लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

तन्त्रिका तन्त्र

सूची तन्त्रिका तन्त्र

मानव का '''तंत्रिकातंत्र''' जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) कहते हैं। तंत्रिकातंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है। तन्त्रिका कोशिका, तन्त्रिका तन्त्र की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। तंत्रिका कोशिका एवं इसकी सहायक अन्य कोशिकाएँ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करती हैं। इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती तथा एककोशिकीय प्राणियों जैसे अमीबा इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। हाइड्रा, प्लेनेरिया, तिलचट्टा आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। .

40 संबंधों: तंत्रिका, तंत्रिका शरीर विज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, तंत्रिकाविकृति विज्ञान, तंत्रिकीय परीक्षा, न्यूरॉन, परिधीय तंत्रिका तंत्र, पुनरावृत्त तनाव क्षति, प्राणियों का वर्गीकरण, प्राणी, भार प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग), मानस शास्त्र, मानव त्वचा का रंग, मानवीकरण, राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, रक्त चाप, शूलचर्मी, सन्धिपाद, सांचा:प्रणाली, संज्ञानात्मक विज्ञान, स्नायुशल्यचिकित्सा, स्नायुशास्त्र, स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली, सीलेन्टरेटा, हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर, जिन्को बाइलोबा, जैविक तंत्रिका तंत्र, जैविक खाद्य पदार्थ, जेफ्री सी॰ हॉल, जेलीफ़िश, विषाक्त पादप, आंद्रेयेस विसेलियस, काइरोप्रेक्टिक, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, अधश्चेतक, अनुकंपी तंत्रिकातंत्र, अपस्मार, अवगम, अंग (शारीरिकी), अंग तंत्र

तंत्रिका

किसी जीव के शरीर में तंत्रिका ऐसे रेशे को कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजे जाते हैं। तंत्रिका को अंग्रेजी में नर्व कहते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं। यदि तंत्रिकाओं को क़रीब से देखा जाए तो वह न्यूरॉन नामक कोशिकाओं (सैल) के गुच्छों की बनी होतीं हैं। जब मस्तिष्क को किसी हाथ को हिलने का आदेश देना होता है तो मस्तिष्क से हाथ तक यह संकेत तंत्रिकाओं के ज़रिये ही भेजा जाता है। इसी तरह जब आँख पर कोई छवि पड़ती है तो उसके संकेत दिमाग़ तक तंत्रिकाएं ही ले जातीं हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और तंत्रिका · और देखें »

तंत्रिका शरीर विज्ञान

तंत्रिका शरीर विज्ञान (Neurophysiology) शरीर क्रिया विज्ञान और तंत्रिका विज्ञान की एक शाखा है जो तन्त्रिका तन्त्र के चलन से सम्बन्धित है। इसके अध्ययन में शारिरिक विद्युत का मापन विशेष महत्व रखता है, हालांकि अणुजैविकी और अन्य क्षेत्र भी महत्वपूर्ण हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और तंत्रिका शरीर विज्ञान · और देखें »

तंत्रिका विज्ञान

तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) तन्त्रिका तन्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन को कहते हैं। पारम्परिक रूप से यह जीवविज्ञान की शाखा माना जाता था लेकिन अब रसायन शास्त्र, संज्ञान शास्त्र, कम्प्यूटर विज्ञान, अभियान्त्रिकी, भाषाविज्ञान, गणित, आयुर्विज्ञान, आनुवंशिकी और अन्य सम्बन्धित विषयों (जैसे कि दर्शनशास्त्र, भौतिकी और मनोविज्ञान) के अंतर्विषयक सहयोग द्वारा परिभाषित है। तंत्रिका जीवविज्ञान (neurobiology) और तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) को अक्सर एक ही अर्थ वाला माना जाता है हालाँकि यह सम्भव है कि भविष्य में जीवों से बाहर भी तंत्रिका व्यवस्था बनाई जा सके और उस सन्दर्भ में इन दोनों नामों में अंतर होगा। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और तंत्रिका विज्ञान · और देखें »

तंत्रिकाविकृति विज्ञान

तंत्रिकाविकृति विज्ञान (Neuropathology) तंत्रिका तंत्र के ऊतकों के रोगों का अध्ययन है जिसमें छोटे शल्यक्रिया के द्वार बायोप्सी की जाती है या पूरे मस्तिष्क की आटोप्सी (autopsy) की जाती है। तंत्रिकाविकृति विज्ञान, शरीरविकृति विज्ञान (anatomic pathology) की उपशाखा है। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और तंत्रिकाविकृति विज्ञान · और देखें »

तंत्रिकीय परीक्षा

एक स्नायविक परीक्षा तों विशेष रूप से पलटा है, मूल्यांकन के संवेदीमोटर और न्यूरॉन प्रतिक्रियाओं, निर्धारित करने के लिए तंत्रिका तंत्र भ्रष्ट है।'''''' यह उपकरण एक स्क्रीनिंग के रूप में दोनों किया जा सकता है इस्तेमाल किया और उपकरण के रूप में एक खोजी, जो पूर्व के बाद जब मरीज का परीक्षण, जब वहाँ और कोई उम्मीद स्नायविक घाटा जिसमें से जब एक मरीज का परीक्षण असामान्यताएं जहां को खोजने के लिए आप उम्मीद करते हैं। यदि कोई समस्या है या स्क्रीनिंग प्रक्रिया पाया या तो एक खोजी तो आगे परीक्षण किया जा सकता है (तंत्रिका प्रणाली के पहलू पर विशेष ध्यान केंद्रित एक जैसे काठ का पंचर है और रक्त परीक्षण है).

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और तंत्रिकीय परीक्षा · और देखें »

न्यूरॉन

तंत्रिका कोशिकाओं तंत्रिकोशिका या तंत्रिका कोशिका (अंग्रेज़ी:न्यूरॉन) तंत्रिका तंत्र में स्थित एक उत्तेजनीय कोशिका है। इस कोशिका का कार्य मस्तिष्क से सूचना का आदान प्रदान और विश्लेषण करना है।। हिन्दुस्तान लाइव। १ फ़रवरी २०१० यह कार्य एक विद्युत-रासायनिक संकेत के द्वारा होता है। तंत्रिका कोशिका तंत्रिका तंत्र के प्रमुख भाग होते हैं जिसमें मस्तिष्क, मेरु रज्जु और पेरीफेरल गैंगिला होते हैं। कई तरह के विशिष्ट तंत्रिका कोशिका होते हैं जिसमें सेंसरी तंत्रिका कोशिका, अंतरतंत्रिका कोशिका और गतिजनक तंत्रिका कोशिका होते हैं। किसी चीज के स्पर्श छूने, ध्वनि या प्रकाश के होने पर ये तंत्रिका कोशिका ही प्रतिक्रिया करते हैं और यह अपने संकेत मेरु रज्जु और मस्तिष्क को भेजते हैं। मोटर तंत्रिका कोशिका मस्तिष्क और मेरु रज्जु से संकेत ग्रहण करते हैं। मांसपेशियों की सिकुड़न और ग्रंथियां इससे प्रभावित होती है। एक सामान्य और साधारण तंत्रिका कोशिका में एक कोशिका यानि सोमा, डेंड्राइट और कार्रवाई होते हैं। तंत्रिका कोशिका का मुख्य हिस्सा सोमा होता है। तंत्रिका कोशिका को उसकी संरचना के आधार पर भी विभाजित किया जाता है। यह एकध्रुवी, द्विध्रुवी और बहुध्रुवी (क्रमशः एकध्रुवीय, द्विध्रुवीय और बहुध्रुवीय) होते हैं। तंत्रिका कोशिका में कोशिकीय विभाजन नहीं होता है जिससे इसके नष्ट होने पर दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। किन्तु इसे स्टेम कोशिका के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा भी देखा गया है कि अस्थिकणिका को तंत्रिका कोशिका में बदला जा सकता है। तंत्रिका कोशिका शब्द का पहली बार प्रयोग जर्मन शरीर विज्ञानशास्त्री हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर ने किया था। २०वीं शताब्दी में पहली बार तंत्रिका कोशिका प्रकाश में आई जब सेंटिगयो रेमन केजल ने बताया कि यह तंत्रिका तंत्र की प्राथमिक प्रकार्य इकाई होती है। केजल ने प्रस्ताव दिया था कि तंत्रिका कोशिका अलग कोशिकाएं होती हैं जो कि विशिष्ट जंक्शन के द्वारा एक दूसरे से संचार करती है। तंत्रिका कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए केजल ने कैमिलो गोल्गी द्वारा बनाए गए सिल्वर स्टेनिंग तरीके का प्रयोग किया। मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका की संख्या प्रजातियों के आधार पर अलग होती है। एक आकलन के मुताबिक मानव मस्तिष्क में १०० अरब तंत्रिका कोशिका होते हैं। टोरंटो विश्वविद्यालय में हुए अनुसंधान में एक ऐसे प्रोभूजिन की पहचान हुई है जिसकी मस्तिष्क में तंत्रिकाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इस प्रोभूजिन की सहायता से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को और समझना भी सरल होगा व अल्जामरर्स जैसे रोगों के कारण भी खोजे जा सकेंगे। एसआर-१०० नामक यह प्रोभूजिन केशरूकीय क्षेत्र में पाया जाता है साथ ही यह तंत्रिका तंत्र का निर्माण करने वाले जीन को नियंत्रित करता है। एक अमरीकी जरनल सैल (कोशिका) में प्रकाशित बयान के अनुसार स्तनधारियों के मस्तिष्क में विभिन्न जीनों द्वारा तैयार किए गए आनुवांशिक संदेशों के वाहन को नियंत्रित करता है। इस अध्ययन का उद्देश्य ऐसे जीन की खोज करना था जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका के निर्माण को नियंत्रित करते हैं। ऎसे में तंत्रिका कोशिका के निर्माण में इस प्रोभूजिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका की खोज तंत्रिका कोशिका के विकास में होने वाली कई अपसामान्यताओं से बचा सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका निर्माण के समय कुछ गलत संदेशों वाहन से तंत्रिका कोशिका का निर्माण प्रभावित होता है। तंत्रिका कोशिका का विकृत होना अल्जाइमर्स जैसी बीमारियों के कारण भी होता है। इस प्रोभूजिन की खोज के बाद इस दिशा में निदान की संभावनाएं उत्पन्न हो गई हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और न्यूरॉन · और देखें »

परिधीय तंत्रिका तंत्र

परिधीय तंत्रिका तंत्र (peripheral nervous system), तंत्रिका तंत्र का वह भाग है जो संवेदी न्यूरॉनों तथा दूसरे न्यूरानों से बनती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को परिधीय तंत्रिका तंत्र से जोड़ते हैं। इसमें केवल तंत्रिकाओं का समूह है, जो मेरूरज्जु से निकलकर शरीर के दोनों ओर के अंगों में विस्तृत है। मानव का तंत्रिकातंत्र; केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (लाल रंग में) तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र (नीले रंग में) .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र · और देखें »

पुनरावृत्त तनाव क्षति

पुनरावृत्त तनाव क्षति (अंग्रेज़ी:रेपीटीटिव स्ट्रेन इंजरी, लघुरूप:आर.एस.आई), जिसे रेपीटीटिव मोशन इंजरी, रेपीटीटिव मोशन डिसॉर्डर, क्यूमुलेटिव ट्रॉमा डिसॉर्डर आदि नाम भी मिले हैं, मांसपेशियों और तन्त्रिका तन्त्र में समस्या के कारण होने वाली क्षति होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ८ दिसम्बर २००९ आर.एस.आई होने का प्रमुख कारण बार-बार काम को दोहराने, अत्यधिक मानसिक परिश्रम करने। बीबीसी हिन्दी। ५ मार्च २००२, कंपन, याँत्रिक संपीड़न (मैकेनिकल कंप्रेशन) और बैठने की खराब मुद्रा। हिन्दुस्तान लाइव। ८ दिसम्बर २००९ होता है। इस रोग के रोगियों में मुख्यतः तीन तरह के लक्षण देखने में आते हैं। बाहों में दर्द, सहनशक्ति में कमी और कमजोरी जैसी समस्याएं इस तरह की क्षति में आम होती हैं। शारीरिक के साथ-साथ मानसिक समस्या भी होने लगती हैं। २००८ में हुए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ब्रिटेन के ६८ प्रतिशत कर्मचारी आर.एस.आई की समस्या से पीड़ित हैं जिसमें सबसे आम समस्या पीठ, कंधे, हाथ और कलाई की थी। आरएसआई होने के मुख्य कारक खराब तकनीक, कंप्यूटर का सीमा से ज्यादा प्रयोग, जोड़ों का कमजोर होना, प्रतिदिन व्यायाम करने में कमी, अधिक वजन, मानसिक दबाव, अंगुलियों के नाखून लंबे होने, देर रात तक सोने, तनाव और खराब जीवनशैली होते हैं। इसके प्राथमिक लक्षण के रूप में अंगुलियों, हथेली, कुहनी और कंधों में जलन और दर्द होता है। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने से दर्द बढ़ सकता है। इन सबके साथ ही सुन्नपन, झनझनाहट, कड़ापन और सूजन आ जाती है और कभी-कभी नसों का नष्ट होना भी दिखाई दिया है। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और पुनरावृत्त तनाव क्षति · और देखें »

प्राणियों का वर्गीकरण

प्राणियों की सख्या बहुत अधिक हो गई है। अब तक इनके दो लाख वंशों और 10 लाख जातियों का पता लगा है। प्राणियों के सुचातु रूप से अध्ययन के लिए प्राणियों का वर्गीकरण बहुत आवश्यक हो गया है। वर्गीकरण कठिन कार्य है। विभिन्न प्राणिविज्ञानी वर्गीकरण में एकमत नहीं हैं। विभिन्न ग्रंथकारों ने विभिन्न प्रकार से जंतुओं का वर्गीकरण किया है। कुछ प्राणी ऐसे हैं जिनको किसी एक वर्ग में रखना भी कठिन होता है, क्योंकि इनके कुछ गुण एक वर्ग के जंतुओं से मिलते हैं तो कुछ गुण दूसरे वर्ग के जंतुओं से। साधारणतया सभी वैज्ञानिक सहमत हैं कि जंतुओं का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से होना चाहिए जिसमें छोटे समूह से प्रारंभ करके क्रमश: बड़े-बड़े समूह दिए हैं: 1.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और प्राणियों का वर्गीकरण · और देखें »

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और प्राणी · और देखें »

भार प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग)

एक सम्पूर्ण भार प्रशिक्षण व्यायाम को समायोज्य डम्बल की एक जोड़ी और भार डिस्क (प्लेट) के एक सेट के साथ किया जा सकता है। भार प्रशिक्षण, कंकालीय मांसपेशियों की शक्ति और आकार को विकसित करने के लिए एक आम तरह का शक्ति प्रशिक्षण है। संकेन्द्रिक या उत्केन्द्रिक संकुचन के माध्यम से पेशी द्वारा उत्पन्न बल का विरोध करने के लिए यह गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करता है (भारित सलाखों, डम्बलों या वेट स्टैक के रूप में).

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और भार प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग) · और देखें »

मानस शास्त्र

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health).

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और मानस शास्त्र · और देखें »

मानव त्वचा का रंग

मानव त्वचा का रंग गहरे भूरे से लेकर हल्के गुलाबी-श्वेत तक विस्तृत परास रखता है। मानव त्वचा वर्णकता प्राकृतिक वरण का परिणाम है। मानव में त्वचा वर्णकता का विकास मुख्यतः त्वचा का वेधन करने वाली पराबैंगनी विकिरणों की मात्रा को विनयमित करने और इसके जीव-रासायनिक प्रभावों नियंत्रित करने से हुआ। भिन्न लोगों का वास्तविक रंग विभिन्न तत्वों पर निर्भर करता है यद्यपि सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व मेलानिन वर्णक है। मेलानिन का निर्माण त्वचा की असिताणु नामक कोशिकाओं के अन्दर होता है और गहरे श्याम वर्ण के लोगों की त्वचा का रंग इससे ही निर्धारित होता है। हल्के रंग के लोगों की त्वचा का रंग बाहरी त्वचा के नीले-सफेद संयोजी ऊतकों और शिराओं में प्रावहित होने वाले हीमोग्लोबिन से निर्धारित होता है। त्वचा में अंतर्निहित लाल रंग दृश्यमान होता है जो मुख्य रूप से चेहरे पर कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में अधिक दिखाई देता है जैसे व्यायाम के उपरांत, तन्त्रिका तन्त्र की उत्तेजित अवस्था (गुस्सा, डर) धमनिका में फुलाव की स्थिति। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और मानव त्वचा का रंग · और देखें »

मानवीकरण

मानवीकरण मनुष्य की गंभीर आवश्यकता है जिसमें व्यक्ति गैर-मानव वस्तु, घटना या संकल्पना को मानवीय गुण, विशेषता या आशय से रंग देता है। मानवीकरण या मानवत्वरोपण दैनिक जीवन के क्रिया-कलापों का महत्वपूर्ण भाग है। यह एक ऐसी मानसिक तथा सामाजिक प्रक्रिया है जो मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, साहित्य, इतिहास और आध्यात्म के खोजकर्ताओं को मन की गहराईयों में ले जाती है। मानवीकरण से भाषा, कला और संस्कृति समृद्ध होती है। व्यक्ति के जीवन काल या समाज के सांस्कृतिक विकास के साथ मानवीकृत तत्वों या कारकों में नए कथानक जुड़ते जाते हैं। कुछ अवस्थाओं में यह मानवीकृत तत्व दो तरह के मानसिक परिवर्तन लाने में सक्षम पाए गए। एक श्रेणी तंत्रिका तंत्र के विघटन द्वारा अर्धचेतन अवस्था में देवता, भूत-प्रेत, या अन्य लोकातीत अनुभव, तथा दूसरी श्रेणी उपचार और स्वास्थ्य लाभ से संबंधित है, जैसे, पराप्राकृतिक संवाद। धार्मिक अनुष्ठान तथा नैतिकता द्वारा मानवीकरण गैर-बंधुओं में आपसी मेल-जोल बनाये रखता है। वैज्ञानिक खोज, विशेषकर जंतुओं के व्यवहार, में मानवीकरण वर्जित है, पर इसने दो नए क्षेत्रों को जन्म दिया, “थ्योरी ऑफ माइंड” और “दर्पण तंत्रिका तंत्र”। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और मानवीकरण · और देखें »

राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान

राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं स्नायु विज्ञान संस्थान(अंग्रेज़ी:नेशनल इंस्टिटयूट ऑफ मेण्टल हेल्थ एण्ड न्यूरो साइंसेस) बंगलुरु स्थित एशिया के सम्मानित मानसिक संस्थानों में से एक है। नेशनल मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो (निमहांस), मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका तंत्र के क्षेत्र में एक बहुकषेत्रीय संस्थान है। दिनांक २७ दिसंबर, १९७४ को पूर्व मानसिक अस्पताल और अखिल भारतीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के एकीकरण का परिणाम यह संसथान था। १४ नवंबर, १९९४ को संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा-३ १९५६ के तहत, मानित विश्वविद्यालय का स्तर प्राप्त हुआ था। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान · और देखें »

रक्त चाप

स्फिगमोमनोमीटर, धमनीय दाब के मापन में प्रयुक्त एक उपकरण. रक्त चाप (BP), रक्त वाहिकाओं की बाहरी झिल्ली पर रक्त संचार द्वारा डाले गए दबाव (बल प्रति इकाई क्षेत्र) है और यह प्रमुख जीवन संकेतों में से एक है। संचरित रक्त का दबाव, धमनियों और केशिकाओं के माध्यम से हृदय से दूर और नसों के माध्यम से हृदय की ओर जाते समय कम होता जाता है। जब अर्थ सीमित ना हो, तब सामान्यतः रक्त चाप शब्द से तात्पर्य '''बाहु धमनीय दाब''' है: अर्थात् बाईं या दाईं ऊपरी भुजा की मुख्य रक्त वाहिका, जो रक्त को हृदय से दूर ले जाती है। तथापि, रक्त चाप को कभी-कभी शरीर के अन्य भागों में भी मापा जा सकता है, जैसे टखनों पर.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और रक्त चाप · और देखें »

शूलचर्मी

तारामीन लिली शूलचर्मा या 'एकिनोडर्म' (Echinoderm) पूर्णतया समुद्री प्राणी हैं। जंतुजगत्‌ के इस बड़े संघ में तारामीन (starfish), ओफियोराइड (Ophiaroids) तथा होलोथूरिया (Holothuria) आदि भी सम्मिलित हैं। अंग्रेजी शब्द एकाइनोडर्माटा का अर्थ है, 'काँटेदार चमड़ेवाले प्राणी'। शूलचर्मों का अध्ययन अनेक प्राणिविज्ञानियों ने किया है। इस संघ में 4,000 प्रकार के प्राणी हैं, जो संसार के सभी सागरों और विभिन्न गहराइयों में पाए जाते हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और शूलचर्मी · और देखें »

सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और सन्धिपाद · और देखें »

सांचा:प्रणाली

श्रेणी:प्रणाली.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और सांचा:प्रणाली · और देखें »

संज्ञानात्मक विज्ञान

इस चित्र में उन विषयों को दिखाया गया है जिनका बोध विज्ञान के जन्म में योगदान था। संज्ञानात्मक विज्ञान या बोध विज्ञान (Cognitive science) मस्तिष्क एवं उसकी प्रक्रियाओं का अनतरविषयी वैज्ज्यानिक अध्ययन है। यह संज्ञान की प्रकृति और उसके कार्यों की खोजबीन करता है। संज्ञानात्मक वैज्ञानिक बुद्धि और व्यवहार का अध्ययन करते हैं जिसमें फोकस इस बात पर रहता है कि तंत्रिका तंत्र किस प्रकार सूचनाओं का किस प्रकार निरूपण करता है, कैसे उनका प्रसंस्करण करता है और कैसे उनको रूपान्तरित करता है। बोध विज्ञानी के लिये महत्व के कुछ विषय ये हैं- भाषा, अवगम (perception), स्मृति, ध्यान (attention), तर्कणा (reasoning), तथा संवेग (emotion)। इन विषयों को समझने के लिये बोध विज्ञानी भाषाविज्ञान, मनोविज्ञान, कृत्रिम बुद्धि, दर्शन, तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) तथा नृविज्ञान (anthropology) आदि का सहारा लेता है। श्रेणी:दर्शन की शाखा श्रेणी:संज्ञानात्मक विज्ञान.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और संज्ञानात्मक विज्ञान · और देखें »

स्नायुशल्यचिकित्सा

तंत्रिका तंत्र के रोगों के उपचार के लिये की गयी शल्यक्रिया को स्नायुशल्यचिकित्सा (Neurosurgery) कहते हैं। सामान्यत: स्नायुशल्यचिकित्सकों का प्रशिक्षण अन्य की तुलना में अधिक अवधि के लिये रहता है। श्रेणी:स्नायुशास्त्र.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और स्नायुशल्यचिकित्सा · और देखें »

स्नायुशास्त्र

तंत्रिकाविज्ञान या स्नायुशास्त्र (Neurology) तंत्रिका तंत्र के रोगों से सम्बन्धित चिकित्सकीय विशेषज्ञा का क्षेत्र है। इसके संगत शल्यक्रिया का क्षेत्र स्नायुशल्यक्रिया (neurosurgery) कहलाती है। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और स्नायुशास्त्र · और देखें »

स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली

स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली (एएनएस या सहज-ज्ञान तंत्रिका प्रणाली) मुख्य तंत्रिका प्रणाली का एक भाग है जो मूल रूप से चेतना के स्तर के नीचे नियंत्रण तंत्र के रूप में कार्य करती है और सहज प्रकार्यों को नियंत्रित करती है। एएनएस का प्रभाव ह्रदय गति, पाचन क्रिया, श्वांस गति, लार निकलना, पसीना निकलना, आंख की पुतलियों का व्यास, मिक्टूरीशन (मूत्र), तथा यौन उत्तेजना पर पड़ता है। हालांकि इसके अधिकांश कार्य अवचेतन रूप से होते हैं, फिर भी कुछ चेतन मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किये जा सकते हैं जैसे श्वांस लेना.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली · और देखें »

सीलेन्टरेटा

सिलेंटरेटा (Coelenterata) या आंतरगुही जंतु साम्राज्य की एक बड़ी निम्न कोटि की प्रसृष्टि (फ़ाइलम, बड़ा समूह) है। इस प्रसृष्टि के सभी जीव जलप्राणी हैं। केवल प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) तथा छिद्रिष्ठ (स्पंज) ही ऐसे प्राणी हैं जो आंतरगुही से भी अधिक सरल आकार के होते हैं। विकासक्रम में ये प्रथम बहुकोशिकीय जंतु है जिनकी विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विभेदन तथा वास्तविक ऊतकनिर्माण दिखाई पड़ता है। इस प्रकार इनमें तंत्रिका तंत्र तथा पेशीतंत्र का विकास हो गया है। परंतु इनकी रचना में न सिर का ही विभेदन होता है, न विखंडन ही दिखाई पड़ता है। इनका शरीर खोखला होता है, जिसके भीतर एक बड़ी गुहा होती है। इसको आँतरगुहा (सीलेंटेरॉन) कहते हैं। इसमें एक ही छेद होता है। इसको 'मुख' कहते हैं, यद्यपि इसी छिद्र के द्वारा भोजन भी भीतर जाता है तथा मलादि का परित्याग भी होता है। शरीर की दीवार कोशिकाओं की दो परतों की बनी होती है- बाह्मस्तर (एक्टोडर्म) तथा अंत:स्तर (एँडोडर्म)- और दोनों के बीच बहुधा एक अकोशिकीय पदार्थ - मध्यश्लेष (मीसाग्लीया)- होता है। मुख के चारों ओर बहुधा कई लंबी स्पर्शिकाएँ होती हैं। इनका कंकाल, यदि हुआ तो, कैल्सियमयुक्त या सींग जैसे पदार्थ का होता है। जल में रहने तथा सरल संरचना के कारण इनमें न तो परिवहनसंस्थान होता है, न उत्सर्जन या श्वसनसंस्थान। जननक्रिया अलैंगिक तथा लैंगिक दोनों ही विधियों से होती है। अलैंगिक जनन कोशिकाभाजन द्वारा होता है। लैंगिक जनन के लिए जननकोशिकाओं की उत्पत्ति बाह्मस्तर अथवा अंत:स्तर में स्थित जननांगों में होती है। इन जीवों में कई प्रकार के डिंभ (लार्वा) पाए जाते हैं और कई जातियों में पीढ़ियों का एकांततरण होता है। आंतरगुहियों के बीच में गुहा रहती है। अंतड़ी, फेफड़ा, इत्यादि कोई अंग इनमें नहीं होते। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और सीलेन्टरेटा · और देखें »

हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर

हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर हैनरिक विल्हेल्म गॉटफ्राइड वॉन वॉल्डेयर-हार्ट्ज़ (६ अक्टूबर १८३६ - २३ जनवरी १९२१) एक जर्मन शरीर संरचना शास्त्री थे। इन्होंने तंत्रिका तंत्र के न्यूरॉन सिद्धांत का प्रतिपादन और गुणसूत्रों का नामकरण क्रोमोज़ोम किया था। इन्होंने मानव शरीर के दो संरचना ढांचे दिये थे, जिन्हें इन्हीं का नाम दिया गया है। श्रेणी:जर्मन वैज्ञानिक.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर · और देखें »

जिन्को बाइलोबा

जिन्को (जिन्को बाइलोबा; चीनी और जापानी में 银杏, पिनयिन रोमनकृत: यिन जिंग हेपबर्न रोमनकृत ichō या जिन्नान), जिसकी अंग्रेज़ी वर्तनी gingko भी है, इसे एडिअंटम के आधार पर मेडेनहेयर ट्री के रूप में भी जाना जाता है, पेड़ की एक अनोखी प्रजाति है जिसका कोई नज़दीकी जीवित सम्बन्धी नहीं है। जिन्को को अपने स्वयं के ही वर्ग में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें एकल वर्ग जिन्कोप्सिडा, जिन्कोएल्स, जिन्कोएशिया, जीनस जिन्को शामिल हैं और यह इस समूह के अन्दर एकमात्र विद्यमान प्रजाति है। यह जीवित जीवाश्म का एक सबसे अच्छा ज्ञात उदाहरण है, क्योंकि जी.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और जिन्को बाइलोबा · और देखें »

जैविक तंत्रिका तंत्र

350px तंत्रिका विज्ञान में जैविक तंत्रिका नेटवर्क ऐसे न्यूरांस के समूह को कहाँ जाता है जो मस्तिष्क से सूचना का आदान प्रदान करने के काम आते है। इस सूचना का प्रसारण एक विद्युत-रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा होता है। इसको दो वर्गों में विभाजित कर सकते हैं.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और जैविक तंत्रिका तंत्र · और देखें »

जैविक खाद्य पदार्थ

अर्जेंटीना के एक किसान बाजार में जैव सब्जियां जैविक खाद्य पदार्थ इस तरीके से बनाये जाते हैं कि उत्पादन के दौरान सिंथेटिक सामग्री के उपयोग को सीमित किया जा सके अथवा बाहर निकाला जा सके.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और जैविक खाद्य पदार्थ · और देखें »

जेफ्री सी॰ हॉल

जेफ्री कॉनर हॉल (जन्म; ०३ मई १९४५) एक अमेरिकी आनुवंशिक और क्रोनोबोलॉजिस्ट है। हॉल ब्रैंडिस विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर एमेरिटस हैं और वर्तमान में कैम्ब्रिज, मैन में रहते हैं। हॉल ने अपने कैरियर में फ्लाई प्रलय और तंत्रिका तंत्र के न्यूरोलॉजिकल घटक की जांच की है। ड्रोसोफिला मेलानोगस्टर के न्यूरोलॉजी और व्यवहार पर अपने शोध के माध्यम से, हॉल ने जैविक घड़ियों के आवश्यक तंत्रों पर काफी कार्य किया और नर्वस सिस्टम में यौन भेदभाव की नींव पर प्रकाश डाला। ये क्रानुविज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए चुने गए थे। इसके अलावा माइकल डब्लू और यंग और माइकल रोजबाश के साथ, उन्हें सर्जिकडियन लय को नियंत्रित करने वाले आणविक तंत्र की अपनी खोजों के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन में २०१७ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और जेफ्री सी॰ हॉल · और देखें »

जेलीफ़िश

जेलीफ़िश या जेली या समुद्री जेली या मेड्युसोज़ोआ, या गिजगिजिया नाइडेरिया संघ का मुक्त-तैराक़ सदस्य है। जेलीफ़िश के कई अलग रूप हैं जो स्काइफ़ोज़ोआ (200 से अधिक प्रजातियां), स्टॉरोज़ोआ (लगभग 50 प्रजातियां), क्यूबोज़ोआ (लगभग 20 प्रजातियां) और हाइड्रोज़ोआ (लगभग 1000-1500 प्रजातियाँ जिसमें जेलीफ़िश और कई अनेक शामिल हैं) सहित विभिन्न नाइडेरियाई वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन समूहों में जेलीफ़िश को, क्रमशः, स्काइफ़ोमेड्युसे, स्टॉरोमेड्युसे, क्यूबोमेड्युसे और हाइड्रोमेड्युसे भी कहा जाता है। सभी जेलीफ़िश उपसंघ मेड्युसोज़ोआ में सन्निहित हैं। मेड्युसा जेलीफ़िश के लिए एक और शब्द है और इसलिए जीवन-चक्र के वयस्क चरण के लिए विशेष रूप से प्रयुक्त होता है। जेलीफ़िश हर समुद्र में, सतह से समुद्र की गहराई तक पाए जाते हैं। कुछ हाइड्रोज़ोआई जेलीफ़िश, या हाइड्रोमेड्युसे ताज़ा पानी में भी पाए जाते हैं; मीठे पानी की प्रजातियां व्यास में एक इंच (25 मि.मी.), बेरंग होती हैं और डंक नहीं मारती हैं। ऑरेलिया जैसे कई सुविख्यात जेलीफ़िश, स्काइफ़ोमेड्युसे हैं। ये बड़े, अक्सर रंगीन जेलीफ़िश हैं, जो विश्व भर में सामान्यतः तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अपने व्यापक अर्थ में, शब्द जेलीफ़िश आम तौर पर संघ टीनोफ़ोरा के सदस्यों को निर्दिष्ट करता है। हालांकि नाइडेरियन जेलीफ़िश से कोई निकट संबंध नहीं है, टीनोफ़ोर मुक्त-तैराक़ प्लैंक्टोनिक मांसभक्षी हैं, जो सामान्यतः पारदर्शी या पारभासी और विश्व के सभी महासागरों के उथले से गहरे भागों में मौजूद होते हैं। शेर अयाल जेलीफ़िश सर्वाधिक विख्यात जेलीफ़िश हैं और विवादास्पद तौर पर दुनिया का सबसे लंबा जानवर है। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और जेलीफ़िश · और देखें »

विषाक्त पादप

एक विषाक्त खर-पतवार खाने के बाद ७०० पशु रातोरात मर गये साधारणत: विषाक्त पादप (Poisonous plant) ऐसे पौधे होते हैं जिनका समस्त अथवा थोड़ा अंश किसी भी दशा में खा लेने पर, किसी किसी में केवल स्पर्शमात्र से भी, हानिकारक परिस्थिति पैदा हो जाती है। इसके फलस्वरूप तत्काल मृत्यु हो सकती है। विषाक्त पौधों में निश्चित रूप से विषैले पदार्थ रहते हैं। विषैले पदार्थ कई रासायनिक तत्वों के सम्मिश्रण से बने होते हैं। ऐसे पदार्थ 1.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और विषाक्त पादप · और देखें »

आंद्रेयेस विसेलियस

आंद्रेयेस विसेलियस; यह चित्र उनके 'फैब्रिका' से लिया गया है। आंद्रेयेस विसेलियस (Andreas Vesalius, सन् १५१४-१५६४) बेल्जियम के, शारीर वैज्ञानिक, चिकित्सक, तथा शरीररचना विज्ञान (एनाटॉमी) पर विश्व की सबसे प्रभावकारी पुस्तक 'डी हुमेनी कॉर्पोरिस फैब्रिका' (De humani corporis fabrica) के रचयिता थे। वेसेलियस को आधुनिक मानव शरीर रचना विज्ञान का जनक माना जाता है। वे पैदुआ विश्वविद्यालय (University of Padua) में प्राध्यापक रहे तथा बाद में चार्ल्स पंचम के राजचिकित्सक भी रहे। विसेलियस को सर्वोच्च शारीर वैज्ञानिक कहा जाता है। मानव शरीर को रचना पर इनके ग्रंथ की गणना इस विषय के सर्वोत्कृष्ट ग्रंथों में होती है। इसमें अस्थियों और तंत्रिकातंत्र के वर्णन तो उत्कृष्ट हैं ही, पर पेशियों के वर्णन के लिए यह विशेषकर प्रसिद्ध है। विसेलियस ने अध्यापन करते समय स्वयं विच्छेदन (dissection) कर, शारीरविज्ञान की शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला दी। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और आंद्रेयेस विसेलियस · और देखें »

काइरोप्रेक्टिक

काइरोप्रैक्टिक (Chiropractic) एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो पेशीकंकाल तंत्र (विशेषतः मेरुदण्ड) के यांत्रिक विकारों के निवारण, निदान तथा उपचार पर बल देता है। इस पद्धति की मान्यता है कि इन विकारों के होने पर तंत्रिका तंत्र के माध्यम से स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं जन्म लेतीं हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और काइरोप्रेक्टिक · और देखें »

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका तंत्र का भाग है, जो बहुकोशिकीय जन्तुओं की सभी क्रियायों पर नियंत्रण और नियमन करता है। हड्डीवाले जीवों में तंत्रिका तंत्र मिनिन्जीज़ में संलग्न होता है। इसमें तंत्रिका तंत्र का अधिकांश भाग और मस्तिष्क और सुषुम्ना या मेरूरज्जु आते हैं। तंत्रिका तंत्र पृष्ठीय गुहा में स्थित होता है, जिसमे मस्तिष्क कपालीय गुहा में और मेरुरज्जु, मेरुरज्जु गुहा में होता है। मस्तिष्क खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है और मेरुरज्जु हड्डियों द्वारा। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र · और देखें »

अधश्चेतक

हाइपोथैलेमस या अधश्चेतक मस्तिष्क का एक विभाग है। इस का सबसे महत्वपूर्ण कार्य पीयूष ग्रन्थि के माध्यम से तन्त्रिका तन्त्र को अंतःस्रावी तंत्र के साथ जोड़ने का है। श्रेणी:शारीरिकी श्रेणी:अंग श्रेणी:मस्तिष्क श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अधश्चेतक · और देखें »

अनुकंपी तंत्रिकातंत्र

अनुकंपी तंत्रिकातंत्र द्वारा नियंत्रित विभिन्न अंग मनुष्य के विविध अंगों और मस्तिष्क के बीच संबंध स्थापित करने के लिए तागे से भी पतले अनेक स्नायुतंतु (नर्व फाइबर) होते हैं। स्नायुतंतुओं की लच्छियाँ अलग अलग बँधी रहती हैं। इनमें से प्रत्येक को तंत्रिका (नर्व) कहते हैं। प्रत्येक में कई एक तंतु रहते हैं। तंत्रिकाओं के समुदाय को तंत्रिकातंत्र (नर्वस सिस्टम) कहते हैं। ये तंत्र तीन प्रकार के होते हैं.

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अनुकंपी तंत्रिकातंत्र · और देखें »

अपस्मार

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है।, हिन्दुस्तान लाइव, १८ नवम्बर २००९ दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।, वेब दुनिया, डॉ॰ वोनोद गुप्ता। १७ नवम्बर को विश्व भर में विश्व मिरगी दिवस का आयोजन होता है। इस दिन तरह-तरह के जागरुकता अभियान और उपचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।।। द टाइम्स ऑफ इंडिया।, याहू जागरण, १७ नवम्बर २००९ .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अपस्मार · और देखें »

अवगम

नॅकर क्यूब और रुबिन गुलदस्ते ऐसे दो चित्र हैं जिनको दो भिन्न बोधों से देखा जा सकता है अपने वातावरण के बारे में इन्द्रियों द्वारा मिली जानकारी को संगठित करके उस से ज्ञान और अपनी स्थिति के बारे में जागरूकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को अवगम या प्रत्यक्षण (perception) कहते हैं।Pomerantz, James R. (2003): "Perception: Overview".

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अवगम · और देखें »

अंग (शारीरिकी)

जीवविज्ञान (biology) की दृष्टि से एक विशिष्ट कार्य करने वाले उत्तकों के समूह को अंग (organ) कहते हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अंग (शारीरिकी) · और देखें »

अंग तंत्र

तंत्र का एक उदाहरण - तंत्रिका तंत्र; इस चित्र में दिखाया गया है कि यह तंत्र मूलत: चार अंगों से मिलकर बना है: मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क (cerebellum), मेरुदण्ड (spinal cord) तथा तंत्रिकाएं (nerve) नाना प्रकार के ऊतक (tissue) मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार, एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक अंग तंत्र (organ system) का निर्माण करते हैं। कई अंग तंत्र मिलकर जीव (जैसे, मानव शरीर) की रचना करते हैं। .

नई!!: तन्त्रिका तन्त्र और अंग तंत्र · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका प्रणाली, तंत्रिकातंत्र

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »