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तनाव (मनोवैज्ञानिक)

सूची तनाव (मनोवैज्ञानिक)

आज के समय में तनाव (stress) लोगों के लिए बहुत ही सामान्य अनुभव बन चुका है, जो कि अधिसंख्य दैहिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। तनाव की पारंपरिक परिभाषा दैहिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। हैंस शैले (Hans Selye) ने 'तनाव' (स्ट्रेस) शब्द को खोजा और इसकी परिभाषा शरीर की किसी भी आवश्यकता के आधार पर अनिश्चित प्रतिक्रिया के रूप में की। हैंस शैले की पारिभाषा का आधार दैहिक है और यह हारमोन्स की क्रियाओं को अधिक महत्व देती है, जो ऐड्रिनल और अन्य ग्रन्थियों द्वारा स्रवित होते हैं। शैले ने दो प्रकार के तनावों की संकल्पना की-.

1 संबंध: अधिवृक्क ग्रंथि

अधिवृक्क ग्रंथि

अधिवृक्क ग्रन्थि (अंग्रेज़ी: adrenal gland या Suprarenal gland) कशेरुकी जीवों में पायी जाने वाली एक अंतःस्रावी ग्रन्थि है। यह वृक्क (गुर्दे) के ऊपर स्थित होती है। इनका मुख्य कार्य तनाव की स्थिति में हार्मोन निकालना है। मनुष्यों की दाहिनी अधिवृक्क ग्रंथि का आकार त्रिकोणाकार होता है जबकि दायीं अधिवृक्क ग्रन्थि अर्धचन्द्राकार होती है। अधिवृक्क ग्रन्थियाँ शरीर में सोडियम के नियंत्रण के लिए एल्डोस्टीरॉन नाम की हार्मोन उत्पन्न करती है और एपिनेफ्राइन नाम का हार्मोन उत्पन्न करती है जो हृदय पर अपना प्रभाव छोड़ती है। जब शरीर में ये हार्मोन कम उत्पन्न होता है तो पाचन क्रिया मन्द पड़ जाती है। मनुष्य को भूख नहीं लगती है, रक्तचाप गिर जाता है। इस प्रकार से उत्पन्न रोग को एडीसन रोग कहते है। लेकिन जब शरीर में ये ग्रन्थियाँ शरीर में अधिक हार्मोन उत्पन्न करते है तो स्त्रियों में दाढ़ी मूछें आदि नरों के लक्षण उभरने लगते हैं तथा बच्चों में आसाधारण गति के कारण जननांगों का विकास होने लगता हैं। .

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