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डायमण्ड हार्बर

सूची डायमण्ड हार्बर

डायमण्ड हार्बर (ডায়মন্ড হারবার) कोलकाता शहर का दक्षिणी उपनगर है। यह हुगली नदी के तट पर बसा है, जिसके निकट ही यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। यह छोटा सा नगर सप्ताहांत में एक मशहूर पर्यटक स्थल बन जाता है। यह शहर दक्षिण २४ परगना जिला में स्थितहै। यहाँ अंग्रेज़ों के समय का एक विशाल पत्तन (बंदरगाह) बना है। 30 मील लंबे रेलमार्ग द्वारा यह कोलकाता से जुड़ा है। यहाँ से दक्षिण में चिङ्ड़ीखाली नामक किला है जिसमें भारी तोपें रखी हुई हैं। पहले यह ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों के रुकने का प्रमुख स्थान था और अब भी यहाँ जहाज और स्टीमर आते हैं। 'डायमण्ड हार्बर' चौबीस परगना जिले का उपमंडल भी है। इस उपमंडल का क्षेत्रफल 1,283 वर्ग मील है, जिसमें से 907 वर्ग मील क्षेत्र में सुंदरवन है। उपमंडल के दक्षिण में अर्धनिर्मित भूभाग है जिसमें अरुद्ध नदमुख द्वारा गंगा नदी समुद्र में जाने का मार्ग पाती है। इस उपमंडल में 1,575 गाँव हैं, केवल डायमंड हारबर एकमात्र नगर है। .

3 संबंधों: बिहार में यातायात, गंगासागर, कोलकाता उपनगरीय रेलवे

बिहार में यातायात

यह लेख बिहार राज्य की सार्वजनिक और निजी परिवहन प्रणाली के बारे में है। .

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गंगासागर

गंगासागर (सागर द्वीप या गंगा-सागर-संगम भी कहते हैं) बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से १५० कि॰मी॰ (८०मील) दक्षिण में एक द्वीप है। यह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल ३०० वर्ग कि॰मी॰ है। इसमें ४३ गांव हैं, जिनकी जनसंख्या १,६०,००० है। यहीं गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है। इस द्वीप में ही रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। यहां मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी छोटी नदियां, नहरें हीं। इस द्वीप पर ही प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों हिन्दू श्रद्धालुओं का तांता लगता है, जो गंगा नदी के सागर से संगम पर नदी में स्नान करने के इच्छुक होते हैं। यहाँ एक मंदिर भी है जो कपिल मुनि के प्राचीन आश्रम स्थल पर बना है। ये लोग कपिल मुनि के मंदिर में पूजा अर्चना भी करते हैं। पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के ६० हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा जाता है कि एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है। जहां गंगा-सागर का मेला लगता है, वहां से कुछ दूरी उत्तर वामनखल स्थान में एक प्राचीन मंदिर है। उसके पास चंदनपीड़िवन में एक जीर्ण मंदिर है और बुड़बुड़ीर तट पर विशालाक्षी का मंदिर है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का यहां एक पायलट स्टेशन तथा एक प्रकाशदीप भी है। पश्चिम बंगाल सरकार सागर द्वीप में एक गहरे पानी के बंदरगाह निर्माण की योजना बना रही है। गंगासागर तीर्थ एवं मेला महाकुंभ के बाद मनुष्यों का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। यह मेला वर्ष में एक बार लगता है। गंगा-डेल्टा, सुंदरवन का उपग्रह चित्र, यहीं बीच में गंगा-सागर द्वीप स्थित है। यह द्वीप के दक्षिणतम छोर पर गंगा डेल्टा में गंगा के बंगाल की खाड़ी में पूर्ण विलय (संगम) के बिंदु पर लगता है। बहुत पहले इस ही स्थानपर गंगा जी की धारा सागर में मिलती थी, किंतु अब इसका मुहाना पीछे हट गया है। अब इस द्वीप के पास गंगा की एक बहुत छोटी सी धारा सागर से मिलती है। यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान मुहूर्त तीन ही दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। यहां स्थित कपिल मुनि का मंदिर सागर बहा ले गया, जिसकी मूर्ति अब कोलकाता में रहती है और मेले से कुछ सप्ताह पूर्व पुरोहितों को पूजा अर्चना हेतु मिलती है। अब यहां एक अस्थायी मंदिर ही बना है। इस स्थान पर कुछ भाग चार वर्षों में एक बार ही बाहर आता है, शेष तीन वर्ष जलमग्न रहता है। इस कारण ही कह जाता है: बाकी तीरथ चार बार, गंगा-सागर एक बार॥ वर्ष २००७ में मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग ३ लाख लोगों ने यहां स्नान किया। यह संख्या अगले वर्ष घटकर २ लाख रह गई। ऐसा कुंभ मेले के कारण हुआ। शेष वर्ष पर्यन्त ५० हजार तीर्थयात्रियों ने स्नान किए। २००८ में पांच लाख श्रद्धालुओं ने सागर द्वीप में स्नान किया। यहां आने वाले श्रद्धालुओं से १० भारतीय रुपए कर लिया जाता है। .

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कोलकाता उपनगरीय रेलवे

कोलकाता उपनगरीय रेलवे कोलकाता के उपनगरीय क्षेत्रों के लिए रेल प्रणाली है। इस प्रकार की रेलवे भारत में अत्यधिक प्रयोगनीय प्रणाली होती है। भारतीय रेल के विभिन्न मंडलों में से पूर्व रेलवे (भारत) और दक्षिणपूर्व रेलवे (भारत) का मुख्यालय कोलकाता में है। कोलकाता में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं- हावड़ा जंक्शन और सियालदह जंक्शन। एक अन्य महत्त्वपूर्ण टर्मिनल चितपुर में बना है। इस स्टेशन का नाम कोलकाता रखा गया है। हाल ही में हावड़ा के निकट शालीमार में भी नया टर्मिनल बना है। वहां से कुछ इंटरसिटी एक्स्प्रेस ट्रेनें भी चलती हैं। कोलकाता में अपने पड़ोसी उपनगरों सहित उपनगरीय रेल प्रणाली है, जो अति विस्तृत, किन्तु भीड़-भाड़ वाली है। अधिकांश ट्रेनें इलेक्ट्रिक मल्टिपल युनिट (ई.एम.यू.) हैं। यह विस्तृत उपनगरीय रेल जाल उत्तर २४ परगना, दक्षिण २४ परगना, नदिया, हावड़ा और हुगली तक फैला हुआ है। कोलकाता में उपनगरीय रेलवे पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी रेल मंडल द्वारा संचालित है। कोलकाता मेट्रो नगर में भूमिगत रेल सेवा उपलब्ध कराती है। नगर में एक अलग चक्रीय रेल लाइन है, जो पूर्वी रेलवे द्वारा संचालित है।.

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