लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

जर्मन साम्राज्य

सूची जर्मन साम्राज्य

जर्मन साम्राज्य यूरोप में १९१४ में प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व जर्मन साम्राज्य का विस्तार जर्मन साम्राज्य (जर्मन भाषा: Deutsches Reich या Deutsches Kaiserreich) ऐतिहासिक जर्मन राष्ट्र-राज्य था जो १८७१ में जर्मनी के एकीकरण से लेकर १९१८ में प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय तक अस्तित्व में था। १९१८ में यह संघीय गणराज्य बन गया। जर्मन साम्राज्य को कभी-कभी जर्मन राइख (German Reich) भी कहते हैं। .

23 संबंधों: ऐल्सैस लोरेन, तीसवर्षीय युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, नाज़ी जर्मनी, पहला विश्व युद्ध, प्रशा राज्य, बर्लिन, बिस्मार्क, ब्रिस्टल स्काउट, मध्ययुग, मार्लेन डीट्रिक, मार्गा फॉलस्टिच, स्वतंत्रता दिवस, सैन्यवाद, हंस मोर्गेंथाऊ, जर्मन दक्षिण-पश्चिम अफ़्रीका, जर्मन राइख, जर्मनी का एकीकरण, जातीय समूह, जापानी साम्राज्यवाद, जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, कैसर विल्हेम द्वितीय (जर्मनी), अल्बर्ट आइंस्टीन

ऐल्सैस लोरेन

ऐल्सैस लोरेन (Imperial Territory of Alsace-Lorraine; Reichsland Elsaß-Lothringen या Elsass-Lothringen) वह भूभाग है जिसका निर्माण 1871 में जर्मन साम्राज्य ने फ्रांस-प्रशा युद्ध में फ्रांस से जीतने के बाद बनया था। सन् 1919 ई. में यह फिर फ्रांस को दे दिया गया, परंतु सन् 1940 ई. में जर्मनी ने वापस ले लिया। 1871 ई. के पश्चात् जर्मनी ने इसे तीन प्रशासनिक विभागों में विभाजित किया–'ऊपरी ऐल्सैस', 'निचला ऐल्सैस' तथा लोरेन। फ्रांसीसियों ने भी इसे तीन विभागों में बाँटा–हो-राइन, बा-राइन, तथा मोज़ेल। प्राकृतिक रूप से भी ऐल्सैस की अपनी सीमाएँ हैं। पश्चिम में फ्रांस की सीमा, पूर्व में बाडेन तथा दक्षिण में यह स्विट्ज़रलैंड से घिरा है। इस क्षेत्र की जनसंख्या सन् 1936 ई. में 19,15,627 थी, जिनमें से केवल दस प्रतिशत ही फ्रांसीसी बोलनेवाले थे, अन्य सब जर्मन (जैसे स्विटज़रलैंड के बेसल अंचल में बोली जानेवाली जर्मन भाषा) बोलनेवाले थे। यद्यपि ऐल्सैस में पोटाश तथा मिट्टी के तेल का उत्पादन होता है, तथापि यह प्रदेश कृषि उत्पादन, वस्त्र, मशीनों इत्यादि के लिए अधिक प्रसिद्ध है। लोरेन का अत्यधिक महत्व यहाँ के लोहे तथा कोयले के कारण है, जो औद्योगिक तथा सामरिक दोनों दृष्टियों से यूरोप में शक्ति के पासंग हैं। इसके अतिरिक्त यह बड़े-बड़े व्यापारिक तथा आवागमन के अन्य मुख्य मार्गो–राइन, सैवर्न तथा बर्गेडी के द्वार–पर होने से फ्रांस तथा जर्मनी दोनों के लिए सोने की चिड़िया है। इसका 2,000 वर्षो का इतिहास बताता है कि यह यूरोपीय राजनीति में सदैव झगड़े की जड़ रहा है और सन् 1870 ई. से तो विश्व राजनीति में भी काफी प्रसिद्ध रहा है। इसकी पूर्वी सीमा पर उत्तर से पूर्व दिशा में 115 मील तक राइन नदी बहती है, स्ट्रैबर्ग के नीचे ईल (लंबाई 190 किमी मील) इसमें योग देती है। संपूर्ण प्रदेश का प्राय: 50% भाग कृषि योग्य है, 11.6 चरागाह के योग्य तथा 30.8% जंगल है। इस प्रदेश के मुख्य नगर स्ट्रैसबर्ग, मेट्ज़ तथा क्लोमार हैं। श्रेणी:जर्मन साम्राज्य के प्रदेश श्रेणी:फ्रांस का राजनीतिक इतिहास.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और ऐल्सैस लोरेन · और देखें »

तीसवर्षीय युद्ध

तीसवर्षीय युद्ध के बारे में जैकुअस कैलोट की '''फाँसी वाला पेड़''' नामक कृति सन् 1618 से 1648 तक कैथोलिकों और प्रोटेसटेटों के बीच युद्धों की जो परंपरा चली थी उसे ही साधारणतया तीस वर्षीय युद्ध कहा जाता है। इसका आरंभ बोहेमिया के राजसिंहासन पर पैलेटाइन के इलेक्टर फ्रेडरिक के दावे से हुआ और अंत वेस्टफे लिया की संधि से। धार्मिक युद्ध होते हुए भी इसमें राजनीतिक झगड़े उलझे हुए थे। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और तीसवर्षीय युद्ध · और देखें »

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और द्वितीय विश्वयुद्ध · और देखें »

नाज़ी जर्मनी

नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है। तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है। शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और नाज़ी जर्मनी · और देखें »

पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और पहला विश्व युद्ध · और देखें »

प्रशा राज्य

प्रशा राज्य (Kingdom of Prussia; जर्मन: Königreich Preußen) एक जर्मन राज्य (किंगडम) था जो १७०१ से १९१८ तक प्रशा का भाग था। प्रशा राज्य में वर्तमान समय के जर्मनी, पोलैण्ड, रूस, लिथुआनिया, डेनमार्क, बेल्जियम और चेक गणराज्य के भाग सम्मिलित थे। १८७१ में जर्मनी के एकीकरण के पीछे इस राज्य का बड़ा हाथ था। १९१८ में जर्मन साम्राज्य के विघटित होने तक यह प्रमुख स्टेट था। यद्यपि इसका नाम 'प्रशा' नामक क्षेत्र से लिया गया था, किन्तु यह ब्राण्डेनबर्ग मार्ग्रेविएट (Margraviate of Brandenburg) में स्थित था और बर्लिन इसकी राजधानी थी। अपनी स्थापना से ही प्रशा राज्य एक महान शक्ति था। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और प्रशा राज्य · और देखें »

बर्लिन

ब्रांडेनबर्ग गेट, जर्मनी के एक मील का पत्थर बर्लिन टीवी टावर, शहर के लिए मील का पत्थर बर्लिन-मिटे के क्षितिज भालू मेरा साथी: बर् लन की शांती और स्वतंत्रता का प्रतीक बर्लिन जर्मनी की राजधानी और इसके 16 राज्यों में से एक है। यह बर्लिन-ब्रैन्डनबर्ग मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के मध्य में, जर्मनी के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी जनसंख्या 34 लाख है। यह जर्मनी का सबसे बड़ा और यूरोपीय संघ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बर्लिन यूरोप की राजनीति, संस्कृति और विज्ञान का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यूरोप के यातायात के लिए यह एक धुरी के समान है। यहाँ कई महत्त्वपूर्ण विश्वविद्यालय, संग्रहालय और शोध केन्द्र हैं। यह शहर बहुत तेजी से विकास कर रहा है और यहाँ के समारोह, उत्सव, अग्रणी कलाएँ, वास्तुशिल्प और रात्रि-जीवन काफी प्रसिद्ध हैं। बर्लिन 13वीं शताब्दी में स्थापित हुआ और इस क्षेत्र के कई राज्यों और साम्राज्यों की राजधानी रहा- प्रुशिया राज्य (1701 से), जर्मन साम्राज्य (1871-1918), वेइमार गणतंत्र (1919-1932) और तीसरी राइख (1933-1945).

नई!!: जर्मन साम्राज्य और बर्लिन · और देखें »

बिस्मार्क

250px ओटो एडुअर्ड लिओपोल्ड बिस्मार्क (1 अप्रैल 1815 - 30 जुलाई 1898), जर्मन साम्राज्य का प्रथम चांसलर तथा तत्कालीन यूरोप का प्रभावी राजनेता था। वह 'ओटो फॉन बिस्मार्क' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। उसने अनेक जर्मनभाषी राज्यों का एकीकरण करके शक्तिशाली जर्मन साम्राज्य स्थापित किया। वह द्वितीय जर्मन साम्राज्य का प्रथम चांसलर बना। वह "रीअलपालिटिक" की नीति के लिये प्रसिद्ध है जिसके कारण उसे "लौह चांसलर" के उपनाम से जाना जाता है। वह अपने युग का बहुत बड़ा कूटनीतिज्ञ था। अपने कूटनीतिक सन्धियों के तहत फ्रांस को मित्रविहीन कर जर्मनी को यूरोप की सर्वप्रमुख शक्ति बना दिया। बिस्मार्क ने एक नवीन वैदेशिक नीति का सूत्रपात किया जिसके तहत शान्तिकाल में युद्ध को रोकने और शान्ति को बनाए रखने के लिए गुटों का निर्माण किया। उसकी इस 'सन्धि प्रणाली' ने समस्त यूरोप को दो गुटों में बांट दिया। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और बिस्मार्क · और देखें »

ब्रिस्टल स्काउट

ब्रिस्टल स्काउट एक सादा, एकल सीट, रोटरी इंजन वाला बाईप्लेन था जो की मूलतः नागरिक दौड के लिए बनाया गया था व बाद मे जिसका की प्रयोग हलके लड़ाकू व टोही विमान के रूप में हुआ। इसे ब्रिटिश और कोलोनिअल एरोप्लेन कंपनी के चित्रणकरता फ्रंक बार्नवेल ने बनाया था। इस विमान ने पहली उड़ान २३ फ़रवरी १९१४ को भरी.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और ब्रिस्टल स्काउट · और देखें »

मध्ययुग

रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारंभ और अंत होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है। तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा। 11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है। 13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और मध्ययुग · और देखें »

मार्लेन डीट्रिक

मैरी मॅगडलिन "मार्लेन" डीट्रिक (Marlene Dietrich; 27 दिसंबर 1901 - 6 मई 1992) एक जर्मन अभिनेत्री और गायिका थी जिनके पास दोनों जर्मन और अमेरिकी नागरिकता थी। अपने लंबे व्यवसाय के दौरान वे अपना पुनः आविष्कार करती रही। 1920 दशक बर्लिन में वे ख़ामोश फ़िल्म और मंच पर अभिनय किया। उनका द ब्लू एंजेल (The Blue Angels) में लोला-लोला के रूप में प्रदर्शन करने से वे अंतर्राष्ट्रिय स्तर पर प्रसिद्ध हो गई और उनका पेरामाउंत पिक्चर्ज़ के साथ अनुबंध हुआ। 1930 दशक में उन्होंने हॉलीवुड फ़िल्मों में भी अभिनय किया, जैसे मोरोक्को और शंघाई एक्सप्रेस। दूसरे विश्व युद्ध में भी वे अभिनय में सक्रिय रही। श्रेणी:1901 में जन्मे लोग श्रेणी:1992 में निधन श्रेणी:जर्मन अभिनेत्री श्रेणी:अमेरिकी अभिनेत्री.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और मार्लेन डीट्रिक · और देखें »

मार्गा फॉलस्टिच

मार्गा फॉलस्टिच (१६ जून १९१५ - १ फरवरी १९९८) जर्मन काँच रसायनज्ञ थी। उन्होंने ४४ साल तक स्कॉट एजी के लिए काम किया। वे स्कॉट एजी में पहली महिला कार्यकारी थीं। इस दौरान उन्होंने ३०० से अधिक प्रकार के दृश्य (ऑप्टिकल) चश्मों पर काम किया। ४० पेटेंट उनके नाम पंजीकृत थे। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और मार्गा फॉलस्टिच · और देखें »

स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्र का वार्षिक उत्सव या सालगिरह होता है। अधिकांश देशों में अपने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी होती हैं। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और स्वतंत्रता दिवस · और देखें »

सैन्यवाद

जब ब्रिटिश साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था तब सेना के अधिकारियों के फोटो सिगरेट के खोखों पर छपते थे। नाज़ी जर्मनी में सैनिक परेड सैन्यवाद (Militarism) किसी देश की सरकार या जनता की वह दर्शन है जो विश्वास करता है कि उनके देश को एक शक्तिशाली सेना बनानी एवं रखनी चाहिये तथा अपने देश के हितों की सुरक्षा करने एवं उनके संवर्धन के लिये इसका जमकर उपयोग करना चाहिये। सैन्यवादी विचारधारा अपने सैन्य तैयारियों के पीछे तर्क देती रहती है कि 'शक्ति से ही शान्ति आती है'। दूसरे शब्दों में, उनका मानना है कि 'यदि आप शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिये तैयार रहो।' सैन्यवाद, आधुनिक शान्तिवाद का ठीक उल्टा दर्शन है। ऐतिहासिक रूप से 'सैन्यवाद' का प्रयोग उन राज्यों के लिये हुआ था जो साम्राज्यवाद की नीति पर चलने वाले थे, जैसे- स्पार्टा, ब्रितानी साम्राज्य, जापानी साम्राज्य, संयुक्त राज्य, जर्मन साम्राज्य, नाजी जर्मनी, प्रथम फ्रांसीसी साम्राज्य, फासीवादी इटली, सोवियत संघ, सद्दाम हुसैन के अधीन इराक आदि। वर्तमान समय में 'सैन्यवाद' शब्द का प्रयोग प्रायः पश्चिमी देशों के लिये किया जाता है जिनका नेतृत्व यूएस कर रहा है। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और सैन्यवाद · और देखें »

हंस मोर्गेंथाऊ

'हंस मोर्गेंथाऊ (17 फ़रवरी 1904 - 19 जुलाई 1980) बीसवीं सदी के अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन में अग्रणी विद्वानों में से एक थे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय कानून के अध्ययन में ऐतिहासिक योगदान दिया और उनकी पुस्तक राष्ट्रों के बीच राजनीति (Politics Among Nations), 1948 में पहली बार प्रकाशित हुई एवं इसके कई संस्करण छपे, कई दशकों से यह अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अपने क्षेत्र में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली पाठ्यपुस्तक थी। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और हंस मोर्गेंथाऊ · और देखें »

जर्मन दक्षिण-पश्चिम अफ़्रीका

जर्मन दक्षिण-पश्चिमी अफ़्रीका, १८८४ से १९१५ के बीच दक्षिण पश्चिमी अफ्रीका में विद्यमान, जर्मन साम्राज्य का एक उपनिवेश था। इसका कुल क्षेत्रफल ८,३५,१०० वर्ग किलोमीटर था, जिसके साथ, यह तत्कालीन मुख्यभूमिय जर्मन भूमि से आकार में डेढ़-गुना बड़ा था। वर्ष १९१५ में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इसपर दक्षिण अफ़्रीकी ब्रिटिश सेना का आक्रमण हुआ था। युद्ध के बाद, इसपर दक्षिण अफ़्रीकी संघ(ब्रिटिश साम्राज्य की परिभूमि) का कब्ज़ा होगया, जोकि इसपर लीग ऑफ़ नेशन्स के अधिकार द्वारा शासन किया करता था। वर्ष १९०० में यह नामीबिया के रूप में स्वतंत्र होगया। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जर्मन दक्षिण-पश्चिम अफ़्रीका · और देखें »

जर्मन राइख

जर्मन राइख (जर्मन: Deutsches Reich /), १८७१ से १९४३ तक जर्मन राष्ट्र-राज्य का आधिकारिक नाम था। इसका शाब्दिक अर्थ 'जर्मन साम्राज्य' है। अनौपचारिक रूप से इसे केवल 'जर्मनी' कहा जाता है। राइख के इतिहास के तीन अवधियाँ प्रमुख हैं-.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जर्मन राइख · और देखें »

जर्मनी का एकीकरण

एकीकृत जर्मनी (१८७१ में) १८ जनवरी १८७१ को वर्सेली के 'हॉल ऑफ मिरर्स' में जर्मन साम्राज्य की स्थापना मध्य यूरोप के स्वतंत्र राज्यों (प्रशा, बवेरिआ, सैक्सोनी आदि) को आपस में मिलाकर १८७१ में एक राष्ट्र-राज्य व जर्मन साम्राज्य का निर्माण किया गया। इसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का नाम जर्मनी का एकीकरण है। इसके पहले यह भूभाग (जर्मनी) ३९ राज्यों में बंटा हुआ था। इसमें से ऑस्ट्रियाई साम्राज्य तथा प्रशा राजतंत्र अपने आर्थिक तथा राजनीतिक महत्व के लिये प्रसिद्ध थे। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जर्मनी का एकीकरण · और देखें »

जातीय समूह

जातीय समूह मनुष्यों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य किसी वास्तविक या कल्पित सांझी वंश-परंपरा के माध्यम से अपने आप को एक नस्ल के वंशज मानते हैं।1987 स्मिथ यह सांझी विरासत वंशक्रम, इतिहास, रक्त-संबंध, धर्म, भाषा, सांझे क्षेत्र, राष्ट्रीयता या भौतिक रूप-रंग (यानि लोगों की शक्ल-सूरत) पर आधारित हो सकती है। एक जातीय समूह के सदस्य अपने एक जातीय समूह से संबंधित होने से अवगत होते हैं; इसके अलावा जातीय पहचान दूसरों द्वारा उस समूह की विशिष्टता के रूप में पहचाने जाने से भी चिह्नित होती है।"एन्थ्रोपोलोजी.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जातीय समूह · और देखें »

जापानी साम्राज्यवाद

अपने चरमोत्कर्ष पर जापानी साम्राज्य की स्थिति (1942) यहाँ पर जापानी साम्राज्य द्वारा सन् १९४५ तक अधिकृत क्षेत्रों की सूची दी गयी है। जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में आत्मसमर्पण (हार) के बाद मुख्य जापानी भूमि एवं 3000 छोटे-छोटे द्वीपों को छोड़कर बाकी सारे क्षेत्रों से अपना अधिकार त्याग दिया। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जापानी साम्राज्यवाद · और देखें »

जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ

जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, जूनियर (30 अगस्त 1852 - 1 मार्च 1911) एक डच भौतिक और जैविक रसायनज्ञ और रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार के पहले विजेता थे। उन्हें रासायनिक गतिकी, रासायनिक साम्य, आसमाटिक दबाव और त्रिविम रसायन के क्षेत्रों में खोजों के लिए जाना जाता है। श्रेणी:रसायनशास्त्री श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक.

नई!!: जर्मन साम्राज्य और जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ · और देखें »

कैसर विल्हेम द्वितीय (जर्मनी)

विल्हेम द्वितीय या विलियम द्वितीय (जर्मन: Friedrich Wilhelm Viktor Albrecht von Preußen; अंगरेजी: Frederick William Victor Albert of Prussia; 27 जनवरी 1859 – 4 जून 1941) जर्मनी का अन्तिम सम्राट (कैसर) तथा प्रशा का राजा था जिसने जर्मन साम्राज्य एवं प्रशा पर १५ जून १८८८ से ९ नवम्बर १९१८ तक शासन किया। विलियम प्रथम की मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र फैड्रिक तृतीय जर्मनी के राजसिंहासन पर 9 मार्च 1888 ई. को आसीन हुआ। किन्तु केवल 100 दिन राज्य करने के बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु होने पर उसका पुत्र विलियम द्वितीय राज्य सिंहासन पर आसीन हुआ। वह एक नवयुवक था। उसमें अनेक गुणों और दुर्गुणों का सम्मिश्रण था। वह कुशाग्र बुद्धि, महत्वकांक्षी आत्मविश्वासी तथा असाधारण नवयुवक था। वह स्वार्थी और घमण्डी था तथा उसका विश्वास राजा के दैवी सिद्धांत में था। किसी अन्य व्यक्ति के नियंत्रण में रहना उसको असह्य था जिसके कारण कुछ ही दिनों के उपरांत उसकी अपने चांसलर बिस्मार्क से अनबन हो गई। परिस्थितियों से बाध्य होकर बिस्मार्क को त्याग-पत्र देना पड़ा। बिस्मार्क के पतन के उपरांत विलियम ने समस्त सत्ता को अपने हाथों में लिया और उसके मंत्री आज्ञाकारी सेवक बन गये और वह स्वयं का शासन का कर्णधार बना। .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और कैसर विल्हेम द्वितीय (जर्मनी) · और देखें »

अल्बर्ट आइंस्टीन

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E .

नई!!: जर्मन साम्राज्य और अल्बर्ट आइंस्टीन · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »