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जाट

सूची जाट

जाट उत्तरी भारत और पाकिस्तान की एक जाति है। वर्ष 2016 तक, जाट, भारत की कुल जनसंख्या का 0.1 प्रतिशत हैं । एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार, .

104 संबंधों: चिल्का, चौधरी चरण सिंह, झज्जर, झेलम ज़िला, ठठावता, डिडेल, डीग पैलेस, तत्तापानी, कश्मीर, तारानगर, राजस्थान, तिगरिया, तेजाजी, दलबीर सिंह सुहाग, दहिया, देवसंहिता, देवेन्द्र झाझड़िया, धौथड़, धोथड़, नाहरसिंह महल, नेहरा, परसराम मदेरणा, प्रवेश राणा, फगवाड़ा, बलदेवराम मिर्धा, बल्लभगढ़, बिड़ोदी छोटी, बिश्नोई, बिजनौर, बघेल सिंह, बंसी लाल, बुडानिया, बुरडक, बीदसर, बीकानेर का इतिहास, भरतपुर, भादू, भारतीय उपनामों की सूची, भवनपुरा,जनपद मथुरा, भगत धन्ना, मलिक जाट गोत्र, महाराजा सूरज मल, माधवराव पेशवा, मिर्जवास, यादव, योद्धा जातियाँ, रानाबाई, रामानन्दी सम्प्रदाय, राजपूत रेजिमेंट, राजस्थान, राव गुजरमल सिंह, रावत, ..., रज़िया सुल्तान, लोहागढ़ दुर्ग, शामली, सारसण्डा, साहिब सिंह वर्मा, साहू गोत्र, सिनसिनवार, सिन्धी भाषा, सियाल, सिंध, स्यावड़ माता, स्वामी ओमानन्द सरस्वती, हरसावा, हरीसिंह बुरडक, हापुड़, हिन्दुओं का उत्पीड़न, हेमन्त सिंह, हीर राँझा, जय सिंह द्वितीय, जयदीप अहलावत, जयपाल, जाट सिक्ख, जाट आरक्षण आंदोलन, जुझारसिंह नेहरा, वीरभद्र, वीरेन्द्र सहवाग, खाप, गढ़वाल, गंडास, गुरमीत राम रहीम सिंह इन्साँ, गुजरांवाला, गोदारा, गोहद, गोकुल सिंह, ओमप्रकाश चौटाला, आबूसरिया, आलसर, आंजना, कन्हौरी, कान्हा रावत, कासनिया, कुशल पाल सिंह, कृष्णा पूनिया, कूका, कोट कासिम, अटवाल, अट्टारीवाला, अहमद शाह अब्दाली, अहीर, अहीर (आभीर) वंश के राजा, सरदार व कुलीन प्रशासक, अहीरवाल, उपनाम, उप्पल गोत्र, छोटी बल्लभ गाँव, इगलास (अलीगढ़) सूचकांक विस्तार (54 अधिक) »

चिल्का

चिल्का अथवा चल्का एक जाट गौत्र है जो राजस्थान, भारत के जयपुर, सीकर और झुन्झुनू जिलों में पाये जाते हैं। 'चल्का' एक राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ 'चमकना' है। ऐसा माना जाता है कि ये लोग रंग में थोड़े चमकीले चेहरे वाले होते थे। अतः ये लोग राजस्थान में चिल्का के रूप में जाने जाते हैं। .

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चौधरी चरण सिंह

चौधरी चरण सिंह (२३ दिसम्बर १९०२ - २९ मई १९८७) भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने यह पद २८ जुलाई १९७९ से १४ जनवरी १९८० तक सम्भाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। .

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झज्जर

हरियाणा में स्थित झज्जर बहुत सुन्दर पर्यटन स्‍थल है। यह दिल्ली से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। झज्‍जर की स्थापना छज्जु नाम के एक जाट ने की थी। पहले इसका नाम 'छज्जु नगर' था लेकिन बाद में यह झज्जर हो गया। हरियाण के दो मुख्य शहर बहादुरगढ़ और बेरी है। बहादुरगढ़ की स्थापना राठी जाटों ने की थी। पहले बहादुरगढ़ को सर्राफाबाद के नाम से जाना जाता था। पिछले दिनों बहादुरगढ़ का तेजी से औद्योगिकरण हुआ है। बेरी इसका दूसरा मुख्य शहर है। यहां भीमेश्वरी देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है। इस मन्दिर में पूजा करने के लिए देश-विदेश से पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। मन्दिरों के अलावा पर्यटक यहां पर भिंडावास पक्षी अभ्यारण घूमने भी जा सकते हैं। .

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झेलम ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में झेलम ज़िला (लाल रंग में) झेलम (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Jhelum) पाकिस्तान के 2 श्रेणी:पाकिस्तानी पंजाब के ज़िले श्रेणी:पाकिस्तान के ज़िले श्रेणी:भारतीय उपमहाद्वीप के ज़िले.

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ठठावता

ठठावता राजस्थान प्रांत के चूरु जिले का गांव है। यह थार रेगिस्तान में स्थित है। यहां बालू रेत के टीले बहुत हैं। यहां वर्षा कम होती है। गांव का मुख्य व्यवसाय खेती है। काफी संख्या में लोग भारतीय सेना में हैं। कुछ लोग अरब के देशों में भी नौकरी करते हैं। यहां जाट, राजपूत और हरिजन जाति के लोग निवास करते हैं। यह गांव बिरमसर से तीन किमी की दूरी पर है। श्रेणी:चूरू जिले के गाँव.

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डिडेल

डिडेल एक जाट गोत्र का नाम है, जो भारत के राजस्थान और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, नागौर, टोंक जिलों में मिलते हैं एवं मध्यप्रदेश के हरडा, मंदसौर, रतलाम जिलों में मिलते हैं। यह गोत्र ऋषि दधीचि के परिवार पेड़ में भी है। डिडेल गोत्र सबसे ज्यादा नागौर जिले के रोल गांव में हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#D.

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डीग पैलेस

डीग पैलेस एक महल है जो भरतपुर,राजस्थान से 32 किमी दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण भरतपुर के शासक सूरज मल ने १७७२ में करवाया था। यह मुख्य रूप से भरतपुर के डीग क्षेत्र में स्थित है। डीग जाट राजा की राजधानी थी जो बाद भरतपुर में बदल दी गई थी। .

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तत्तापानी, कश्मीर

तत्ता पानी (अंग्रेज़ी: Tatta Pani, उर्दु: تتا پانی) या तत्तापानी आज़ाद कश्मीर के पुंछ ज़िले में एक शहर है। यहाँ गंधक-युक्त गरम पानी के चश्में हैं, जिनपर शहर का नाम पड़ा है ("तत्ता" का अर्थ "गरम" होता है और यह संस्कृत के "तप्त" शब्द से आया है)। तत्ता पानी पुंछ नदी के किनारे २,२३७ फ़ुट (६८२ मीटर) की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यह कोटली से २६ किमी, हजीरा (चेआरा) से २९ किमी और रावलाकोट से ४५ किमी दूर है। ध्यान दें कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय-वाले कई भागों में इसी "तत्तापानी" नाम के कई और नगर-ग्राम-मुहल्ले भी हैं और लगभग इन सभी में गरम पानी के चश्में होते हैं, मसलन हिमाचल प्रदेश और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा दोनों में इस नाम के स्थान हैं। .

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तारानगर, राजस्थान

तारानगर चुरू जिले के उतर दिशा में स्थित है तारानगर चुरू जिले का एक बड़ा भु-भाग घेरता है | तारानगर कि जलवायु उष्ण कटिबंधीय है | चारो और थार मरुस्थल है | यहाँ पर ग्रीष्म ऋतू में तापमान उचतम सतर पर 50` सेल्सियस रहता है और सर्दियों में तापमान 0` सेल्सियस तक पहुंच जाता है | जाट यहाँ कि बड़ी आबादी है और प्रमुखता से प्रत्येक सामजिक, राजनीतिक कार्यो में भाग लेते है | गोगाजी इस क्षेत्र में विशेष पूजनीय देवता है | तेजाजी महाराज कि भी सर्व समाज द्वारा पूजा जाता है | शिक्षा का सत्तर यहा काफी उच्च है, इस क्षेत्र में में शिक्षा प्रति रुझान है, शिक्षा के क्षेत्र में तारानगर ने पिछले कुछ समय में काफी तरकी कि है | आज राजस्थान के बड़े शिक्षा के क्षेत्रो में गिना जाता है | हर साल सरकारी व निजी सस्थानो द्वारा राज्य स्तर पर सेकड़ो मेरिट दी जाती है | आर्मी देश कि रीड कि हडी देश कि आर्मी में हजारो जवान सालाना जाते है | अपने देश कि रक्षा अपने तन मन धन पूर्ण रूप से करते है |देश के वीर जवानों कि प्रति यहा के लोगो में इज्जत है | हर साल शहीद दिवस मनाया जाता है | राजनीति में भी तारानगर काफी उच्च स्तर पर है, यहा से चुने हुए प्रतिनिधि कई बार सरकार में मंत्री पद पर स्थापित हो चुके है | खेल खेल में भी तारानगर से कई खिलाडी है | जो राज्य स्तर पर खेलते है |.

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तिगरिया

कोई विवरण नहीं।

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तेजाजी

तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं। .

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दलबीर सिंह सुहाग

जनरल दलबीर सिंह सुहाग, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक, भारतीय थलसेना के २६वें थलसेनाध्यक्ष हैं। उन्होंने ३१ जुलाई २०१४ को जनरल बिक्रम सिंह के सेवा निवृत्त होने के बाद यह पद ग्रहण किया। .

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दहिया

दहिया एक भारतीय जाति और उपनाम है जो मुख्यतः राजपूत, जाट एवं गुर्जर जातियों के लिए प्रयुक्त होता है। श्रेणी:भारतीय उपनाम.

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देवसंहिता

देवा संहिता गोरख सिन्हा द्वारा मद्य काल में लिखा हुआ संस्कृत श्लोकों का एक संग्रह है जिसमे जाट जाति का जन्म, कर्म एवं जाटों की उत्पति का उल्लेख शिव और पार्वती के संवाद के रूप में किया गया है। ठाकुर देशराज लिखते हैं कि जाटों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक मनोरंजक कथा कही जाती है। महादेवजी के श्वसुर राजा दक्ष ने यज्ञ रचा और अन्य प्रायः सभी देवताओं को तो यज्ञ में बुलाया पर न तो महादेवजी को ही बुलाया और न ही अपनी पुत्री सती को ही निमंत्रित किया। पिता का यज्ञ समझ कर सती बिना बुलाए ही पहुँच गयी, किंतु जब उसने वहां देखा कि न तो उनके पति का भाग ही निकाला गया है और न उसका ही सत्कार किया गया इसलिए उसने वहीं प्राणांत कर दिए.

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देवेन्द्र झाझड़िया

देवेन्द्र झाझड़िया (जन्म; १० जून १९८१) एक भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ी है। ये पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालिंपियन है। 2004 पैरालंपिक एथेंस में उन्होंने पहला स्वर्ण पदक जीता था रियो डी जनेरियो, 2016 ग्रीष्मकालीन पैरालंपिक खेल में, उन्होंने अपने पहले रिकॉर्ड को बेहतर बनाते हुए, एक ही आयोजन में दूसरा स्वर्ण पदक जीता। देवेन्द्र को फिलहाल पैरा चैंपियंस कार्यक्रम के माध्यम से गो एसपोर्ट फाउंडेशन द्वारा समर्थित किया जा रहा है। .

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धौथड़

धौथड़ एक जाट क़बीला है, जो गोजरानवाला जिला, पाकिस्तान में पाया जाता है। इस जाती का सिख शाखा भारत के विभाजन के समय भारत पंजाब और हरियाणा चली गई थी। पाकिस्तान में धौथड़ सियालकोट, गुजरात, हाफ़िज़ आबाद, मंडी बहाउालदीन और साहीवाल के जिलों में पाए जाते हैं। जबकि भारत में धौथड़ करनाल और कपरखला के जिलों में आबाद हैं। .

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धोथड़

धौथड़ जाट क़बीले की एक जाती यानी गूत है। धौथड़ जाट पाकिस्तान में पंजाब और भारत में पंजाब और हरियाणा में रहते हैं। श्रेणी:लोग श्रेणी:भारत श्रेणी:पाकिस्तान श्रेणी:पंजाब.

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नाहरसिंह महल

जाट राजा नाहर सिंह राजा नाहरसिंह महल १८वीं सदी का प्राचीन महल है एवं अपने वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है। यह हरियाणा राज्य के फ़रीदाबाद शहर के बल्लभगढ़ क्षेत्र में स्थित है तथा इसका निर्माण जाट राजा नाहरसिंह के उत्तराधिकारियों द्वारा किया गया था। इस महल का निर्माण कार्य १८५० में पूरा हुआ था। इसे बल्लभगढ़ किला महल के नाम से भी जाना जाता है और दक्षिण दिल्ली से १५ किमी की दूरी पर स्थित है। यहां के जाट राजा नाहरसिंह ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महल के मण्डप और आँगन अत्यन्त सुन्दर हैं एवं इसकी झुकी हुई मेहराबें और सुन्दर रूप से सजे कमरे स्थानीय इतिहास की झलक दिखलाते हैं। वर्तमान में यह एक विरासत सम्पत्ति है। महल के चारों ओर कई शहरी केन्द्र हैं। यह राजसी महल भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। .

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नेहरा

भारत के राजस्थान प्रान्त में झुन्झुनू नगर के संस्थापक जुझारसिंह नेहरा की मूर्ती नेहरा भारत और पाकिस्तान में जाटों का एक गोत्र है। ये राजस्थान, दिल्ली, हरयाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पाकिस्तान में पाए जाते है। नेहरा की उत्पत्ति वैवस्वत मनु के पुत्र नरिष्यंत (नरहरी) से मानी जाती है। पहले ये पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में नेहरा पर्वत पर निवास करते थे। वहां से चल कर राजस्थान के जांगलदेश भू-भाग में बसे और झुंझुनू में नेहरा पहाड़ पर आकर निवास करने लगे.

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परसराम मदेरणा

परसराम मदेरणा (23 जुलाई 1926 - 16 फ़रवरी 2014) राजस्थान से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे राजस्थान के जोधपुर जिले के लक्ष्मण नगर ग्राम के निवासी थे। उनके पुत्र महिपाल मदेरणा भी राजनीतिज्ञ हैं। .

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प्रवेश राणा

प्रवेश राणा एक पुरुष मॉडल और मिस्टर इण्डिया २००८ और रिएलिटी टीवी शो प्रतिभागी हैं। २००९ में उन्होंने एक रिएलिटी टीवी श्रृंखला, बिग बॉस में अपूर्वानुमेय प्रविष्टि पाई थी। .

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फगवाड़ा

फगवाड़ा एक नगर है और यह हाल ही में यहमे कपूरथला जिले नगर निगम बन गया है  जो की पंजाब प्रांत के मध्य भाग में  - स्थित है । इस नगर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, क्योंकि एक बड़ी संख्या में  एनआरआई (अनिवासी भारतीय) इसी नगर से है। यहाँ बहुतायत में  राजपूत बर्सर, जाट जाति  निवास करते हैं। यह जालंधर राजस्व प्रभाग के अंतर्गत  आता है। .

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बलदेवराम मिर्धा

चौधरी बलदेवराम मिर्धा (Baldev Ram Mirdha) (1889-1953), राजस्थान में नागौर जिले के महान जाट सेवक, किसानों के रक्षक तथा समाज-सेवी महापुरुष थे। आपने अपने काम के साथ ही अपनी समाज-सेवा, ग्राम-उत्थान ओर शिक्षा प्रसार की योजनानुसार गांव-गांव में घूम-घूम कर किसानों के बच्चों को विद्याध्ययन की प्रेरणा दी। आपने मारवाड़ में छात्रावासों की एक श्रंखला खड़ी कर दी। श्रेणी:राजस्थान श्रेणी:राजस्थान के लोग श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:1889 में जन्मे लोग श्रेणी:१९५३ में निधन.

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बल्लभगढ़

बल्लभगढ़ हरियाणा राज्य के फ़रीदाबाद ज़िले (लाल रंग) में है बल्लभगढ़ (Ballabhgarh) भारत के हरियाणा राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग के फ़रीदाबाद ज़िले में एक शहर और तहसील का नाम है। दिल्ली से लगभग ३० किमी दूर स्थित यह शहर भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (ऍन सी आर) का हिस्सा है। बल्लभगढ़ में एक जाट रियासत थी जिसकी स्थापना सन् १७३९ में बलराम सिंह ने की थी। यहाँ पर प्रसद्ध नाहर सिंह महल भी खड़ा है और इसका निर्माण भी बलराम सिंह ने ही करवाया था। बल्लभगढ़ का राष्ट्रीय संग्रामों में एक विशेष स्थान रहा है। बलराम सिंह मुग़ल साम्राज्य को अक्सर छेड़ते रहते थे जिस से १७५३ में मुग़लों ने उन्हें मरवा दिया। उनके मित्र सूरज मल (भरतपुर राज्य के नरेश) ने उनके पुत्रों को फिर बल्लभगढ़ की गद्दी दिलवाई। बाद में जब अफ़ग़ानिस्तान से अहमद शाह अब्दाली ने हमला किया तो बल्लभगढ़ ने उसका सख़्त विरोध किया, लेकिन ३ मार्च १७५७ को हराया गया। और भी आगे चलकर बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह (१८२३-१८५८) ने १८५७ की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और उसके लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें विद्रोह कुचलने के बाद सन् १८५८ में फांसी दी।, Oswald Wood and R. Maconachie, Settlement Officer, Delhi Division, Government of India, Victoria Press, 1882,...

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बिड़ोदी छोटी

बिड़ोदी छोटी या बिड़ोदी छोट्टी, भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील का एक गाँव है। जिसे स्वामी की बिड़ोदी के नाम से जाना जाता है, गाँव २५० वर्ष पुराना है और लक्ष्मणगढ़ से १८ किलोमीटर (११ मील) पूर्व में और नवलगढ से ३ किलोमीटर (१.९ मील) पश्चिम में स्थित है। बिड़ोदी छोटी की सीमाओं से कोलिडा, खींवासर, बीदासर, बीदसर, बिड़ोदी बड़ी, झाड़ेवा, जोगिया का बास और ब्राह्मणों की ढाणी (रामसिंह पुरा) और मालियों की ढाणी (भूधा का बास) गाँव लगते हैं। 500 एकड़ (२.० वर्ग किमी) भूमी वाले इस गाँव की कुल आबादी लगभग १४३० में जाट जाति का बाहुल्य है जबकि गाँव की प्रमुख गोत्र भास्कर (भाखर) है। अन्य जतियों में खाती, ब्राह्मण और हरिजन हैं। .

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बिश्नोई

बिश्नोई भारत का एक हिन्दू सम्प्रदाय है जो जिसके अनुयायी राजस्थान आदि प्रदेशों में पाये जाते हैं। श्रीगुरु जम्भेश्वर जी पंवार को बिश्नोई पंथ का संस्थापक माना जाता है। 'बिश्नोई' दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है: बीस + नो अर्थात उनतीस (२९); अर्थात जो का पालन करता है। 29 नियमो को कुछ हद तक सरलता में समझाने की कोशिश इस प्रकार है बिश्नोई के घर में जब किसी बच्चे का जन्म होता हैं तो तीस दिन के बाद उसको सँस्कार ओर 120 शब्दो से हवन करके तथा पाहल पिला कर बिश्नोई बनाया जाता हैं 1तीस दिन सूतक, महिला जब पांच दिन पीरियड के समय हो तो रसोईघर में नही जाती पूजा पाठ नही करती 2पांच दिन ऋतुवती न्यारो, सुबह अम्रत वेला यानी कि सूर्य के उदय होने से पहले स्नान करना 3सेरा करो स्नान, प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना। शीलता का पालन करना हमेशा शील गुण रखना किसी के प्रति वैर भाव नही रखना4.

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बिजनौर

बिजनौर भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। हिमालय की उपत्यका में स्थित बिजनौर को जहाँ एक ओर महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है, वहीं आर्य जगत के प्रकाश स्तम्भ स्वामी श्रद्धानन्द, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ॰ आत्माराम, भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद आदि की जन्मभूमि होने का सौभाग्य भी प्राप्त है। साहित्य के क्षेत्र में जनपद ने कई महत्त्वपूर्ण मानदंड स्थापित किए हैं। कालिदास का जन्म भले ही कहीं और हुआ हो, किंतु उन्होंने इस जनपद में बहने वाली मालिनी नदी को अपने प्रसिद्ध नाटक 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' का आधार बनाया। अकबर के नवरत्नों में अबुल फ़जल और फैज़ी का पालन-पोषण बास्टा के पास हुआ। उर्दू साहित्य में भी जनपद बिजनौर का गौरवशाली स्थान रहा है। क़ायम चाँदपुरी को मिर्ज़ा ग़ालिब ने भी उस्ताद शायरों में शामिल किया है। नूर बिजनौरी जैसे विश्वप्रसिद्ध शायर इसी मिट्टी से पैदा हुए। महारनी विक्टोरिया के उस्ताद नवाब शाहमत अली भी मंडावर,बिजनौर के निवासी थे, जिन्होंने महारानी को फ़ारसी की पढ़ाया। संपादकाचार्य पं. रुद्रदत्त शर्मा, बिहारी सतसई की तुलनात्मक समीक्षा लिखने वाले पं. पद्मसिंह शर्मा और हिंदी-ग़ज़लों के शहंशाह दुष्यंत कुमार,विख्यात क्रांतिकारी चौधरी शिवचरण सिंह त्यागी, पैजनियां - भी बिजनौर की धरती की देन हैं। वर्तमान में महेन्‍द्र अश्‍क देश विदेश में उर्दू शायरी के लिए विख्‍यात हैं। धामपुर तहसील के अन्‍तर्गत ग्राम किवाड में पैदा हुए महेन्‍द्र अश्‍क आजकल नजीबाबाद में निवास कर रहे हैं। .

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बघेल सिंह

बघेल सिंह धालीवाल (१७३०– १८०२ ई.) १८वीं शताब्दी में पंजाब क्षेत्र का एक सैन्य जनरल थे। उनका जन्म पंजाब के मजहा क्षेत्र के अमृतसर जिले में झाबल ग्राम में एक धालीवाल जाट परिवार में हुआ था। उसने प्रसिद्धि सतलुज-यमुना दोआब क्षेत्र में करोर सिंहिया मिस्ल के अधीन पायी। ये मिस्ल करोर सिंह के नेतृत्व में बनी थी एवं उसकी मृत्यु उपरांत इस मिस्ल का नेता भि बना। एक मुस्लिम इतिहासकार सैयद अहमद लतीफ़ के अनुसार इस मिस्ल में १२,००० से अधिक बहादुर योद्धा होते थे। .

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बंसी लाल

चौधरी बंसीलाल (26 अगस्त 1927-28 मार्च 2006)(चौधरी बंसी लाल) एक भारयीय स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कई लोगों द्वारा आधुनिक हरियाणा के निर्माता माने जाते हैं। उनका जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के गोलागढ़ गांव के जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने तीन अलग-अलग अवधियों: 1968-197, 1985-87 एवं 1996-99 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। बंसीलाल को 1975 में आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी का एक करीबी विश्वासपात्र माना जाता था। उन्होंने दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी एवं 1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। उन्होंने रेलवे और परिवहन विभागों का भी संचालन किया। लाल सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए, पहली बार 1967 में.

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बुडानिया

बुडानिया एक जाट गोत्र का नाम है जो भारत के राजस्थान और हरियाणा प्रान्त में मिलते हैं। राजस्थान में चूरु, सीकर, झुन्झुनूं, जयपुर, हनुमानगढ, जोधपुर जिलों में मिलते हैं। हरियाणा में भट्टू कलां, दरबा, सिरसा, आदमपुर में मिलते हैं। __toc__ .

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बुरडक

बुरडक एक उपनाम है जो भारत में मुख्य रूप से जाट समुदाय में पाया जाता है। बिशनोई तथा चौहान राजपूतों में भी बुरडक पाये जाते हैं। भारत के अलावा बुरडक अनेक देशों में मिलते हैं। भड़वों के अभिलेखों के अनुसार ये अग्निवंशी चौहान क्षत्रियों में सम्मिलित हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ sv:Jater#B.

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बीदसर

सीकर जिले के नक्शे पर बीदसर। बीदसर राजस्थान में सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील का एक गाँव है। यह लक्ष्मणगढ़ के पूर्व में और नवलगढ़ से दूर पड़ता है। बीदसर के सीमावर्ती गाँव और कस्बे बिड़ोदी, बीदासर, मिर्जवास, डुण्डलोद और नवलगढ़ हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार बीदसर की जनसँख्या 1547 है। .

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बीकानेर का इतिहास

बीकानेर। Raja Karan Singh of Bikaner, Auranzeb's ally and enemy एक अलमस्त शहर है, अलमस्त इसलिए कि यहाँ के लोग बेफ्क्रि के साथ अपना जीवन यापन करते हैं। इसका कारण यह भी है कि बीकानेर के सँस्थापक राव बीकाजी अलमस्त स्वभाव के थे अलमस्त नहीँ होते तो वे जोधपुर राज्य की गद्दी को यो हीँ बात बात में छोड़ देते। उस समय तो बेटा बाप को मार कर गद्दी पे बैठ जाता था। जैसा कि इतिहास में मिलता है यथा राव मालदेव ने अपने पिता राव गाँगा को गढ की खिडकी से नीचे फेंक कर किया था और जोधपुर की सत्ता हथिया ली थी। इसके विरूद्ध बीकाजी ने अपनी इच्छा से जोधपुर की गद्दी छोडी। इसके पीछे दो कहानियाँ लोक में प्रचलित है। एक तो यह कि, नापा साँखला जो कि बीकाजी के मामा थे उन्होंने जोधाजी से कहा कि आपने भले ही सांतळ जी को जोधपुर का उत्तराधिकारी बनाया किंतु बीकाजी को कुछ सैनिक सहायता सहित सारुँडे का पट्टा दे दीजिये। वह वीर तथा भाग्य का धनी है। वह अपने बूते खुद अपना राज्य स्थापित कर लेगा। जोधाजी ने नापा की सलाह मान ली। और पचास सैनिकों सहित पट्टा नापा को दे दिया। बीकाजी ने यह फैसला राजी खुशी मान लिया। उस समय कांधल जी, रूपा जी, मांडल जी, नथु जी और नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के सगे भाई थे साथ ही नापा साँखला, बेला पडिहार, लाला लखन सिंह बैद, चौथमल कोठारी, नाहर सिंह बच्छावत, विक्रम सिंह पुरोहित, सालू जी राठी आदि कई लोगों ने बीकाजी का साथ दिया। इन सरदारों के साथ बीकाजी ने बीकानेर की स्थापना की। सालू जी राठी जोधपुर के ओंसिया गाँव के निवासी थे। वे अपने साथ अपने आराधय देव मरूनायक या मूलनायक की मूर्ति साथ लायें आज भी उनके वंशज साले की होली पे होलिका दहन करते हैं। साले का अर्थ बहन के भाई के रूप में न होकर सालू जी के अपभ्रंश के रूप में होता है बीकानेर की स्थापना के पीछे दूसरी कहानी ये हैं कि एक दिन राव जोधा दरबार में बैठे थे बीकाजी दरबार में देर से आये तथा प्रणाम कर अपने चाचा कांधल से कान में धीर धीरे बात करने लगे यह देख कर जोधा ने व्यँगय में कहा “ मालूम होता है कि चाचा-भतीजा किसी नवीन राज्य को विजित करने की योजना बना रहे हैं’। इस पर बीका और कांधल ने कहाँ कि यदि आप की कृप्या हो तो यही होगा। और इसी के साथ चाचा – भतीजा दोनों दरबार से उठ के चले आये तथा दोनों ने बीकानेर राज्य की स्थापना की। इस संबंध में एक लोक दोहा भी प्रचलित है ‘ पन्द्रह सौ पैंतालवे, सुद बैसाख सुमेर थावर बीज थरपियो, बीका बीकानेर ‘ इस प्रकार एक ताने की प्रतिक्रिया से बीकानेर की स्थापना हुई वैसे ये क्षेत्र तब भी निर्जन नहीं था इस क्षेत्र में जाट जाति के कई गाँव थे .

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भरतपुर

भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

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भादू

भादू एक जाट तथा बिश्नोई जाति की गोत्र है। .

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भारतीय उपनामों की सूची

भारतीय संस्कृति में उपनामों का बहुत महत्व है। ये किसी भी व्यक्ति के निवास स्थान, जाति या कार्य का परिचय देते हैं। प्रमुख भारतीय तथा दक्षिण एशियाई उपनामों की यह सूची वर्णानुक्रम में संयोजित है - .

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भवनपुरा,जनपद मथुरा

गांव-भवनपुरा - गोवर्धन से ०३ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित जनपद मथुरा में जिला मुख्यालय से २१ किमी की दूरी पर स्थित है,यहां की किसी भी घर की छत से आप गोवर्धन स्थित श्री गिरिराज जी मंदिर के साक्षात दर्शन कर सकते हैं। यह गांव सडक मार्ग द्वारा जिला मुख्यालय मथुरा उत्तर प्रदेशसे जुडा हुआ है, गांव भवनपुरा हिंदू धर्म इस गांव के लोग सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन बडी ही शालीनता व सहयोग की भावना से करते हैं गांव भवनपुरा के निवासी बडे ही खुशमिजाज व शाकाहारी खानपान के शौकीन हैं,यहां वर्ष भर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन चलते रहते हैं,जैसे ०१ जनवरी के दिन गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है यह आयोजन गांव-भवनपुरा की एकता व भाईचारे का प्रतीक हैं इस गांव में भक्ति भाव व भाईचारे की भावना को बनाये रखने के लिये प्रतिदिन सुबह ०४ बजे भगवान श्री कृष्ण नाम का कीर्तन करते हुये गांव की परिक्रमा करते हुये प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें बडी संख्या में गांव के स्त्री पुरूष भाग लेते हैं,जिससे गांव भवनपुरा का प्रात:काल का वातावरण कृष्णमय हो जाता है जिसके कारण गांव के निवासियों को आनंद की अनुभूति होती है जोकि अविस्मरणीय है,इस प्रभातफेरी का आयोजन बृज के संतों की कृपा से पिछले ३५ वर्षों से किया जा रहा है,अत: इसी प्रभातफेरी की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है,इसी दिन ही गांव भवनपुरा के निवासियों की ओर से आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि एकत्रित कर विशाल प्रसाद भंडारेका आयोजन किया जाता है जिसमें समस्त ग्राम वासी इच्छानुसार नये वस्त्र धारण कर बडे हर्षोल्लास के साथ टाट पट्टियों पर बैठकर सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण करते हैं, यह क्षण वास्तव में ही प्रत्येक ग्रामवासी के लिये अत्यंत आनंद दायक होता है इसके उपरांत अन्य समीपवर्ती गांवों से निमंत्रण देकर बुलवायी गयी कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन प्रतियोगिता का रंगारंग आयोजन होता है जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कीर्तन मंडली को मुख्य अतिथि द्वारा विशेष उपहार देकर व अन्य कीर्तन मंडलियों को भी उपहार वितरित कर सम्मानित किया जाता है रक्षाबंधन पर विशेष खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन गांव भवनपुरा में किया जाता है जिसमें बडी संख्या में गांव के युवा द्वारा और रक्षाबंधन के अवसर पर आने वाले नये पुराने रिश्तेदारों द्वारा बढचढकर प्रतिभाग किया जाता है | गांव भवनपुरामें होली,दीपावली,गोवर्धनपूजा के त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं,होली के बाद हुरंगा का रंगारंग आयोजन किया जाता है, कुश्ती दंगल- होली से १३ दिवस उपरांत चैत्र माह की त्रियोदशी को गांव में कुश्ती दंगल का आयोजन गांव-भवनपुरा में किया जाता है जिसमें दूर दूर आये हुये से पहलवान अपनी बृज प्रसिद्ध मल्ल विधा के कौशल का परिचय देते हैं इस आयोजन को देखने आसपडोस के गांव कस्बों से भारी संख्या में बालक,युवा,बृद्ध व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित होते हैं,दंगल के दिन ही गांव में विक्रेताओं द्वारा जलेबी सोनहलवा,पान,आईसक्रीम चांट पकौडी,समौसा,आदि की स्टाल व बच्चौं के लिये खिलौनों की दुकान व खेलकूद के लिये तरह तरह के झूले लगाये जाते हैं जिनका कि बच्चे व गांव की महिलायें जमकर लुप्त उठाती हैं तथा दंगल देखने बाद गांव जाने वाले लोग अपने परिवार के लिये जलेबी,सोनहलुवा अनिवार्य रूप से ले जाते हैं इसी दिन ही रात्रि में गांव में नौटंकी का आयोजन किया जाता हैं जिसे आस-पास के गांवों से काफी संख्या में युवा वर्ग के नौजवान एकत्रित होते हैं तथा गांव के युवा वर्ग द्वारा इस आयोजन का जमकर आनंद लिया जाता है, महाशिवरात्रि अर्थात भोला चौदस पर भी गांव-भवनपुरा में विशेष आयोजन होते हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त ग्रामवासी युवा श्री गंगा जी रामघाट से कांवर लेकर आते हैं इन कावडियों के ग्राम पहुंचनें पर भव्य स्वागत किया जाता है तथा गांव के सभी लोग बैंड बाजे के साथ गांव की परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं,इस दिन गांव सभी घरों में विशेष पकवान व गाजर का हलवा,खोवा के लड्डू,सिघाडे का हलवा आदि बनते हैं जिन्हें महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले लोग बडे चाव से खाते हैं, शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा हेतु गांव में ही प्राईमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल है, इससे आगे की पढाई के लिये निकटवर्ती कस्बा गोवर्धन, अडींग जाना पडता है इन कस्बों के प्रमुख इंटर कालेजों/पी०जी० कालेजों की सूची निम्नलिखित है निकटवर्ती पर्यटन/धार्मिक स्थल- .

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भगत धन्ना

धन्ना भगत (जन्म:१४१५) एक रहस्यवादी कवि और जिसका तीन भजन आदि ग्रन्थ में मौजूद हैं एक वैष्णव भक्त थे।धन्ना मूल रूप से ढाणी धोरी राजस्थान के टोंक जिले में तहसील के पास के गांव में भारत जाट परिवार में पैदा हुआ थे। धन्ना का जन्म लेकिन अपने नाम का वर्ष प्रकट नहीं है जैसा कबीर या रविदास के लेखन में मैक्स आर्थर (१४१५) हल करता है। 'बीज बुवाई बिना अनाज कैसे धन्ना' मीरा बाई गाने में अपने नाम का जल्द से जल्द उल्लेख है।उन्होंने रामनुंज से शिक्षा प्राप्त की थी। .

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मलिक जाट गोत्र

मलिक एक जाट गोत्र है। .

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महाराजा सूरज मल

महाराजा सूरजमल (१७०७-१७६३) भरतपुर राज्य के दूरदर्शी हरयाणा में 'दांगी' भी उन्हीं की शाखा है। मराठों के पतन के बाद महाराजा सूरजमल ने गाजियाबाद, रोहतक, झज्जर के इलाके भी जीते। 1763 में फरुखनगर पर भी कब्जा किया। वीरों की सेज युद्धभूमि ही है। 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुदौला के साथ युद्ध में महाराज सूरजमल वीरगति को प्राप्त हुए। .

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माधवराव पेशवा

पेशवा माधवराव प्रथम (शासनकाल- 1761-1772 ई०) मराठा साम्राज्य के चौथे पूर्णाधिकार प्राप्त पेशवा थे। वे मराठा साम्राज्य के महानतम पेशवा के रूप में मान्य हैं जिनके अल्पवयस्क होने के बावजूद अद्भुत दूरदर्शिता एवं संगठन-क्षमता के कारण पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की खोयी शक्ति एवं प्रतिष्ठा की पुनर्प्राप्ति संभव हो पायी। 11 वर्षों की अपनी अल्पकालीन शासनावधि में भी आरंभिक 2 वर्ष गृहकलह में तथा अंतिम वर्ष क्षय रोग की पीड़ा में गुजर जाने के बावजूद उन्होंने न केवल उत्तम शासन-प्रबंध स्थापित किया, बल्कि अपनी दूरदर्शिता से योग्य सरदारों को एकजुट कर तथा नाना फडणवीस एवं महादजी शिंदे दोनों का सहयोग लेकर मराठा साम्राज्य को भी सर्वोच्च विस्तार तक पहुँचा दिया। .

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मिर्जवास

मिर्जवास भारत के राजस्थान में सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील का एक गाँव है। यह लक्ष्मणगढ़ के पूर्व में और नवलगढ़ से दूर पड़ता है। मिर्जवास के सीमावर्ती गाँव और कस्बे बीदसर, बीदासर, डुन्डलोद, खेड़ी राड़ान और सान्खु हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार मिर्जवास की जनसँख्या १,९७७ है। .

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यादव

यादव (अर्थ- महाराज यदु के वंशज)) प्राचीन भारत के वह लोग जो पौराणिक नरेश यदु के वंशज होने का दावा करते रहे हैं। यादव वंश प्रमुख रूप से आभीर (वर्तमान अहीर), अंधक, व्रष्णि तथा सत्वत नामक समुदायों से मिलकर बना था, जो कि भगवान कृष्ण के उपासक थे। यह लोग प्राचीन भारतीय साहित्य मे यदुवंश के प्रमुख अंगों के रूप मे वर्णित है।Thapar, Romila (1978, reprint 1996). Ancient Indian Social History: Some Interpretations, नई दिल्ली: Orient Longman, ISBN 978-81-250-0808-8, p.223 प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत की कई जातियाँ तथा राज वंश स्वयं को यदु का वंशज बताते है और यादव नाम से जाने जाते है। .

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योद्धा जातियाँ

योद्धा जातियाँ, 1857 की क्रांति के बाद, ब्रिटिश कालीन भारत के सैन्य अधिकारियों बनाई गयी उपाधि थी। उन्होने समस्त जतियों को "योद्धा" व "गैर-योद्धा" जतियों के रूप मे वर्गीकृत किया था। उनके अनुसार, सुगठित शरीर व बहादुर "योदधा वर्ण" लड़ाई के लिए अधिक उपयुक्त था, जबकि आराम पसंद जीवन शैली वाले "गैर-लड़ाकू वर्ण" के लोगों को ब्रिटिश सरकार लड़ाई हेतु अनुपयुक्त समझती थी। एक वैकल्पिक परिकल्पना यह भी है कि 1857 की क्रांति मे अधिकतर ब्रिटिश प्रशिक्षित भारतीय सैनिक ही थे जिसके फलस्वरूप सैनिक भर्ती प्रक्रिया उन लोगों की पक्षधर थी जो ब्रिटिश हुकूमत के बफादार रहे थे अतः बंगाल आर्मी में खाड़ी क्षेत्र से होने वाली भर्ती या तो कम कर दी गयी या रोक दी गयी थी। उक्त धारणा भारत के वैदिक हिन्दू समाज की चतुर्वर्णीय व्यवस्था मे "क्षत्रिय वर्ण" के रूप मे पहले से ही विद्यमान थी जिसका शाब्दिक अर्थ "योद्धा जाति" है। .

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रानाबाई

हरनावा में रानाबाई की समाधि रानाबाई अथवा वीराँगना रानाबाई (1504-1570) प्रसिद्ध जाट वीरबाला एवं कवयित्री थीं। उनकी रचनाएं राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। वह राजस्थान की दूसरी मीरा के रूप में जानी जाती है। वह संत चतुर दास (जो कि खोजीजी के नाम से भी जाने जाते हैं) की शिष्या थीं। रानाबाई का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के हरनावा गांव में सन् 1543 में चौधरी जालमसिंह धूण के घर में हुआ। रानाबाई ने राजस्थानी भाषा में कई कविताओं की रचना की थी। सारी रचनाएँ सामान्य लय मे रची गई हैं। उनके गानों के संग्रह को 'पदावली' कहा जाता है। उनके द्वारा रचित पदों के गायन का माध्यम ठेठ राजस्थानी था। भक्त शिरोमणि रानाबाई के पिता श्री जालम सिंह खिंयाला गाँव से कृषि का लगान भरकर अपने गाँव हरनावां लौट रहे थे तो रास्ते में गेछाला नाम के तालाब में भूतों ने उन्हें घेर लिया और कहा कि आपकी पुत्री राना का विवाह बोहरा भूत के साथ करने पर ही आपको छोड़ा जायेगा। चिंताग्रस्त जालम सिंह ने अपनी पुत्री के विवाह की सहमति भूतों को दे दी। भूत समुदाय आंधी-तूफान के रूप में जालम सिंह के घर पहुँचा। भक्त शिरोमणि रानाबाई ने अपनी ईश्वरीय शक्ति से भूत समुदाय का सर्वनाश किया। रानाबाई ने विवाह नहीं करने का प्रण लिया।उन्होंने विक्रम संवत् 1627 को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जीवित समाधी ली। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रानाबाई की धाम पर हरनावां गाँव में मेला भरता है। भाद्रपद और माघ मास के शुक्ल पक्ष की तेरस (त्रयोदशी) को राना मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ रहती है। रानाबाई मंदिर के वर्तमान पुजारी श्री रामा राम धूण है। रानाबाई की तपोभूमि हरनावा पट्टी के दो जांबाजों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। शहीद श्री रामकरण थाकण ने मेघदूत ऑपरेशन के दौरान सन् 1991 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। वीर चक्र से सम्मानित शहीद श्री मंगेज सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश के लिए प्राण न्योंछावर कर दिए। क्यों प्रसिद्ध हुई रानाबाई ? हरनावा पट्टी नागौर की रानाबाई ने गुरू खोजी जी के सान्निध्य में रहकर श्री राम की भक्ति की। भक्ति के कारण रानाबाई जी में ईश्वरीय शक्ति आ गई थी। एक बार बोरावड़ के मेड़तिया ठाकुर श्री राज सिंह जोधपुर दरबार का साथ देने के लिए बादशाह से युद्ध करने के लिए अहमदाबाद जा रहे थे, रास्ते में हरनावा गाँव में रुके।रानाबाई जी प्रसिद्धि सुनकर वे रानाबाई के दर्शन करने गए। रानाबाई जी गोबर से थेपड़ियाँ (कंडे) बना रही थीं। ठाकुर राज सिंह ने रानाबाई जी को प्रणाम करके पूछा कि क्या मैं बादशाह से युद्ध में विजय हो सकता हूँ तब रानाबाई जी ने गोबर के हाथ का छापा ठाकुर की पीठ पर लगा दिया जो केशरिया रंग में परिवर्तित हो गया। रानाबाई जी ने कहा कि जब थक आपको मेरा यह चूड़ा सहित हाथ दिखाई दे तो निश्चिंत होकर लड़ना, अवश्य जीत होगी। बोरावड़ दरबार बादशाह से युद्ध में विजय हो गये।खुशी के कारण रानाबाई जी को भूल गए। उन्होंने रानाबाई जी को वचन दिया था कि जब जीत जाऊँगा तो आपके पास आकर प्रणाम करके घर जाऊँगा। जब बोरावड़ दरबार मय सेना गढ़ के प्रवेश द्वार पर पहुँचे तो हाथी गढ़ में प्रवेश नहीं कर पाया। फिर ठाकुर राज सिंह रानाबाई के दर्शन करने हरनावा गए तथा बाई राना से क्षमा याचना की तो रानाबाई जी ने क्षमा किया। गढ़ के प्रवेश द्वार में अब आसानी से हाथी प्रवेश कर गया। यह कहा जाता है कि गोबर के हाथ का छापा (केशरिया रंग) वाला कुर्ता आज भी बोरावड़ के गढ़ में विद्यमान है। आज भी रानाबाई जी की ईश्वरीय शक्ति भक्तों को देखने के लिए उस समय मिलती है जब प्रसाद के रूप में चढाए गए नारियल की ऊपरी परत (दाढ़ी) एकत्रित होने पर स्वतः प्रज्वलित हो जाती है। मुगल सेनापति का सिर काट दिया रानाबाई जी ने रानाबाई जी अविवाहित सुन्दर कन्या थी। उनकी सुन्दरता से मोहित होकर मुगल सेनापति आक्रमण कर अपहरण करना चाह रहा था लेकिन रानाबाई जी ने 500 मुगल सैनिकों सहित सेनापति का सिर धड़ से अलग कर दिया। रामस्नेही रानाबाई की मान्यता आस-पास के क्षेत्रों में इतनी है कि रानाबाई नाम से व्यवसाय, संस्थान,परिवहन आदि चलते हैं। .

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रामानन्दी सम्प्रदाय

तीर्थयात्रा करने के बाद रामानन्द जब घर आए और गुरुमठ पहुँचे तो उनके गुरुभाइयों ने उनके साथ भोजन करने में आपत्ति की। उनका अनुमान था कि रामानन्द ने तीर्थाटन में अवश्य ही खानपान संबंधी छुआछूत का कोई विचार नहीं किया होगा। राघवानन्द ने अपने शिष्यों का यह आग्रह देखकर एक नया संप्रदाय चलाने की सलाह दे दी। यहीं से रामानन्द संप्रदाय का जन्म हुआ। इन दृष्टियों से रामानंद संप्रदाय एवं रामानुज संप्रदाय में भेद है किंतु दार्शनिक सिद्धांत से दोनों ही संप्रदाय विशिष्टाद्वैत मत के पोषक हैं। दोनों ही ब्रह्म को चिदचिद्विशिष्ट मानते हैं और दोनों ही के मत के पोषक हैं। दोनों ही ब्रह्म को चिदचिद्विशिष्ट मानते हैं और दोनों ही के मत से मोक्ष का उपाय परमोपास्य की 'प्रपत्ति' है। रामानंद संप्रदाय में निम्नलिखित बातें प्रधान हैं -.

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राजपूत रेजिमेंट

राजपूत रेजीमेंट भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह प्राथमिक रूप से भारतीय राजपूत, गुर्जर, ब्राह्मण, बंगाली, मुस्लिम, जाट, अहीर, सिख और डोगरा जतियों से बनी है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक इसमे 50% राजपूत व 50% मुस्लिमों की भागीदारी थी। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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राव गुजरमल सिंह

राव गुजरमल सिंह (1739-1750) राव नंदराम सिंह पुत्र थे तथा चंद्रवंशी अहीर शासक थे। राव गुजरमल के बड़े भाई राव बाल किशन 24 फरवरी 1739 को करनाल युद्ध में नादिर शाह के विरुद्ध लड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हुए, उनके बाद राव गुजरमल राजा बने। राव बाल किशन कि वीरता और बहादुरी को देखते हुए नादिर शाह ने राव राज घराना को "राव बहादुर" का खिताब नवाजा। राव गुजरमल के समय पर अहीर परिवार की शक्ति चरम सीमा पर थी। उनकी जागीर में रेवाड़ी, झज्जर, दादरी, हांसी, हिसार, कनौद, व नारनौल आदि प्रमुख नगर शामिल थे। गुरावडा व गोकुल गढ़ के किले इसी काल की देन है। गोकुल सिक्का मुद्रा का प्रचालन इसी काल में किया गया। अपने पिता के नाम स्तूप व जलाशय का भी निर्माण गूजरमल ने करवाया था। उन्होने मेरठ के ब्रहनपुर व मोरना तथा रेवाड़ी में रामगढ़, जैतपुर व श्रीनगर गावों की स्थापना की थी। फर्रूखनगर का बलोच राजा व हाथी सिंह का वंशज घसेरा का बहादुर सिंह दोनों राव गुजरमल के कातर शत्रु थे। बहादुर सिंह, भरतपुर के जाट राजा सूरजमल से अलग होकर स्वतंत्र शासन कर रहा था। तब राव गुजरमल ने सूरजमल के साथ मिलकर उसे मुहतोड़ जवाब दिया। गुजरमल का बहादुर सिंह के ससुर नीमराना के टोडरमल से भी मैत्रीपूर्ण सम्बंध था। सन 1750 मे, टोडरमल ने राव गूजरमल को बहादुर सिंह के कहने पर आमंत्रित किया ओर धोखे से उनका वध कर दिया। .

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रावत

रावत एक भारतीय सामाजिक समुदाय और उपनाम है। इससे मिलते जुलते उपनाम, राउत, राउल और रावल हैं। सामान्यतः यह राजा या राजकुमार का समानार्थी शब्द है, और यह माना जाता है कि पहले यह एक प्रकार की उपाधि थी जिसे वीरता के सम्मान में राजाओं द्वारा दिया जाता था, जिसे वंश परंपरा में नाम के आगे लिखने का प्रचलन हो गया। रावत उपनाम वाले लोग मुख्यतः राजस्थान में संकेंद्रित हैं, हालाँकि, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी इनकी कुछ संख्या पायी जाती है और उत्तराखंड के समीपवर्ती नेपाल तक इनका विस्तार है। .

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रज़िया सुल्तान

रज़िया अल-दिन(१२०५-१२४०) (फारसी / उर्दु: رضیہ سلطانہ), शाही नाम “जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ” (फारसी /उर्दु: جلالۃ الدین رضیہ), इतिहास में जिसे सामान्यतः “रज़िया सुल्तान” या “रज़िया सुल्ताना” के नाम से जाना जाता है, दिल्ली सल्तनत की सुल्तान थी। रज़िया ने १२३६ से १२४० तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। वह इल्तुतमिश की पुत्री थी। तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।.

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लोहागढ़ दुर्ग

लोहागढ़ दुर्ग एक दुर्ग अथवा एक किला है जो भारतीय राज्य राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। दुर्ग का निर्माण भरतपुर के जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने 1733 ई. में करवाया था। यह भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग हैं। अतः इसको अजय गढ़ का दुर्ग भी कहते हैं। इसके चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर बनी हैं। अतः इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते हैं। किले के चारों ओर एक गहरी खाई हैं, जिसमें मोती झील से सुजानगंगा नहर द्वारा पानी लाया गया हैं। इस किले में दो दरवाजे हैं। इनमें उत्तरी द्वार अष्टधातु का बना है, जिसे जवाहर सिंह जाट 1765 ई. में दिल्ली विजय के दोहरान लाल किले से उतरकर लाएँ थे। दीवाने खास के रूप में प्रयुक्त कचहरी कला का उदाहरण हैं। भरतपुर राज्य के जाट राजवंस के राजओ का राज्याभिषेक जवाहर बुर्ज में होता था। इस किले पर कई आक्रमण हुए हैं, लेकिन इसे कोई भी नहीं जीत पाया। इस पर कई पड़ोसी राज्यों, मुस्लिम आक्रमणकारीयो तथा अंग्रेजो ने आक्रमण किया, लेकिन सभी असफल रहे। 1803 ई. में लार्ड लेक ने बारूद भरकर इसे उड़ाने का असफल प्रयास किया था। यहां पर फतेह बुर्ज का निर्माण ब्रिटिश सेना पर विजय को चिरस्थायी बनाने के लिए करवाया गया था। .

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शामली

शामली उत्तर प्रदेश का एक शहर है और यह नए बनाए गए जिले का मुख्यालय है। यह जाट, गुर्जर संस्कृति का केन्द्र हैं। शामली को सितम्बर २०११ में जिले का दर्जा मिला। यह दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर स्थित हैं। यह दिल्ली से ९८ कि.

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सारसण्डा

सारसण्डा आन्तरोली कला ग्राम पंचायत, डेगाना तहसिल जिला नागौर, राजस्थान भारत मे है। सारसण्डा रेण से ९ किलोमीटर पुर्व मे तथा डेगाना जंक्शन से १५ किलोमीटर पश्चिम मे है। यहा पर विजयनाथजी महाराज की स्माधिस्थल है। यहां का मुख्य रोजगार खेती है। पानी की अच्छी सुविधा है। सरकारी नलकूपो, के अलावा तालाबो का पानी उपयोग मे लिया जाता है। .

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साहिब सिंह वर्मा

साहिब सिंह वर्मा (अंग्रेजी: Sahib Singh Verma, जन्म:15 मार्च 1943 - मृत्यु: 30 जून 2007) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व तेरहवीं लोक सभा के सांसद (1999–2004) थे। 2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में श्रम मन्त्री नियुक्त किया। इससे पूर्व साहब सिंह 1996 से 1998 तक दिल्ली प्रदेश के मुख्यमन्त्री भी रहे। 30 जून्, 2007 को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर एक कार-दुर्घटना में अचानक उनका देहान्त हो गया। उस समय वे सीकर जिला से नीम का थाना में एक विद्यालय की आधारशिला रखकर वापस अपने घर दिल्ली आ रहे थे। .

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साहू गोत्र

साहू गोत्र एक उपनाम है जो भारत और पाकिस्तान में पाया जाता है। इस उपनाम वाले लोग विभिन्न जातियों और जनजातियों में पाये जा सकते हैं। शब्द "साहु" का अर्थ अलग-अलग क्षेत्रों पर अलग-अलग है। इसका सबसे व्यापक अर्थ "व्यवसाय" अथवा "साहूकार" हैं। झेलम क्षेत्र में इसका अर्थ सज्जनता से लिया जाता है जबकि जाटों में इसका अर्थ धैर्यवान से लिया जाता है। .

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सिनसिनवार

सिनसिनवार कबीले के राजा जसवंत सिंह। सिनसिनवार कबीले के राजा जसवंत सिंह सिनसिनवार जाटों का गोत्र है। इस गोत्र वाले जाटों का उद्गम भरतपुर जिले के सिनसिनी नामक गाँव से माना जाता है। भरतपुर के जाट राजा सूरजमल भी सिनसिनवार गोत्र के जाट थे। सिनसिनी गाँव का नाम सिनसिना देव के आधार पर रखा गया है। महाभारत शल्य पर्व में इसका उल्लेख है। Border भरतपुर जाट राज्य का उदय सिकन्दरा की लूट के बाद राजा राम ही सर्वखाप पंचायत के सर्वे-सर्वा बन गए। १४ जुलाई १६८८ को बीजल, अलवर, स्थान पर शेखावाटी राजपूतों और चौहान राजपूतों की लड़ाई में राजा राम शहीद हो गए। राजा राम की मृत्यु के बाद सर्वखाप पंचायत का सक्रीय मुख्यालय सिनसिनी गाँव बन गया.

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सियाल

सियाल (Sial) पंजाब, सिंध और कुछ हद तक बलोचिस्तान में बसने वाली एक जाति है। सियाल मुस्लिम, सिख और हिन्दू तीनों धार्मिक समुदायों में मिलते हैं। भिन्न सियाल परिवार स्वयं को जाट, राजपूत या खत्री श्रेणियों में डालते हैं।, B.S. Nijjar, Atlantic Publishers & Dist, 2007, ISBN 978-81-269-0908-7,...

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सिंध

सिंध सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है। यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है। सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है। .

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स्यावड़ माता

स्यावड़ माता अन्न पैदा करने वाली देवीहै। स्यावड़ माता को राजस्थान के जाट किसान याद करने के पश्चात ही बाजरा बीजना प्रारंभ करते हैं। बैल के हल जोड़कर खेत के दक्षिण किनारे पर जाकर उत्तर की तरफ मुंह कर हळसोतिया कर प्रथम बीज डालने के साथ ही स्यावड़ माता को इस प्रकार याद किया जाता है:- अर्थात सभी संबंधियों, जानवरों, साधु, देवी-देवताओं, राहगीरों, ब्रामण, राजा, चोर-चकार, भिखारी आदि सभी 36 कोमों के लिये अनाज मांगता है और बचे अनाज से घरवाले काम चलाते हैं। .

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स्वामी ओमानन्द सरस्वती

स्वामी ओमनन्द सरस्वती स्वामी ओमानन्द सरस्वती (मार्च, 1910 - 23 मार्च 2003) भारत के हरियाणा प्रान्त के स्वतंत्रता-संग्राम-सेनानी, शिक्षक, इतिहासकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे। .

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हरसावा

हरसावा भारत के राजस्थान के सीकर जिले का एक गांव है। यह हरसा नेहरा जाट ने सन् 1287 में बसाया था। यहां के हरदेवसिंह नेहरा ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। उन्होने राजस्थान में जागिरदारी समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। .

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हरीसिंह बुरडक

हरीसिंह बुरडक (1884-1966) राजस्थान प्रदेश के सीकर जिले में पलथाना गांव के स्वतंत्रता सेनानी थे। आप बुरडक गोत्र जाट परिवार में पैदा हुए। आपने सीकर जिले में किसानों को जागिरदारों के शोषण से मुक्त कराने के लिये आंदोलन किये और कई बार जेल गये। आपने 1934 में खुडी गांव में तथा 1935 में कूदन गांव में किसान आंदोलन में अगुवाई की। किसान आंदोलन में अगुवाई के कारण सीकर के राव राजा ने जिला बदर किया तथा 14 महिने के लिय देवगढ़ की जेल में बंद रखा। आप प्रजा मंडल सीकर तथा जाट-पंचायत सीकर के सक्रीय महत्व पूर्ण नेता थे। श्रेणी:राजस्थान श्रेणी:राजस्थान के लोग श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन.

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हापुड़

हापुड़ भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नए बनाए गए जिले का मुख्यालय हैं। यह एक रेलवे का जंक्शन भी है। यह ज़िले की प्रसिद्ध व्यपारिक मण्डी है। यहाँ पर तिलहन, गुड़, गल्ले और कपास का व्यापार अधिक होता है। हापुड़ (हिन्दी- उर्दू) के बारे में-- ३,१०,000 की आबादी का एक मध्यम आकार के शहर है और स्टेनलेस स्टील पाइप, ट्यूब और हब बनाने के रूप में विख्यात, हापुड़ कागज शंकु और ट्यूबों के लिए भी प्रसिद्ध है। भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 60 किमी दूर स्थित यह शहर जिले का मुख्यालय भी है। राष्ट्रीय राजमार्ग-9 दिल्ली को लखनऊ से जोड़ने वाला राजमार्ग भी शहर से गुजरता है। हापुड़ शहर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत आता है। .

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हिन्दुओं का उत्पीड़न

हिन्दुओं का उत्पीडन हिन्दुओं के शोषण, जबरन धर्मपरिवर्तन, सामूहिक नरसहांर, गुलाम बनाने तथा उनके धर्मस्थलो, शिक्षणस्थलों के विनाश के सन्दर्भ में है। मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा मलेशिया आदि देशों में हिन्दुओं को उत्पीडन से गुजरना पड़ा था। आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सो में ये स्थिति देखने में आ रही है। .

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हेमन्त सिंह

राणा हेमन्त सिंह (जन्म 5 जनवरी 1951) 1954 से 1971 तक धौलपुर के महाराजा हैं | .

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हीर राँझा

टिल्ला जोगियाँ पहाड़ (यानि 'योगियों का टीला'), जहाँ रांझा बाबा गोरखनाथ की शरण में जोग लेने आया था झंग शहर में हीर-रांझा की मज़ार रांझे की क़ब्र का पत्थर हीर रांझा (पंजाबी भाषा:, ਹੀਰ ਰਾਂਝਾ) पंजाब की चार प्रसिद्ध प्रेम-कथाओं में से एक है। इसके अलावा मिर्ज़ा-साहिबा, सस्सी-पुन्नुँ और सोहनी-माहीवाल बाक़ी तीन हैं। इस कथा के कई वर्णन लिखे जा चुके हैं लेकिन सब से प्रसिद्ध बाबा वारिस शाह का क़िस्सा हीर-रांझा है। दामोदर दास अरोड़ा, मुकबाज़ और अहमद गुज्जर ने भी इसके अपने रूप लिखे हैं। .

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जय सिंह द्वितीय

सवाई जयसिंह या द्वितीय जयसिंह (०३ नवम्बर १६८८ - २१ सितम्बर १७४३) अठारहवीं सदी में भारत में राजस्थान प्रान्त के नगर/राज्य आमेर के कछवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी शासक थे। सन १७२७ में आमेर से दक्षिण छः मील दूर एक बेहद सुन्दर, सुव्यवस्थित, सुविधापूर्ण और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर आकल्पित नया शहर 'सवाई जयनगर', जयपुर बसाने वाले नगर-नियोजक के बतौर उनकी ख्याति भारतीय-इतिहास में अमर है। काशी, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में, अतुलनीय और अपने समय की सर्वाधिक सटीक गणनाओं के लिए जानी गयी वेधशालाओं के निर्माता, सवाई जयसिह एक नीति-कुशल महाराजा और वीर सेनापति ही नहीं, जाने-माने खगोल वैज्ञानिक और विद्याव्यसनी विद्वान भी थे। उनका संस्कृत, मराठी, तुर्की, फ़ारसी, अरबी, आदि कई भाषाओं पर गंभीर अधिकार था। भारतीय ग्रंथों के अलावा गणित, रेखागणित, खगोल और ज्योतिष में उन्होंने अनेकानेक विदेशी ग्रंथों में वर्णित वैज्ञानिक पद्धतियों का विधिपूर्वक अध्ययन किया था और स्वयं परीक्षण के बाद, कुछ को अपनाया भी था। देश-विदेश से उन्होंने बड़े बड़े विद्वानों और खगोलशास्त्र के विषय-विशेषज्ञों को जयपुर बुलाया, सम्मानित किया और यहाँ सम्मान दे कर बसाया। .

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जयदीप अहलावत

जयदीप अहलावत एक भारतीय अभिनेता हैं। उन्होंने बॉलीवुड में अक्षय कुमार निर्मित फ़िल्म आक्रोश (2010) से अभिनय की शुरूआत की, यद्दपि उनका सबसे महत्वपूर्ण अभिनय अनुराग कश्यप की फ़िल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर (2012) में शाहिद के रूप में रहा। .

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जयपाल

जयपाल काबुल में जाट राजवंश का प्रसिद्ध शासक था जिसने 964 से 1001 ई तक शासन किया। उसका राज्य लघमान से कश्मीर तक और सरहिंद से मुल्तान तक विस्तृत था। पेशावर इसके राज्य का केन्द्र था। वह हतपाल का पुत्र तथा आनन्दपाल का पिता था। बारी कोट के शिलालेख के अनुसार उसकी पदवी "परम भट्टरक महाराजाधिराज श्री जयपालदेव" थी। मुसलमानों का भारत में प्रथम प्रवेश जयपाल के काल में हुआ। 977 ई. में गजनी के सुबुक्तगीन ने उस पर आक्रमण कर कुछ स्थानों पर अधिकार कर लिया। जयपाल ने प्रतिरोध किया, किंतु पराजित होकर उसे संधि करनी पड़ी। अब पेशावर तक मुसलमानों का राज्य हो गया। दूसरी बार सुबुक्तगीन के पुत्र महमूद गजनवी ने जयपाल को पराजित किया। लगातार पराजयों से क्षुब्ध होकर इसने अपने पुत्र अनंगपाल को अपना उत्तराधिकारी बनाया और आग में जलकर आत्महत्या कर ली। .

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जाट सिक्ख

जाट सिख या पंजाबी भाषा में जट्ट सिक्ख (गुरमुखी: ਜੱਟ ਸਿੱਖ) सिख धर्म में यक़ीन रखने वाले जाट जाति के समुदाय को पुकारा जाता हैं। यह लोग भारत के राज्य पंजाब, उत्तरी राजस्थान, हरयाणा, दिल्ली के अलावा भारत भर में हर जगह निवास करते हैं थोड़ी थोड़ी सख्या में। जट्ट सिक्ख पूर्वी पाकिस्तान में भी बहुतायत संख्या में है। पंजाबी दलितों के बाद जाट सिख भारतीय पंजाब की सबसे बड़ी आबादी है। जाट सिख से सात जट्ट सिक्ख फ़िलहाल के समय कनाडा की संसद में सदस्य हैं। जाटों में सिक्ख जाटों ने जिस तरह से तरक़्क़ी की वो काबीले तारीफ़ हैं। जट्ट सिक्ख पांखड अंधविश्वास से कोसे दूर सच्चाई के मार्ग पर चलने वाली महान जाट क़ौम है। भगत सिंह,हरि सिंह नलवा, महाराजा रणजीत सिंह, बंदा सिंह बहादुर बैरागी(उप्पल गोत्री), करतार सिंह सराभा,(ग्रैवाल) उधम सिंह, इत्यादी बहुत से ऐसे महापुरूष रहे हैं जो जट्ट सिक्ख समुदाय से हैं। .

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जाट आरक्षण आंदोलन

जाट आरक्षण आंदोलन जाट समुदाय द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन हैं जिनमें वे अपने समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा मांग रहे हैं। श्रेणी:आरक्षण आन्दोलन श्रेणी:2016 में भारत श्रेणी:आन्दोलन श्रेणी:जाट.

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जुझारसिंह नेहरा

भारत के राजस्थान प्रान्त में झुन्झुनू नगर के संस्थापक जुझारसिंह नेहरा की मूर्ती जुझारसिंह नेहरा (1664 – 1730) राजस्थान के बड़े मशहूर योद्धा हुए हैं, उन्हीं के नाम से झुंझुनू जैसा नगर प्रसिद्द है। .

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वीरभद्र

वीरभद्र हिंदू पौराणिक कथाओं के एक पात्र हैं और कथाओं के अनुसार यह शिव के एक बहादुर गण थे जिन्होने शिव के आदेश पर दक्ष प्रजापति का सर धड़ से अलग कर दिया। देवसंहिता और स्कंद पुराण के अनुसार शिव ने अपनी जटा से 'वीरभद्र' नामक गण उत्पन्न किया। देवसंहिता गोरख सिन्हा द्वारा मद्य काल में लिखा हुआ संस्कृत श्लोकों का एक संग्रह है जिसमे जाट जाति का जन्म, कर्म एवं जाटों की उत्पति का उल्लेख शिव और पार्वती के संवाद के रूप में किया गया है। ठाकुर देशराजलिखते हैं कि जाटों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक मनोरंजक कथा कही जाती है। महादेवजी के श्वसुर राजा दक्ष ने यज्ञ रचा और अन्य प्रायः सभी देवताओं को तो यज्ञ में बुलाया पर न तो महादेवजी को ही बुलाया और न ही अपनी पुत्री सती को ही निमंत्रित किया। पिता का यज्ञ समझ कर सती बिना बुलाए ही पहुँच गयी, किंतु जब उसने वहां देखा कि न तो उनके पति का भाग ही निकाला गया है और न उसका ही सत्कार किया गया इसलिए उसने वहीं प्राणांत कर दिए। महादेवजी को जब यह समाचार मिला, तो उन्होंने दक्ष और उसके सलाहकारों को दंड देने के लिए अपनी जटा से 'वीरभद्र' नामक गण उत्पन्न किया। वीरभद्र ने अपने अन्य साथी गणों के साथ आकर दक्ष का सर काट लिया और उसके साथियों को भी पूरा दंड दिया। .

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वीरेन्द्र सहवाग

वीरेन्द्र सहवाग (अंग्रेजी: Virender Sehwag, जन्म: 20 अक्टूबर 1978, हरियाणा) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। प्यार से उन्हें सभी "वीरू" ही कहते हैं। वैसे उन्हें "नज़फ़गढ़ के नवाब" व "आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर" के रूप में भी जाना जाता है। वे दायें हाथ के आक्रामक सलामी बल्लेबाज तो हैं ही किन्तु आवश्यकता के समय दायें हाथ से ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं। उन्होंने भारत की ओर से पहला एकदिवसीय मैच 1999 में व पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला था। अप्रैल 2009 में सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय बने जिन्हें "विजडन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर" के खिताब से नवाज़ा गया। उन्होंने अगले वर्ष भी इस ख़िताब को फिर जीता।http://www.espncricinfo.com/india/content/player/35263.html .

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खाप

खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। इसके अनुरूप अन्य प्रचलित संस्थाएं हैं पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद अथवा गणतंत्र। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ।डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया: जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु, आगरा, 2004, पृ.

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गढ़वाल

कोई विवरण नहीं।

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गंडास

गंडास एक गोत्र है जो राजस्थान के झुन्झुनू में जाटों में एवं हरियाणा में यादवों में पायी जाती है। .

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गुरमीत राम रहीम सिंह इन्साँ

गुरमीत राम रहीम सिंह इन्साँ हरियाणा के सिरसा में स्थित आध्यात्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख थे। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना १९४८ में शाह मस्ताना जी द्वारा की गई थी। गुरमीत इस संस्था के तीसरे प्रमुख हैं। इनके कार्यकाल में डेरा का अभूतपूर्व प्रचार प्रसार हुआ और इसके अनुयायियों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई। गुरमीत राम रहीम सिंह के नेतृत्व में डेरा सच्चा सौदा में कई सकारात्मक कार्य किये गए, नए नए प्रयोग किए गए, वहीं वे हमेशा विवादों में भी बने रहे। विवादों की परिणति 25 अगस्त 2017 को एक यौन शोषण मामले में अदालत द्वारा इन्हें दोषी करार दिए जाने के रूप में हुई। इस मामले में राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास व 65 लाख रूपये जुर्माने की सजा हुई। .

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गुजरांवाला

गुजराँवाला रेलवे स्टेशन गुजराँवाला पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त का एक जिला, तहसील तथा औद्योगिक नगर है। यह उत्तर-पश्चिम रेलमार्ग पर लाहौर से ७० किमी उत्तर में है। यह पाकिस्तान का सातवाँ सबसे बडा शहर है। इस नगर की स्थापना गूजर जाति द्वारा हुई बताई जाती है। नगर की स्थापना मध्ययुगीन है। नगर की प्रसिद्धि तथा महत्व में महाराजा रणजीतसिंह के परिवार का अधिक हाथ रहा। सन् १७८० में यहीं पर महाराजा रणजीतसिंह का जन्म हुआ था। रणजीतसिंह के पिता महाराजा महानसिंह की समाधि तथा महाराजा रणजीतसिंह का भस्मावशेष भी यहीं सुरक्षित है। एक बार अमृतसर से आए हुए जाटों ने इस नगर का नाम खानपुर रख दिया था किंतु इसका प्राचीन नाम ही प्रचलित रहा। नगर के प्रशासन के लिए नगरनिगम की स्थापना सन् १८६७ में हुई। यहाँ गल्ले की प्रसिद्ध मंडी है। कपास के बिनौले अलग करना, तेल पेरना, काँसे और मिट्टी के बर्तन बनाना, चूड़ियाँ, जिनमें हाथी दाँत की चूड़ियाँ मुख्य हैं और सूती कपड़े बुनना यहाँ के प्रमुख उद्योग धंधे हैं। सरकारी अस्पताल और महाविद्यालय स्तर की शिक्षा संस्थाएँ भी यहाँ हैं। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर.

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गोदारा

गोदारा (गोदरा एवं गुदारा भी) भारत के राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रहने वाली जाट और language.

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गोहद

गोहद मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित एक एतिहासिक स्थान है। यहाँ पर बम्रौलिया गोत्र के जाट राणाओं का शासन रहा है। इनमें महाराजा भीम सिंह राणा और महाराजा छत्र सिंह राणा काफी प्रसिद्द रहे हैं। यहाँ पर राणा राजाओं द्वारा निर्मित अनेक एतिहासिक भवन हैं। इन गोहद के राणाओं ने मराठा सरदारों को समय समय पर अच्छी टक्कर दी। श्रेणी:भिंड जिला.

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गोकुल सिंह

गोकुल सिंह अथवा गोकुला सिनसिनी गाँव का सरदार था। 10 मई 1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में जाटों की विजय हुई। मुगल शासन ने इस्लाम धर्म को बढावा दिया और किसानों पर कर बढ़ा दिया। गोकुला ने किसानों को संगठित किया और कर जमा करने से मना कर दिया। औरंगजेब ने बहुत शक्तिशाली सेना भेजी। गोकुला को बंदी बना लिया गया और 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर मारा गया। गोकुला के बलिदान ने मुगल शासन के खातमें की शुरुआत की। .

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ओमप्रकाश चौटाला

ओमप्रकाश चौटाला भारत के प्रांत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उप-प्रधानमन्त्री चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं। .

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आबूसरिया

आबूसरिया एक जाट गोत्र है। यह भारत में राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, पंजाब राज्यों में पाया जाता है। श्रेणी:जाट गोत्र.

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आलसर

आलसर राजस्थान राज्य के चुरु जिले की रतनगढ तहसील का एक छोटा सा गाँव है। यहाँ के 75% लोग खेती करते हैं! शिक्षा: यहाँ पर एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय व एक प्राथमिक विद्यालय है। .

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आंजना

आंजना जाटजाति का एक गोत्र है, जो भारत के राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़, नागौर, राजसमंद जिलों में, हरियाणा के गुडगाँव जिले में एवं मध्यप्रदेश के भोपाल जिलों में बसते हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:हरियाणा के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#A.

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कन्हौरी

कन्हौरी गांव भारत देश के हरियाणा राज्य में जिला रेवाड़ी का एक माध्यम आकार का सीमावर्ती गाँव है। .

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कान्हा रावत

कान्हा रावत का जन्म दिल्ली से ६० मील दक्षिण में स्थित रावत जाटों के उद्गम स्थान बहीन गाँव में चौधरी बीरबल के घर माता लाल देवी की कोख से संवत १६९७ (सन १६४०) में हुआ। कान्हा रावत एक धर्म योद्धा थे जो हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हो गए। .

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कासनिया

कासनिया राजस्थान, भारत की एक जाट गोत्र है। उनके वंशज परम्पराओं के अनुसार भगवान कृष्ण से चले आ रहे हैं। संस्कृत में कृष्ण शब्द से ही कृष्णिया और कासनिया व्युत्पन्न हुए। कासनिया वंश के लोग चीन में कुषाण और युझी के रूप में जाने जाते हैं। उनके अनुसार वो लोग कासगार नामक स्थान के वंशज माने जाते हैं। ठाकुर देशराज के अनुसार, जाटों ने महाभारत के युद्ध के बाद शिवालिक की पहाड़ियों और मानसरोवर झील के नीचले क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरकुरु (जाहिर तौर पर एक पौराणिक जगह जिसे कभी-कभी कुरु साम्राज्य भी कहा जाता है।) की ओर आ गये। उनमें से कुछ पंजाब में बस गये और कुछ कश्मीर की ओर चले गये एवं बाकी बचे हुए साइबेरिया क्षेत्रों में चले गये। .

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कुशल पाल सिंह

कुशाल पाल सिंह या के.पी.सिंह, भारत की सबसे बडी रियल्टी कंपनी डी. एल. एफ. लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी है। .

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कृष्णा पूनिया

कृष्णा पूनिया (अंग्रेजी:Krishna Poonia) (जन्म ०५ मई १९७७) एक भारतीय डिस्कस थ्रोअर है। इन्होंने ११ अक्टूबर २०१० में दिल्ली में आयोजित किये राष्ट्रमंडल खेलों में फाइनल मैच में क्लीन स्वीप कर ६१.५१ मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। इसके पश्चात २०११ में भारत सरकार ने नागरिक सम्मान में इन्हें पद्मश्री का पुरस्कार दिया गया था। .

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कूका

कूका एक सिख संप्रदाय है जिसे नामधारी भी कहते हैं। इस सप्रंदाय की स्थापना रामसिंह नामक एक लुहार ने की थी जिसका जन्म 1824 ई. में लुधियाना जिले के भेणी नामक ग्राम में हुआ था। उन दिनों सिख धर्म का जो प्रचलित रूप था वह रामसिंह को मान्य न था। गुरु नानक के समय जो धर्म का स्वरूप था उसे पुन: प्रतिष्ठित करने के निमित्त वे लोकप्रचलित सामाजिक एवं धार्मिक आचार विचार की कटु आलोचना करने लगे। धीरे-धीरे उनके विचारों से सहमत होनेवाले लोगों का एक सप्रंदाय बन गया। इस धार्मिक संप्रदाय ने आगे चलकर एक क्रांतिकारी राष्ट्रीय दल का रूप धारण कर लिया। महाराष्ट्र के संत रामदास ने महाराष्ट्र में स्वतंत्रता के मंत्र फूँके थे, कुछ उसी तरह का कार्य रामसिंह ने भी किया और 1864 ई. में उन्होंने अपने अनुयायियों को ब्रिटिश सरकार से असहयोग करने का आदेश दिया। इस आदेश के फलस्वरूप इस संप्रदाय ने पंजाब में स्वतंत्र शासन स्थापित करने का प्रयास किया। तब सरकार ने इस पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया। रामसिंह और उनके अनुयायियों ने गुप्त रूप से कार्य करना आरंभ किया। गुप्त रूप से शास्त्रास्त्र एकत्र करना और सैनिकों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उभारने का काम किया जाने लगा। इस प्रकार वे लोग पाँच वर्ष तक गुप्त रूप से कार्य करते रहे। 1872 ई. में एक जगह मुसलमानों ने गोवध करना चाहा। कूकापंथियों ने उसका विरोध किया। दोनों दलों के बीच गहरा संघर्ष हुआ। ब्रिटिश सरकार ने रामसिंह को गिरफ्तार कर ब्रह्मदेश (म्यानमार) भेज दिया जहाँ 1885 ई. में उनका निधन हुआ। इसके बाद कूकापंथ का विद्रोहात्मक रूप समाप्त हो गया किंतु धार्मिक संप्रदाय के रूप में पंजाब में आज भी लोहार, जाट आदि अनेक लोगों के बीच इसका महत्व बना हुआ है। .

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कोट कासिम

कोट कासिम भारतीय राज्य राजस्थान के अलवर जिले का एक कस्बा है। यह एक तहसिल भी है। इसका मूल नाम कोट क़ासिम (क़ासिम का किला) है लेकिन वर्तमान में इसे कोट कासिम उच्चारित किया जाता है। कोटकासिम अहिरवाल में आता है और यहाँ पर अधिकतर अहिर हैं। .

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अटवाल

अटवाल (अट्टवाल या अठवाल या अंटाल आदि भी) एक जाट जनजाति की गोत्र है।A Glossary of the Tribes and Castes of Punjab and the North West Frontier Province Volume II page 881 by Horace A Rose यह गोत्र मुख्यतः पाकिस्तान के पंजाब और सिंध में पायी जाती है। .

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अट्टारीवाला

अट्टारीवाला पंजाब, भारत में पायी जाने वाली एक लघु जाट गोत्र है। नाम अट्टारीवाला पंजाब क्षेत्र के कस्बे अट्टारी से व्युत्पन्न है। इनकी मूल गोत्र सिधू है। .

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अहमद शाह अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना। उसने भारत पर सन 1748 से सन 1758 तक कई बार चढ़ाई की। उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहाँ की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी थी।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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अहीर

अहीर प्रमुखतः एक भारतीय जाति समूह है,जिसके सदस्यों को यादव समुदाय के नाम से भी पहचाना जाता है तथा अहीर व यादव या राव साहब Rajasthan, Anthropological Survey of India, 1998, आईएसबीएन-9788171547661, पृष्ठ-44,45 शब्दों को एक दूसरे का पर्यायवाची समझा जाता है। अहीरों को एक जाति, वर्ण, आदिम जाति या नस्ल के रूप मे वर्णित किया जाता है, जिन्होने भारत व नेपाल के कई हिस्सों पर राज किया है। .

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अहीर (आभीर) वंश के राजा, सरदार व कुलीन प्रशासक

अहीर ('आभीर' शब्द से व्युत्पन्न) एक भारतीय जातीय समुदाय है, जो कि 'यादव' नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यादव व अहीर शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची माने गए हैं। अब तक की खोजों के अनुसार अहीर, आभीर अथवा यदुवंश का इतिहास भगवान विष्णु, अत्री, चन्द्र, तारा,बुध, इला, पुरुरवा-उर्वशी इत्यादि से सम्बद्ध है। तमिल भाषा के एक- दो विद्वानों को छोडकर शेष सभी भारतीय विद्वान इस बात से सहमत हैं कि अहीर शब्द संस्कृत के आभीर शब्द का तद्भव रूप है। प्राकृत-हिन्दी शब्दकोश के अनुसार भी अहिर, अहीर, आभीर व ग्वाला समानार्थी शब्द हैं। हिन्दी क्षेत्रों में अहीर, ग्वाला तथा यादव शब्द प्रायः परस्पर पर्यायवाची रूप में प्रयुक्त होते हैं। Quote: Ahir: Caste title of North Indian non-elite 'peasant'-pastoralists, known also as Yadav." Quote: "As far back as is known, the Yadava were called Gowalla (or one of its variants, Goalla, Goyalla, Gopa, Goala), a name derived from Hindi gai or go, which means "cow" and walla which is roughly translated as 'he who does'." वे कई अन्य नामो से भी जाने जाते हैं, जैसे कि गवली, घोसी या घोषी अहीर, तथा बुंदेलखंड में दौवा अहीर। ओडिशा में गौड व गौर के नाम से जाने जाते है, छत्तिशगड में राउत व रावत के नाम से जाने जाते है। अहीरों को विभिन्न रूपों से एक जाति, एक वंश, एक समुदाय, एक प्रजाति या नस्ल तथा एक प्राचीन आदिम जाति के रूप में उल्लेखित किया गया है। उन्होंने भारत व नेपाल के अनेक भागों पर राज किया है। .

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अहीरवाल

अहीरवाल एक ऐसा क्षेत्र है जो दक्षिणी हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान के हिस्सों में फैला हुआ है, जो भारत के वर्तमान राज्य हैं। यह क्षेत्र एक बार रेवाडी के शहर से नियंत्रित रियासत थी और मुगल साम्राज्य के पतन के समय से अहीर समुदाय के सदस्यों द्वारा नियंत्रित था। नाम "अहीर की भूमि" के रूप में अनुवादित है। जेई श्वार्ट्ज़बर्ग ने इसे "लोक क्षेत्र" और लुसिया माइकलुट्टी को "सांस्कृतिक-भौगोलिक क्षेत्र" के रूप में वर्णित किया है।..

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उपनाम

नाम के साथ प्रयोग हुआ दूसरा शब्द जो नाम कि जाति या किसी विशेषता को व्यक्त करता है उपनाम (Surname / सरनेम) कहलाता है। जैसे महात्मा गाँधी, सचिन तेंदुलकर, भगत सिंह आदि में दूसरा शब्द गाँधी, तेंदुलकर, सिंह उपनाम हैं। .

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उप्पल गोत्र

उप्पल एक जाट गोत्र है जो भारत एवं पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पाया जाती है। उप्पलों के रिती-रिवाज अन्य जाटों के समान ही होते हैं और मुख्यतः पंजाबी भाषा बोलते हैं।। पिलानिया गोत्र भी इसी से निकला है। पिलाना गांव बसाने से वे पिलानिया बन गए। .

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छोटी बल्लभ गाँव, इगलास (अलीगढ़)

छोटी बल्लभ इगलास, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है। वास्तव में यह छोटी और बल्लभगढ़ नाम के दो छोटे गाँवों की एक ग्राम पंचायत है। यह अलीगढ़ जनपद के अन्तर्गत इगलास तहसील के गोण्डा विकास खण्ड में स्थित है। .

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