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डेहरी आन सोन

सूची डेहरी आन सोन

डेहरी आन सोन (स्थिति: 240 55' उ0 अ0 तथा 840 11' पू0 दे0) बिहार के शाहाबाद जिले का एक छोटा सा सुंदर कस्बा है। यह सोन नदी के बाएँ किनारे पर ग्रैंड ट्रंक रोड पर बसा हुआ है। यहाँ यातायात की भरमार और सरकारी कार्यालयों की बहुलता है। व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र होने से यह नगर सा जान पड़ता है। यहाँ सोन नदी पर बाँध बाँधकर नहरें निकाली गई हैं। नहरों के कारण स्थान की रमणीयता बढ़ गई है। जहाँ से नहर निकाली है उसके पास ही 'अपलैंड पार्क' नामक एक सुंदर उद्यान लगा है। यहाँ वर्ष में दो उल्लेखनीय मेले लगते हैं - एक माघ संक्रांति के अवसर पर, दूसरा कार्तिक में छठ के अवसर पर। छठवाला मेला कुछ घंटों के लिए ही लगता है पर 15-20 मीलों से स्त्री-पुरुष, बच्चे बूढ़े, रंग बिरंगी पोशाक पहनकर हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं। डिहरी-ऑन-सोन स्वास्थ्यकर स्थान है, यहाँ जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक दृश्यों की छटा देखने के लिए हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष, विशेषत: अक्टूबर से मार्च के बीच, आते हैं। रोहतासगढ़ का किला डिहरी-ऑन-सोन की प्रसिद्धि उत्तर में बसे डालमियानगर के कारण बढ़ गयी है। डालमियानगर में चीनी, कागज, सीमेंट, वनस्पति घी, दाहक सोडा आदि के निर्माण के कारखाने हैं, जिनमें हजारों व्यक्ति काम करते हैं। इनकी सुविधा के लिए अनेक वासस्थान, क्वार्टर, अस्पताल, स्कूल, खेल के मैदान आदि बने हैं। यहाँ से लगभग 12 मील पश्चिम में ससराम नामक स्थान है, जहाँ शेरशाह का मकबरा स्थित है। इसके 30 मील दक्षिण में सोन नदी के बहाव पर पहाड़ी पर स्थित रोहतास गढ़ का प्राचीन और मजबूत किला है। ऐसा कहा जाता है कि राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने इसे बनवाया था। यह बहुत दिनों तक हिन्दू राजाओं के अधिकार में रहा किंतु 16वीं सदी में मुसलमानों के अधिकार में चला गया और अनेक वर्षों तक उनके अधीन रहा। .

4 संबंधों: भारत के शहरों की सूची, रोहतास, सोन नदी, ग्रैंड ट्रंक रोड

भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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रोहतास

रोहतास जिला मुख्यालय: सासाराम क्षेत्र: ३८५० किमी जनसंख्या: २४,४८,७६२(२००१ जनगणना) उप प्रभागों: सासाराम, डेहरी, बिक्रमगन्ज ब्लॉक: नौहट्टा, चेनारी, नासरीगन्ज्, रोहतास, नोखा, डेहरी, बिक्रमगन्ज, दिनारा, राजपुर, शिवसागर कृषि: धान, गेहूं, दाल उद्योग: सीमेंट, पत्थर माइंस नदियों: सोन, काव नहर- जगजीवन कैनाल, गारा चौबे कैनाल रोहतास जिला बिहार के अड़तीस जिलो में से एक है। इसका मुख्यालय सासाराम है। इस जिले में तीन अनुमंडल हैं, जिनमें डेहरी आन सोन, बिक्रमगंज और सासाराम है। रोहतास जिले के बिक्रमगंज में मां अस्कामिनी का बेहद प्राचीन मंदिर है। रोहतास जिले के रोहतासगढ़ किले का भी ऐतिहासिक महत्व है। वहीं, सासाराम में शेरशाह सूरी का प्रसिद्ध मकबरा भी अवस्थित है। ऐसा कहा जाता है कि शेरशाह सूरी ने ही वर्तमान डाक-तार व्यवस्था की शुरुआत की थी। इस जिले की सबसे खास बात यह भी है कि यहाँ का जिलाधिकारी कार्यालय सासाराम में है, जबकि पुलिस मुख्यालय डेहरी आन सोन में है। साथ में न्यायिक कार्यालय क्रमशः सासाराम और बिक्रमगंज में है। बिक्रमगंज के समीप स्थित धारुपुर की मां काली का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो नहर के बीचों-बीच अवस्थित है। रोहतास जिला पटना डिवीजन का एक हिस्सा है और यह ३८५० वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है, २४,४८,७६२ (२००१ जनगणना) की आबादी और किमी² प्रति ६३६ व्यक्तियों की आबादी के घनत्व। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी है। जिले के प्रशासनिक मुख्यालय, सासाराम ऐतिहासिक महत्व की एक जगह है। राष्ट्रीय गौरव का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रतीक सोन पुल, सोन नदी के ऊपर बना हुआ है वहाँ दो समानांतर पुलों, सड़क के लिए एक और रेलवे के लिए एक और कर रहे हैं। सड़क पुल (जवाहर सेतु १९६३-६५ में गैमन इंडिया द्वारा निर्मित) सोन पर लंबे समय तक एशिया में (३०६१ मी) था जब तक यह पटना में गंगा नदी के ऊपर महात्मा गांधी सेतु (5475 मीटर) द्वारा को पार कर गया था। रेलवे पुल अभी भी सबसे लंबे समय तक एशिया में रेलवे पुल है। इसके तीन अनुमंडल बिक्रमगन्ज, सासाराम और डेहरी है। बिक्रमगंज में अस्कामिनि माँ का मन्दिर काफी प्रसिद्ध है। बिक्रमगन्ज के पास स्थित धारुपुर काली माँ का मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध है। ये मन्दिर नहर के बीचोबीच है। कैमूर पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित मां ताराचंडी का शक्तिपिठ भी है। कैमूर पहाड़ियाँ पर्यटन के लिये भी प्रसिद्ध हैं। सासाराम में प्रसिद्ध शेरशाह का मकबरा है। .

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सोन नदी

सोन नद या सोनभद्र नद भारत के मध्य प्रदेश राज्य से निकल कर उत्तर प्रदेश, झारखंड के पहाड़ियों से गुजरते हुए पटना के समीप जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। यह बिहार की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के हैँ जो सोने कि तरह चमकते हैँ। इस नदी के रेत भवन निर्माण आदी के लिए बहुत उपयोगी हैं यह रेत पूरे बिहार में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है तथा यह रेत उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में भी निर्यात किया जाता है। सोन नद का उल्लेख रामायण आदि पुराणो में आता है । .

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डिहरी-आन-सोन, डेहरी

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