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डोगरी भाषा

सूची डोगरी भाषा

डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं। डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है। .

130 संबंधों: चंपा शर्मा, चकोठी, चेतें दियाँ ग’लियां, चेतें दी चितकबरी, चेतें दी र्होल, टिम–टिम करदे तारे, डोगरी साहित्य, ढलदी धुप्पै दा सेक, तत्तापानी, कश्मीर, तारा स्मैलपुरी, त्रिप–त्रिप चेते, थ़, दर्शन दर्शी, दक्षिण एशिया, देशबंधु डोगरा नूतन, देवनागरी, दोहा सतसई, दीनू भाई पंत, ध्‍यान सिंह, धीरकोट, नरसिंह देव जम्वाल, नरेन्द्र खजूरिया, निघे रंग, नंगा रुख, नीला अंबर काले बादल, पत्नीटॉप, पद्मा सचदेव, परछामें दी लोऽ, पलन्द्री, पहाड़ी भाषाएँ, पंदरां क्हानियां, पंजाबी भाषा, पुंछ, प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया, प्रकाश प्रेमी, फुल्ल बिना डाली, बटोत, बदनामी दी छां, बद्दली कलावे, बालबोध, बालकृष्ण भौरा, बाग़, कश्मीर, बखरे–बखरे सच्च, बंधु शर्मा, बुड्ढ सुहागन, बेद्दन धरती दी, भारत, भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची, भारत सारावली, भारत के भाषाई परिवार, ..., भारत की बोलियाँ, भारत की भाषाएँ, भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी, भारतीय नाम, भिम्बेर, भिम्बेर ज़िला, मनोज (डोगरी साहित्यकार), महात्मा विदुर, मैं मेले रा जानू, मेरे डोगरी गीत, मेरी कविता मेरे गीत, मेघवाल, मोहनलाल सपोलिया, मील पत्थर, यश शर्मा, रातु दा चानन, राम नाथ शास्त्री, रामबन ज़िला, रामलाल शर्मा, राष्ट्रभाषा, रेशियाँ, ललित मगोत्रा, लालसा, शिवदेव सिंह सुशील, शिवराम दीप, श्रीवत्स विकल, शैलेन्‍द्र सिंह, शीराज़ा डोगरी, साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी, सांझी धरती बखले मानु, सुधन गली, सुधनोती ज़िला, सुरभेदी भाषा, सोध समुंदरें दी, सीताराम सपोलिया, हट्टियाँ बाला, हट्टियाँ बाला ज़िला, हरिपुर ज़िला, हाशिये पर, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची, हवेली ज़िला, जम्मू, जम्मू (शहर), जितेन्द्र शर्मा, जितेन्द्र उधमपुरी, ज्ञान सिंह पगोच, जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा, जीवन लैह्रां, वेद राही, वीरेन्द्र केसर, खुईरटा, गढ़ी दुपट्टा, गमले दे कैक्टस, गोजरी भाषा, गीत सरोवर, ओ. पी. शर्मा सारथी, ओम विद्यार्थी, आठमुकाम, आठवीं अनुसूची, आले, इक शहर यादें दा, कठुआ, कर्ण सिंह, क़ैदी, कालामी भाषा, किशन स्मैलपुरी, कुँवर वियोगी, कुद, कुंडल शाही, कृष्ण शर्मा, केरन, आज़ाद कश्मीर, केल, केहरि सिंह मधुकर, कोटली ज़िला, कोरे काकल कोरियां तलियां, अपनी डफली अपना राग, अभिशाप, अयोधिया, उत्तर भारत सूचकांक विस्तार (80 अधिक) »

चंपा शर्मा

चंपा शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह चेतें दी र्होल के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चकोठी

चकोठी (अंग्रेज़ी: Chakothi, उर्दु: چکوٹھی) आज़ाद कश्मीर हट्टियाँ बाला ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह झेलम नदी के किनारे नियंत्रण रेखा के समीप स्थित है। यह श्रीनगर-मुज़फ़्फ़राबाद बस सेवा के मार्ग पर एक पड़ाव है। .

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चेतें दियाँ ग’लियां

चेतें दियाँ ग’लियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ललित मगोत्रा द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चेतें दी चितकबरी

चेतें दी चितकबरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवनाथ द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चेतें दी र्होल

चेतें दी र्होल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार चंपा शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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टिम–टिम करदे तारे

टिम–टिम करदे तारे डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार बालकृष्ण भौरा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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डोगरी साहित्य

जनभाषाओं में साहित्यसर्जन का प्रारंभ प्राय: मौखिक परंपरा के रूप में ही होता है। डोगरी में लोकसाहित्य की यह थाती काफी समृद्ध है। डोगरी संस्था के अनुशासन में उत्साही साहित्यिकों ने इस समय तक से 500 से अधिक लोकगीत इकट्ठे किए हैं। इन गीतों में भाव तथा संगीत दोनों दृष्टियों से अभिनंदनीय कलात्मकता तथा विविधता है। डोगरों के सामाजिक जीवन की बहुरंगी प्रतिक्रया इनमें अत्यंत सजीव होकर व्यक्त हुई है। डोगरी संस्था की त्रैमासिक पत्रिका (नई चेतना) के प्रत्येक अंक में पाँच-पाँच लाकगीत छपते रहे हैं। संस्था ने ही विवाह संबंधी गीतों के एक संग्रह खारे मिट्ठे अत्थरूं नाम से प्रकाशित किया है। डॉ॰ कर्ण सिंह द्वारा संपादित एक डोगरी लोकगीत संग्रह (अंग्रेजी हिंदी अनुवाद तथा गीतों की मौलिक स्वरलिपि सहित) शैडो ऐंड सनलाइट नाम से ऐशिया पाब्लिशिंग हाउस बंबई द्वारा प्रकाशित किया गया है। रियासत की कल्चरल अकैडमी भी इन लाकगीतों का संग्रह करने में योग दे रही है। इसी तरह डोगरी लोककथाओं के संग्रह के लिये भी प्रयत्न हुए हैं। इस समय तक तीन संग्रह छप चुके हैं: 1.

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ढलदी धुप्पै दा सेक

ढलदी धुप्पै दा सेक डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार कृष्ण शर्मा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तत्तापानी, कश्मीर

तत्ता पानी (अंग्रेज़ी: Tatta Pani, उर्दु: تتا پانی) या तत्तापानी आज़ाद कश्मीर के पुंछ ज़िले में एक शहर है। यहाँ गंधक-युक्त गरम पानी के चश्में हैं, जिनपर शहर का नाम पड़ा है ("तत्ता" का अर्थ "गरम" होता है और यह संस्कृत के "तप्त" शब्द से आया है)। तत्ता पानी पुंछ नदी के किनारे २,२३७ फ़ुट (६८२ मीटर) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यह कोटली से २६ किमी, हजीरा (चेआरा) से २९ किमी और रावलाकोट से ४५ किमी दूर है। ध्यान दें कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय-वाले कई भागों में इसी "तत्तापानी" नाम के कई और नगर-ग्राम-मुहल्ले भी हैं और लगभग इन सभी में गरम पानी के चश्में होते हैं, मसलन हिमाचल प्रदेश और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा दोनों में इस नाम के स्थान हैं। .

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तारा स्मैलपुरी

तारा स्मैलपुरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जीवन लैह्रां के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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त्रिप–त्रिप चेते

त्रिप–त्रिप चेते डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ओम विद्यार्थी द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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थ़

थ़ की ध्वनि सुनिए - यह थ से भिन्न है थ़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है जिसके उच्चारण को अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में θ के चिन्ह से लिखा जाता है। मानक हिंदी और मानक उर्दू में इसका प्रयोग नहीं होता है, लेकिन हिंदी की कुछ पश्चिमी उपभाषाओं में इसका 'थ' के साथ सहस्वानिकी संबंध है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग पहाड़ी भाषों को देवनागरी में लिखने के लिए होता है। अंग्रेज़ी के कईं शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे की 'थ़िन' (thin, यानि पतला)। .

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दर्शन दर्शी

दर्शन दर्शी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कोरे काकल कोरियां तलियां के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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देशबंधु डोगरा नूतन

देशबंधु डोगरा नूतन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास क़ैदी के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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दोहा सतसई

दोहा सतसई डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार सीताराम सपोलिया द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दीनू भाई पंत

दीनू भाई पंत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक अयोधिया के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ध्‍यान सिंह

ध्‍यान सिंह डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता परछामें दी लोऽ के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धीरकोट

धीरकोट (अंग्रेज़ी: Dhirkot, उर्दु: دهیرکوٹ) आज़ाद कश्मीर के बाग़ ज़िले में एक शहर है। यह ५,४९९ फ़ुट (१,६७६ मीटर) की ऊँचाई पर रमणीय पहाड़ीयों में बसा हुआ है और एक पर्यटन आकर्षण है। यह स्थानीय सेब और ख़ुबानी की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है। धीरकोट पाकिस्तान और कश्मीर की सीमा पर स्थित है और सरहद के पार धीरकोट से २५ किमी की दूरी पर पाकिस्तानी पंजाब का कोहाला शहर है। .

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नरसिंह देव जम्वाल

नरसिंह देव जम्वाल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सांझी धरती बखले मानु के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नरेन्द्र खजूरिया

नरेन्द्र खजूरिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह नीला अंबर काले बादल के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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निघे रंग

निघे रंग डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार वीरेन्द्र केसर द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नंगा रुख

नंगा रुख डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ओ. पी. शर्मा ‘सारथी’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नीला अंबर काले बादल

नीला अंबर काले बादल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार नरेन्द्र खजूरिया द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पत्नीटॉप

पत्नीटॉप भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के उधमपुर ज़िले में एक पर्यटक स्थल है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ पर जम्मू से श्रीनगर जाते हुए उधमपुर और कुद के बाद आता है। यह जम्मू से लगभग 112 किमी दूर है और एक पठार पर 2,024 मीटर (6,640 फ़ुट) की ऊँचाई पर चेनाब नदी के समीप स्थित है। शीत ऋतु में यहाँ भारी हिमपात होता है। .

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पद्मा सचदेव

पद्मा सचदेव (जन्म: 17 अप्रैल 1940) एक भारतीय कवयित्री और उपन्यासकार हैं। वे डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री है।वे हिन्दी में भी लिखती हैं। उनके कतिपय कविता संग्रह प्रकाशित है, किन्तु "मेरी कविता मेरे गीत" के लिए उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।उन्हें वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कबीर सम्मान प्रदान किया गया। .

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परछामें दी लोऽ

परछामें दी लोऽ डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ध्‍यान सिंह द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पलन्द्री

पलन्द्री आज़ाद कश्मीर के सुधनोती ज़िला में स्थित एक छोटा-सा शहर है जो उस ज़िले की प्रशासनिक राजधानी भी है। यह पहले पुंछ ज़िले में हुआ करता था लेकिन जब १९९५ में वह जिला बंटा और सुधनोती ज़िला बना तो यह उस ज़िले की राजधानी बन गया। यहाँ एक सैनिक कॉलिज है जिसका नाम ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो पर रखा गया है। .

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पहाड़ी भाषाएँ

हिमालय पर्वतश्रृंखलाओं के दक्षिणवर्ती भूभाग में कश्मीर के पूर्व से लेकर नेपाल तक पहाड़ी भाषाएँ बोली जाती हैं। ग्रियर्सन ने आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं का वर्गीकरण करते समय पहाड़ी भाषाओं का एक स्वतंत्र समुदाय माना है। चैटर्जी ने इन्हें पैशाची, दरद अथवा खस प्राकृत पर आधारित मानकर मध्यका में इनपर राजस्थान की प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषाओं का प्रभाव घोषित किया है। एक नवीन मत के अनुसार कम से कम मध्य पहाड़ी भाषाओं का उद्गम शौरसेनी प्राकृत है, जो राजस्थानी का मूल भी है। पहाड़ी भाषाओं के शब्दसमूह, ध्वनिसमूह, व्याकरण आदि पर अनेक जातीय स्तरों की छाप पड़ी है। यक्ष, किन्नर, किरात, नाग, खस, शक, आर्य आदि विभिन्न जातियों की भाषागत विशेषताएँ प्रयत्न करने पर खोजी जा सकती हैं जिनमें अब यहाँ आर्य-आर्येतर तत्व परस्पर घुल मिल गए हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से ऐसा विदित होता है कि प्राचीन काल में इनका कुछ पृथक् स्वरूप अधिकांश मौखिक था। मध्यकाल में यह भूभाग राजस्थानी भाषा भाषियों के अधिक संपर्क में आया और आधुनिक काल में आवागमन की सुविधा के कारण हिंदी भाषाई तत्व यहाँ प्रवेश करते जा रहे हैं। पहाड़ी भाषाओं का व्यवहार एक प्रकार से घरेलू बोलचाल, पत्रव्यवहार आदि तक ही सीमित हो चला है। पहाड़ी भाषाओं में दरद भाषाओं की कुछ ध्वन्यात्मक विशेषताएँ मिलती हैं जैसे घोष महाप्राण के स्थान पर अघोष अल्पप्राण ध्वनि हो जाना। पश्चिमी तथा मध्य पहाड़ी प्रदेश का नाम प्राचीन काल में संपादलक्ष था। यहाँ मध्यकाल में गुर्जरों एवं अन्य राजपूत लोगों का आवागमन होता रहा जिसका मुख्य कारण मुसलमानी आक्रमण था। अत: स्थानीय भाषाप्रयोगों में जो अधिकांश "न" के स्थान पर "ण" तथा अकारांत शब्दों की ओकारांत प्रवृत्ति लक्षित होती है, वह राजस्थानी प्रभाव का द्योतक है। पूर्वी हिंदी को भी एकाधिक प्रवृत्तियाँ मध्य पहाड़ी भाषाओं में विद्यमान हैं क्योंकि यहाँ का कत्यूर राजवंश सूर्यवंशी अयोध्या नरेशों से संबंध रखता था। इस आधार पर पहाड़ी भाषाओं का संबंध अर्ध-मागधी-क्षेत्र के साथ भी स्पष्ट हो जाता है। इनके वर्तमान स्वरूप पर विचार करते हुए दो तत्व मुख्यत: सामने आते हैं। एक तो यह कि पहाड़ी भाषाओं की एकाधिक विशेषता इन्हें हिंदी भाषा से भिन्न करती हैं। दूसरे कुछ तत्व दोनों के समान हैं। कहीं तो हिंदी शब्द स्थानीय शब्दों के साथ वैकल्पिक रूप से प्रयुक्त होते हैं और कहीं हिंदी शब्द ही स्थानीय शब्दों का स्थान ग्रहण करते जा रहे हैं। खड़ी बोली के माध्यम से कुछ विदेशी शब्द, जैसे "हजामत", "अस्पताल", "फीता", "सीप", "डागदर" आदि भी चल पड़े हैं। .

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पंदरां क्हानियां

पंदरां क्हानियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मनोज द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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पुंछ

पुंछ नगर पुंछ जिले में स्थित एक नगर परिषद है, जो कि भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित है। इस नगर का उल्लेख महाभारत में मिलता है तथा चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस नगर का उल्लेख किया है। .

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प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया

प्रद्युम्न सिंह जिन्द्राहिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गीत सरोवर के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रकाश प्रेमी

प्रकाश प्रेमी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य बेद्दन धरती दी के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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फुल्ल बिना डाली

फुल्ल बिना डाली डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार श्रीवत्स विकल द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में डोगरी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बटोत

बटोत भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रामबन ज़िले की एक बस्ती है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ पर जम्मू से श्रीनगर जाते हुए उधमपुर, कुद और पत्नीटॉप के बाद और रामबन से पहले आता है। यह 2,006 मीटर (6,584 फ़ुट) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। .

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बदनामी दी छां

बदनामी दी छां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामनाथ शास्त्री द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बद्दली कलावे

बद्दली कलावे डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ज्ञानेश्वर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बालबोध

बालबोध (मराठी: बाळबोध) देवनागरी लिपि का एक ज़रा-सा विस्तृत रूप है जिसमें मराठी, कोरकू व कुछ अन्य भाषाओं को लिखा जाता है। हिन्दी, नेपाली, डोगरी व अन्य भाषाओं में प्रयोगित देवनागरी के सभी अक्षरों और चिन्हों के अलावा बालबोध शैली में "ळ" अक्षर और "रफार" कहलाने वाला र्‍ चिन्ह भी उपलब्ध हैं, जिनकी मराठी और कोरकू में आवश्यकता है। .

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बालकृष्ण भौरा

बालकृष्ण भौरा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह टिम–टिम करदे तारे के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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बाग़, कश्मीर

बाग़ (अंग्रेज़ी: Bagh, उर्दु: باغ) आज़ाद कश्मीर के बाग़ ज़िले का प्रमुख शहर है। यह दो छोटी नदियों के संगम-स्थल पर बसा हुआ है। ८ अक्तूबर २००५ के कश्मीर भूकम्प में यहाँ लगभग ८,५०० लोग मारे गए, जो इस नगर की आबादी का लगभग १०% था। .

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बखरे–बखरे सच्च

बखरे–बखरे सच्च डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवदेव सिंह सुशील द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बंधु शर्मा

बंधु शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मील पत्थर के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बुड्ढ सुहागन

बुड्ढ सुहागन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र शर्मा द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बेद्दन धरती दी

बेद्दन धरती दी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रकाश प्रेमी द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची

भारत कई सौ भाषाओं का घर है। ज़्यादातर भारतीय इंडो-आर्यन परिवार (74%)की भाषा बोलते हैं जो इंडो-यूरोपियन की ही एक शाखा है। द्रविड़ (24%), ऑस्ट्रोएस्ट्रीएटिक मुंडा (1.2%) और साइनो-तिब्बतन (0.6%) भी बोली जाती हैं इसके अतिरिक्त हिमालय की कुछ भाषाएँ अभी भी वर्गीकृत नहीं हैं। एस आई एल एथनोलॉग की सूची अनुसार अनुसार भारत में 415 जीवित भाषाएँ हैं। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारत की बोलियाँ

भारत में ‘भारतीय जनगणना 1961’ (संकेत चिह्न .

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भारत की भाषाएँ

भारत बहुत सारी भाषाओं का देश है, लेकिन सरकारी कामकाज में व्यवहार में लायी जाने वाली दो भाषायें हैं, हिन्दी और अंग्रेज़ी। वृहद भारत के भाषा परिवार .

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भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर सन् १९४९ को स्वीकार किया गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद ३४३ से ३५१ तक राजभाषा के साम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। धारा ३४३(१) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2, 3 आदि) है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है। .

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भारतीय नाम

भारतीय पारिवारिक नाम अनेक प्रकार की प्रणालियों व नामकरण पद्धतियों पर आधारित होते हैं, जो एक से दूसरे क्षेत्र के अनुसार बदलतीं रहती हैं। नामों पर धर्म व जाति का प्रभाव भी होता है और वे धर्म या महाकाव्यों से लिये हुए हो सकते हैं। भारत के लोग विविध प्रकार की भाषाएं बोलते हैं और भारत में विश्व के लगभग प्रत्येक प्रमुख धर्म के अनुयायी मौजूद हैं। यह विविधता नामों व नामकरण की शैलियों में सूक्ष्म, अक्सर भ्रामक, अंतर उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिये, पारिवारिक नाम की अवधारणा तमिलनाडु में व्यापक रूप से मौजूद नहीं थी। कई भारतीयों के लिये, उनके जन्म का नाम, उनके औपचारिक नाम से भिन्न होता है; जन्म का नाम किसी ऐसे वर्ण से प्रारंभ होता है, जो उस व्यक्ति की जन्म-कुंडली के आधार पर उसके लिये शुभ हो। कुछ बच्चों को एक नाम दिया जाता है (दिया गया नाम).

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भिम्बेर

भिम्बेर (अंग्रेज़ी: Bhimber, उर्दु: بھمبر‎) आज़ाद कश्मीर के भिम्बेर ज़िले का प्रमुख शहर है। यह पाकिस्तान और कश्मीर की सीमा के समीप स्थित है और भारत इसे अपना भाग मानता है। भिम्बेर मीरपुर से ४८ किमी और श्रीनगर से २४१ किमी दूर स्थित है। यहाँ के अधिकतर लोग पंजाबी और डोगरी (पहाड़ी) की उपभाषाएँ बोलते हैं। .

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भिम्बेर ज़िला

भिम्बेर ज़िला (अंग्रेज़ी: Bhimber District, उर्दु: ضلع بھمبر) आज़ाद कश्मीर का दक्षिणतम ज़िला है। पाकिस्तान ने अधिकृत कश्मीर को दो भागों में विभाजित करा है: आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान। भिम्बेर ज़िला इनमें से "आज़ाद कश्मीर" नामक हिस्से में आता है। इसका प्रमुख नगर भिम्बेर है। भारत इसे अपना भाग मानता है। इस ज़िले की स्थापना सन् १९९६ में हुई और उस से पूर्व यह मीरपुर ज़िले का भाग था। .

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मनोज (डोगरी साहित्यकार)

मनोज डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह पंदरां क्हानियां के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महात्मा विदुर

महात्मा विदुर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार ज्ञान सिंह पगोच द्वारा रचित एक महाकाव्य है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मैं मेले रा जानू

मैं मेले रा जानू डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार केहरि सिंह ‘मधुकर’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेरे डोगरी गीत

मेरे डोगरी गीत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार किशन स्मैलपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेरी कविता मेरे गीत

मेरी कविता मेरे गीत डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार पद्मा सचदेव द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेघवाल

जम्मू, भारत में एक समारोह के दौरान मेघ बालिकाओं का एक समूह मेघ, मेघवाल, या मेघवार, (उर्दू:میگھواڑ, सिंधी:ميگھواڙ) लोग मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम भारत में रहते हैं और कुछ आबादी पाकिस्तान में है। सन् 2008 में, उनकी कुल जनसंख्या अनुमानतः 2,807,000 थी, जिनमें से 2760000 भारत में रहते थे। इनमें से वे 659000 मारवाड़ी, 663000 हिंदी, 230000 डोगरी, 175000 पंजाबी और विभिन्न अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ बोलते हैं। एक अनुसूचित जाति के रूप में इनका पारंपरिक व्यवसाय बुनाई रहा है। अधिकांश हिंदू धर्म से हैं, ऋषि मेघ, कबीर, रामदेवजी और बंकर माताजी उनके प्रमुख आराध्य हैं। मेघवंश को राजऋषि वृत्र या मेघ ऋषि से उत्पन्न जाना जाता है।सिंधु सभ्यता के अवशेष (मेघ ऋषि की मुर्ति मिली) भी मेघो से मिलते है। हडप्पा,मोहन-जोद़ङो,कालीबंगा (हनुमानगढ),राखीगङी,रोपङ,शक्खर(सिंध),नौसारो(बलुचिस्तान),मेघढ़(मेहरगढ़ बलुचिस्तान)आदि मेघवंशजो के प्राचीन नगर हुआ करते थे। 3300ई.पू.से 1700ई.पू.तक सिंध घाटी मे मेघो की ही आधिक्य था। 1700-1500ई.पू.मे आर्यो के आगमन से मेघ, अखंड भारत के अलग अलग भागो मे बिछुङ (चले) गये । ये लोग बहुत शांत स्वभाव व प्रवृति के थे। इनका मुख्य साधन ऊंठ-गाङा व बैल-गाङा हुआ करता। आज मेघवालो को बहुत सारी उपजातीयो बांट रखा है जिसमे सिहमार, भगत, बारुपाल, मिड़ल (मिरल),केम्मपाल, अहम्पा, पंवार,पङिहार,लिलङ,जयपाल,पंवार,चावणीया, तुर्किया,गाडी,देवपाल,जालानी गोयल-मंगी,पन्नु, गोगली,गंढेर,दहीया,पुनङ,मुंशी,कोली आदि प्रमुख है। मेघवंशो के कूलगुरु गर्गाचार्य गुरङा होते है। .

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मोहनलाल सपोलिया

मोहनलाल सपोलिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सोध समुंदरें दी के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मील पत्थर

मील पत्थर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार बंधु शर्मा द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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यश शर्मा

यश शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रातु दा चानन

रातु दा चानन डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार रामलाल शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राम नाथ शास्त्री

राम नाथ शास्त्री (15 अप्रैल, 1914 - 8 मार्च, 2009) डोगरी कवि, नाटककार, कोशकार, निबन्धकार, शिक्षाशास्त्री, अनुवादक तथा सम्पादक थे। उन्होने डोगरी भाषा के उत्थान और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्हें 'डोगरी का जनक' कहा जाता है। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह बदनामी दी छां के लिये उन्हें सन् १९७६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (डोगरी) से सम्मानित किया गया। सन २००१ में उन्हें साहित्य अकादमी फेलोशिप प्रदान किया गया था। .

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रामबन ज़िला

रामबन (अंग्रेज़ी: Ramban, उर्दु: رام بن) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में एक नगर और ज़िला है। यह महान पीर पंजाल पर्वतमाला में स्थित है और राज्य के जम्मू विभाग का हिस्सा है। बनिहाल इसी ज़िले में आता है और कश्मीर घाटी में प्रवेश करने से पहले अंतिम पड़ाव है। यहाँ से रेल और जवाहर सड़क सुरंग बनने से पहले भी पास के बनिहाल दर्रे से यातायात कश्मीर जाया करता था। .

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रामलाल शर्मा

रामलाल शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह रातु दा चानन के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राष्ट्रभाषा

राष्ट्रभाषा एक देश की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढ़ना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जायें। राष्ट्र के काम-धाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा। .

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रेशियाँ

रेशियाँ (अंग्रेज़ी: Reshian, उर्दु: ریشیاں) आज़ाद कश्मीर के हट्टियाँ बाला ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह लीपा घाटी का द्वार माना जाता है और मुज़फ़्फ़राबाद से ६७ किमी दूर १,६७४ मीटर (५,४९२ फ़ुट) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ से ५०० मीटर दूर ३,२०० मीटर (१०,५०० फ़ुट) ऊँचा रेशियाँ दर्रा है जहाँ से लीपा वादी में प्रवेश किया जा सकता है। मुज़फ़्फ़राबाद से यहाँ के लिये रोज़ बस-सेवा चलती है। .

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ललित मगोत्रा

ललित मगोत्रा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह चेतें दियाँ गलियां के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लालसा

लालसा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार अभिशाप द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शिवदेव सिंह सुशील

शिवदेव सिंह सुशील डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बखरे–बखरे सच्च के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शिवराम दीप

शिवराम दीप डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गमले दे कैक्टस के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रीवत्स विकल

श्रीवत्स विकल डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास फुल्ल बिना डाली के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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शैलेन्‍द्र सिंह

शैलेन्‍द्र सिंह डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्‍यास हाशिये पर के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शीराज़ा डोगरी

शीराज़ा डोगरी एक द्विमासिक साहित्यिक पत्रिका है जो डोगरी भाषा में जम्मू व कश्मीर में छपती है। इसे जम्मू व कश्मीर कला, संस्कृति व भाषा अकादेमी प्रकाशित करती है। इसे १९६४ में एक छहमासिक पत्रिका (यानि वर्ष में दो बार) के रूप में शुरू किया गया था लेकिन १९७० में इसकी प्रकाशन-गति बढ़ाकर त्रिमासिक और फिर १९७९ में हर दो महीनों में एक अंक कर दी गई।, Shivanath, Sahitya Akademi, 1997, ISBN 978-81-260-0393-8,...

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साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और डोगरी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७० से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

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सांझी धरती बखले मानु

सांझी धरती बखले मानु डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार नरसिंह देव जम्वाल द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुधन गली

सुधन गली (अंग्रेज़ी: Sudhan Gali, उर्दु: سدھن گلی) आज़ाद कश्मीर के बाग़ ज़िले में एक शहर है। यह लगभग ७,००० फ़ुट (२,००० मीटर) की ऊँचाई पर बसा हुआ है और बाग़ से पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद जाने वाली सड़क पर स्थित है। इस जगह का नाम सुधन समुदाय पर पड़ा है। यहाँ से कई मार्ग ९,९८९ फ़ुट (३,०४४ मीटर) ऊँची गंगा चोटी को जाते हैं जो पाक-अधिकृत कश्मीर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन-आकर्षणों में से एक है। .

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सुधनोती ज़िला

सुधनोती आज़ाद कश्मीर का एक ज़िला है। सन् १९९५ तक यह पुंछ ज़िले की एक तहसील हुआ करता था लेकिन उस वर्ष में इसे अलग करके ज़िले का दर्जा दे दिया गया।, S. Rangarajan for Kasturi & Sons, 2007,...

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सुरभेदी भाषा

Six tones of Vietnamese language.png एक भाषा के विभिन्न स्वर सुरभेदी भाषा ऐसी भाषा को कहा जाता है जिसमें आवाज़ के सुर के बदलाव के आधार पर शब्दों और वाक्यों का अर्थ बदल जाता हो। चीनी भाषा विश्व की सब से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली सुरभेदी भाषा है। भारत में पंजाबी और डोगरी जैसी पश्चिमी पहाड़ी भाषाएँ सुरभेदी होती हैं। कुछ हद तक हर भाषा में सुरों के ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता है (जैसे कि ग़ुस्सा या दुख) लेकिन एक ही वर्णों वाले शब्दों का अर्थ सुरों के साथ केवल सुरभेदी भाषाओँ में बदलता है। .

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सोध समुंदरें दी

सोध समुंदरें दी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहनलाल सपोलिया द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सीताराम सपोलिया

सीताराम सपोलिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह दोहा सतसई के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हट्टियाँ बाला

हट्टियाँ बाला (अंग्रेज़ी: Hattian Bala, उर्दु: ہٹیاں بالا) आज़ाद कश्मीर के हट्टियाँ बाला ज़िले में स्थित एक शहर है। ७ अक्तूबर २००५ में हुए कश्मीर भूकम्प में यहाँ एक ज़बरदस्त भूस्खलन हुआ था, जिसके कारण यहाँ एक स्थान पर पानी रुकने से एक झील बन गई। भूकम्प के लिये एक अन्य शब्द "ज़लज़ला" है जिस कारणवश इसका नाम "ज़लज़ाल झील" पड़ गया। .

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हट्टियाँ बाला ज़िला

हट्टियाँ बाला आज़ाद कश्मीर का एक ज़िला है। सन् १९४७ तक यह जम्मू और कश्मीर राज्य के बारामुल्ला ज़िले का हिस्सा हुआ करता था। उसके बाद २००९ तक यह मुज़फ़्फ़राबाद ज़िले का भाग था।, S. Rangarajan for Kasturi & Sons, 2007,...

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हरिपुर ज़िला

हरिपुर (उर्दू:, पश्तो:, अंग्रेज़ी: Mansehra) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। इसके पश्चिम में स्वाबी ज़िला, पश्चिमोत्तर में बुनेर ज़िला, उत्तर में मानसेहरा ज़िला, पूर्वोत्तर में ऐब्टाबाद ज़िला और दक्षिण में पंजाब प्रांत पड़ता है। हरिपुर ज़िला ऐतिहासिक हज़ारा क्षेत्र का हिस्सा है, जो ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में होने के बावजूद एक पंजाबी प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। .

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हाशिये पर

हाशिये पर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शैलेन्‍द्र सिंह द्वारा रचित एक उपन्‍यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

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हवेली ज़िला

हवेली ज़िला (अंग्रेज़ी: Haveli District, उर्दु: ضلع حویلی) आज़ाद कश्मीर का एक ज़िला है। पाक-अधिकृत कश्मीर दो भागों में विभाजित है: आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान। हवेली ज़िला इनमें से आज़ाद कश्मीर नामक हिस्से में आता है। इसका प्रमुख नगर कोटली है। भारत इसे अपना भाग मानता है। सन् २००९ तक हवेली ज़िला बाग़ ज़िले का हिस्सा हुआ करता था लेकिन उस वर्ष इसे विभाजित कर के अलग ज़िला बना दिया गया। .

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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जम्मू (शहर)

जम्मू शहर जम्मू क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है और साथ ही भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर की शीतकालीन राजधानी भी है। यह नगरमहापालिका वाला शहर तवी नदी के तट पर बसा है। नगर में ढेरों पुराने व नये मन्दिरों के बाहुल्य के कारण इसे मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है। तेजी से फैलती शहरी आबादी एवं बढ़ते अवसंरचना के कारण ये शीतकालीन राजधानी राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। .

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जितेन्द्र शर्मा

जितेन्द्र शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक एकांकी–संग्रह बुड्ढ सुहागन के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जितेन्द्र उधमपुरी

जितेन्द्र उधमपुरी (Jitendra Udhampuri) डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह इक शहर यादें दा के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। .

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ज्ञान सिंह पगोच

ज्ञान सिंह पगोच डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक महाकाव्य महात्मा विदुर के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा

जो तेरे मन–चित्त लग्गी जा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार यश शर्मा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जीवन लैह्रां

जीवन लैह्रां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार तारा स्मैलपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वेद राही

वेद राही (जन्म १९३३) हिन्दी और डोगरी के साहित्यकार तथा फिल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित फिल्म वीर-सावरकर बनाई। वेद राही ने दूरदर्शन धारावाहिक गुल गुलशन गुलफाम का भी निर्देशन किया। वेद राही का जन्म 22 मई 1933 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला मुल्कराज सराफ था जो जम्मू से “रणबीर” नाम का समाचार-पत्र निकलते थे। राही जी को बचपन से ही लिखने का शौक था। उन्होंने पहले उर्दू में लिखना आरम्भ किया और फिर हिंदी और डोगरी भाषा में भी लिखने लगे। उनकी अब तक की कुछ मशहूर कहानियां है - काले हत्थे (1958), आले (1982), क्रॉस फायरिंग। उनके प्रमुख उपन्यासों में झाड़ू बेदी ते पत्तन (1960), परेड (1982), टूटी हुई डोर (1980), गर्म जून आदि। वेद राही ने फिल्मी संसार में कदम रामानंद सागर के कारण रखा जिनके साथ जुड़ रहकर उन्होंने लगभग 25 हिंदी फिल्मों के लिए कहानिया, डायलॉग और स्क्रीन राइटिंग की। इन्होने कई फिल्में की जैसे वीर सावरकर (1982), बेज़ुबान (1976), चरस (1975), संन्यासी (1972), बे-ईमान (1972), मोम की गुड़िया (1971), आप आये बहार आई (1971), पराया धन (1970), पवित्र पापी (1966), 'यह रात फिर न आएगी' आदि। इसके अलावा उन्होंने 9 फिल्मे और सीरियल का निर्देशन किया एहसास (टीवी सीरीज) (1994), रिश्ते (टीवी सीरीज) (1987), ज़िन्दगी (टीवी सीरीज)(1987), गुल गुलशन गुलफाम (टीवी सीरीज) (1984), नादानियाँ (1980), काली घटा (1973), प्रेम पर्वत (1972), दरार आदि। इसके अलावा इन्होने काली घटा नामक फिल्म निर्मित भी की। .

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वीरेन्द्र केसर

वीरेन्द्र केसर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक ग़ज़ल–संग्रह निघे रंग के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खुईरटा

खुईरटा या खुईरेटा (अंग्रेज़ी: Khuiratta, उर्दु: کھوئی رٹہ) आज़ाद कश्मीरर के कोटली ज़िले में एक शहर है। यहाँ प्रसिद्ध क़िला कर्जई (Karjai, کرجائ) है, जो मुग़ल साम्राज्य के दौर में बना था और खुईरटा से कुछ दूरी पर देवीगढ़ नामक स्थान पर खड़ा है। नियंत्रण रेखा से केवल ८ किमी की दूरी पर स्थित यह नगर अपने बैसाखी मेले और "दरबार माई तोती साहिबा" नामक दरगाह के लिये जाना जाता है। .

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गढ़ी दुपट्टा

गढ़ी दुपट्टा (अंग्रेज़ी: Garhi Dupatta, उर्दु: گڑھی دوپٹہ) आज़ाद कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद ज़िले में स्थित एक शहर है। यह झेलम नदी के किनारे मुज़फ़्फ़राबाद-चकोठी सड़क पर मुज़फ़्फ़राबाद से २० किमी दूर स्थित है। .

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गमले दे कैक्टस

गमले दे कैक्टस डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवराम दीप द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गोजरी भाषा

गोजरी या गूजरी एक हिन्द-आर्य भाषा है जो उत्तर भारत व पाकिस्तान में गुर्जर समुदाय के कई सदस्यों द्वारा बोली जाती है। भारत में यह भाषा राजस्थान,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखण्ड और पंजाब राज्यों में बोली जाती है। पाकिस्तान में यह पाक-अधिकृत कश्मीर और पंजाब (पाकिस्तान) में बोली जाती है। इस भाषा का मूल ढांचा और गहरी शब्दावली दोनों राजस्थानी भाषा की है लेकिन स्थानानुसार इसमें कई पंजाबी, डोगरी, कश्मीरी, गुजराती, हिन्दको और पश्तो प्रभाव देखे जाते हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। .

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गीत सरोवर

गीत सरोवर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रद्युम्न सिंह ‘जिन्द्राहिया’ द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ओ. पी. शर्मा सारथी

ओ. पी.

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ओम विद्यार्थी

ओम विद्यार्थी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत त्रिप–त्रिप चेते के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आठमुकाम

अठमुकाम या आठमुकाम (नाम के दोनों रूप प्रयोग में हैं) पाक-अधिकृत कश्मीर के नीलम ज़िले में स्थित एक शहर है जो उस ज़िले की राजधानी भी है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से ७३ किलोमीटर दूर है। .

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आठवीं अनुसूची

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में २२ भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें से १४ भाषाओं को संविधान में शामिल किया गया था। सन १९६७ में, सिन्धी भाषा को अनुसूची में जोड़ा गया। इसके बाद, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को १९९२ में जोड़ा गया। हाल में २००४ में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए। .

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आले

आले डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार वेद राही द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इक शहर यादें दा

इक शहर यादें दा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार जितेन्द्र उधमपुरी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कठुआ

कठुआ जम्मू व कश्मीर का एक नगर है। कठुआ' शब्द डोगरी भाषा के ठुआं' से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ 'बिच्छू' है। कुछ लोगों का मत है कि कठुआ शब्द 'कश्यप' ऋषि के नाम से उत्पन्न हुआ है। यह नगर जम्मू काश्मीर का 'प्रवेश द्वार' तथा औद्योगिक नगर भी है। कठुआ, जम्मू से 87 किलोमीटर और पठानकोट से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहले इसे 'कठुई' के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर कठुआ रख दिया गया। ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाने वाला यह जिला लगभग 2000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह स्थान जहां एक ओर मंदिरों, जैसे धौला वाली माता, जोदि-दी-माता, आशापूर्णी मंदिर आदि के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी ओर यह बर्फ से ढ़के पर्वतों, प्राकृतिक सुंदरता और घाटियों के लिए भी प्रसिद्ध है। .

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कर्ण सिंह

कर्ण सिंह कर्ण सिंह (जन्म 1931) भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ॰ कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष १९४९ में प्रधानमन्त्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें राजप्रतिनिधि (रीजेंट) नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: राज्यपाल के पदों पर रहे। १९६७ में डॉ॰ कर्ण सिंह प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इसके तुरन्त बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष १९७१, १९७७ और १९८० में पुन: चुने गए। डॉ॰ कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे ६ वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। १९७३ में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। १९७६ में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। १९७९ में वे शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने। डॉ॰ कर्ण सिंह पूर्व रियासतों के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से निजी कोश(प्रिवी पर्स) का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा बीस हजार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है। कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित दून स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और इसके बाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की। वे इसी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रह चुके हैं। वर्ष १९५७ में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में एम.ए. उपाधि हासिल की। उन्होंने श्री अरविन्द की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबन्ध लिख कर दिल्ली विश्वविद्यालय से डाक्टरेट उपाधि का अलंकरण प्राप्त किया। कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे हैं। वे केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं। वे जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि के उपाध्यक्ष, टेम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एक प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्विश्वास संगठन) के अध्यक्ष, भारत पर्यावरण और विकास जनायोग के अध्यक्ष, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और विराट हिन्दू समाज के सभापति हैं। उन्हें अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, तोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियां उल्लेखनीय हैं। वे कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षी हैं। डॉ॰ कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएं अंग्रेजी में लिखी हैं। उनके महत्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वर्ल्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफी सराहना हुई है। उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के कारण वे भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में जाने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, लेकिन इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली। .

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क़ैदी

क़ैदी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार देशबंधु डोगरा ‘नूतन’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कालामी भाषा

कालामी (Kalami), जिसे कालाम कोहिस्तानी या गावरी (Gawri) भी कहते हैं, कोहिस्तानी शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले बोली जाती है। .

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किशन स्मैलपुरी

किशन स्मैलपुरी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मेरे डोगरी गीत के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुँवर वियोगी

कुँवर वियोगी डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास घर के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुद

कुद भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के उधमपुर ज़िले की एक बस्ती है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ पर जम्मू से श्रीनगर जाते हुए उधमपुर से ३४ किलोमीटर बाद आता है और जम्मू से लगभग १०० किमी दूर है। यह 1855 मीटर (6085 फ़ुट) की ऊँचाई पर चेनाब नदी के किनारे बसा हुआ है। कुद से आगे पत्नीटॉप का पर्यटक स्थल है और उस से आगे बटोत आता है। जम्मू और कश्मीर में कुद का पतीसा प्रसिद्ध है। .

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कुंडल शाही

कुंडल शाही आज़ाद कश्मीर के नीलम ज़िले में स्थित एक गाँव है जो एक पर्यटक-आकर्षण भी है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से ७४ किलोमीटर दूर किशनगंगा नदी (जिसका नाम पाकिस्तान ने बदलकर नीलम नदी करा हुआ है) के किनारे बसा हुआ है। .

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कृष्ण शर्मा

कृष्ण शर्मा डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह ढलदी धुप्पै दा सेक के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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केरन, आज़ाद कश्मीर

केरन आज़ाद कश्मीर के नीलम ज़िले में स्थित एक गाँव है जो नियंत्रण रेखा के समीप स्थित है। यह १,५२४ मीटर (५,००० फ़ुट) की ऊँचाई पर किशनगंगा नदी (जिसे पाकिस्तान ने नाम बदलकर "नीलम नदी" कहना आरम्भ करा है) के किनारे बसा हुआ है और वही नदी इस स्थान पर नियंत्रण रेखा है। उसके पार भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में भी एक केरन नामक गाँव है। .

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केल

केल आज़ाद कश्मीर के नीलम ज़िले में स्थित एक बस्ती है जो नियंत्रण रेखा के समीप स्थित है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से १५५ किलोमीटर दूर, समुद्रतल से ६,८७९ फ़ुट (२,०९७ मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है। .

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केहरि सिंह मधुकर

केहरि सिंह मधुकर डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मैं मेले रा जानू के लिये उन्हें सन् 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कोटली ज़िला

कोटली ज़िला (अंग्रेज़ी: Kotli District, उर्दु) आज़ाद कश्मीर का एक ज़िला है। पाकिस्तान ने पाक-अधिकृत कश्मीर को दो भागों में विभाजित करा है: आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान। कोटली ज़िला इनमें से आज़ाद कश्मीर नामक हिस्से में आता है। इसका प्रमुख नगर कोटली है। भारत इसे अपना भाग मानता है। .

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कोरे काकल कोरियां तलियां

कोरे काकल कोरियां तलियां डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार दर्शन दर्शी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अपनी डफली अपना राग

अपनी डफली अपना राग डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन सिंह द्वारा रचित एक नाटक–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अभिशाप

अभिशाप डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लालसा के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अयोधिया

अयोधिया डोगरी भाषा के विख्यात साहित्यकार दीनू भाई पंत द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में डोगरी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

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