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जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन

सूची जीपीएस ऐडेड जियो ऑगमेंटिड नैविगेशन

गगन के नाम से जाना जाने वाला यह भारत का उपग्रह आधारित हवाई यातायात संचालन तंत्र है। अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद 10 अगस्त 2010 को इस सुविधा को प्राप्त करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया। .

8 संबंधों: ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र, भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली, जीसैट, गगन, आईआरएनएसएस-1एच, आईआरएनएसएस-1एफ़, आईआरएनएसएस-1जी, आईआरएनएसएस-१ई

ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

'''ब्रह्मोस''' विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। .

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भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System) अथवा इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है। इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है। सात उपग्रहों वाली इस प्रणाली में चार उपग्रह ही निर्गत कार्य करने में सक्षम हैं लेकिन तीन अन्य उपग्रह इसकी द्वारा जुटाई गई जानकारियों को और सटीक बनायेगें। हर उपग्रह की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है। .

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जीसैट

जीसैट उपग्रह, भारत की स्वदेशी रूप से विकसित संचार उपग्रहों की तकनीक है जो डिजिटल ऑडियो, डेटा और वीडियो के प्रसारण के लिए प्रयोग की जाती है। नवंबर 2015 तक, 13 जीसैट उपग्रहों को इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जा चुका है। .

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गगन

इसके अनेक अर्थ हो सकते हैं।.

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आईआरएनएसएस-1एच

आईआरएनएसएस-1एच,1ए, 1बी, 1सी, 1डी,1ई, 1एफ़ व 1जी के बाद आठवां भारतीय नौवहन (नेविगेशन) उपग्रह है। यह उपग्रह आईआरएनएसएस सीरीज़ का उपग्रह है, जो भारतीय क्षेत्र में नेविगेशन सेवायें प्रदान करने के लिए छोड़ा गया था। वजन के कारण सैटलाइट की रफ्तार में एक किलोमीटर/ सेकंड की कमी आ गई जिस कारण यह विफल रहा। इसरो सैटलाइट सेंटर के पूर्व डायरेक्टर एसके शिवकुमार ने बताया कि लॉन्च वीइकल अपने डिजाइन के अनुसार एक टन ज्यादा वजन लेकर जा रहा था जिसके कारण हीट शील्ड इससे अलग नहीं हो पाया। इस कारण रॉकेट की गति भी प्रभावित हुई। .

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आईआरएनएसएस-1एफ़

आईआरएनएसएस-1एफ़ भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के सात उपग्रहों की श्रृंखला में छठा उपग्रह है। इससे पहले आईआरएनएसएस-1ए, आईआरएनएसएस-1बी, आईआरएनएसएस-1सी, आईआरएनएसएस-१डी और आईआरएनएसएस-1ई अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये जा चुके हैं। यह उपग्रह भारतीय क्षेत्र के लिए नौवहन (नेविगेशन) सेवाएं प्रदान करने के लिए सात उपग्रहों के नक्षत्र का हिस्सा है। यह उपग्रह भू-समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है। इसे पीएसएलवी-एक्सएल सी32 से 10 मार्च 2016 को 16:01 आईएसटी पर छोड़ा गया। इस उपग्रह में दो तरह के पेलोड हैं। नौवहन पेलोड उपयोगकर्ताओं को दिशा सूचक नौवहन संकेत भेजेगा और रेंजिंग पेलोड में सी-बैंड ट्रांसपोंडर है जो उपग्रह के कार्यक्षेत्र का सटीक निर्धारण करने में सहायक है। इसका जीवनकाल 12 साल है। .

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आईआरएनएसएस-1जी

आईआरएनएसएस-1जी 1ए, 1बी, 1सी, 1डी,1ई, व 1एफ़ के बाद सातवाँ भारतीय नौवहन (नेविगेशन) उपग्रह है। यह उपग्रह आईआरएनएसएस सीरीज़ का सातवाँ और आखरी उपग्रह था परन्तु 1ए उपग्रह की परमाणु घड़ी ख़राब होने के बाद आईआरएनएसएस-1एच को आठवे उपग्रह के तौर पर लॉन्च किया गया। यह उपग्रह भारतीय क्षेत्र में नेविगेशन सेवायें प्रदान करेगा। .

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आईआरएनएसएस-१ई

आईआरएनएसएस आईआरएनएसएस-1ई (IRNSS-1E) अंतरिक्ष उपग्रह नौवहन प्रणाली का 7 में से पाँचवाँ उपग्रह है जिसे 20 जनवरी 2016 को सतीश धवन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था। आईआरएनएसएस उपग्रह मंडल की सात उपग्रहों में से यह पांचवाँ उपग्रह भारत और आस पास के क्षेत्रों में दिशासूचक प्रणालियों व युक्तिओं को निर्देशांक आधारित आँकणे व नौवहन क्षमताएँ बढाने के लिये बनाया और प्रक्षेपित किया गया। उपग्रह को भूसमकालिक कक्षा में भेजा गया। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

गगन (वैमानिकी)

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