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जामुन

सूची जामुन

जामुन का पेड़ जामुन (वैज्ञानिक नाम: Syzygium cumini) एक सदाबहार वृक्ष है जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं (लगभग एक से दो सेमी. व्यास के) | यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अन्य देशों एवं इण्डोनेशिया आदि में पाया जाता है। इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है। प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत: इसे नमक के साथ खाया जता है। जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं। .

16 संबंधों: चौरंगा, दातून, पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व, पॉइज़न आइवी, पीलीभीत जिला, फलदार वृक्ष, फलों की सूची, मधु, मध्य प्रदेश के पेड़-पौधे, महाराणा प्रताप सागर, मार्ग वृक्षपालन, सांस की दुर्गंध, वसा, विदिशा की वन संपदा, काढ़ा, ८ दिसम्बर

चौरंगा

चौरंगा फिल्म चौरंगा 2016 की हिन्दी फ़िल्म है। यह भारतीय लेखक-निर्देशक बिकास रंजन मिश्रा की पदार्पण फ़िल्म है जिसके निर्माता ओनिर और संजय सूरी ने किया। फ़िल्म का विकास पठकथा लेखन लैब में हुआ जिसका आयोजन लोकार्नो फ़िल्म महोत्सव और बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव के भाग स्क्रिप्टस्टेशन ऑफ़ बेर्लिनाले टेलेंट कैम्पस के साथ नेशनल फ़िल्म डेवल्पमेंट कोर्पोरेशन ने किया। फ़िल्म को १६वें मुम्बई फ़िल्म महोत्सव में सुनहरा प्रवेशद्वार मिला। फ़िल्म को वैश्विक स्तर पर ८ जनवरी २०१६ को जारी किया गया। .

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दातून

दातून (Teeth cleaning twig) किसी उपयुक्त वृक्ष की पतली टहनी से बना लगभग १५-२० सेमी लम्बा दाँत साफ करने वाला परम्परागत बुरुश है। इसके लिये बहुत से पेड़ों की टहनियाँ उपयुक्त होती हैं किन्तु नीम, मिसवाक आदि की टहनिया विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। कृत्रिम बुरुश की अपेक्षा दातून के कई लाभ हैं, जैसे कम लागत, अधिक पर्यावरणहितैषी आदि। .

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पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व

पचमढ़ी घाटी में पचमढ़ी बायोस्फियर रिजर्व। पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व एक गैर-उपयोग संरक्षण क्षेत्र है यह मध्य भारत के सतपुड़ा रेंज में स्थित है। इस संरक्षण क्षेत्र को 1999 में भारत सरकार द्वारा बनाया गया था। यूनेस्को ने 2009 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व नामित किया था। .

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पॉइज़न आइवी

टॉक्सिकोडेंड्रोन रेडिकंस (पॉइज़न आइवी; पुराने समानार्थक शब्द रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, रुस रेडिकंसUSDA अग्नि प्रभाव सूचना व्यवस्था), ऐनाकार्डियासी परिवार का एक पौधा है। यह एक जंगली लता है जो युरुशियोल नामक एक त्वचा प्रदाहक उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर है जो अधिकांश लोगों में होने वाली एक खुजली वाली फुंसी का कारण है जिसे तकनीकी तौर पर युरुशियोल-प्रेरित संपर्क त्वचादाह के रूप में जाना जाता है लेकिन यह एक वास्तविक आइवी (हेडेरा) नहीं है। .

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पीलीभीत जिला

पीलीभीत भारतीय के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला है, जिसका मुख्यालय पीलीभीत है। इस जिले की साक्षरता - ६१% है, समुद्र तल से ऊँचाई -१७१ मीटर और औसत वर्षा - १४०० मि.मी.

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फलदार वृक्ष

300px उन वृक्षों को फलदार वृक्ष कहते हैं जिन पर लगने वाले फल मनुष्य एवं कुछ जानवरों के खाने के काम आते हैं। पुष्प वाले सभी वृक्ष फल भी देते हैं। फल वास्तव में पुष्प का पका हुआ अण्डाशय ही है। इनमें एक या अधिक बीज होते हैं। किन्तु उद्यानिकी में 'फलदार वृक्ष' से तात्पर्य केवल उन वृक्षों से है जो मानव के भोजन के काम आने वाले फल देते हैं। .

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फलों की सूची

* अंगूर.

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मधु

बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु मधु या शहद (अंग्रेज़ी:Honey हनी) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।। उत्तराकृषिप्रभा शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।। हिन्दुस्तान लाईव। ११ अप्रैल २०१० .

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मध्य प्रदेश के पेड़-पौधे

मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मिश्रित वन का दृष्य मध्य प्रदेश में वनस्पतियों की विविधता है। .

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महाराणा प्रताप सागर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाड़ियों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का निर्माण किया गया है जिसे महाराणा प्रताप सागर नाम दिया गया है। इसे पौंग जलाशय या पौंग बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था। महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है।"Salient Features of some prominent wetlands of India", pib.nic.in, Release ID 29706, web: सूर्योदय पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं।, इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं। .

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मार्ग वृक्षपालन

अंगूठाकार मार्ग वृक्षपालन के अंतर्गत सड़कों के किनारे वृक्ष लगाना और फिर उनका अनुरक्षण करना आता है। वृक्ष विज्ञान से इसका सीधा संबंध है। मार्ग वृक्षपालन के लिए वृक्षों की वृद्धि और उनकी क्रिया-प्रणाली संबंधी ज्ञान तो अनिवार्यत: आवश्यक है ही, साथ ही साथ सजावट के उद्देश्य से, दृढ़ता के आधार पर, प्रतिरोधात्मक गुणों की दृष्टि से पौधों के चुनाव और समूहन संबंधी कौशल भी अपेक्षित हैं। इसलिए मार्ग वृक्षपालन का दायित्व निभाने के लिए पादप-क्रिया-प्रणाली, मृदा-विज्ञान, विकृति आदि का कामचलाऊ ज्ञान होना चाहिए। .

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सांस की दुर्गंध

साँस की दुर्गंध या मुह की दुर्गन्ध या दुर्गंधी प्रश्वसन (Halitosis / हैलिटोसिस) के रोगी के मुख से एक विशेष दुर्गन्ध (बदबू) आती है जो, सांस के साथ मिली होती है। सांसों की दुर्गन्ध ग्रसित व्यक्ति में चिन्ता का कारण बन सकती है। यह एक गंभीर समस्या बन सकती है किंतु कुछ साधारण उपायों से साँस की दुर्गंध को रोका जा सकता है। साँस की दुर्गंध उन बैक्टीरिया से पैदा होती है, जो मुँह में पैदा होते हैं और दुर्गंध पैदा करते हैं। नियमित रूप से ब्रश नहीं करने से मुँह और दांतों के बीच फंसा भोजन बैक्टीरिया पैदा करता है। इन बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित सल्फर, यौगिक के कारण आपकी साँसों में दुर्गंध पैदा करता है। लहसुन और प्याज जैसे कुछ खाद्य पदार्थां में तीखे तेल होते हैं। इनसे साँसों की दुर्गंध पैदा होती है, क्योंकि ये तेल आपके फेफड़ों में जाते हैं और मुँह से बाहर आते हैं। साँस की दुर्गंध का एक अन्य प्रमुख कारण धूम्रपान है। साँस की दुर्गंध पर काबू पाने के बारे में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं। .

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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विदिशा की वन संपदा

विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। प्राचीन नगर विदिशा तथा उसके आस- पास के क्षेत्र को अपनी भौगोलिक विशिष्टता के कारण एक साथ दशान या दशार्ण (दस किलो वाला) क्षेत्र की संज्ञा दी गई है। यह नाम छठी शताब्दी ई. पू.

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काढ़ा

जल में पत्तियाँ, तना, फल, फूल या कोई अन्य रसायन डालकर उसे उबालने पर जो पदार्थ बनता है उसे क्वाथ या काढ़ा कहते हैं। तंत्र के अनुसार इन पाँच वृक्षों —जामुन, सेमर, खिरैटी, मोलसिरी ओर बेर का कषाय 'पंचकषाय' कहलाता है। यह कषाय छाल को पानी में भिगोकर निकाला जाता है और दुर्गा के पूजन में काम आता है। .

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८ दिसम्बर

८ दिसम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४२वॉ (लीप वर्ष मे ३४३वॉ) दिन है। साल में अभी और २३ दिन बाकी है। .

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