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टाटा स्मारक केन्द्र

सूची टाटा स्मारक केन्द्र

टाटा स्मारक केन्द्र (टाटा मेमोरियल सेन्टर) परेल, मुम्बई (भारत) में स्थित है। यह कैंसर के इलाज और अनुसंधान का केंद्र है। यह संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा सहायताप्राप्त संस्थान है। टीएमसी इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि निजी परोपकार एवं सार्वजनिक सहयोग कितनी अच्छी तरह एक साथ काम कर सकते हैं। आज, टीएमसी भारत में कैंसर के लगभग एक तिहाई रोगियों का इलाज करता है। वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र का यह एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां प्राथमिक चिकित्सा के लिए आने वाले 60 प्रतिशत रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। यह केंद्र कैंसर के क्षेत्र में शिक्षा पर काफी जोर देता है। 250 से अधिक छात्रों, चिकित्सा पेशेवरों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को अस्पताल में प्रशिक्षण दिया जाता है। भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग ने भारत और दक्षिण एशिया के लिए प्रासंगिक कैंसर में अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नवी मुंबई में खारघर में 'एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट एंड एजुकेशन इन कैंसर' नामक एक अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित किया है। .

6 संबंधों: टाटा चिकित्सा केन्द्र, परमाणु ऊर्जा विभाग (भारत), भारत में परमाणु ऊर्जा, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा

टाटा चिकित्सा केन्द्र

टाटा चिकित्सा केन्द्र (टाटा मेडिकल सेंटर), भारत में कोलकाता स्थित कैंसर के शोध, निदान और उपचार का एक अत्याधुनिक केंद्र है। टाटा मेडिकल सेंटर (टीएमसी) का उद्घाटन 16 मई, 2011 को रतन टाटा द्वारा किया गया था। यह विशेषकर पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के कैंसर रोगियों की मदद करने के लिए लक्षित एक परोपकारी पहल है। इस केन्द्र का नेतृत्व इसके निदेशक डॉ मेमन चांडी द्वारा किया जाता है। टीएमसी एक गुणवत्तापूर्ण कैंसर-देखभाल फैसिलिटी है जो पूरी तरह से नहीं लेकिन विशेष रूप से क्षेत्र के गरीबों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। कोलकाता के बाहरी इलाके राजारघाट में स्थित इस संस्थान तक कोलकाता शहर और शहर के हवाई अड्डे से आसानी से पहुँचा जा सकता है। केंद्र में जल्दी ही प्रेमाश्रय नामक एक आश्रय घर होगा, जो मरीजों और उनके रिश्तेदारों के लिए मुफ्त आवास एवं भोजन प्रदान करेगा। .

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परमाणु ऊर्जा विभाग (भारत)

भारत का परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) एक महत्वपूर्ण विभाग है जो सीधे प्रधानमंत्री के आधीन है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। यह विभाग नाभिकीय विद्युत ऊर्जा की प्रौद्योगिकी के विकास, विकिरण प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, चिकित्सा, उद्योग, मूलभूत अनुसन्धान आदि) में उपयोग तथा मूलभूत अनुसंधान में संलग्न है। इस विभाग के अन्तर्गत ५ अनुसन्धान केन्द्र, ३ औद्योगिक संगठन, ५ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, तथा ३ सेवा संगठन हैं। इसके अलावा इसके अन्दर दो बोर्ड भी हैं जो नाभिकीय क्षेत्र एवं इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में मूलभूत अनुसन्धान को प्रोत्साहित करते हैं एवं उसके लिए फण्ड प्रदान करते हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग ८ संस्थानों को भी सहायता देता है जो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) की स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से दिनांक 3 अगस्त 1954 को की गई थी। .

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भारत में परमाणु ऊर्जा

भारतीय विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा एक निश्चित एवं निर्णायक भूमिका है। किसी भी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्युत की पर्याप्त तथा अबाधित आपूर्ति का होना आवश्यक है। विकासशील देश होने के कारण भारत की सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग गैर पारम्परिक स्रोतों से पूरा किया जाता है क्योंकि पारम्परिक स्रोतों द्वारा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। भारत ने नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। इसका श्रेय डॉ॰ होमी भाभा द्वारा प्रारंभ किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को जाता है जिन्होंने भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम की कल्पना करते हुए इसकी आधारशिला रखी। तब से ही परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के समर्पित वेज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा बड़ी सतर्कता के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में परमाणु बिजली केंद्र है। ये केंद्र केंद्र सरकार के अधीन हैं।वर्तमान में (अप्रैल 2015 से जेनुअरी 2016 तक) कुल बिजली उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 30869 मिलियन यूनिट है जो कि लगभग 3.3% है। वर्तमान में कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है, तथा 2022 तक 13480 मेगावाट बिजली के उत्पादन की संभावना है, यदि वर्तमान में सभी निर्माणाधीन और कुछ नए प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाता है। 1983 में गठित परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए नियामक संस्था है। नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) के द्वारा अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियां की जाती हैं। .

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सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट

सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट सर दोराबजी टाटा, जो टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे, के द्वारा स्थापित किया गया था। 1932 में स्थापित, यह भारत के सबसे पुराने गैर सांप्रदायिक परोपकारी संगठनों में से एक है। अपने पिता की तरह, सर दोराबजी का मानना था कि अपनी संपत्ति का रचनात्मक प्रयोजनों के लिए उपयोग करना चाहिए। अतः अपनी पत्नी मेहरबाई की मौत के एक साल से भी कम समय में, उन्होने ट्रस्ट को अपनी सारी दौलत दान कर दी। उन्होने आग्रह किया कि इसका सीखने की उन्नति और अनुसंधान, संकट और अन्य धर्मार्थ प्रयोजनों के राहत के लिए "जगह, राष्ट्रीयता या पंथ के किसी भी भेदभाव के बिना" इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उनकी तीन महीने बाद मृत्यु हो गई। उन्होने अपने टाटा संस, इंडियन होटल्स और कंपनियों में हिस्सा, उनकी सारी संपत्ति और गहने के 21 टुकड़े उनकी पत्नी द्वारा छोड़ा गया प्रसिद्ध जयंती हीरा जिसकी अनुमानित मूल्य एक करोड़ रुपये है ट्रस्ट को दान कर दिये। आज इन की कीमत पचास करोड़ रुपए से अधिक है। ट्रस्ट राष्ट्रीय महत्व के अग्रणी संस्थानों की स्थापना के लिए जाना जाता है। टाटा समाज विज्ञान संस्थान », (1936)» टाटा मेमोरियल अस्पताल (1941) टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (1945) कला प्रदर्शन नेशनल सेंटर, (1966) विस्तृत अध्ययन के नेशनल इंस्टीट्यूट (1988) »जेआरडी टाटा पर्यावरण प्रौद्योगिकी सेंटर (1998) सर दोराबजी टाटा उष्णकटिबंधीय रोग अनुसंधान सेंटर (2000) राजकोषीय वर्ष 2003-०४ में ट्रस्ट द्वारा किया गया कुल संवितरण ४४.२३३ करोड रुपये था। .

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होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान

होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (Homi Bhabha National Institute(HBNI)) भारत का एक मानित विश्वविद्यालय है। दस प्रमुख अनुसंधान संस्थानों से मिलकर इसकी रचना हुई है। इसका नामकरण भारत के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री होमी जहाँगीर भाभा के नाम पर किया गया है। श्री रवि ग्रोवर इसके वर्तमान निदेशक हैं। .

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जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा

जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जे आर डी टाटा (२९ जुलाई, १९०४ - २९ नवंबर, १९९३) भारत के वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगो के अग्रणी थे। वे रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुज़ेन्न ब्रीरे (en:Suzanne Briere) के पांच संतानो मे से दुसरे थे। वे दशको तक टाटा ग्रुप के निर्देशक रहे और इस्पात, इंजीनीयरींग, होट्ल, वायुयान और अन्य उद्योगो का भारत मे विकास किया। १९३२ में उन्होंने टाटा एयरलाइंस शुरू की। भारत के लिए महान इंजीनियरिंग कंपनी खोलने के सपने के साथ उन्होंने १९४५ में टेल्को की शूरूवात की जो मूलतः इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव के लिए थी। उन्हे वर्ष १९५७ मे पद्म विभुशण और १९९२ में भारत रत्न से सम्मनित किया गया। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

टाटा मेमोरियल सेंटर, टाटा मेमोरियल अस्पताल

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