लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

डिवोनी कल्प

सूची डिवोनी कल्प

मत्स्य काल या 'डिवोनी कल्प' (Devonian) भूवैज्ञानिक काल है जो पुराजीवी महाकल्प (Paleozoic Era) के सिल्युरी युग के अन्त से आरम्भ होकर (लगभग 416.0 ± 2.8 Mya (million years ago)) कार्बनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 359.2 ± 2.5 Mya) फैला हुआ है। इस कल्प का नाम इंग्लैण्ड के डेवन प्रदेश के नाम पर पड़ा है जहाँ सबसे पहले इस काल के शैलों का अध्ययन किया गया था। मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को 'मत्स्य युग' भी कहते हैं। .

6 संबंधों: चौपाये, ट्राइलोबाइट, परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटना, पुराजीवी महाकल्प, भूवैज्ञानिक समय-मान, सिल्यूरियन

चौपाये

चौपाये (Tetrapod) या चतुरपाद उन प्राणियों का महावर्ग है जो पृथ्वी पर चार पैरों पर चलने वाले सर्वप्रथम कशेरुकी (यानि रीढ़-वाले) प्राणियों के वंशज हैं। इसमें सारे वर्तमान और विलुप्त उभयचर (ऐम्फ़िबियन), सरीसृप (रेप्टाइल), स्तनधारी (मैमल), पक्षी और कुछ विलुप्त मछलियाँ शामिल हैं। यह सभी आज से लगभग ३९ करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी के डिवोनी कल्प में उत्पन्न हुई कुछ समुद्री लोब-फ़िन मछलियों से क्रम-विकसित हुए थे। चौपाये सब से पहले कब समुद्र से निकल कर ज़मीन पर फैलने लगे, इस बात को लेकर अनुसंधान व बहस जीवाश्मशास्त्रियों में जारी है। हालांकि वर्तमान में अधिकतर चौपाई जातियाँ धरती पर रहती हैं, पृथ्वी की पहली चौपाई जातियाँ सभी समुद्री थीं। उभयचर अभी-भी अर्ध-जलीय जीवन व्यतीत करते हैं और उनका आरम्भ पूर्णतः जल में रहने वाले मछली-रूपी बच्चें से होता है। लगभग ३४ करोड़ वर्ष पूर्व ऐम्नीओट (Amniotes) उत्पन्न हुये, जिनके शिशुओं का पोषण अंडों में या मादा के गर्भ में होता है। इन ऐम्नीओटों के वंशजों ने पानी में अंडे छोड़ने-वाले उभयचरों की अधिकतर जातियों को विलुप्त कर दिया हालांकि कुछ वर्तमान में भी अस्तित्व में हैं। आगे चलकर यह ऐम्नीओट भी दो मुख्य शाखाओं में बंट गये। एक शाखा में छिपकलियाँ, डायनासोर, पक्षी और उनके सम्बन्धी उत्पन्न हुए, जबकि दूसरी शाखा में स्तनधारी और उनके अब-विलुप्त सम्बन्धी विकसित हुए। जहाँ मछलियों में क्रम-विकास से चार-पाऊँ बनकर चौपाये बने थे, वहीं सर्प जैसे कुछ चौपायों में क्रम-विकास से ही यह पाऊँ ग़ायब हो गये। कुछ ऐसे भी चौपाये थे जो वापस समुद्री जीवन में चले गये, जिनमें ह्वेल शामिल है। फिर-भी जीववैज्ञानिक दृष्टि से चौपायों के सभी वंशज चौपाये ही समझे जाते हैं, चाहें उनके पाँव हो या नहीं और चाहे वे समुद्र में रहें या धरती पर। .

नई!!: डिवोनी कल्प और चौपाये · और देखें »

ट्राइलोबाइट

ट्राइलोबाइट (Trilobite) विलुप्त प्राणियों की एक श्रेणी है जो समुद्री सन्धिपाद (arthropod, अर्थोपोडा) थे। वे सबसे पहले कैंब्रियन कल्प के शुरुआती काल में आज से ५२.१ करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुए और भी पुराजीवी महाकल्प (पैलिओज़ोइक) काल में फैले और विविध हुए। उसके बाद उनकी जातियों की धीरे-धीरे विलुप्ति होने लगी और डिवोनी कल्प (Devonian) में उनके प्रोटिड (Proetida) गण (order) को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के ट्राइलोबाइट विलुप्त हो गये। फिर आज से लगभग २५ करोड़ वर्ष पूर्व की पर्मियन-ट्राइऐसिक विलुप्ति घटना में सभी ट्राइलोबाइट हमेशा के लिये विलुप्त हो गये। अपने अस्तित्व के काल में वे बहुत ही सफल प्राणी थे और २७ करोड़ सालों तक वे विश्व के सागरों-महासागरों में फैलते-फिरते रहे। ट्राइलोबाइटों का पुराजीव कल्प के प्रथम महायुग कैंब्रियन में साम्राज्य था। इस युग में इनकी संख्या इतनी अधिक थी कि यह साधारणतया 'ट्राइलोबाइटा का युग' कहलाता है। ये साधारणतया दो से तीन इंच तक लंबे होते थे, किंतु कुछ दो फुट से भी अधिक बड़े थे। यह अनुमान किया जाता है कि ये ऐरैक्जिडा (Arachnida) और क्रस्टेशिया (Crustacea) के पूर्वज थे। इनका शरीर दो भागों में विभाजित था: शीशवक्ष (प्रोसामा, Prosoma) और उदर (ऑपिस्थोसोमा, opisthosoma)। शीशवक्ष में पाँच खंड होते हैं, जिनकी पृष्ठियों का समेकन हो जाता है इस प्रकार एक ढालाकार अंग (केरापेस, carapace) सा बन जाता है। इसी पर संयुक्त नेत्र भी रहते है, मुख इसी के नीचे की ओर लगभग मध्य में होता है। मुख के अगले सिरे की और लेब्रम (labrum) और पिछले सिरे पर लेबियम (labium) होता है। मुख के आगे की ओर एक जोड़ी लंबी अनेक खंडवाली श्रंगिका होती है। मुख के पीछे की ओर चार जोड़ी अवयव होते हैं, जिनके निकटतम खंड कॉक्सा (coxa) कहलाते हैं जो जबड़ों का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक अवयव का शेष भाग दो शाखाओं में विभाजित रहता है- एक एंडॉपोडाइट (endopodite) कहलाता है और रेंगने का कार्य करता है तथा दूसरा एक्सोपोडाइट (exopodite), जिसपर ब्रैकियल फिलामेंट (branchial filaments) लगे होते हैं और श्वसन का कार्य करते हैं। उदरखंड़ों की संख्या में अनेक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। प्रारंभिक ट्राइलोबाइटा में इनकी संख्या बहुत थी। ये खंड एक पंक्ति में क्रम से जुड़े रहते हैं। उदर के प्रत्येक खंड में, अंतिम खंड के अतिरिक्त, एक जोड़ी अवयव होता है। इनका आकार तथा कार्य शीशवक्ष के अवयवों जैसा ही होता है। उदर का अंतिम खंड टेलसन (telson) कहलाता है। इसी पर गुदा होती है और कभी एक पश्चगुदा काँटा भी होता है। प्रारंभिक ट्राइलोबाइटाओं के पश्चात् जिन ट्राइलोबाइटाओं का विकास हुआ, उनमें शरीरखंडों की संख्या केवल १८ या १९ ही थी, पश्च भाग के कुछ खंडों में अवयव भी नहीं थे तथा इन अवयवों के आकारों और कार्यों में भी कुछ अंतर आ गया था। शीशवक्ष के अवयवों ने बहुत कुछ श्वसन कार्य करना बंद कर दिया था, किंतु ये चलने, लटकने और भोजन को मुख में ले जाने के लिये अधिक उपयुक्त बन गए थे। उदर के अवयवों ने अपना श्वसन तथा चलन कार्य यथावत् रखा था। .

नई!!: डिवोनी कल्प और ट्राइलोबाइट · और देखें »

परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटना

परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटनाएँ (Late Devonian extinction events) पृथ्वी के डिवोनी कल्प (Devonian period) के फ़ामेनियन काल (Famennian) कहलाए जाने वाले अंतिम चरण में हुई दो विलुप्ति घटनाओं को कहते हैं। पहली घटना इस काल के आरम्भ में और दूसरी इसके अंत में हुई थी। यह विलुप्तियाँ आज से लगभग ३७.५ से ३६.० करोड़ वर्ष पूर्व घटीं। इन घटनाओं में अनुमान लगाया जाता है कि, कुल मिलाकर १९% जीववैज्ञानिक कुल (families) और ५०% जीववैज्ञानिक वंश (genera) विनाशित हो गये। .

नई!!: डिवोनी कल्प और परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटना · और देखें »

पुराजीवी महाकल्प

पुराजीवी अथवा पुराजीवी महाकल्प दृश्यजीवी महाकाल के तीन भूविज्ञान कल्पों (युगों) में से प्रथम को कहा जाता है। इसका लगभग समय ५४१ से २५२.२ मिलियन वर्ष पूर्व माना जाता है। यह दृश्यजीवी महाकालों में से सबसे लम्बा माना जाता है जिसे छः भूविज्ञान कल्पों: कैम्बियन, अवर प्रवालादि, सिल्यूरियन, डिवोनी, कार्बनी और पर्मियन में विभाजित किया जाता है। .

नई!!: डिवोनी कल्प और पुराजीवी महाकल्प · और देखें »

भूवैज्ञानिक समय-मान

यह घड़ी भूवैज्ञानिक काल के प्रमुख ईकाइयों के के साथ-साथ पृथ्वी के जन्म से लेकर आज तक की प्रमुख घटनाओं को भी दिखा रही है। भूवैज्ञानिक समय-मान (geologic time scale) कालानुक्रमिक मापन की एक प्रणाली है जो स्तरिकी (stratigraphy) को समय के साथ जोड़ती है। यह एक स्तरिक सारणी (stratigraphic table) है। भूवैज्ञानिक, जीवाश्मवैज्ञानिक तथा पृथ्वी का अध्ययन करने वाले अन्य वैज्ञानिक इसका प्रयोग धरती के सम्पूर्ण इतिहास में हुई सभी घटनाओं का समय अनुमान करने के लिये करते हैं। जिस प्रकार चट्टानो के अधिक पुराने स्तर नीचे होते हैं तथा अपेक्षाकृत नये स्तर उपर होते हैं, उसी प्रकार इस सारणी में पुराने काल और घटनाएँ नीचे हैं जबकि नवीन घटनाएँ उपर (पहले) दी गई हैं। विकिरणमितीय प्रमाणों (radiomeric evidence) से पता चलता है पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब वर्ष है। .

नई!!: डिवोनी कल्प और भूवैज्ञानिक समय-मान · और देखें »

सिल्यूरियन

सिल्यूरियन (Silurian) एक भूगर्भीय युग एवं प्रणाली का नाम है जो ऑडोविशन कल्प के अन्त (लगभग 443.4 ± 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व) से आरम्भ होकर डिवोनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 419.2 ± 3.2 मिलियन वर्ष पूर्व) तक विस्तृत है। सिल्यूरियन प्रणाली का नामकरण मरचीसन (Murchison) ने सन्‌ १८३५ में इंग्लैंड के वेल्स प्रांत के आदिवासियों के नाम के आधार पर किया। उसने इसका स्थान पुराजीव कल्प आर्डोविसियन (Ordovician) और डेवोनियम (Devoniam) काल के बीच में रखा। शनै: शनै: संसार के अन्य भागों में भी ऐसे स्तर मिले और इस प्रकार सिल्यूरियन प्रणाली पुराजीवकल्प के एक युग के रूप में स्तर-शैल-विद्या में आ गई। .

नई!!: डिवोनी कल्प और सिल्यूरियन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

मत्स्य युग

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »