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झंग

सूची झंग

पंजाब, पाकिस्तान का एक नगर। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर.

11 संबंधों: झंग ज़िला, पाकिस्तान के दूरभाष कोडों की सूची, पाकिस्तान के शहर, पाकिस्तान के ज़िले, मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी, लश्कर-ए-झंगवी, सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान, हीर राँझा, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के यूनियन परिषदों की सूची, गुरुदत्त विद्यार्थी, अरोड़ा

झंग ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के बीच में १२ संख्या द्वारा नामांकित ज़िला झंग है (पीले रंग में) झंग (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Jhang) पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक ज़िला है। झंग ज़िले की राजधानी झंग शहर है। इस ज़िले की चार तहसीलें हैं - झंग, अठारा हज़ारी, शोरकोट और अहमदपुर सियाल। यह ज़िला पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त के मध्य में स्थित है। इसकी सीमाएँ उत्तर में सरगोधा ज़िले से, उत्तर-पूर्व में गुजराँवाला ज़िले से, पूर्व में फ़ैसलाबाद और टोबा टेक सिंह ज़िलों से, दक्षिण में ख़ानेवाल और मुज़फ़्फ़रगढ़ ज़िलों से, पश्चिम में लइया और भक्कर ज़िलों से और पश्चिमोत्तर में ख़ुशाब ज़िले से लगतीं हैं। .

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पाकिस्तान के दूरभाष कोडों की सूची

टेलीफ़ोन पाकिस्तान के शहरों और ज़िलों के दूरभाष कोडों की सूची निम्न है। .

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पाकिस्तान के शहर

पाकिस्तान का मानचित्र यह पाकिस्तान के बडे़ शहरों की सूची है। .

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पाकिस्तान के ज़िले

पाकिस्तान के ज़िले पाकिस्तान के तीसरे दर्जे की प्रशासनिक इकाइयाँ हैं। पाकिस्तान में कुल 135 ज़िले और 7 आदिवासी क्षेत्र हैं। अगस्त 2000 से पूर्व ज़िले डिवीज़न के तहत होते थे लेकिन उस वक़्त डिवीज़न को ख़त्म करके ज़िलों को सीधे सूबों के अधीन कर दिया गया। .

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मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी

मुहम्मद ताहिर उल-क़ादरी (Muhammad Tahir-ul-Qadri) एक पाकिस्तानी सूफ़ी विद्वान हैं जो पंजाब विश्वविद्यालय (पाकिस्तान) में अन्तराष्ट्रीय संवैधानिक क़ानून के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर रह चुके हैं। जनवरी २०१३ में उन्होंने पाकिस्तान में वहाँ की सरकार हटाने का अभियान छेड़ दिया हालांकि वह स्वयं कनाडा की नागरिकता रखते हैं। वे अपने २०१० में जारी किये गए फ़तवा के लिए भी जाने जाते हैं जिसमें उन्होंने ठहराया कि आतंकवाद और आत्मघाती हमले दुष्ट और इस्लाम-विरुद्ध हैं और इन्हें करने वाली काफ़िर हैं। यह घोषणा तालिबान और अल-क़ायदा जैसे संगठनों की विचारधाराओं के ख़िलाफ़ समझी गई है।, Douglas M. Johnston Jr., pp.

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लश्कर-ए-झंगवी

लश्कर-ए-झंगवी (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Lashkar-e-Jhangvi) एक पाकिस्तानी उग्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना १९९६ में हुई जब सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान के एक कार्यकर्ता, रियाज़ बसरा, की उस संगठन के नेतृत्व से अनबन हो गई और उसने अलग होकर अपना अलग संगठन चला लिया। लश्कर-ए-झंगवी एक सुन्नी चरमपंथी गुट है जो पाकिस्तान और अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन क़रार दिया जा चुका है। इसे कई बार शिया लोगों पर जानलेवा हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा चुका है, जिन्हें यह मुस्लिम नहीं मानते और इस्लाम का शत्रु समझते हैं। इसके अधिकतर सदस्य पंजाबी हैं।, pp.

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सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान

सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Sipah-e-Sahaba Pakistan), जिसे कभी-कभी सिर्फ़ ऍस-ऍस-पी (SSP) भी कहते हैं, पाकिस्तान का एक सुन्नी देवबन्दी संगठन है जो पहले एक राजनैतिक पार्टी भी रहा है। इसकी स्थापना हक़ नवाज़ झंगवी ने १९८० के दशक में पाकिस्तानी पंजाब के झंग शहर में की थी। यह एक शिया-विरोधी संगठन है और इसने अपना ध्येय पाकिस्तान में १९७९ में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद शियाओं के प्रभाव को कम करना बताया था। ईरान एक शिया-प्रमुख देश है। २००२ में भूतपूर्व पाकिस्तानी तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर पाबंदी लगा दी थी और इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। इसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर 'अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात' रख लिया हालांकि इसे अभी भी अधिकतर 'सिपाह-ए-सहाबा' ही बुलाया जाता है। मार्च २०१२ में पाकिस्तानी सरकार ने अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। कुछ विद्वानों के अनुसार पाकिस्तान के एक और भूतपूर्व तानाशाह ज़िया-उल-हक़ ने ही शुरू में इस संगठन को प्रोत्साहित किया था।, Andrew Tian Huat Tan, pp.

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हीर राँझा

टिल्ला जोगियाँ पहाड़ (यानि 'योगियों का टीला'), जहाँ रांझा बाबा गोरखनाथ की शरण में जोग लेने आया था झंग शहर में हीर-रांझा की मज़ार रांझे की क़ब्र का पत्थर हीर रांझा (पंजाबी भाषा:, ਹੀਰ ਰਾਂਝਾ) पंजाब की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं में से एक है। इसके अलावा मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नुँ और सोहनी-माहीवाल बाक़ी तीन हैं। इस कथा के कई वर्णन लिखे जा चुके हैं लेकिन सब से प्रसिद्ध बाबा वारिस शाह का क़िस्सा हीर-रांझा है। दामोदर दास अरोड़ा, मुकबाज़ और अहमद गुज्जर ने भी इसके अपने रूप लिखे हैं। .

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ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के यूनियन परिषदों की सूची

यूनियन परिषद या यूनियन काउंसिल पाकिस्तान का हीनतम् प्रशासनिक इकाई होती है। क्रमशः यह पाकिस्तान में छठे स्तर का प्रशासनिक निकाय है: यानी पहले संघीय सरकार, फिर प्रांत, फिर प्रमंडल, फिर जिले फिर तहसील और अंत्यतः यूनियन परिषद। लेकिन 2007 के बाद परिमंडल को समाप्त कर दिया गया इसलिए अब यूनियन परिषद पांचवें-स्तर की इकाई है। संघ परिषद स्थानीय सरकार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। संघ परिषद में 21 पार्षद होते हैं जिनकी अध्यक्षता नाज़िम और उप मॉडरेटर करते हैं। पाकिस्तान में इस समय 6000 से अधिक संघ परिषद हैं। .

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गुरुदत्त विद्यार्थी

पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी (२६ अप्रैल १८६४ - १८९०), महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनन्य शिष्य एवं कालान्तर में आर्यसमाज के प्रमुख नेता थे। उनकी गिनती आर्य समाज के पाँच प्रमुख नेताओं में होती है। २६ वर्ष की अल्पायु में ही उनका देहान्त हो गया किन्तु उतने ही समय में उन्होने अपनी विद्वता की छाप छोड़ी और अनेकानेक विद्वतापूर्ण ग्रन्थों की रचना की। .

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अरोड़ा

अरोड़ा (पंजाबी: ਅਰੋੜਾ) या अरोरा पंजाब मूल का समुदाय/जाति है। अधिकांश अरोड़ा हिन्दू है और खत्री के साथ वह पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तानी पंजाब) के मुख्य हिन्दू समूह है। इनका मुख्य पेशा व्यापार हुआ करता था और दक्षिणी-पश्चिम पंजाब के सराइकी भाषी समाज में इनका काफी प्रभाव था। चेनाब के आसपास बसे अरोड़ा की जीविका कृषि पर आधारित थी। हालांकि अरोड़ा एक उच्च जाति है लेकिन उसे खत्री से नीचा माना जाता है। दोनों समुदाय एक दूसरे के काफी निकट हैं और दोनों समुदायों के बीच शादियां भी अब होती हैं। अरोड़ा का भाटिया और सूद से भी करीब का रिश्ता है। 1947 में भारत के विभाजन तथा इसकी आज़ादी से पहले अरोड़ा समुदाय मुख्य रूप से पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में सिन्धु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के तटों; उत्तर-पश्चिम के सीमावर्ती राज्यों (एनडब्ल्यूएफपी) सहित भारतीय पंजाब के मालवा क्षेत्र; सिंध क्षेत्र में (मुख्य रूप से सिन्धी अरोड़ा पर पंजाबी तथा मुल्तानी बोलने वाले अरोड़ा समुदाय भी हैं); राजस्थान में (जोधपुरी तथा नागौरी अरोड़ा/खत्रियों के रूप में); तथा गुजरात में बसा हुआ था। पंजाब के उत्तरी पोटोहर तथा माझा क्षेत्रों में खत्रियों की संख्या अधिक थी। भारत में आजादी तथा विभाजन के बाद, अरोड़ा मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात तथा देश के अन्य भागों में रहते हैं। विभाजन के बाद, अरोड़ा भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों के साथ पूरी दुनिया में चले गए। .

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