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चैत्य भूमि

सूची चैत्य भूमि

चैत्यभूमि मुंबई के दादर स्थित भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर जी की समाधि स्थली और बौद्ध धर्म के लोगो का आस्था का केंद्र हैं। दादर के समुद्र तट पर चैत्य भूमि स्थित है। दिल्ली में अपने निवास में ६ दिसंबर १९५६ को आंबेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ और उनका पार्थिव मुंबई में लाया गया, चैत्यभूमि में ७ दिसंबर १९५६ को भदन्त आनन्द कौशल्यायन ने आंबेडकर का बौद्ध परम्परा के अनुसार दाह संस्कार किया था। आंबेडकर का दाह संस्कार के पहले उन्हें साक्षी रख उनके १०,००,००० अनुयायिओं ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली और यह दीक्षा उन्हें भदन्त आनन्द कौशल्यायन ने दी थी। .

6 संबंधों: बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल, भगवान बुद्ध और उनका धम्म, भीम जन्मभूमि, भीमराव आम्बेडकर, समानता की प्रतिमा, आंबेडकर जयंती

बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल

विश्व में बौद्ध धर्म के बहुत से तीर्थ स्थल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार से हैं:- विहार, पगोडा, स्तूप, चैत्य, गुफा, बुद्ध मुर्ती एवं अन्य। .

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भगवान बुद्ध और उनका धम्म

भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह तथागत बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालता है। यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित अंतिम ग्रन्थ है। यह ग्रंथ भारतीय बौद्धों द्वारा एक पवित्र पाठ के रूप में व्यवहार में उपयोग किया जाता है। यह ग्रंथ नवयानी बौद्ध अनुयायिओं का धर्मग्रंथ है। संपूर्ण विश्व भर और मुख्यत: बौद्ध जगत में यह ग्रंथ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह ग्रंथ पहली बार बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण ६ दिसंबर १९५६ के बाद १९५७ में प्रकाशित हुआ था। यह फिर से सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा १९७९ में 'डॉ.

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भीम जन्मभूमि

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के आम्बेडकर की मुर्ति को पुष्प अर्पित करते हुए, 14 अप्रैल 2016 भीम जन्मभूमि मध्य प्रदेश के महू (डॉ॰ आम्बेडकर नगर) में स्थित भीमराव आम्बेडकर की जन्मस्थली है। आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक सैन्य छावनि महू के काली पलटन इलाके में हुआ था। यहां मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी जन्मस्थली पर एक भव्य स्मारक बनाया है, जिसे 'भीम जन्मभूमि' नाम दिया गया है। स्मारक का उद्घाटन 14 अप्रैल 1991 को 100 वीं आम्बेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा द्वारा हुआ था। स्मारक की रचना वास्तुकार ईडी निमगेड द्वारा की गयी थी। बाद में स्मारक को 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया था। हर साल, लाखों आम्बेडकरवादी, बौद्ध और पर्यटक आम्बेडकर को अभिवादन करने इस उनके जन्मभूमि स्थान की जगह पर जाते हैं। यह स्थान भोपाल से दो से तीन घंटे और इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आम्बेडकर को अभिवादन करने के लिए, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में 125 वीं आम्बेडकर जयंती के दिवस पर दौरा किया था। 2018 में 127 वीं आम्बेडकर जयंती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महू का दौरा करके बाबासाहब आम्बेडकर को अभिवादन किया था। पंचतीर्थ के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे आम्बेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक है। .

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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समानता की प्रतिमा

समानता की प्रतिमा या डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक, मुम्बई' 106.68 मीटर (350 फीट) ऊँचा महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित भारत के प्रथम कानून मंत्री तथा भारतीय संविधान के पिता डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी का स्मारक है। भारत के प्रधानमंत्री श्री॰ नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर 2015 को डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी की इस विशालकाय मूर्ति एवं विश्व-स्मारक के निर्माण का मुंबई में शिलान्यास किया। इंदू मिल की 12 एकड भूमि पर यह भव्य स्मारक बनेगा। समानता का यह स्मारक डॉ॰ आंबेडकर के समाधि स्थल चैत्य भूमि के करीब है। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने करोड़ो देशवासियों के समानता के पूरे जीवन भर संघर्ष किया, इसलिए भीमराव को समानता का प्रतीक (सिम्बॉल ऑफ इक्वेलिटी) कहा जाता है। .

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आंबेडकर जयंती

आंबेडकर जयंती या भीम जयंती डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने १४ अप्रेल १९२८ में पुणे शहर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंतीचे अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथसे, उंट के उपर कई मिरवणुक निकाली थी। उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध विहार में भी आंबेडकर की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। गुगल ने डॉ॰ आंबेडकर की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया। तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था। .

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