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जलवायु विज्ञान

सूची जलवायु विज्ञान

जलवायु विज्ञान भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके अंतर्गत सम्पूर्ण पृथ्वी अथवा किसी स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है। यह मानव जीवन एवं पारितंत्र पर जलवायु के प्रभावों का अध्ययन भी करता है। .

9 संबंधों: भौतिक भूगोल, भूमितिकी, भूगोल की रूपरेखा, लिओनार्दो दा विंची, हिमानी विज्ञान, जलवायु वैज्ञानिक, विल्हेम वॉन हम्बोल्ट, आर्द्रता, आल्ब्रेख्ट पेंक

भौतिक भूगोल

पृथ्वी के धरातल और वतावरण का रंगीन चित्र भौतिक भूगोल (Physical geography) भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता है, साथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं। .

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भूमितिकी

भूमितिकी अथवा भूगणित विज्ञान की वह शाखा है जो भौगोलिक रूप से संदर्भित आंकड़ों के संग्रहण, समायोजन, परिरक्षण, विश्लेषण व्याख्या का कार्य करती है। यह मुख्यतः भूगोल, सर्वेक्षण और भू-सूचना विज्ञान जैसी शाखाओं के साथ अपनी विषय-वस्तु शेयर करने वाली शाखा है। .

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भूगोल की रूपरेखा

ज्ञान के फलक का तात्पर्य एक ऐसे त्रिविमीय विन्यास है जिसे पूर्णरूपेण समझने के लिए हमें तीन दृष्टि बिन्दुओं से निरीक्षण करना चाहिए। इनमें से किसी भी एक बिन्दु वाला निरीक्षण एक पक्षीय ही होगा और वह संपूर्ण को प्रदर्शित नहीं करेगा। एक बिन्दु से हम सदृश वस्तुओं के संबंध देखते हैं। दूसरे से काल के संदर्भ में उसके विकास का और तीसरे से क्षेत्रीय संदर्भ में उनके क्रम और वर्गीकरण का निरीक्षण करते हैं। इस प्रकार प्रथम वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत विज्ञान (classified science), द्वितीय वर्ग में ऐतिहासिक विज्ञान (historial sciences), और तृतीय वर्ग में क्षेत्रीय या स्थान-संबंधी विज्ञान (spatial sciences) आते हैं। वर्गीकृत विज्ञान पदार्थो या तत्वों की व्याख्या करते हैं अतः इन्हें पदार्थ विज्ञान (material sciences) भी कहा जाता है। ऐतिहासिक विज्ञान काल (time) के संदर्भ में तत्वों या घटनाओं के विकासक्रम का अध्ययन करते हैं। क्षेत्रीय विज्ञान तत्वों या घटनाओं का विश्लेषण स्थान या क्षेत्र के संदर्भ में करते हैं। पदार्थ विज्ञानों के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘क्यों ’, ‘क्या’ और ‘कैसे’ है। ऐतिहासिक विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कब’ है तथा क्षेत्रीय विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कहां ’ है। स्थानिक विज्ञानों (Spatial sciences) को दो प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-.

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लिओनार्दो दा विंची

फ्लोरेंस में लिओनार्दो की मूर्ति लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। .

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हिमानी विज्ञान

काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी का एक चित्र हिमानी विज्ञान अथवा हिमनद विज्ञान (अंग्रेजी:Glaciology; फ्रैंक-प्रांतीय शब्द: glace, "बर्फ़"; याँ लातीनी: glacies, "हिम या बर्फ़"; और यूनानी: λόγος, logos, "अध्ययन"; अर्थात "हिम या बर्फ़ का अध्ययन") सामान्य तौर पर बर्फ़ और इससे जुड़ी प्रक्रियाओं का अध्ययन है और विशिष्ट रूप में हिमनदों के अध्ययन से संबंधित विज्ञान है। दूसरे शब्दों में यह पृथ्वी के हिममण्डल का अध्ययन एवं विश्लेषण करता है। अतएव हिमानी विज्ञान को एक ऐसे अंतरविषयी विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो भूभौतिकी, भूविज्ञान, भौतिक भूगोल, भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान, जलविज्ञान, जीव विज्ञान तथा पारिस्थितिकी को जोड़ते हुए हिमनदों की क्रियाविधि, उनकी आकारिकी, एवं मानव जीवन पर उनके विविध प्रभावों का अध्ययन करता है। पृथ्वी के बाहर चंद्रमा, मंगल, यूरोपा इत्यादि परापार्थिव पिण्डों पर हिम के अध्ययन को एस्ट्रोग्लेशियोलाजी नाम भी दिया गया है। .

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जलवायु वैज्ञानिक

जलवायु वैज्ञानिक वे लोग हैं जो जलवायु विज्ञान में पारंगत हैं और पृथ्वी पर स्थानों की जलवायु संबंधी चीजों का अध्ययन करते हैं। श्रेणी:जलवायु विज्ञान.

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विल्हेम वॉन हम्बोल्ट

विल्हेम वॉन हम्बोल्ट (अंग्रेजी:Friedrich Wilhelm Christian Karl Ferdinand von Humboldt; २२ जून, १७६७ - ८ अप्रैल, १८३५) एक जर्मन दार्शनिक, भाषा विज्ञानी और तत्कालीन प्रशा की सरकार में प्रशासक थे। उनका योगदान तत्कालीन शिक्षा नीतियों को निर्मित करने में रहा था। हम्बोल्ट का सर्वाधिक प्रभाव भाषाई दर्शन और इसके चिंतकों पर पड़ा है जिनमें नॉम चौम्स्की और मार्टिन हाइडेगर जैसे प्रसिद्द दार्शनिक और भाषा विज्ञानी शामिल हैं। विल्हेम के छोटे भाई अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट एक प्रसिद्द भूगोलवेत्ता, जलवायु विज्ञानी और वनस्पति शास्त्री रहे हैं। .

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आर्द्रता

वायुमण्डल में विद्यमान अदृष्य जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता (humidity) कहलाती हैं। यह आर्द्रता पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रुपों द्वारा वायुमण्डल में पहुंचती हैं। आर्द्रता का जलवायु विज्ञान में सर्वाधिक महत्व होता हैं, क्योंकि इसी पर वर्षा, तथा वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान तथा विक्षोभ (चक्रवात आदि) आधारित होते हैं। वर्षा, बादल, कुहरा, ओस, ओला, पाला आदि से ज्ञात होता है कि पृथ्वी को घेरे हुए वायुमंडल में जलवाष्प सदा न्यूनाधिक मात्रा में विद्यमान रहता है। प्रति घन सेंटीमीटर हवा में जितना मिलीग्राम जलवाष्प विद्यमान है, उसका मान हम रासायनिक आर्द्रतामापी से निकालते है, किंतु अधिकतर वाष्प की मात्रा को वाष्पदाव द्वारा व्यक्त किया जाता है। वायु-दाब-मापी से जब हम वायुदाब ज्ञात करते हैं तब उसी में जलवाष्प का भी दाब सम्मिलित रहता है। आर्द्रतामापी - हवा में आर्द्रता की मात्रा को नापने का उपकरण .

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आल्ब्रेख्ट पेंक

आल्ब्रेख्ट पेंक, (Albrecht Penck; सन्‌ 1858 -- 1945) जर्मन भूगोलविद् एवं भूविद् थे। इन्होंने विभिन्न धरातलीय स्वरूपों के निर्माण एवं इसके लिये उत्तरदायी प्रक्रियाओं की विवेचना एवं संबंधित सिद्धांतों के प्रतिपादन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। भू-आकृतिविज्ञान तथा जलवायुविज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्य के कारण वियना भौतिक भूगोल संस्थान को अन्तरराष्ट्रीय ख्याति मिली। इनका जन्म राउडिट्ज (Reudnitz) में हुआ था। वे १८८५ से १९०६ तक वियना में तथा १९०६ से १९२७ तक बर्लिन में प्रोफेसर थे। सन्‌ 1905 में इन्होंने प्रतिपादित किया कि भौम्याकृतियों के विकासक्रम में संरचना की अपेक्षा प्रक्रिया (process) श्रेष्ठतर एवं अधिक प्रभावशाली होती है। इन्होंने अपने इस सिद्धांत को नदीघाटी के विकासक्रम में ढालों के क्रमिक परिवर्तित स्वरूपों एवं प्रयासमभूमि (peneplain) की निर्माण क्रिया द्वारा स्पष्ट किया। पृथ्वी के मानचित्र को 1: 10,00,000 मापक पर तैयार करने की विधि में विकास किया। इन्होंने तृतीयक (Tertiary) एवं डिल्यूवियल (Diluvial) काल में हिमानियों के निर्माण एवं हिमयुग का अध्ययन किया था। ये सन्‌ 1886 से 1906 तक बर्लिन में समुद्रविज्ञान संस्था एवं भूगोल परिषद् के निदेशक रहे। इनके कई प्रकाशन महत्व के हैं। .

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