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जाल-पत्रिका

सूची जाल-पत्रिका

या हिंदी चिट्ठे हिंदी मे लिखे ब्लॉग या 'चिट्ठे' है। हिंदी में कुछ चिट्ठे केवल कविताओं पर केन्द्रित हैं, कुछ संगीत शास्त्र, ज्योतिष, यात्राओं और फ़ोटोग्राफी पर भी हैं। कुछ चिट्ठों पर संगीत सुना भी जा सकता है और फ्लैश चलचित्र भी देखे जा सकते हैं। हिन्दी रचनाकारों के लिए तो यह सर्वोत्तम माध्यम है। अपनी कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और ललित निबंध सब इस पर निरंतर लिखते हैं और लगातार प्रकाशित करते हैं, यानी चिट्ठाकारों की अपनी पत्रिका। मराठी में भी ब्लॉग को ही कहतें है। और जालपत्रिका (ब्लॉग) के लेखक को (ब्लॉगर) कहतें है। .

9 संबंधों: दुधवा लाइव, नव्योत्तर काल, साहित्य रागिनी, हिमालिनी, जाल पत्रिका, इलेक्ट्रानिक पत्रिका, अनुभूति (पत्रिका), अभिव्यक्ति (पत्रिका), अरविन्द श्रीवास्तव

दुधवा लाइव

कोई विवरण नहीं।

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नव्योत्तर काल

हिन्दी साहित्य के नव्योत्तर काल (पोस्ट-माडर्न) की कई धाराएं हैं -.

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साहित्य रागिनी

साहित्य रागिनी एक साहित्य को समर्पित हिंदी भाषा की एक मासिक वेब पत्रिका हैं। यह एक अव्यवसायिक पत्रिका हैं, जो मनकापुर, उत्तर प्रदेश से प्रकाशित की जाती हैं। कवि धीरज श्रीवास्तव इस पत्रिका के संस्थापक हैं। .

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हिमालिनी

हिमालिनी नेपाल से प्रकाशित होने वाली एक हिंदी मासिक वेब पत्रिका हैं। .

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जाल पत्रिका

हिंदी चिट्ठे याने की जाल पत्रिका हिंदी मे लिखे ब्लॉग या 'चिट्ठे' है। हिंदी में कुछ चिट्ठे केवल कविताओं पर केन्द्रित हैं, कुछ संगीत शास्त्र, ज्योतिष, यात्राओं और फ़ोटोग्राफी पर भी हैं। कुछ चिट्ठों पर संगीत सुना भी जा सकता है और फ्लैश चलचित्र भी देखे जा सकते हैं। हिन्दी रचनाकारों के लिए तो यह सर्वोत्तम माध्यम है। अपनी कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और ललित निबंध सब इस पर निरंतर लिखते हैं और लगातार प्रकाशित करते हैं, यानी चिट्ठाकारों की अपनी पत्रिका। जो साहित्य आंतरजालपर नियमित रूप से प्रकाशित होता हैं, उसे कहते हैं। इसी लिए हम ब्लॉग को जालपत्रिका कह सकते हैं, जो शायद अनियमित रूप से भी प्रकाशित हो सकता हैं। शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! हीटर बने हैं भाग्य विधाता, चाय और कॉफी की चुस्की बना जीवनदाता, सुबह उठ के नहाने वक्त, बेचैनी से जी घबराता!! घर से बाहर निकलते ही, शरीर थरथराने लगता, लगता सूरज अासमां में आज, नहीं निकलने का वजह ढूढ़ता!! कोहरे के दस्तक के आतंक ने, सुबह होते ही हड़कंप मचाया, शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के मौसम ने यूं पलटा खाया!! दुबक पड़े इंसान रजाईयों में, ठण्ड की मार से, कांप उठा कण-कण धरती का मौसम की चाल से!! बजी नया साल की शहनाईयां, और क्रिसमस के इंतज़ार में, झूम उठा पूरा धरती, अपने-अपने परिवार में!! शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं ही पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! .

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इलेक्ट्रानिक पत्रिका

जो पत्रिका कंप्यूटर पर लिखी जाए और कंप्यूटर पर ही पढ़ी जाए उसको जाल-नियतकालिक या इलेक्ट्रानिक पत्रिका (e-zine) कह सकते हैं। इस दृष्टि से जाल-पत्रिका को भी इलेक्ट्रानिक पत्रिका कहा जा सकता है। लेकिन हर इलेक्ट्रानिक पत्रिका जाल-पत्रिका हो वह ज़रूरी नहीं है। बहुत सी इलेक्ट्रानिक पत्रिकाएं पीडीएफ प्रारूप में तैयार की जाती हैं और बहुत सी एम एस वर्ड में। ये ई-मेल से पाठकों के पास भेजी जाती हैं या फिर डाउनलोड के लिए भी उपलब्ध होती हैं। बहुत सी कंपनियां अपने न्यूज़-लेटर इलेक्ट्रानिक-पत्रिका के रूप में प्रकाशित करती हैं। इनके प्रकाशन की तिथि निश्चित होती है और इनका संपादक मंडल भी होता है। .

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अनुभूति (पत्रिका)

अनुभूति कविताओं की हिंदी जाल-पत्रिका है। इसका पहला अंक १ जनवरी २००१ को प्रकाशित हुआ था। महीने में इसके चार अंक पहली, ९वीं, १६वीं और २४वीं तारीख को प्रकाशित होते हैं। 1 जनवरी 2008 से यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है। इसमें प्राचीन कवियों की कविताओं के स्तंभ का नाम 'गौरवग्राम' है और उभरते हुए कवियों की कविताओं को 'नई हवा' में रखा गया है। इसमें दोहे, ग‌ज़ल, हाइकु, मुक्तक आदि विधाओं के लिए अलग स्तंभ तो हैं ही, प्रवासी कवियों के लिए दिशांतर नाम का भी एक स्तंभ है। विभिन्न विषयों पर कविताओं को संकलित करने का भी काम यहां किया गया है जिसे संकलन के अंतर्गत रखा गया है। पत्रिका से संबंधित 'अनुभूति हिंदी' नाम का एक याहू गुट है जहां कविताओं की कार्यशालाओं में कोई भी भाग ले सकता है। यह अभिव्यक्ति की सहयोगी पत्रिका है। .

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अभिव्यक्ति (पत्रिका)

अभिव्यक्ति हिंदी में प्रकाशित होने वाली जाल-पत्रिका है। इसका पहला अंक 15 अगस्त 2000 को प्रकाशित हुआ। उस समय यह मासिक पत्रिका थी। मई 2002 से यह माह में चार बार पहली, 9वीं, 16वीं और 24वीं तारीख़ को प्रकाशित होती है। 1 जनवरी 2008 से यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है। इस पत्रिका को www.abhivyakti-hindi.org पर देखा जा सकता है। इसके संपादक मंडल में पूर्णिमा वर्मन, प्रो॰ अश्विन गांधी और दीपिका जोशी 'संध्या' हैं। इसके अतिरिक्त 200 अन्य सदस्य भी अलग अलग देशों से इस काम में सहयोग करते हैं। पत्रिका में कहानी, उपन्यास, संस्मरण, बालजगत, घर परिवार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चित्रकला, प्रकृति, पर्यटन, लेखकों के परिचय, रसोई आदि 30 से अधिक विषयों को शामिल किया गया है। पुराने अंकों को पुरालेखों में देखा जा सकता है। अनुभूति इसकी सहयोगी पत्रिका है जो कविता की विभिन्न विधाओं को प्रकाशित करती है। इन दोनों पत्रिकाओं के लिए पूर्णिमा वर्मन को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी और अक्षरम की ओर से 2006 के प्रवासी मीडिया सम्मान से अलंकृत किया गया है। .

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अरविन्द श्रीवास्तव

अरविन्द श्रीवास्तव (जन्म २ जनवरी १९६४) मधेपुरा, बिहार से हिन्दी के कवि एवं लेखक हैं। वे संपादन-रेखांकन और अभिनय-प्रसारण जैसे कई विधाओं से जुड़े हुए हैं। मुद्रित पत्रिकाओं के साथ-साथ वे वेब पत्रिकाओं में भी सक्रिय रूप से प्रकाशित हते रहे हैं। इतिहास तथा राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर अध्ययन के बाद उन्होंने 'मधेपुरा जिला का ऐतिहासिक सर्वेक्षण -१८८७-१९४७' विषय पर शोधकार्य किया है। हिंदी उर्दू तथा मैथिली तीनो भाषाओं में सक्रिय वे स्तंभ लेखन, संपादन और संयोजन तथा क्षेत्रीय फिल्मों में अभिनय से भी जुड़े हुए हैं। कारखाना (जर्मन साहित्य पर केन्द्रित अंक-२७) का संयोजन उनकी एक विशेष उपलब्धि थी। इस समय वे वेब दैनिक कोसी खबर, अपनी माटी एवं जनशब्द का संपादन कर रहे हैं। .

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