लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

डाटदार पुल

सूची डाटदार पुल

डाटदार पुल (Arc Bridge) डाटदार पुल या चाप सेतु (arch bridge) ऐसा पुल होता है जिसमें दोनो सिरों पर सहारा देने वाले स्तम्भों के उपर एक चापनुमा संरचना होती है। .

7 संबंधों: चाप, झूला पुल, ढूला, राजगीरी, सबसे लम्बे चाप सेतु, सेतु, विभिन्न प्रकार के सेतु

चाप

ईंट से निर्मित एक चाप 1. Keystone 2. Voussoir 3. Extrados 4. Impost 5. Intrados 6. Rise 7. Clear span 8. Abutment वास्तुशिल्प में चाप या मेहराब (अंग्रेज़ी: arch, आर्च) वृत्त के चाप की सी संरचना को कहते हैं जो दो आलम्बों के बीच की दूरी को पाटता है तथा अपने ऊपर भार वहन करता है। जैसे पत्थर की दीवार में दरवाजे के लिये बनायी गयी संरचना। वैसे तो वास्तुशास्त्र में चाप का उपयोग दो हज़ार वर्ष से भी पुराना है, किन्तु इसका विधिवत उपयोग प्राचीन रोमवासियों द्वारा आरम्भ हुआ दिखाई पड़ता है। .

नई!!: डाटदार पुल और चाप · और देखें »

झूला पुल

सैन फ्रांसिस्को का प्रसिद्ध झूला पुल (गोल्डेन गेट पुल) झूला पुल में मुख्यतया दो रस्से या रस्सों के सेट होते हैं, जो मार्ग के दोनों ओर रज्जुवक्र (catenary, कैटिनेरी) की आकृति में लटकते रहते हैं और जिनसे सारा रास्ता झूलों द्वारा लटकता रहता है। रस्से किसी भी मजबूत नम्य पदार्थ के हो सकते हैं। तार के केबल (cable) सर्वोत्तम होते हैं, क्योंकि ये खिचकर बढ़ते नहीं। लोहे की जंजीर से झूले लटकाने में सुविधा होती है, किंतु यह केबल की भाँति विश्वसनीय नहीं होती। सन का रस्सा छोटे छोटे पाटों के लिए काम में लाया जा सकता है, किंतु यह उतना टिकाऊ नहीं होता और खिचकर इतना बढ़ जाता है कि परेशानी का कारण होता है। अन्य अच्छा पदार्थ न मिल सकने की दशा में बेत, टहनियों या बाँस की खपचियों से बनी रस्सियाँ भी काम में लाई जाती हैं। जहाँ कश्मीर और तिब्बत के रस्सीवाले पुल (जिनमें तीन समांतर रस्सियाँ, दो हाथों से पकड़ने के लिए और एक पैर रखने के लिए, थोड़े थोड़े अंतर पर बँधी लकड़ियों के सहारे यथास्थान स्थिर रहती हैं) यात्रियों के लिए खतरनाक और भयप्रद होते हैं, वहाँ पूर्वोत्तर भारत के हिमालय की घाटियों के बेत के पुल कलात्मक तथा दर्शनीय होते हैं और एक सिरे से दूसरे सिरे तक उनका बेतों का घेरा यात्री में सुरक्षा भाव बनाए रखता है। .

नई!!: डाटदार पुल और झूला पुल · और देखें »

ढूला

कालिब, साँचा, आड़ की दीवार, डाट लगाते समय उसको टेक तथा रूप देने के लिये बनाया गया लकड़ी, लोहे आदि का अस्थायी ढाँचा, जो डाट या छत पूरी तथा स्वावलंबी हो जानेपर हटा दिया जाता है, ढूला (Centring) कहलाता है। डाट के पत्थर या ईंटें एक दूसरे पर अपना भार डालती हुई अंत में सारा भार किनारे के आलंबों पर पहुँचाती हैं और उस भार के फलस्वरूप उत्पन्न दबाव के कारण यथास्थान टिकी रहती हैं। कितु यह क्रिया तभी संपन्न हा सकती है, जब डाट पूरी हो जाय। अत: पूरी होने तक उन ईटों या पत्थरों को यथास्थान स्थिर बनाए रखने के लिये ढूला आवश्यक होता है। अनिवार्यत: ढूले की ऊपरी सतह डाट के तले का जवाब होती है। छोटी डाटों की उठान यदि कम हो तो बहुघा एक ही लकड़ी के ऊपर उन्हें ढाल लेते हैं, अन्यथा दो तख्तों के ऊपर चपतियाँ लगाकर ढूला बना लेते हैं। ज्यादा ऊँची और बड़ी डाटों के ढूले कैंची के सिद्धांत पर बनाए जाते हैं। बहुधा एक निचली तान होती है और दुहरे तख्तों या धज्जियों को जोड़कर मजबूत कैंची का रूप दिया जाता है। इनके जोड़ साल-चूलवाले नहीं होते, बल्कि कीलां और काबलों से कसे रहते हैं, फिर भी वे इतने मजबूत बनाए जाते हैं कि अपने ऊपर पड़नेवाला सारा भार सह सकें। ऐसी दो, या आवश्यकतानुसार अधिक, कैंचियाँ उचित अंतर से रखकर ऊपर चपतियाँ लगा दी जाती हैं। गढ़ी ईंट की डाट के लिये ये चपतियाँ सटी हुई, अनगढ़ी ईट की डाट के लिये कुछ अंतर से और पत्थर की डाट के लिये और भी अधिक अंतर से लगाई जाती हैं। सारा ढूला किनारों पर, और यदि आवश्यकता हुई तो बीच में भी, मजबूत बल्लियों या थूनियों पर टिका रहता है, जिनके ऊपर बंद होनेवाली पच्चड़े लगी रहती हैं। ढूला खोलने में सुविधा के लिये तो ये पच्चड़े जरूरी हैं ही, एक और दृष्टि से भी ये महत्वपूर्ण है: डाट पूरी हो जाने पर पच्चड़ों द्वारा ढूला थोड़ा सा ढीला कर दिया जाता है ताकि डाट की ईंटें या पत्थर परस्पर सटकर बैठ जायँ। इसे डाट का बैठना कहते हैं। कहीं कहीं पच्च्चड़ो के स्थान पर थूनियों के नीचे बालू भरी बोरियाँ चिपटी करके रख दी जाती है। ढूला ढीला करने के लिये थोड़ी बालू निकालने भर की आवश्यकता होती है। इस प्रकार बिना चोट या धक्का पहुँचाए ही काम हो जाता है। छत की डाटों के ढूले छत की गर्डरों से ही लटका दिए जाते हैं। दीवारों पर कड़ियाँ या बल्लियाँ रखकर भी उनपर ढूला बनाया जाता है। आजकल प्रबलित कंक्रीट या प्रबलित चिनाई की छतें बहुत बनाई जाती हैं। इनके ढालने के लिये भी ढूला अनिवार्य है। बहुधा लकड़ी का ढूला बनाया जाता है, जिसकी ऊपरी सतह रंदा करके साफ कर दी जाती है। बहुत अच्छे काम में लाहे की चादरें लगाई जाती हैं। ये लकड़ी से ज्यादा टिकाऊ होती हैं, सरलता से लगाई और निकाली जा सकती हैं और यदि एक जेसी बहुत सी छतें ढालनी हों तो ये सस्ती भी पड़ती हैं। मामूली काम में जहाँ लकड़ी या लोहा लगाने की सुविधा नहीं होती, मिट्टी का (कच्चा) ढूला ही बना लिया जाता है। लकड़ी के, या ईंट की सूखी चिनाई के खंभों के ऊपर कड़ियाँ रखकर ऊपर बाँस, फूस आदि से पाटकर मिट्टी बिछा देते हैं। इसपर मामूली सीमेंट वाले मसाले का पलस्तर करके ठीक सतह बना ली जाती है। सतह पर चूना पोत देने से बाद में छत का तला साफ करने में सुविधा रहती है। प्रबलित चिनाई की छत के लिये बहुधा ऐसा ही ढूला, और वह भी प्राय: बिना पलस्तर का, बनाया जाता है। सपाट छतों के ढूले किनारों की अपेक्षा बीच में कुछ ऊँचे रखे जाते हैं, ताकि ढूले के, या छत के, बैठान लेने पर छत लटकी हुई न दिखाई दे। प्रति फुट पाट के लिये १/२ इंच की ऊँचाई प्रायः पर्याप्त मानी जाती है। धरनों के ढूलों में यह ऊँचाई इसकी आधी ही रखी जाती है। .

नई!!: डाटदार पुल और ढूला · और देखें »

राजगीरी

काम करता हुआ राजगीर पत्थर या ईंट की चिनाई करनेवालों को राज कहते हैं। और उनका काम व्यापक अर्थ में राजगीरी कहलाता है, किंतु व्यवहार में राजगीरी शब्द का प्रयोग प्राय: पत्थर की चिनाई के लिए ही हुआ करता है। ईंट का काम ईंट चिनाई ही कहा जाता है। .

नई!!: डाटदार पुल और राजगीरी · और देखें »

सबसे लम्बे चाप सेतु

यहाँ विश्व के कुछ सर्वाधिक लम्बे चाप सेतुओं की सूची दी गयी है। चाप सेतुओं को प्रायः उनके मुख्य विस्तृति (span) की लम्बाई के अनुसार श्रेणीकृत किया जाता है। .

नई!!: डाटदार पुल और सबसे लम्बे चाप सेतु · और देखें »

सेतु

thumb सेतु एक प्रकार का ढाँचा जो नदी, पहाड़, घाटी अथवा मानव निर्मित अवरोध को वाहन या पैदल पार करने के लिये बनाया जाता है। .

नई!!: डाटदार पुल और सेतु · और देखें »

विभिन्न प्रकार के सेतु

नीचे विभिन्न प्रकार के सेतु की सूची दी गयी है। श्रेणी:सेतु प्रकार.

नई!!: डाटदार पुल और विभिन्न प्रकार के सेतु · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

चाप सेतु

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »