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ढाल ज्वालामुखी

सूची ढाल ज्वालामुखी

एक परिपक्व ढाल ज्वालामुखी में लावा प्रवाह की कई परतों को दिखाता, ढाल ज्वालामुखी का एक आरेख।ढाल ज्वालामुखी जिसे शील्ड ज्वालामुखी, भी कहा जाता है, ज्वालामुखियों का एक प्रकार है। इन ज्वालामुखियों का निर्माण आमतौर पर लगभग पूरी तरह से तरल लावा प्रवाह के द्वारा होता है। इन ज्वालामुखियों का यह विशिष्ट नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि, देखने में यह किसी योद्धा की ढाल के समान प्रतीत होते हैं, यानि एक ढाल के समान इनका आकार बड़ा और पार्श्व ऊँचाई कम होती है। इन ज्वालामुखियों के द्वारा उद्गारित अत्यधिक तरल लावा, जो कि अन्य अधिक विस्फोटक ज्वालामुखियों से निकले लावे की तुलना में अधिक दूर तक बहता है और लावे की एक व्यापक चादर का निर्माण कर, किसी ढाल ज्वालामुखी को इसका यह विशिष्ट रूप का प्रदान करता है। .

9 संबंधों: तावेउनी, पिंटा (गैलापागोस), मिश्रित ज्वालामुखी, मंगल ग्रह, सायर्टिस मेजर प्लैनम, सिडली पर्वत, जेनोवेसा (गैलापागोस), वोल्कन वुल्फ, इर्टा एले

तावेउनी

तावेउनी (Taveuni) प्रशांत महासागर में स्थित फ़िजी देश का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है। उस देश में केवल विति लेवु और वानुआ लेवु के दो द्वीप ही इस से अधिक क्षेत्रफल रखते हैं। यह भौगोलिक रूप से वानुआ लेवु द्वीपसमूह का भाग है और प्रशासनिक रूप से फ़िजी के उत्तरी विभाग के थकाउन्द्रोवे प्रान्त में सम्मिलित है। यह प्रशांत महासागर के फ़र्श से उठने वाले एक महान आकार के ढाल ज्वालामुखी के ऊपरी भाग पर स्थित है और 434 वर्ग किमी का क्षेत्रफल रखता है। इसपर 9,000 लोग बसे हुए हैं। यहाँ का पर्यावरण आज भी बहुत प्राकृतिक है जिसके कारण इसे फ़ीजी का उद्यान द्वीप भी कहा जाता है। .

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पिंटा (गैलापागोस)

कोलंबस के एक तीव्रगामी पोत पिंटा के नाम पर नामित यह द्वीप गैलापागोस द्वीपसमूह, ईक्वाडोर का एक भाग है। द्वीप का कुल क्षेत्रफल ६० वर्ग किलोमीटर और अधिकतम ऊँचाई ७७७ मीटर है। पिंटा गैलापागोस के सबसे प्रसिद्ध कछुए अकेला जॉर्ज का गृह द्वीप है, जो अब सांताक्रूज़ द्वीप के चार्ल्स डार्विन रिसर्च स्टेशन मे रहता है। गैलापागोस के ज्वालामुखीय द्वीपों मे पिंटा सबसे उत्तर में स्थित है और एक ढाल ज्वालामुखी है। पिंटा द्वीप अबाबील-पुच्छ गल, समुद्री गोह, गौरैया बाज़ और फर सील का घर है। .

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मिश्रित ज्वालामुखी

मिश्रित ज्वालामुखी मिश्रित ज्वालामुखी की खड़ी काट फुजी पर्वत, एक सक्रिय मिश्रित ज्वालामुखी है इसका अंतिम उद्गार 1707–08 में हुआ था मिश्रित ज्वालामुखी, एक लंबा, शंक्वाकार ज्वालामुखी होता है, जिसका निर्माण जम कर ठोस हुए लावा, टेफ्रा, कुस्रन और ज्वालामुखीय राख की कई परतों (स्तर) द्वारा होता है। मिश्रित ज्वालामुखी को ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इनकी रचना ज्वालामुखीय उद्गार के समय निकले मिश्रित पदार्थों के विभिन्न स्तरों पर घनीभूत होने के फलस्वरूप होती है। ढाल ज्वालामुखी के विपरीत, तीखी ढलान और समय समय पर होने वाले विस्फोटक उद्गार इनकी विशेषतायें है। इन ज्वालामुखियों से निकला लावा, ढाल ज्वालामुखी से निकले लावे की तुलना में अधिक श्यान (गाढ़ा और चिपचिपा) होता है और आमतौर पर उद्गार के पश्चात दूर तक बहने से पहले ही ठंडा हो जाता है। इनके लावे की रचना करने वाला मैग्मा अक्सर फेल्सिक होता है जिसमें, सिलिका की मात्रा उच्च से लेकर मध्य स्तर तक की होती है और कम श्यानता वाले मैफिक मैग्मा की मात्रा कम होती है। फेल्सिक लावा का व्यापक (दूर तक) प्रवाह असामान्य है, लेकिन फिर भी इसे 15 किमी (9.3 मील) तक बहते देखा गया है। ढाल ज्वालामुखी (जो कम मिलते हैं) के विपरीत यह ज्वालामुखियों का सबसे सामान्य प्रकार हैं। दो प्रसिद्ध मिश्रित ज्वालामुखियों में से पहला क्राकाटोआ है, जिसको उसके 1883 के उद्गार के लिए जाना जाता है जबकि, दूसरा विसुवियस है जिसके उद्गार के कारण 79 ईस्वी में पॉम्पेई और हरकुलेनियम नामक दो इतालवी शहर पूरी तरह से नष्ट हो गये थे। .

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मंगल ग्रह

मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है। 1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है। वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये हैं। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9, तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है। .

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सायर्टिस मेजर प्लैनम

सायर्टिस मेजर प्लैनम (Syrtis Major Planum), एक "श्याम धब्बा' (एक एल्बिडो आकृति) है जो मंगल ग्रह के उत्तरी तराई और दक्षिणी उच्च भूमि के बीच की सीमा में स्थित है | यह मार्स ग्लोबल सर्वेयर से प्राप्त आंकड़ो के आधार पर खोजा गया था, जो एक निम्न- उभार ढाल ज्वालामुखी होना पाया गया था, लेकिन पहले इसे एक मैदान होना माना गया था और सायर्टिस मेजर प्लेनिटिया के रूप में जाना जाता था | इसका श्याम रंग क्षेत्र की बेसाल्टी ज्वालामुखी चट्टान और सम्बंधित क्षेत्र में धूल की कमी से आता हैं | सायर्टिस मेजर ८.४° उ० ६९.५° पू० के करीब केंद्रित है, कुछ ग्रह की भूमध्य रेखा से १५०० कि॰मी॰ (९३० मील) उत्तर की ओर विस्तारित है और १,००० कि॰मी॰ (६२० मील) पश्चिम से पूर्व तक फैला है | यह एक सायर्टिस मेजर चतुष्कोण में स्थित है | .

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सिडली पर्वत

सिडली पर्वत अंटार्कटिका महाद्वीप का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है। यह ४,२८५ मीटर लम्बा पहाड़ है और लगभग पूरी तरह हिम से ढका हुआ है। भौगोलिक रूप से यह पश्चिमी अंटार्कटिका की मारी बर्ड धरती में स्थित एग्ज़ीक्यूटिव कमेटी पर्वतमाला (Executive Committee Range) में आता है। इस पर्वतमाला में पाँच ज्वालामुखीय शिखर हैं जिनमें यह सबसे ऊँचा है। .

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जेनोवेसा (गैलापागोस)

प्रिंस फिलिप्स स्टेप्स पर चढ़ाई गैलापागोस द्वीपसमूह के द्वीप जेनोवेसा द्वीप (टावर द्वीप) का नाम इटली के एक शहर जेनोवा पर आधारित है कहते हैं कि इसी स्थान पर कोलंबस का जन्म हुआ था। यह द्वीप एक ढाल ज्वालामुखी है जो पश्चिम प्रशांत महासागर में स्थित है। द्वीप का क्षेत्रफल 14 वर्ग किलोमीटर (5.4 वर्ग मील) और अधिकतम ऊंचाई 76 मीटर (249 फुट) है। द्वीप एक बड़े गर्त का किनारा है जो डूबने से बच गया है। द्वीप का एक उपनाम पक्षी द्वीप भी है जो यहाँ पाई जाने वाली पक्षियों की विविधता को देखते हुये सही जान पड़ता है। डार्विन खाड़ी में फ्रिगेट पक्षी और अबाबील-पुच्छ गल जो दुनिया की एकमात्र रात्रिचर गल प्रजाति है, पाये जाते हैं। लाल पैरों वाला बूबी पक्षी, नॉडी टर्न, कबूतर और डार्विन फिन्चेस भी देखे जा सकते हैं। प्रिंस फिलिप्स स्टेप्स एक पक्षी-दर्शन पठार है साथ ही यहाँ एक बड़ा पालो सैंटो वन भी है। .

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वोल्कन वुल्फ

वोल्कन वुल्फ, गैलापागोस द्वीपसमूह की सबसे ऊँची चोटी है और यह द्वीपसमूह के ईसाबेला द्वीप पर स्थित है। इसकी ऊँचाई है जो इस द्वीपसमूह का सबसे ऊँचा स्थान है। यह एक उल्टे रखे कटोरे के आकार का ज्वालामुखी पर्वत है। इस ज्वालामुखी का नाम जर्मन भूविज्ञानी थिओडोर वुल्फ के नाम पर किया गया है, जिन्होने १९ वीं शताब्दी में इन द्वीपों का अध्ययन किया था, गैलापागोस के उत्तर मे स्थित वुल्फ द्वीप का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है। इसकी ऊँचाई इसे एक चरम उदग्र शिखर बनाती है, यह वो शिखर होते हैं जिनकी ऊँचाई 1500 मी से अधिक होती है। .

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इर्टा एले

इर्टा एले इथियोपिया में स्थित अफार क्षेत्र में लगातार सक्रिय एक बेसाल्टिक ढाल ज्वालामुखी है। यह इथियोपिया का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है। इर्टा एले की ऊंचाई 613 मीटर है और इसके शिखर पर दुनिया की पांच लावा झीलों में से एक लावा झील (कई बार दो) स्थित है। .

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