3 संबंधों: तुङ्गनाथ, फलासी तुङ्गनाथ, रुद्रप्रयाग।
तुङ्गनाथ
कोई विवरण नहीं।
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फलासी तुङ्गनाथ
फलासी तुंगनाथ मन्दिर फलासी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक गाँव है। यहाँ पर भगवान तुंगनाथ का प्राचीन मन्दिर है। फलासी तुंगनाथ का एक अन्य दृश्य मन्दिर में भगवान शिव (तुंगनाथ) का आपरुप (ऐसी मूर्ति, लिंग आदि जो मनुष्य निर्मित न होकर स्वयं प्रकट होती है) लिंग है। इसके अतिरिक्त भगवती चण्डिका एवं गणेश जी हैं। इस मन्दिर में शिव (भगवान तुंगनाथ) की प्रधानता है, जबकि तुंगनाथ के एक अन्य मन्दिर जो कि सतेरा में है उसमें शक्ति (नारी देवी) की प्रधानता है। मन्दिर में सामान्य पूजा पास के ही फलासी गाँव के लोग करते हैं। मन्दिर प्राचीन दक्षिण शैली का बना है। यद्यपि बाद में इसका पुनुरुद्धार किया गया लेकिन प्राचीन शैली की सुन्दरता को कायम रखने का प्रयत्न किया गया। मन्दिर में कुछ पुरानी मन्दिर की दीवारों पर बनी मूर्तियों के अवशेष हैं जिनसे पता चलता है कि पुराने समय में मन्दिर की दीवारों पर दक्षिण शैली में सुन्दर मूर्तियाँ बनी रही होंगी। मन्दिर का स्वामित्व पास के राजपूत थोकदारों के पास होता है। .
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रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थानों में से है। रुद्रप्रयाग नगर पंचायत का गठन वर्ष २००२ में किया गया था, और २००६ में इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। .
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