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जापानी साहित्य

सूची जापानी साहित्य

जापानी साहित्य काफी पुराना है। जापानी साहित्य की आरम्भिक रचनाएँ चीन और चीनी साहित्य के साथ जापान के सांस्कृतिक सम्बन्धों से बहुत प्रभावित हैं। भारतीय साहित्य ने भी बौद्ध धर्म के माध्यम से जापानी साहित्य पर अपनी छाप छोड़ी। किन्तु समय के साथ जापानी साहित्य की अपनी अलग शैली विकसित हुई किन्तु फिर भी चीनी साहित्य का प्रभाव एदो काल (Edo period) तक बना रहा। १९वीं शताब्दी में जब से जापान ने अपने बन्दरगाहों को पश्चिमी व्यापारियों एवं राजनयिकों के लिए खोल दिया है, तब से पश्चिमी साहित्य तथा जापानी साहित्य ने एक दूसरे को प्रभावित किया है। (cf.) .

4 संबंधों: माची तवारा, हाइबुन, जापानी भाषा, केन्ज़ाबुरो ओए

माची तवारा

 (俵 万智, तवारा माची ?, जन्म 31 दिसंबर 1962) श्रेणी:लेख जिनमें जापानी-भाषा के पाठ हैं एक समकालीन जापानी लेखक, अनुवादक और कवि है। तावरा एक समकालीन कवि के रूप में सबसे प्रसिद्ध है। आधुनिक जापानी दर्शकों के लिए टंका को पुनर्जीवित करने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। एक अनुवादक के रूप में उनका कौशल आधुनिक जापानी में शास्त्रीय जापानी अनुवाद करने से मिलकर बना है, उदाहरण के लिए ''मैनॉयोशु'' और ''ताकाटोरी मोनोगेटारी'' जैसी  पुस्तकें। वह 1962 में ओसाका प्रान्त में पैदा हुई थी, और जब वह 14 साल की थी तब फुकुई प्रान्त में चले गए। 1981 में, उसने जापानी साहित्य में डिग्री के साथ वासेडा विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कवि सासाकी युकितुना के प्रभाव के तहत, वह तानका लिखना शुरू कर दी थी। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, तावरा ने कानागावा प्रीफेक्चर के हाशिमोतो हाईस्कूल में पढ़ाना शुरू किया, और वहां उन्होंने 1989 तक पढ़ाया। उसने एक 50 कविता अनुक्रम, अगस्त की सुबह (八月の朝) लिखा था, जिस के लिए उसने 32वां कदोकवा तानका पुरस्कार प्राप्त किया उन्होंने इस संग्रह को तानका के अन्य छोटे समूहों के साथ संयुक्त रूप से 1987 में अपनी पहले कविता संग्रह, सलाद जयंती (サラダ記念日) को प्रकाशित किया। यह एक बेस्टसेलर बन गया, 2.6 मिलियन से ज्यादा प्रतियां बिकी। संग्रह को 32वां आधुनिक जापानी कवि एसोसिएशन पुरस्कार प्राप्त हुआ। सलाद सालगिरह  ने एक परिघटना शुरू की जिसे "सलाद परिघटना" के रूप में जाना जाता है, जिस की तुलना "बनानामैनिया" (बनाना योशिमोतो की पहली बड़ी पुस्तक की वजह से उत्पन्न होने वाली परिघटना के लिए गढ़ा गया) से की जाती है। तवरा एक सेलिब्रिटी बन गई, और उसने टेलीविजन और रेडियो शो की मेजबानी की जहां उसने तानका के गुणों का गुणगान किया, और हर किसी को उन्हें लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। उसने अंततः उसके प्रशंसकों द्वारा भेजे गए तानका का एक संग्रह संपादित किया, जिनका चयन उसके द्वारा किया गया था। तवाारा की लोकप्रियता मुख्यतः तानका के साथ अपने कौशल से मिलती है। वह चतुराई से आधुनिक जापानी विषयों को शास्त्रीय काव्य रूपों और व्याकरणीय निर्माणों के साथ जोड़ती है, जो दोनों शास्त्रीय दिनों की बात सुनते हैं लेकिन जापान के आधुनिक युवाओं के लिए तानका को अधिक सुलभ भी  बनाता है। इसके अलावा, शास्त्रीय युग के तनका  के विरोध में, तवारा की कविताओं में एक हल्का रवैया और एक कुरकुरा स्वर है, साथ ही एक सार्वभौमिकता है जो उसकी कविता को सभी के द्वारा समझने में मदद करती है।  तवारा की एक वेबसाइट है चॉकलेट बॉक्स, जहां उसकी रचनाओं की एक सूची है और एक संक्षिप्त प्रोफ़ाइल है। वह प्राप्त प्रशंसक मेल की मात्रा से भी आभारी थि और उसने रिकॉर्डिंग के रूपों में प्रतिक्रियाएं भेजीं। .

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हाइबुन

हाइबुन जापानी साहित्य में एक गद्य की विधा हैं। इसमें पद्य और गद्य दोनों ही विधाओ का समावेश होता हैं। हाइबुन एक संक्षिप्त गद्य और हाइकु का सम्मिश्रण है जो कि एक यात्रा विवरण के रूप में लिखा जाता हैं। मात्सुओ बाशो, जो एक संत और हाइकु कवि थे, इस लेखन शैली के आरम्भ कर्ता हैं। उन्होंने अपनी यात्राओं में कई हाइबुन लिखे। समकालीन हाइबुन का प्रयोग व उनकी रचना अभी विकसित हो रही है। सामान्य तौर पर एक हाइबुन में एक या दो पैराग्राफ (छोटे खंड) होते हैं और एक या दो अन्तःस्थापित हाइकु। गद्य का भाग आमतौर पर पहले लिखा जाता है और संक्षिप्त होता है। उसमें किसी दृश्य या किसी विशेष पल का वर्णन बड़ी वर्णनात्मकता से किया जाता है। उसके साथ जुड़े हाइकु का गद्य से सीधा सम्बंध होता है अर्थात वह गद्य के भावार्थ को पूरी तरह से घेर लेता है और उस उस अनुभव का एक आलेख प्रस्तुत करता है। गद्य व हाइकु के विपरीत भावों को इकट्ठे पढ़कर पाठक को अधिक प्रभावशाली या गहराई का अनुभव होता है जो केवल गद्य या केवल हाइकु पढ़ने से नहीं मिल पाता। यह आवश्यक है कि कुछ भी सीधी तरह नहीं कहा जाना चाहिये बल्कि उस पल का एक चित्र अंकित कर पढ़ने वाले के सामने इस तरह रखा जाये कि वह अपनी कल्पना से लेखक के अनुभव को समझ सके। वर्तमान काल, गद्य की संक्षिप्तता और कम शब्दों में वाक्य विन्यास का प्रयोग करना आधुनिक हाइबुन की रचना में अधिमान्य है। हाइबुन का लेखक सामान्यता का परिहार करते हुए दृश्य को असंपृक्तता से चित्रित करता है। गद्य एक दैनिकी का भाग हो सकता है। परन्तु बहुत सावधानी व देख-रेख से इसे कई बार पढ़कर देखना चाहिए। एक उत्तम हाइबुन में गद्य का भाग हाइकु के बारे में कुछ नहीं बतलाएगा बल्कि हाइकु उस अनुभव के पारिभाषिक पल को बढ़ावा देगा। हाइकु गद्य के साथ तिरछा सम्बंध रखते हुए गद्य में प्रयोग किये संज्ञा, क्रिया, विशेषण और कर्म का परिहार करता है। डॉ॰ अंजली देवधर का एक हाइबुन, .

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जापानी भाषा

जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .

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केन्ज़ाबुरो ओए

एक जापानी लेखक और समकालीन जापानी साहित्य एक बड़ी हस्ती है। फ्रेंच और अमेरिकी साहित्य और साहित्यिक सिद्धांत से प्रभावित उनके उपन्यासों, लघु कहानियों और निबंधों, में राजनीतिक, सामाजिक और दार्शनिक मुद्दों को डील किया गया है जिन में परमाणु हथियार, परमाणु ऊर्जा, सामाजिक गैर-समझौतावाद और अस्तित्ववाद भी शामिल हैं। उन्हें एक " काल्पनिक दुनिया यहाँ जीवन और मिथक आज मानव दुर्दशा का एक चिंताजनक चित्र बनाने के लिए ओत्पोत होते हैं" के सृजन के लिए 1994 में साहित्य में नोबेल पुरस्का से सम्मानित किया गया।, Yomiuri.co.jp; May 18, 2008.

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