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डकैती

सूची डकैती

सुल्ताना डाकू नामक नौटन्की का एक दृश्य - सुल्ताना अपनी माशूका नीलकँवल के साथ ब्राज़ील की सरकार की तरफ़ से एक डाकू को ज़िन्दा या मुर्दा पकड़वाने के इनाम का इश्तेहार इतालवी चित्रकार साल्वातोर रोसा एक डाकुओं के अड्डे पर उनका चित्र बनाते हुए डकैती हिन्सा या हिन्सा की धमकी से ग़ैर-क़ानूनी ढंग से किसी अन्य व्यक्ति का धन, माल, जान, पशुधन या अन्य वास्तु छीन लेने को कहते हैं। डकैती करने वाले व्यक्तियों को डाकू या दस्यु कहा जाता है। डाकू अक्सर गिरोहों का भाग होते हैं और ऐसे क्षेत्रों में अड्डे बनाते हैं जहाँ पुलिस और अन्य क़ानून के रखवालों का पहुँचना कठिन हो। राहज़नी एक विशेष प्रकार की डकैती होती है जिसमें यात्रा कर रहे लोगों पर हमला कर के उनसे चोरी की जाती है या स्वयं उनपर बलात्कार या क़त्ल जैसा अपराध किया जाता है।, M. Durga Prasad, E. J. Lazarus, 1874,...

18 संबंधों: थाना, नौटंकी, फूलन देवी, बासमाची विद्रोह, मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म), मोगेम्बो (चरित्र), राहज़नी, रविशङ्कर महाराज, लूटपाट, शिमशाल, शेर सिंह राणा, शोले (1975 फ़िल्म), समुद्री डकैती, सात घातक पाप, सैन होज़े, कैलिफोर्निया, हिंदु-जर्मन षडयंत्र, गब्बर सिंह (चरित्र), गिरोह

थाना

थाना (अंग्रेजी:Prison) एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर चोर, डकैत, आतंक करने वालों को रखा जाता है। समाज में शांति स्थापित रहे इसके लिए हर देश का एक कानून होता है। कानून का उलंघन करने वालो को कानून का रखवाला यानि प्रहरी अथवा पुलिस पकड़ती है और जब तक उस पर न्यायालय से कोई सुनवाई नही हो जाता तब तक पुलिस उस आतंकी या दोषी को अपने गिरफ्त में रखती है। जेल, कारागार, कारावास आदी सभी एक ही शब्द थाना के पर्यायवाची हैं। .

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नौटंकी

'सुल्ताना डाकू' नामक मशहूर नौटंकी के एक प्रदर्शन में देवेन्द्र शर्मा और पलक जोशी एक और नौटंकी का नज़ारा नौटंकी (Nautanki) उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल के एक लोक नृत्य और नाटक शैली का नाम है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनकाल से चली आ रही स्वांग परम्परा की वंशज है और इसका नाम मुल्तान (पाकिस्तानी पंजाब) की एक ऐतिहासिक 'नौटंकी' नामक राजकुमारी पर आधारित एक 'शहज़ादी नौटंकी' नाम के प्रसिद्ध नृत्य-नाटक पर पड़ा।, Don Rubin, Taylor & Francis, 2001, ISBN 978-0-415-26087-9,...

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फूलन देवी

फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न वर्ग में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनीं। गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही। माना जाता है कि पुलिस मुठभेड में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट गई। आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (ठाकुर) जाति के (ज़मींदार) लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था। बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से (लोकसभा) चुनाव जीता और वह संसद तक पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमिदारों ने बलात्कार किया था। दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्‍या की। हत्‍या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। हत्‍या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्‍िलप जारी करके अंतिम हिन्‍दू सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्‍या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उनकी हत्‍या के छींटे उसके पति उम्‍मेद सिंह पर भी आए और फूलन के परिवार वाले उन्हें पीट भी चुके हैं। हालांकि उम्‍मेद आरोपित नहीं हुआ। श्रेणी:भारतीय राजनीति श्रेणी:डाकू श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:भारत में राजनीतिक हत्याएं.

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बासमाची विद्रोह

ऍनवर पाशा एक तुर्की सिपहसालार थे जिन्होंने बासमाची विद्रोहियों को अपने नेतृत्व में संगठित करने का असफल प्रयास किया बासमाची विद्रोह (रूसी: Басмачество, बासमाचेस्त्वो, Basmachi) सोवियत संघ और, सोवियत संघ के बनने से पहले, रूस की शाही सरकार के विरुद्ध मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की भाषाएँ बोलने वाले मुस्लिम समुदायों के विद्रोहों के एक सिलसिले को कहते हैं जो सन् १९१६ से १९३१ तक चले। 'बासमाची' शब्द उज़बेक भाषा से लिया गया है, जिसमें इसका अर्थ 'डाकू' होता है और यह हिन्दी भाषा में पाए जाने वाले 'बदमाश' शब्द का एक रूप है।, Dilip Hiro, Penguin, 2009, ISBN 978-1-59020-221-0,...

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मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म)

मुझे जीने दो (अंग्रेजी: Mujhe Jeene Do) सन 1963 में बनी एक मशहूर हिन्दी फिल्म का नाम है जिसका निर्देशन मणि भट्टाचार्य ने किया था। अजन्ता आर्ट के बैनर तले बनी व डकैतों के वास्तविक जीवन पर आधारित बालीवुड की इस फिल्म में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, निरूपा रॉय, राजेन्द्र नाथ एवं मुमताज़ ने अभिनय किया था। चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी, तथा मोहन स्टूडियो मुम्बई में बनी इस फिल्म में वहीदा रहमान व सुनील दत्त के अभिनय की बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ था। जयदेव के संगीत निर्देशन ने इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्ज़ा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। .

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मोगेम्बो (चरित्र)

मोगम्बो एक फिल्मी चरित्र है, जिसका अभिनय अमरीश पुरी ने मिस्टर इण्डिया में किया था। मिस्टर इण्डिया फ़िल्म में जब-जब (मोगेम्बो) अमरीश पुरी खुश होता है तो "मोगेम्बो खुश हुआ" नामक डायलॉग बोलता है। .

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राहज़नी

इटली में घटती हुई राहज़नी का सन् १८६६ में बना एक चित्र राहज़नी एक प्रकार की डकैती होती है जिसमें यात्रा कर रहे लोगों पर हमला कर के उनसे चोरी की जाती है या स्वयं उनपर बलात्कार या क़त्ल जैसा अपराध किया जाता है।, M. Durga Prasad, E. J. Lazarus, 1874,...

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रविशङ्कर महाराज

रविशङ्कर महाराज गुजरात राज्य के खेडा जिले के समाजसेवी थे। उन्होंने वात्रक नदी के आसपास के गाँवो में लोगों का जीवन सुधारने का, डाकुओं को पुनः मुख्यधारा में लाने का, अन्धश्रद्धा निवारण आदि कार्य किये थे। रविशङ्कर महाराज ने भारत के स्वतन्त्रता सङ्ग्राम मे भाग लिया था। वे आर्य समाज से प्रभावित हुए थे। वो सन १९१५ मे महात्मा गांधी से मिले थे। .

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लूटपाट

लूटपाट सैन्य या राजनीतिक जीत, युद्ध, प्राकृतिक आपदा या दंगे में तबाही के दौरान, बल द्वारा जान-माल का अंधाधुंध लेना होता है। लूटपाट या लूट शब्द का प्रयोग साधारण चोरी या गबन के लिये भी होता है। .

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शिमशाल

शिमशाल (Shimshal) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की गोजाल तहसील में स्थित एक गाँव है। यह ३,१०० मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है और हुन्ज़ा वादी की सबसे ऊँची बस्ती है। शिमशाल गाँव में वाख़ी भाषा बोलने वाले लगभग २,००० लोग रहते हैं जो शिया धर्म की इस्माइली शाखा के अनुयायी हैं। यहाँ पहुँचना बहुत कठिन हुआ करता था लेकिन अक्टूबर २००३ के बाद पस्सू से यहाँ सड़क बनाकर इसे काराकोरम राजमार्ग से जोड़ दिया गया।, Lindsay Brown, Paul Clammer, Rodney Cocks, John Mock, pp.

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शेर सिंह राणा

समशेर सिंह राणा उर्फ़ पंकज सिंह (जन्म:17 मई 1976) डकैत से सांसद बनी फूलन देवी की हत्या की। शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था। .

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शोले (1975 फ़िल्म)

शोले १९७५ की एक भारतीय हिन्दी एक्शन फिल्म है। सलीम-जावेद द्वारा लिखी इस फिल्म का निर्माण गोपाल दास सिप्पी ने और निर्देशन का कार्य, उनके पुत्र रमेश सिप्पी ने किया है। इसकी कहानी जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेन्द्र) नामक दो अपराधियों पर केन्द्रित है, जिन्हें डाकू गब्बर सिंह (अमजद ख़ान) से बदला लेने के लिए पूर्व पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) अपने गाँव लाता है। जया भादुरी और हेमा मालिनी ने भी फ़िल्म में मुख्य भूमिकाऐं निभाई हैं। शोले को भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है। ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट के २००२ के "सर्वश्रेष्ठ १० भारतीय फिल्मों" के एक सर्वेक्षण में इसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। २००५ में पचासवें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह में इसे पचास सालों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी मिला। शोले का फिल्मांकन कर्नाटक राज्य के रामनगर क्षेत्र के चट्टानी इलाकों में ढाई साल की अवधि तक चला था। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के निर्देशानुसार कई हिंसक दृश्यों को हटाने के बाद फ़िल्म को १९८ मिनट की लंबाई के साथ १५ अगस्त १९७५ को रिलीज़ किया गया था। हालांकि १९९० में मूल २०४ मिनट का मूल संस्करण भी होम मीडिया पर उपलब्ध हो गया था। रिलीज़ होने पर पहले तो शोले को समीक्षकों से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं और कमजोर व्यावसायिक परिणाम मिले, लेकिन अनुकूल मौखिक प्रचार की सहायता से थोड़े दिन बाद यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता बनकर उभरी। फ़िल्म ने पूरे भारत में कई सिनेमाघरों में निरंतर प्रदर्शन के लिए रिकॉर्ड तोड़ दिए, और मुंबई के मिनर्वा थिएटर में तो यह पांच साल से अधिक समय तक प्रदर्शित हुई। कुछ स्त्रोतों के अनुसार मुद्रास्फीति के लिए समायोजित करने पर यह सर्वाधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म है। शोले एक डकैती-वॅस्टर्न फिल्म है, जो वॅस्टर्न शैली के साथ भारतीय डकैती फिल्मों परम्पराओं का संयोजन करती है, और साथ ही मसाला फिल्मों का एक परिभाषित उदाहरण है, जिसमें कई फिल्म शैलियों का मिश्रण पाया जाता है। विद्वानों ने फिल्म के कई विषयों का उल्लेख किया है, जैसे कि हिंसा की महिमा, सामंती विचारों का परिवर्तन, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वालों और संगठित होकर लूट करने वालों के बीच बहस, समलैंगिक गैर रोमानी सामाजिक बंधन और राष्ट्रीय रूपरेखा के रूप में फिल्म की भूमिका। राहुल देव बर्मन द्वारा रचित फिल्म की संगीत एल्बम और अलग से जारी हुए संवादों की संयुक्त बिक्री ने कई नए बिक्री रिकॉर्ड सेट किए। फिल्म के संवाद और कुछ पात्र बेहद लोकप्रिय हो गए और भारतीयों के दैनिक रहन-सहन हिस्सा बन गए। जनवरी २०१४ में, शोले को ३डी प्रारूप में सिनेमाघरों में फिर से रिलीज़ किया गया था। .

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समुद्री डकैती

सन् १७१८ में ब्लैकबियर्ड (अर्थ: काली दाढ़ी) नामक समुद्री डाकू पर धावे और गिरफ़्तारी का दृश्य पुराने ज़माने में समुद्री डाकू अपनी नौकाओं से अक्सर इस 'जॉली रॉजर' नामक ध्वज को फहराया करते थे समुद्री डकैती समुद्र पर यात्रा कर रही नौका और उसके मुसाफ़िरों पर हुई डकैती या हिंसात्मक चोरी को कहा जाता है। समुद्री डकैती करने वाले अपराधियों को समुद्री डाकू या जल दस्यु कहा जाता है। ऐसे अपराध की रोकथाम करना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि समुद्र का क्षेत्रफल विशाल है (पूरे भूमि के क्षेत्रफाल से तीन गुना) और ऐसे समुद्री डाकू अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार काम करते हैं, यानि किसी एक देश की पुलिस या सेना उन्हें रोक नहीं पाती। मसलन पूर्वी अफ़्रीका के सोमालिया देश के अड्डों से आने वाले समुद्री डाकुओं ने भारत के तट के पास से समुद्री जहाज़ों का अपहरण किया है।, Angus Konstam, Osprey Publishing, 2008, ISBN 978-1-84603-240-0 .

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सात घातक पाप

हैरोनिमस बॉश कि द सेवेन डेडली सिंस ऐंड फोर लास्ट थिंग्स "जीव हत्या" सबसे बड़ा पाप हैं, अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं। इसके बाद इन्सान की मानसिकता के सात घातक पाप जो प्रधान पापाचरणों या कार्डिनल पापों के रूप में भी जाने जाते हैं, सर्वाधिक आपत्तिजनक बुराइयों का एक वर्गीकरण है जो मानवता की पाप के प्रति (अनैतिक) झुकाव की प्रकृति से संबंधित अनुयायियों को शिक्षित करने तथा उपदेश देने के लिए क्रिश्चियन समय से ही प्रयुक्त होता रहा है। सूची के अंतिम संस्करण में क्रोध, लोभ, आलस, अभिमान, वासना, ईर्ष्या एवं लालच निहित हैं। कैथोलिक चर्च ने पाप को दो प्रमुख वर्गों में विभक्त किया है: "क्षम्य पाप", जो अपेक्षाकृत क्षुद्र होते हैं और किसी भी प्रकार के संस्कारिक नियमों अथवा चर्च के परम प्रसाद संस्कार ग्रहण के माध्यम से क्षमा किए जा सकते हैं एवं जितने अधिक "घातक" या नश्वर पाप होंगे उतने ही अधिक संगीन होंगे.

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सैन होज़े, कैलिफोर्निया

सैन होज़े (जिसका स्पेनिश में अर्थ है - सेंट जोसफ) कैलिफोर्निया का तीसरा सबसे बड़ा शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका का दसवां सबसे बड़ा शहर और सांता क्लारा काउंटी का काउंटी सीट है। यह देश के 31वें सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्र का एक ऐंकर है जो सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के दक्षिणी छोर पर स्थित है। सैन होज़े कभी एक छोटा सा कृषि शहर था जहां 1950 के दशक से अब तक बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है। जनसंख्या, भूमि क्षेत्र, एवं औद्योगिक विकास की दृष्टि से सैन होज़े खाड़ी क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है। 1 जनवरी 2010 तक इसकी अनुमानित जनसंख्या 1,023,083 थी। सैन होज़े की नींव 29 नवम्बर 1777 को नुएवा कैलिफोर्निया के स्पेनिश कॉलोनी के पहले कस्बे, एल पुएब्लो डी सैन होज़े डी ग्वाडालूप (El पुएब्लो de San José de Guadalupe), के रूप में रखी गई, जो बाद में अल्टा कैलिफोर्निया बना.

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हिंदु-जर्मन षडयंत्र

हिन्दु जर्मन षडयन्त्र(नाम), १९१४ से १९१७ के (प्रथम विश्व युद्ध) दौरान ब्रिटिश राज के विरुद्ध एक अखिल भारतीय विद्रोह का प्रारम्भ करने के लिये बनाई योजनायो से सम्बद्ध है। इस षडयन्त्र मे भारतीय राष्ट्वादी सन्गठन के भारत, अमेरिका और जर्मनी के सदस्य शामिल थे। Irish Republicans और जर्मन विदेश विभाग ने इस षड्यन्त्र में भारतीयो का सहयोग किया था। यह षडयन्त्र अमेरिका मे स्थित गदर पार्टी, जर्मनी मे स्थित बर्लिन कमिटी, भारत मे स्थित Indian revolutionary Underground और सान फ़्रांसिसको स्थित दूतावास के द्वारा जर्मन विदेश विभाग ने साथ मिलकर रचा था। सबसे महत्वपूर्ण योजना पंजाब से लेकर सिंगापुर तक सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के अन्दर बगावत फैलाकर विद्रोह का प्रयास करने की थी। यह योजना फरवरी १९१५ मे क्रियान्वित करके, हिन्दुस्तान से ब्रिटिश साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का उद्देश्य लेकर बनाई गयी थी। अन्ततः यह योजना ब्रिटिश गुप्तचर सेवा ने, गदर आन्दोलन मे सेंध लगाकर और कुछ महत्वपूर्ण लोगो को गिरफ्तार करके विफल कर दी थी। उसी तरह भारत की छोटी इकाइयों मे और बटालियनो मे भी विद्रोह को दबा दिया गया था। युगांतर जर्मन साजिश, अन्य संबंधित घटनाओं 1915 सिंगापुर विद्रोह, एनी लार्सन हथियार साजिश एनी लार्सन चक्कर शामिल हैंकाबुल, के विद्रोह.

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गब्बर सिंह (चरित्र)

गब्बर सिंह भारतीय फ़िल्मों का डाकू का चरित्र था जिसे पहली बार शोले फ़िल्म में अमज़द खान के रूप में देखा था। शोले 1975 की एक फ़िल्म थी जिसे सलीम खान तथा जावेद अख्तर ने लिखी थी। इसके पश्चात रामगढ़ के शोले में भी इनका चरित्र देखना को मिला।.

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गिरोह

गिरोह ऐसे किसी समूह को कहते हैं जो अपराधिक गतिविधि में लिप्त हो और किसी इलाके में गैर-कानूनी कार्य संगठित तौर से करते हो। इस शब्द का प्रयोग साधारण समूह के लिये भी किया जाता हैं, जैसे लड़कों का समूह। लेकिन इसके लिये उचित शब्द टोली अधिक उपयुक्त है और गैर-अपराधिक प्रयोग में लिया जाता है। गिरोह में एक ही रुचि और सामाजिक स्थिति के व्यक्ति सम्मलित होते हैं। अधिकतर अविवाहित पुरुष ही गिरोह का निर्माण करते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डाकुओं, डाकू, डकैत, बैन्डिट

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