7 संबंधों: थिम्फू, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, द्ज़ोंग्खग, भूटान, लिम्बू, हिमालयाई भाषा परियोजना, जोङखा।
थिम्फू
थिम्फू, पहले थिम्बु के नाम से जाना जाता था। यह भूटान का सबसे बड़ा शहर तथा भूटान देश की राजधानी भी है।। थिम्फू भूटान के पश्चिमी केन्द्रीय भाग में स्थित हैं। .
नई!!: जोङखा और थिम्फू · और देखें »
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.5 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना ८ दिसम्बर १९८५ को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल २००७ में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बन गया। .
नई!!: जोङखा और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन · और देखें »
द्ज़ोंग्खग
द्ज़ोंग्खग या द्ज़ोंग्खक (द्ज़ोंगखा: རྫོང་ཁག, dzongkhag) भूटान के प्रशासनिक व न्यायिक ज़िले को कहते हैं। इसका मूल "द्ज़ोंग" शब्द है, जिसका अर्थ "दुर्ग" होता है। भूटान के २० द्ज़ोंग्खगों को आगे २०५ गेओग या गेओक (རྒེད་འོག, gewog) में विभाजित करा गया है। कुछ बड़े ज़िलों में दुंग्खग (उपज़िला, དྲུང་ཁག་, dungkhag) नामक बीच का विभाजन भी है। .
नई!!: जोङखा और द्ज़ोंग्खग · और देखें »
भूटान
भूटान का राजतंत्र (भोटान्त) हिमालय पर बसा दक्षिण एशिया का एक छोटा और महत्वपूर्ण देश है। यह चीन (तिब्बत) और भारत के बीच स्थित भूमि आबद्ध(Land Lock)देश है। इस देश का स्थानीय नाम ड्रुग युल है, जिसका अर्थ होता है अझ़दहा का देश। यह देश मुख्यतः पहाड़ी है और केवल दक्षिणी भाग में थोड़ी सी समतल भूमि है। यह सांस्कृतिक और धार्मिक तौर से तिब्बत से जुड़ा है, लेकिन भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर वर्तमान में यह देश भारत के करीब है। .
नई!!: जोङखा और भूटान · और देखें »
लिम्बू
लिम्बू जनजाति, तिब्बती मूल की एक जनजाति है जो दक्षिण तिब्बत, पूर्वी नेपाल, बर्मा, भूटान और भारतीय राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल (विशेषकर: दार्जिलिंग, कलिमपोंग और जलपाईगुड़ी जिले), सिक्किम, असमऔर नागालैंड की मूल निवासी है। .
नई!!: जोङखा और लिम्बू · और देखें »
हिमालयाई भाषा परियोजना
हिमालय पर्वत। हिमालयाई भाषा परियोजना 1993 में शुरू हुई। यह लीडेन विश्वविद्यालय का सामूहिक शोध प्रयास है। इसका लक्ष्य कम जानी पहचानी भाषाओं और लुप्तप्राय भाषाओं पर शोध करना है जो हिमालय क्षेत्र से जुड़ी हैं। यह भाषाएँ नेपाल, चीन, भूटान और भारत में पाई जाती हैं। शोध समूह के सदस्य कई महीने या वर्ष लगातार भाषा के मूल वक्ताओं के साथ में अनुसंधान में बिताते हैं। इस परियोजना के निर्देशक जॉर्ज़ वैन ड्रिएम (George van Driem) हैं। अन्य उच्च अधिकारी मार्क तुरीन (Mark Turin) और जेरोएन विएडेनहॉफ़ (Jeroen Wiedenhof) हैं। परियोजना के अन्तरगत स्नात्क क्षत्रों को भर्ती किया जाता है ताकि कम जानी-पहचानी भाषाओं को पी०एच० डी के शोध का विषय बनाया जा सके। हिमालयाई भाषा परियोजना को भूटान सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था ताकि जोंगखा भाषा के लिए एक रोमन लिपि का मानक तय्यार किया जा सके। .
नई!!: जोङखा और हिमालयाई भाषा परियोजना · और देखें »
जोङखा
जोङखा (तिब्बती लिपि: རྫོང་ཁ།, अंग्रेज़ी: Dzongkha, Wylie: rdzong kha) भूटान में बोली जाने वाली राष्ट्रीय भाषा है। इसका नाम "जोङ" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ "जिला" होता है, और "जोङखा" का मतलब "जिला की मुख्यालय में बोली जाने वाली भाषा" है। सन् २०१३ में इसे कुल मिलाकर लगभग साढ़े-छह लाख लोग बोलते थे। भारत के पश्चिम बंगाल के कालिंपोंग शहर में भी इसे बोलने वाले कुछ लोग हैं। जोङखा को तिब्बती लिपि में लिखा जाता है। .
नई!!: जोङखा और जोङखा · और देखें »