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टेस्ला

सूची टेस्ला

टेस्ला (tesla) (प्रतीक T), चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है। यह अन्तराष्ट्रीय इकाई प्रणाली की का एक व्युत्पन्न मात्रक (derived unit) है। श्रेणी:मात्रक श्रेणी:निकोला टेस्ला श्रेणी:चुम्बकीय क्षेत्र के मात्रक श्रेणी:एस आई व्युत्पन्न इकाइयाँ.

5 संबंधों: चुम्बकीय क्षेत्र, एम्पीयर का नियम, पॉजि़ट्रान उत्सर्जन टोमोग्राफी, पीटर कपिज़ा, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर

चुम्बकीय क्षेत्र

किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .

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एम्पीयर का नियम

विद्युत धारा, चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है। इस नियम का प्रतिपादन सन् १८२६ में आन्द्रे मैरी एम्पीयर (André-Marie Ampère) ने किया था। इस नियम में किसी बंद लूप पर समाकलित चुम्बकीय क्षेत्र एवं उस लूप से होकर प्रवाहित हो रही कुल धारा के बीच गणितीय संबंध स्थापित किया गया। जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने सन् १८६१ में इसे विद्युतगतिकीय सिद्धान्त से सिद्ध किया। वर्तमान में यह नियम मैक्स्वेल के चार समीकरणों में से एक है। .

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पॉजि़ट्रान उत्सर्जन टोमोग्राफी

एक आम पॉज़िट्रॉन उत्सर्जन टोमोग्राफी (PET) सुविधा की छवि PET/CT-सिस्टम 16-स्लाइस CT के साथ; छत पर लगा हुआ उपकरण CT विपरीत एजेंट के लिए एक इंजेक्शन पंप है पॉज़िट्रॉन उत्सर्जन टोमोग्राफी (पीईटी (PET)) एक ऐसी परमाणु चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है जो शरीर की कार्यात्मक प्रक्रियाओं की त्रि-आयामी छवि या चित्र उत्पन्न करती है। यह प्रणाली एक पॉज़िट्रॉन-उत्सर्जित रेडिओन्युक्लिआइड (अनुरेखक) द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से उत्सर्जित गामा किरणों के जोड़े का पता लगाती है, जिसे शरीर में एक जैविक रूप से सक्रिय अणु पर प्रवेश कराया जाता है। इसके बाद शरीर के भीतर 3-आयामी या 4-आयामी (चौथा आयाम समय है) स्थान में अनुरेखक संकेन्द्रण के चित्रों को कंप्यूटर विश्लेषण द्वारा पुनर्निर्मित किया जाता है। आधुनिक स्कैनरों में, यह पुनर्निर्माण प्रायः मरीज पर किए गए सिटी एक्स-रे (CT X-ray) की सहायता से उसी सत्र के दौरान, उसी मशीन में किया जाता है। यदि PET के किए चुना गया जैविक रूप से सक्रिय अणु एक ग्लूकोज सम्बंधी FDG है, तब अनुरेखक की संकेन्द्रण की छवि, स्थानिक ग्लूकोज़ उद्ग्रहण के रूप में ऊतक चयापचय गतिविधि प्रदान करती है। हालांकि इस अनुरेखक का उपयोग सबसे आम प्रकार के PET स्कैन को परिणामित करता है, PET में अन्य अनुरेखक अणुओं के उपयोग से कई अन्य प्रकार के आवश्यक अणुओं के ऊतक संकेन्द्रण की छवि ली जाती है। .

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पीटर कपिज़ा

रूसी वैज्ञानिक पीटर कपिज़ा पीटर लीओ निडोविच कपिज़ा (रूसी: Пётр Леони́дович Капи́ца); 8 जुलाई 1894 - 8 अप्रैल 1984)) रूस के भौतिकविद् थे। उन्हे १९७८ में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनका जन्म ९ जुलाई सन १८९४ को क्रोंस्टाड्ट में हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा पेट्रोग्राद में प्राप्त की। पदुपरांत आप कैंब्रिज में लार्ड रदरफ़र्ड के विद्यार्थी रहे और परमाणु विघटन अनुसंधान के क्षेत्र में अत्यंत प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की तकनीकी क्रियाप्रणाली के विकास में विशेष दक्षता प्राप्त की। सन् १९२४ में आपकी नियुक्ति कैवेंडिश प्रयोगशाला में चुंबकीय अनुसंधान के सहायक निर्देशक के रूप में हुई और १९३२ ई. तक इस पद पर कार्य करते रहे। सन् १९३० से १९३५ तक आप रॉयल सोसाइटी के सदस्य चुने गए और १९४२ में आपको फ़ैरेडे पदक प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त भौतिकी का स्टैलिन पुरस्कार आपको सन् १९४१ में और फिर १९४३ में मिला। सन् १९४३ और १९४४ में आप ऑर्डर ऑव लेनिन उपाधि से भी विभूषित किए गए। सन् १९३४ में आप जब छुट्टी पर स्वदेश (रूस) गए तो सोवियत सरकार ने आपको पुन: देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी। कापिज़ा के लिए मास्को में कैवेंडिश प्रयोगशाला के टक्कर की प्रयोगशाला बनाई गई ताकि कापिज़ा सुचारु रूप से अपना अनुसंधान कार्य चला सकें। फलस्वरूप कापिज़ा कुछ ही समय उपरांत मास्को की भौतिकीय समस्या संस्था (इंस्टीट्यूट फ़ॉर फ़िज़िकल प्रॉब्लेम्स) के निर्देशक नियुक्त कर दिए गए। आपका मुख्य कार्य 'चुंबकत्व' तथा क्रायोजेनिक्स (अत्यंत ठंडे ताप) से संबंध रखता है। आपने ३० टेस्ला तक का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की और हाइड्रोजन तथा हीलियम के द्रवीकरण के प्लांट की भी सफल डिज़ाइन दी है। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:1894 में जन्मे लोग श्रेणी:१९८४ में निधन श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता.

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लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर या वृहद हैड्रॉन संघट्टक (Large Hadron Collider; LHC के रूप में संक्षेपाक्षरित) विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। यह सर्न की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह जेनेवा के समीप फ़्रान्स और स्विट्ज़रलैण्ड की सीमा पर ज़मीन के नीचे स्थित है। इसकी रचना २७ किलोमीटर परिधि वाले एक छल्ले-नुमा सुरंग में हुई है, जिसे आम भाषा में लार्ड ऑफ द रिंग कहा जा रहा है। इसी सुरंग में इस त्वरक के चुम्बक, संसूचक (डिटेक्टर), बीम-लाइन एवं अन्य उपकरण लगे हैं। सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही ७ TeV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में संघट्ट (टक्कर) किया जायेगा जिससे वही स्थिति उत्पन्न की जायेगी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी। ग्यातव्य है कि ७ TeV उर्जा वाले प्रोटॉन का वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है। एल एच सी की सहायता से किये जाने वाले प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य स्टैन्डर्ड मॉडेल की सीमाओं एवं वैधता की जाँच करना है। स्टैन्डर्ड मॉडेल इस समय कण-भौतिकी का सबसे आधुनिक सैद्धान्तिक व्याख्या या मॉडल है। १० सितंबर २००८ को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक प्रोटान धारा प्रवाहित की गई। इस परियोजना में विश्व के ८५ से अधिक देशों नें अपना योगदान किया है। परियोजना में ८००० भौतिक वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं जो विभिन्न देशों, या विश्वविद्यालयों से आए हैं। प्रोटॉन बीम को त्वरित (accelerate) करने के लिये इसके कुछ अवयवों (जैसे द्विध्रुव (डाइपोल) चुम्बक, चतुर्ध्रुव (quadrupole) चुमबक आदि) का तापमान लगभग 1.90केल्विन या -२७१.२५0सेन्टीग्रेड तक ठंडा करना आवश्यक होता है ताकि जिन चालकों (conductors) में धारा बहती है वे अतिचालकता (superconductivity) की अवस्था में आ जांय और ये चुम्बक आवश्यक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकें।"".

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