के एक प्रमुख नेता थे। .

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२०१३ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१३ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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2014 पेशावर स्कूल आक्रमण

2014 पेशावर स्कूल आक्रमण एक आतंकवादी आक्रमण था जो पाकिस्तान के पेशावर शहर के आर्मी पब्लिक स्कूल में २०१४ दिसंबर १६ को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में आवद्ध 7 सदस्य स्कूल में घुसकर स्कूल के विद्यार्थी और वहाँ के कर्मचारी पर अन्धाधुन्द गोलीबारी कर १४५ का जान ले लिया। .

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2016 लाहौर फ़िदायीन हमला

27 मार्च 2016 को लाहौर में एक फ़िदायीन हमले में कम से कम 75 लोग मारे गए और 340 से अधिक घायल हुए। इस हमले का उद्देश्य ईस्टर मना रहे ईसाईयों को निशाना बनाना था। 75 मृतकों में से केवल 14 ईसाई थे, बाकि सभी मुस्लिम थे। पीड़ितों में अधिकतम महिलाएँ और बच्चे थे। पाकिस्तानी तालिबान से सम्बंधित संगठन जमात-उल-अहरार ने हमलों की जिम्मेदारी ली। श्रेणी:फ़िदायीन हमला श्रेणी:लाहौर श्रेणी:पाकिस्तान में ईसाइयों का उत्पीड़न श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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