लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

डायलिसिस

सूची डायलिसिस

रक्तापोहन की एक मशीन अपोहन (डायलिसिस) रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे द्वारा जल और खनिज (सोडियम, पोटेशियम क्लोराइड, फॉस्फोरस सल्फेट) का सामंजस्य रखा जाता है। डायलसिस स्थायी और अस्थाई होती है। यदि अपोहन के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो अपोहन की प्रक्रिया अस्थाई होती है। यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो अपोहन अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है। ये आरंभ में एक माह से लेकर बाद में एक दिन और उससे भी कम होती जाती है। सामान्यतः दो तरह की अपोहन की जाती है,; उदरावरणीय अपोहन उदरावरणीय अपोहन घर में रोगी द्वारा अकेले या किसी की मदद से की जा सकती है। इसमें ग्लूकोज आधारित उदर समाधान में तकरीबन दो घंटे तक रहता है, उसके बाद उसे निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जन रोगी के एब्डोमेन के अंदर टाइटेनियम प्लग लगा देता है। यह प्रक्रिया उनके लिए असरदार साबित नहीं होती, जिनका इम्यून सिस्टम सिकुड़ चुका है। इस प्रक्रिया में अपोहन प्रतिदिन नहीं करानी पड़ती। यह रक्तापोहन की तुलना में कम प्रभावी होती है।। पत्रिका.कॉम पर उदरावरणीय अपोहन घर पर ही किया जा सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रणाली दस वर्ष से अधिक समय से उपलब्ध है, किन्तु महंगी होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाता।। याहू जागरण। १९ जुलाई, २००९। देशब्म्धु.को.इन। ३१ अगस्त, २००९; रक्तापोहन रक्तापोहन प्रक्रिया का आरेख रक्तापोहन आम प्रक्रिया है, ज्यादातर रोगी इसी का प्रयोग करते हैं। इसमें रोगी के खून को डायलाइजर द्वारा पंप किया जाता है। इसमें खून साफ करने में तीन से चार घंटे लगते है। इसे सप्ताह में दो-तीन बार कराना पड़ता है। इसमें मशीन से रक्त को शुद्ध किया जाता है। उदरावरणीय अपोहन बेहतर सिद्ध हुआ है। यह निरंतर होने वाला अपोहन है, इसलिए इससे गुर्दे बेहतर तरीके से काम करती है। रू बिन ऎट ऑल द्वारा किए गए अघ्ययन से पता लग कि इसका प्रयोग करने वाले मरीजों का उपचार हीमो करने वालों के मुकाबले अधिक अच्छा हो रहा है। चॉइस कहलाने वाली यह अध्ययन चिकित्सा अमेरिकी संघ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। आठ वर्ष से कम आयु के मरीजों के लिए पीडी की सिफारिश की जाती है। भारत में लगभग सभी बड़े शहरों में अपोहन की सुविधा पर्याप्त उपलब्ध है। देश का सबसे बड़ा अपोहन केन्द्र चंडीगढ़ में संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में खुलने वाला है। इसमें वृक्कीय निवेश विफलता के प्रतीक्षा के मरीजों के अलावा पुरानी विफलता के मरीजों की भी अपोहन हो सकेगी। .

9 संबंधों: एंटीकौयगुलांट, डायजे़पाम, न्यूट्रोपेनिया, मधुमेह टाइप 2, मधुमेही नेफ्रोपैथी, रक्तापोहन, हेमोडायलिसिस, अतिकैल्शियमरक्तता, उदरावरणीय अपोहन

एंटीकौयगुलांट

एंटीकौयगुलांट का इस्तेमाल इस बात पर आधारित एक निर्णय है की उसे इस्तेमाल करने के क्या जोखिम आर क्या लाभ होंगे। ऐनटीकोयगुलेशन का सबसे बड़ा जोखिम यह है की इसे रक्तस्राव का खतरा बढ़ (increased risk of bleeding) जाता है। हालाँकि स्वस्थ शरीर वाले लोगों में इसका खतरा कम होता है, परन्तु जो लोग हाल ही में सर्जरी, मस्तिष्क aneurysm, और अन्य प्रकार की इसी स्थितियों से ग्रस्त हैं उनको रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर ऐनटीकोयगुलेशन चिकित्सा को इस्तेमाल करने का सही लाभ तब मिलता है जब रोग की प्रगति या रोग से बचाव के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐनटीकोयगुलेशन चिकित्सा से मिले हुए जाने माने कुछ लाभ:-.

नई!!: डायलिसिस और एंटीकौयगुलांट · और देखें »

डायजे़पाम

डायज़ेपाम, जिसे सबसे पहले हाफमैन-ला रोश द्वारा वैलियम नाम से बाजार में उतारा गया था, एक बेंजोडायजापाइन अमौलिक दवा है। इसे सामान्यतः बेचैनी, अनिद्रा, अधिग्रहण स्टैटस एपिलेप्टिकस सहित मिरगी के दौरों, मांसपेशियों की अकड़न, बेचैन पैरों के रोगसमूह, अल्कोहल का सेवन और बोंजोडायजेपाइनों का सेवन बंद करने से उत्पन्न लक्षणों और मेनियर्स रोग के उपचार के काम में लाया जाता है। इसे कतिपय चिकित्सकीय प्रक्रियाओं (जैसे एंडोस्कोपी के समय) के पहले तनाव व चिंता को दूर करने के लिये और कुछ शल्यक्रियाओं में स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है। इसमें चिंतानाशक, मिर्गी निरोधक, हिप्नोटिक, निद्राकारक, मांसपेशियों में शिथिलता लाने और स्मृतिलोपक गुण होते हैं। डायज़ेपाम की औषधिक क्रिया GABAA ग्राहक पर बेंजोडायजेपाइन साइट पर जुड़ कर न्यूरोट्रांसमिटर गाबा के प्रभाव को बढ़ा कर केन्द्रीय नाड़ी तंत्र को डिप्रेस करती है। डायज़ेपाम को मौज-मस्ती की दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। डायज़ेपाम के दुष्प्रभावों में घटनोत्तर स्मृतिलोप (खास तौर पर अधिक मात्राओं पर) और निद्रा व अनपेक्षित प्रभाव जैसे उत्तेजना, क्रोध या मिर्गी के रोगियों में दौरों को और बढ़ा देना शामिल हैं। बेंजोडायजापाइनों से अवसाद हो या बिगड़ भी सकता है। डायज़ेपाम जैसे बेजोडायजेपाइनों के लंबे अर्से के प्रभावों में सहिष्णुता, बेंजोडायजेपाइन पर निर्भरता व मात्रा में कमी करने पर बेजोडायजेपाइन विदड्राल सिंड्रोम शामिल हैं। इसके अलावा बेजोडायजेपाइनों को रोकने पर ज्ञान में विकार कम से कम 6 महीनों तक रह सकते हैं और पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाते.

नई!!: डायलिसिस और डायजे़पाम · और देखें »

न्यूट्रोपेनिया

न्यूट्रोपेनिया, लैटिन के उपसर्ग नयूट्रो -(कोई भी नहीं, निष्पक्ष अभिरंजन के लिए) और ग्रीक प्रत्यय -πενία (कमी), एक रुधिर संबंधित विकार है जिसके तहत रक्त में सबसे महत्वपूर्ण श्वेत रक्त कोशिका 'न्यूट्रोफिल' की असामान्य रूप से कमी हो जाती है। नयूट्रोफिल आमतौर पर संचारित श्वेत रक्त कोशिकाओं का 50-70% हिस्सा बनाते हैं और रुधिर में उपस्थित बैक्टीरिया को नष्ट करके संक्रमण के खिलाफ शरीर के प्राथमिक रोग प्रतिरोधक के रूप में काम करते हैं। इसलिए, न्यूट्रोपेनिया के रोगियों को बैक्टीरियल संक्रमणों की ज्यादा आशंका रहती है और यदि शीघ्र चिकित्सकीय सुविधा न मिले तो यह रोग जानलेवा हो सकता है (नयूट्रोपेनिक सेप्सिस).

नई!!: डायलिसिस और न्यूट्रोपेनिया · और देखें »

मधुमेह टाइप 2

मधुमेह मेलिटस टाइप 2जिसे पहले "गैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस (NIDDM)" या "वयस्कता में शुरु होने वाला मधुमेह"कहा जाता था, एक चपापचय विकार है, जिसे इंसुलिन प्रतिरोध और सापेक्ष इंसुलिन कमी के संदर्भ में उच्च रक्त ग्लूकोस द्वारा पहचाना जाता है।यह मधुमेह मेलिटस टाइप 1 के विपरीत होता है जिसमें अग्नाशय में आइलेट कोशिकाओं के विघटन के कारण पूर्ण इंसुलिन की कमी होती है। अधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र लगना और लगातार भूख लगना कुछ चितपरिचित लक्षण हैं। मधुमेह टाइप 2 का आरंभिक प्रबंधन व्यायाम और आहार संबंधी सुधारको बढ़ा कर किया जाता है। यदि इन उपायों से रक्त ग्लूकोस स्तर पर्याप्त रूप से कम नहीं होते हैं तो मेटफॉर्मिनया इंसुलीन जैसी दवाओं की जरूरत हो सकती है। वे लोग जो इंसुलिन पर हैं, उनमें रक्त शर्करास्तरों की नियमित जांच की आवश्यकता होती है। मधुमेह की दर, मोटापे की दर के सामान पिछले 50 वर्षों में समांतर रूप से बढ़ी है। 2010 में लगभग 285 मिलियन लोग इस रोग से पीड़ित हैं, जबकि 1985 में इनकी संख्या लगभग 30 मिलियन थी। उच्च रक्त शर्करा से दीर्घावधि में होने वाली जटिलताओं में हृदय रोग, दौरे, मधुमेह रैटिनोपैथी जिसमें आंखो की देखने की क्षमता प्रभावित होती है, गुर्दे की विफलता जिसमें डायलिसिसकी जरूरत पड़ सकती है और अंगों में खराब संचरण के कारण अंग विच्छेदनशामिल हो सकता है। हलांकि मधुमेह टाइप 1 का गुण जो कि कीटोन बॉडी की अधिकताकी गंभीर जटिलता है, असमान्य है। हलांकि, नॉनएकेटोटिक हाइप्रोस्मोलर कोमाहो सकता है। .

नई!!: डायलिसिस और मधुमेह टाइप 2 · और देखें »

मधुमेही नेफ्रोपैथी

मधुमेही नेफ्रोपैथी (नेफ्रोपेटिया डायबीटिका) को किमेलस्टील-विल्सन सिंड्रोम या नौड्युलर डायबीटिक ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस तथा इंटरकैपिलरी ग्लोमेरुलोनेफ्राईटिस के नाम से भी जाना जाता है। गुर्दे की यह प्रगतिशील बीमारी गुर्दे की ग्लोमेरुली की कोशिकाओं में वाहिकारुग्णता (एंजियोपैथी) की वजह से होती है। यह नेफ्रोटिक सिंड्रोम तथा फैली हुई ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस द्वारा पहचानी जाती है। यह दीर्घकालिक मधुमेह के कारण उत्पन्न हो सकती है और पश्चिमी देशों में इसे गुर्दे के मरीजों को बड़ी संख्या में डायलिसिस तक लाने वाली बीमारी के रूप में जाना जाता है। .

नई!!: डायलिसिस और मधुमेही नेफ्रोपैथी · और देखें »

रक्तापोहन

हीमोडायलिसिस प्रक्रिया प्रगति पर हीमोडायलिसिस मशीन हीमोडायलिसिस कृत्रिम रक्त शोधन हेतु गुर्दे का विकल्प है। यह डायलिसिस का एक प्रकार है। इसमें मरीज का खून शरीर के बाहर निकाल कर नकली फिल्टरों युक्त एक डायलिसिस सरकिट से गुजारा जाता है। ये फिल्टर अवशिष्ट पदार्थों को निकाल कर रक्त को वापस शरीर में पहुंचा देता है। हीमोडायलिसिस करवाने के लिए रोगी को हफ्ते में तीन बार डायलिसिस केंद्र तक जाना पड़ता है। इसके लिए जो सैटअप चाहिए उसकी वजह से खर्चा भी बढ़ जाता है। सीएपीडी पेरिटोनियल डायलिसिस की सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली पद्धति है। इसे मरीज खुद घर पर कर सकता ह,ै इस तरह उसे डायलिसिस सेंटर तक जाने-आने से छुट्टी मिल जाती है। यानी की दूर दराज क्षेत्रों में बसने वाले मरीज इसका लाभ उठा सकते हैं। चूंकि इसे स्थापित करने के लिए कोई निवेश नहीं करना पड़ता इसलिए यह किफायती भी है। एक और खास बात कि हीमोडायलिसिस के विपरीत पेरिटोनियल डायलिसिस में डिस्पोजेबल्स को दोबारा प्रयोग नहीं किया जाता। .

नई!!: डायलिसिस और रक्तापोहन · और देखें »

हेमोडायलिसिस

विकास के तहत हेमोडायलिसिस हेमोडायलिसिस की मशीन हेमोडायलिसिस एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत गंदे पदार्थों जैसे कि क्रियेटिनिन और यूरिया के साथ-साथ मुक्त जल को रक्त से तब निकाला जाता है, जब गुर्दे, वृक्क विफलता में होते हैं। यह चिकित्सा में प्रचलित है। हेमोडायलिसिस तीन वृक्क प्रतिस्थापन उपचारों में से एक है (अन्य दो हैं वृक्क प्रत्यारोपण; उदरावरणीय अपोहन) हेमोडायलिसिस, एक आउटपेशेंट (अस्पताल के बाहर) या इनपेशेंट (अस्पताल के अन्दर) उपचार हो सकता है। नियमित हेमोडायलिसिस को एक डायलिसिस आउटपेशेंट सुविधा में आयोजित किया जाता है, यह या तो अस्पताल का इसी उद्देश्य के लिए निर्मित एक कमरा होता है या एक समर्पित स्वतन्त्र क्लिनिक होती है। हेमोडायलिसिस को घर पर कम ही किया जाता है। एक क्लीनिक में डायलिसिस उपचार को नर्सों और तकनीशियनों से निर्मित विशेष स्टाफ द्वारा शुरू और प्रबंधित किया जाता है; घर पर डायलिसिस उपचार को स्वयं आरंभ और प्रबंधित किया जा सकता है या किसी प्रशिक्षित सहायक की मदद से संयुक्त रूप से किया जा सकता है जो आमतौर पर परिवार का एक सदस्य होता है। .

नई!!: डायलिसिस और हेमोडायलिसिस · और देखें »

अतिकैल्शियमरक्तता

ब्रिटिश अंग्रेजी में अति-कैल्शियम रक्तता रक्त में कैल्शियम स्तर की कमी है (सामान्य सीमा: 9-10.5 मिग्रा / डेली या 2.2-2.6 mmol / एल).

नई!!: डायलिसिस और अतिकैल्शियमरक्तता · और देखें »

उदरावरणीय अपोहन

उदरावरणीय अपोहन (पेरीटोनियल डायलिसिस) 'एपीडी' अपोहन यानि कृत्रिम रक्त शोधन हेतु गुर्दे का एक विकल्प है। उदरावरणीय अपोहन के तहत पेट की लाइनिंग या उदरावरणीय झिल्ली को कुदरती छन्ना की तरह प्रयोग कर रक्तधारा से गंदगी को निकाल दिया जाता है, इसलिए यह तरीका शरीर के भीतर काम करता है। कैथेटर कही जाने वाली एक छोटी चोंगा छिद्र द्वारा पेट में डाली जाती है और तरल को पेट में अंतक्षेपण (इंजैक्ट) किया जाता है। इस तरह अपोहन तरल उदरावरणीय झिल्ली से फालतू पानी और अवांछित पदार्थों को निकाल लेता है। .

नई!!: डायलिसिस और उदरावरणीय अपोहन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

अपोहन

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »