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चिंता

सूची चिंता

चिंता संज्ञानात्मक, शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषतावाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है।सेलिगमैन, एम्.इ.पी., वॉकर, इ.ऍफ़.

24 संबंधों: एनोरेक्सिया नर्वोज़ा, डर, तनाव (मनोवैज्ञानिक), तनाव प्रबंधन, तम्बाकू धूम्रपान, तंत्रिकादौर्बल्य, दुश्चिंता, दीर्घसूत्रता, परिवर्तन तनाव और नवाचार के प्रबंध, बिग फ़ाइव व्यक्तित्व लक्षण, मनोविकार, मनोग्रसित-बाध्यता विकार, शराब, शराबीपन, शिथिलता, सांस की दुर्गंध, संधिवार्ता, संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा, स्नेह सिद्धान्त, सूर्य देवता, हीथ लेजर, व्यसन, आत्मविश्वास, कर्णमल

एनोरेक्सिया नर्वोज़ा

क्षुधा अभाव (एनोरेक्सिया नर्वोज़ा) (AN) एक प्रकार का आहार-संबंधी विकार है जिसके लक्षण हैं - स्वस्थ शारीरिक वजन बनाए रखने से इंकार और स्थूलकाय हो जाने का डर जो विभिन्न बोधसंबंधी पूर्वाग्रहों पर आधारित विकृत स्व-छवि के कारण उत्पन्न होता है। ये पूर्वाग्रह व्यक्ति की अपने शरीर, भोजन और खाने की आदतों के बारे में चिंतन-मनन की क्षमता को बदल देते हैं। AN एक गंभीर मानसिक रोग है जिसमें अस्वस्थता व मृत्युदरें अन्य किसी मानसिक रोग जितनी ही होती हैं। यद्यपि यह मान्यता है कि AN केवल युवा श्वेत महिलाओं में ही होता है तथापि यह सभी आयु, नस्ल, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के पुरूषों और महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। एनोरेक्सिया नर्वोज़ा पद का प्रयोग महारानी विक्टोरिया के निजी चिकित्सकों में से एक, सर विलियम गल द्वारा 1873 में किया गया था। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक से हुई है: a (α, निषेध का उपसर्ग), n (ν, दो स्वर वर्णों के बीच की कड़ी) और orexis (ओरेक्सिस) (ορεξις, भूख), इस तरह इसका अर्थ है – भोजन करने की इच्छा का अभाव.

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डर

डर एक नकारात्मक भावना है। डर संभावित खतरे के लिए एक सहज वृत्ति प्रतिक्रिया के रूप में सभी जानवरों और लोगों में पूर्व क्रमादेशित एक ऐसी भावना है। यह भावना हमेशा अनुकूली नहीं है। यह एक अच्छी भावना नहीं है; कोई आजादी, खुशी नहीं है। यह कई रूपों में प्रकट होता है। सबसे आम अभिव्यक्ति गुस्सा है। आपका जीवन डर के जीत के लिए एक संघर्ष है। डर के विपरीत, एकता के बारे में जागरूकता है। डर के सबसे शक्तिशाली जनरेटर मृत्यु की अवधारणा है। डर हम सब एक समय पर महसूस करते हैं। यह बच्चों के रूप में सबसे पहले अनुभव किया जाता है। ज्यादातर लोगों को डर एक अप्रिय भावना लगती है। खतरे की उपस्थिति या निकटस्थता की वजह से एक बहुत अप्रिय भावना को डर केहते हैं। भय, मानव प्रजाति द्वारा अनुभव किया जाता है, यह एक पूरी तरह से अपरिहार्य भावना है। भय की हद और सीमा व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बदलता है, लेकिन भावना एक ही है। यह प्रत्याशा के कारण होता है। डर में कुछ आम चेहरे के भाव -- डरा हुआ चेहरा, बड़ी आंखें, खुला मुंह आदि। अंधविश्वासी, बुद्घिमान, और अनिश्चितता: भय के तीन अलग अलग प्रकार होते हैं। अंधविश्वासी डर काल्पनिक चीजों का एक भय है। बुद्घिमान डर बड़े हो जाने पर और उसके दुनिया का अधिक ज्ञान लाभ के रूप में आता है। अनिश्चितता के डर से एक के कार्रवाई के परिणाम का ना पता चलना होता है। डर एक खतरनाक प्रोत्साहन की उपस्थिति, या प्रत्याशा में एक भावनात्मक राज्य है। कुछ भय कंडीशनिंग प्रक्रिया के माध्यम से हासिल किया जाता है। कुछ माता पिता और भाई के भय के नकल के माध्यम से सीखा रहे जाता है। इन्सानों एवं जानवरों में एक एेसी भावना है जो अनुभूति द्वारा संग्राहक होती है। जब वस्तुओं या घटनाओं के लिए भय तर्कहीन हो जाता है तो उसे "फोबिया" कहा जाता है। डर इन्सानों मैं तब देखा जाता है जब उन्हें किसी वस्तु से किसी प्रकार का जोखिम महसूस होता हो। यह जोख़िम किसी भी प्रकार का हो सकता है- स्वास्थ्य,धन,निजी सुरक्षा,आदि। डर शब्द "फिर" से उत्पन्न हुआ जिसका अर्थ है आपदा या खतरा। अमेरिका में दस प्रकार के डर हैं-- आतंकवादी हमले, मकडियाँ, मौत,असफलता, युद्ध या आपराधिक हालात, अकेलापन, भविष्य या परमाणु युद्ध आदि। .

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तनाव (मनोवैज्ञानिक)

आज के समय में तनाव (stress) लोगों के लिए बहुत ही सामान्य अनुभव बन चुका है, जो कि अधिसंख्य दैहिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। तनाव की पारंपरिक परिभाषा दैहिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। हैंस शैले (Hans Selye) ने 'तनाव' (स्ट्रेस) शब्द को खोजा और इसकी परिभाषा शरीर की किसी भी आवश्यकता के आधार पर अनिश्चित प्रतिक्रिया के रूप में की। हैंस शैले की पारिभाषा का आधार दैहिक है और यह हारमोन्स की क्रियाओं को अधिक महत्व देती है, जो ऐड्रिनल और अन्य ग्रन्थियों द्वारा स्रवित होते हैं। शैले ने दो प्रकार के तनावों की संकल्पना की-.

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तनाव प्रबंधन

तनाव प्रबंधन का अर्थ है मानसिक तनाव में कमी लाना, विशेषतः पुराने तनाव में। .

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तम्बाकू धूम्रपान

तम्बाकू धूम्रपान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें तम्बाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं या तो चखा जाता है या फिर उसे सांस में खींचा जाता है। इसका चलन 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ। कई सभ्यताओं में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध के तौर पर जलाया गया, जिसे बाद में आनंद प्राप्त करने के लिए या फिर एक सामाजिक उपकरण के रूप में अपनाया गया। पुरानी दुनिया में तम्बाकू 1500 के दशक के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ जहां इसने साझा व्यापारिक मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि यह पदार्थ अक्सर आलोचना का शिकार बनता रहा है, लेकिन इसके बावज़ूद वह लोकप्रिय हो गया। जर्मन वैज्ञानिकों ने औपचारिक रूप से देर से 1920 के दशक के अन्त में धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच के संबंधों की पहचान की जिससे आधुनिक इतिहास में पहले धूम्रपान विरोधी अभियान की शुरुआत हुई। आंदोलन तथापि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों की सीमा में पहुंचने में नाकाम रहा और उसके बाद जल्द ही अलोकप्रिय हो गया। 1950 में स्वास्थ्य अधिकारियों ने फिर से धूम्रपान और कैंसर के बीच के सम्बंध पर चर्चा शुरू की। वैज्ञानिक प्रमाण 1980 के दशक में प्राप्त हुए, जिसने इस अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई पर जोर दिया। 1965 से विकसित देशों में खपत या तो क्षीण हुई या फिर उसमें गिरावट आयी। हालांकि, विकासशील दुनिया में बढ़त जारी है। तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है और तम्बाकू धूम्रपान किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। कृषि उत्पाद को अक्सर दूसरे योगज के साथ मिलाया जाता है और फिर सुलगाया जाता है। परिणामस्वरूप भाप को सांस के जरिये अंदर खींचा जाता है फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका अंत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। डोपामाइन (Dopamine) और बाद में एंडोर्फिन(endorphin) का रिसाव होता है जो अक्सर आनंद से जुड़े हुए हैं। 2000 में धूम्रपान का सेवन कुछ 1.22 बिलियन लोग करते थे। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती हैं तथापि छोटे आयु वर्ग में इस लैंगिक अंतर में गिरावट आती है। गरीबों में अमीरों की तुलना में और विकसित देशों के लोगों में अमीर देशों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाले कई किशोरावस्था में या आरम्भिक युवावस्था के दौरान शुरू करते हैं। आम तौर पर प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान सुखद अनुभूतियां प्रदान करता है, सकारात्मक सुदृढीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक व्यक्ति में कई वर्षों के धूम्रपान के बाद परिहार के लक्षण और नकारात्मक सुदृढीकरण उसे जारी रखने का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाता है। .

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तंत्रिकादौर्बल्य

तंत्रिकादौर्बल्य, मन:श्रांति या न्यूरैस्थिनिया (Neurasthenia) शारीरिक और मानसिक थकान की अवस्था है, जिसमें व्यक्ति निरंतर थकान और शक्ति के ह्रास का अनुभव करता है। हिन्दी में इसे 'तंत्रिकावसाद' भी कहते हैं। .

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दुश्चिंता

दुश्चिंता (या, व्यग्रता विकार या घबराहट) (अंग्रेज़ी:Anxiety disorder) एक प्रकार का मनोरोग है। साधारण शब्दों में चिंता या घबराहट आने वाले समय में कुछ बुरा या खराब घटने की आशंका होना है जबकि इनका कोई वास्तविक आधार नहीं होता। थोड़ी-बहुत चिन्ता सभी को होती है और यह हमारे लक्ष्य की प्राप्ति या सफलता के लिए आवश्यक भी है। यदि चिंता बहुत बढ़ जाती है और इसके व्यापक दुष्प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन पर पड़ने लगता है तो हम इसे घबराहट और चिंता रोग (Anxiety Disorder) कहते हैं। .

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दीर्घसूत्रता

जब किये जाने वाले कामों को बार-बार बाद में करने के लिये छोड़ा जाता है तो उस व्यवहार को दीर्घसूत्रता या 'काम टालना' (Procrastination) कहते हैं। मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि दीर्घसूत्रता, काम को शुरू करने या उसे समाप्त करने या निर्णय लेने से जुड़ी हुई चिन्ता से लड़ने का एक तरीका है। किसी व्यवहार को दीर्घसूत्रता कहने के लिये उसमें तीन विशेषताएं होनी चाहिये - यह व्यवहार उत्पादनविरोधी (counterproductive) हो; अनावश्यक हो और देरी करने वाला हो। .

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परिवर्तन तनाव और नवाचार के प्रबंध

परिवर्तन एक संगठन के पर्यावरण, संरचना, प्रौद्योगिकी, या लोगों मे बद्लव् होता है। संगठनात्मक परिवर्तन तब होती है जब एक कंपनी एक संक्रमण से अपनी वर्तमान स्थिति के लिए कुछ वांछित भविष्य राज्य बनाता है। अगर परिव्रर्तन नही होता तो, प्रबंधक का काम आसान हो जाता। योजना करना आसान होता क्यूं कि आज और आने वाला कल मे कोई परिवर्तन नही होता। उसी तरह निर्णय लेना आसान हो क्यु कि अनिश्चितता नही होती। पर परिवर्तन तो हर संगठन कि सचाई है। परिवर्तन को संभालना हर प्रबंधक कि काम है। कर्मचारियों के लिए,परिवर्तन ही तनाव का कारण है। एक गतिशील और अनिश्चित माहौल से कर्मचारियों की बड़ी संख्या तनाव मे है। तनाव एक जटिल मुद्दा है। बाधाओं और मांगों के व्दारा तनाव कर्मचारियों मे बड रहा है। दबाव तनाव एक कारण है।इस संदर्भ में, शब्द 'तनाव' का केवल एक ही मतलब महत्वपूर्ण नकारात्मक परिणाम है, या संदर्भित संकट, हंस सेयेले(Hans Selye) के अनुसार जिसे वो युस्त्रेस्स् (eustress) कहता है, तनाव का परिणाम सहायक या अन्यथा सकारात्मक रहता है। तनाव कई शारीरिक और मानसिक लक्षण है जो प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति के अनुसार बदलव् पैदा करता है। ये शारीरिक स्वास्थ्य गिरावट के रूप में अच्छी तरह से शामिल कर सकता है। तनाव प्रबंधन की प्रक्रिया आधुनिक समाज में एक खुश और सफल जीवन की कुंजी से एक के रूप में नामित किया गया है। नवाचार प्रबंधन नवाचार प्रक्रियाओं का प्रबंधन है। यह उत्पाद और संगठनात्मक दोनों का नवाचार है। नवाचार प्रबंधन एक प्रक्रिया हे जिस्मे रचनात्मक विचार को बदलकर एक उपयोगी उत्पाद,सेवा या आपरेशन की विधि बनाया जाता है। अभिनव प्रबंधन मे प्रबंधकों और इंजीनियरों के एक सामान्य समझ के साथ प्रक्रियाओं और लक्ष्यों को समज न चहिए। अभिनव प्रबंधन संगठन को बाहरी या आंतरिक अवसरों के लिए जवाब है, और अपनी रचनात्मकता का उपयोग विचारों, प्रक्रियाओं या उत्पादों नया पेश करने की अनुमति देता है। यह अनुसंधान एवं विकास में चलता नही है। यह एक कंपनी के उत्पाद विकास, विनिर्माण और विपणन के लिए रचनात्मक योगदान करने में हर स्तर पर कार्यकर्ताओं शामिल है।प्रबंधक को संगठन मे परिवर्तन लाने के लिए नवाचार लाना होता है। .

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बिग फ़ाइव व्यक्तित्व लक्षण

समकालीन मनोविज्ञान में, व्यक्तित्व के "बिग फ़ाइव" कारक हैं व्यक्तित्व के पांच व्यापक डोमेन या आयाम, जिनका मानव व्यक्तित्व को वर्णित करने के लिए उपयोग किया जाता है। बिग फ़ाइव कारक हैं खुलापन (Openness), कर्तव्यनिष्ठा (Conscientiousness), बहिर्मुखता (Extraversion), सहमतता (Agreeableness) और मनोविक्षुब्धता (Neuroticism) (यदि पुनर्व्यवस्थित किया जाए तो OCEAN, या CANOE).

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मनोविकार

मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर 'सामान्य' नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं। मनोरोग मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन की वजह से पैदा होते हैं तथा इनके उपचार के लिए मनोरोग चिकित्सा की जरूरत होती है। .

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मनोग्रसित-बाध्यता विकार

मनोग्रसित-बाध्यता विकार से ग्रसित कुछ लोग बार-बार हाथ धोते हैं। मनोग्रसित-बाध्यता विकार (Obsessive–compulsive disorder /OCD) एक तरह का चिन्ता विकार है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति एक ही चीज की बार-बार जाँच करने की आवश्यकता अनुभव करता है, कुछ विशेष कामों को बार-बार करता है (जैसे बार-बार हाथ धोना), या कुछ विचार उसके मन में बार-बार आते हैं। अर्थात उस व्यक्ति में बाध्यताओं (कम्पल्सन्स) या मनोग्रस्तियों के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे अन्तर्वेधी (intrusive) विचार आते हैं जिनके कारण बेचैनी, डर, चिन्ता पैदा होती है। इस विकार से ग्रसित व्यक्ति जो काम प्रायः करते हैं, वे ये हैं- बार-बार हाथ धोना, बार-बार वस्तुओं को गिनना, बार-बार जाकर देखना कि दरवाजा बन्द है कि नहीं। ये क्रियाएँ वह इतनी बार करता है कि उसका दैनिक जीवन ही प्रभावित होने लगता है। प्रायः दिन भर में इन कामों में वह कम से कम एक घण्टा तो खपा ही देता है। अधिकांध वयस्क लोगों को यह लगता भी है कि ऐसा व्यवहार का कोई मतलब नहीं है। इसके प्रमुख लक्षण हैं-.

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शराब

सफेद मदिरा लाल मदिरा मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। इसके अतिरिक्त शराब के सेवन को कई समाज में धार्मिक व अन्य सामाजिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है। परन्तु कोई भी समाज या धर्म इसके दुरूपयोग की स्वीकृति नहीं देता है। .

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शराबीपन

शराबीपन, जिसे शराब निर्भरता भी कहते हैं, एक निष्क्रिय कर देने वाला नशीला विकार है जिसे बाध्यकारी और अनियंत्रित शराब की लत के रूप में निरूपित किया जाता है जबकि पीन वाले के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसके जीवन में नकारात्मक सामाजिक परिणाम देखने को मिलते हैं। अन्य नशीली दवाओं की लत की तरह शराबीपन को चिकित्सा की दृष्टि से एक इलाज़ योग्य बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है। 19वीं सदी और 20वीं सदी की शुरुआत में, शराब पर निर्भरता को शराबीपन शब्द के द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने से पूर्व इसे मदिरापान कहा जाता था। शराबीपन को सहारा देने वाले जैविक तंत्र अनिश्चित हैं, लेकिन फिर भी, जोखिम के कारकों में सामाजिक वातावरण, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य, अनुवांशिक पूर्ववृत्ति, आयु, जातीय समूह और लिंग शामिल हैं। लम्बे समय तक चलने वाली शराब पीने की लत मस्तिष्क में शारीरिक बदलाव, जैसे - सहनशीलता और शारीरिक निर्भरता, लाती है, जिससे पीना बंद होने पर शराब वापसी सिंड्रोम का परिणाम सामने आता है। ऐसा मस्तिष्क प्रक्रिया बदलाव पीना बंद करने के लिए शराबी की बाध्यकारी अक्षमता को बनाए रखता है। शराब प्रायः शरीर के प्रत्येक अंग को क्षतिग्रस्त कर देती है जिसमें मस्तिष्क भी शामिल है; लम्बे समय से शराब पीने की लत के संचयी विषाक्त प्रभावों के कारण शराबी को चिकित्सा और मनोरोग सम्बन्धी कई विकारों का सामना करने का जोखिम उठाना पड़ता है। शराबीपन की वजह से शराबियों और उनके जीवन से जुड़े लोगों को गंभीर सामाजिक परिणामों का सामना करना पड़ता है। शराबीपन सहनशीलता, वापसी और अत्यधिक शराब के सेवन की चक्रीय उपस्थिति है; अपने स्वास्थ्य को शराब से होने वाली क्षति की जानकारी होने के बावजूद ऐसी बाध्यकारी पियक्कड़ी को नियंत्रित करने में पियक्कड़ की अक्षमता इस बात का संकेत देती है कि व्यक्ति एक शराबी हो सकता है। प्रश्नावली पर आधारित जांच शराबीपन सहित नुकसानदायक पीने के तरीकों का पता लगाने की एक विधि है। वापसी के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए आम तौर पर सहनशीलता-विरोधी दवाओं, जैसे - बेंज़ोडायज़ेपींस, के साथ शराब पीने से शराबी व्यक्ति को उबारने के लिए शराब विषहरण की व्यवस्था की जाती है। शराब से संयम करने के लिए आम तौर पर चिकित्सा के बाद की जानी वाली देखभाल, जैसे - समूह चिकित्सा, या स्व-सहायक समूह, की आवश्यकता है। शराबी अक्सर अन्य नशों, खास तौर पर बेंज़ोडायज़ेपींस, के भी आदि होते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता हो सकती है। एक शराबी होने के नाते पुरुषों की अपेक्षा शराब पीने वाली महिलाएं शराब के हानिकारक शारीरिक, दिमागी और मानसिक प्रभावों और वर्धित सामाजिक कलंक के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में शराबियों की संख्या 140 मिलियन है। .

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शिथिलता

शिथिलता एक ऐसा व्यवहार है जिसे किन्हीं क्रियाओं या कार्यों को परवर्ती समय के लिए स्थगन द्वारा परिलक्ष्यित किया जाता है। मनोवैज्ञानिक प्रायः शिथिलता को किसी कार्य या फैसले के आरंभ या समाप्ति से जुड़ी चिंता के साथ मुकाबला करने की एक क्रियाविधि के रूप में उद्धृत करते हैं। मनोविज्ञान के शोधकर्ता भी शिथिलता को वर्गीकृत करने के लिए तीन मानदंडों का उपयोग करते हैं। किसी भी व्यवहार को शिथिलता के रूप में वर्गीकृत करने के लिए उसका उत्पादकविहीन, अनावश्यक तथा विलंबकारी होना अत्यंत आवश्यक है। शिथिलता के परिणामस्वरूप किसी भी व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों या वादों को पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में तनाव, अपराध बोध, व्यक्तिगत उत्पादकता की हानि, संकट की सृष्टि और अन्य व्यक्तियों की असहमति का सामना करना पड़ सकता है। इन संयुक्त भावनाओं से शिथिलता को और अधिक प्रोत्साहन मिल सकता है। हालांकि लोगों के लिए कुछ हद तक शिथिलता दिखलाना सामान्य है, लेकिन यह उस समय एक समस्या का रूप धारण कर लेता है जब यह सामान्य क्रियाकलापों में बाधा उत्पन्न करने लगता है। दीर्घकालीन शिथिलता किसी अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक विकार का एक संकेत हो सकता है। .

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सांस की दुर्गंध

साँस की दुर्गंध या मुह की दुर्गन्ध या दुर्गंधी प्रश्वसन (Halitosis / हैलिटोसिस) के रोगी के मुख से एक विशेष दुर्गन्ध (बदबू) आती है जो, सांस के साथ मिली होती है। सांसों की दुर्गन्ध ग्रसित व्यक्ति में चिन्ता का कारण बन सकती है। यह एक गंभीर समस्या बन सकती है किंतु कुछ साधारण उपायों से साँस की दुर्गंध को रोका जा सकता है। साँस की दुर्गंध उन बैक्टीरिया से पैदा होती है, जो मुँह में पैदा होते हैं और दुर्गंध पैदा करते हैं। नियमित रूप से ब्रश नहीं करने से मुँह और दांतों के बीच फंसा भोजन बैक्टीरिया पैदा करता है। इन बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित सल्फर, यौगिक के कारण आपकी साँसों में दुर्गंध पैदा करता है। लहसुन और प्याज जैसे कुछ खाद्य पदार्थां में तीखे तेल होते हैं। इनसे साँसों की दुर्गंध पैदा होती है, क्योंकि ये तेल आपके फेफड़ों में जाते हैं और मुँह से बाहर आते हैं। साँस की दुर्गंध का एक अन्य प्रमुख कारण धूम्रपान है। साँस की दुर्गंध पर काबू पाने के बारे में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं। .

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संधिवार्ता

संधिवार्ता (निगोशिएशन) उस बातचीत को कहते हैं जिसका उद्देश्य विवादों को हल करना, विभिन्न क्रियाओं की दिशा पर सहमति पैदा करना, किसी एक व्यक्ति अथवा सामूहिक लाभ के लिए सौदा करना, या विभिन्न हितों को तुष्ट करने के लिए परिणामों को तराशना है। यह वैकल्पिक विवाद समाधान का प्राथमिक तरीका है। समझौता वार्ता, व्यापार, लाभरहित संगठनों, सरकारी शाखाओं, कानूनी कार्यवाहियों, देशों के बीच और व्यक्तिगत परिस्थितियों जैसे विवाह, तलाक, बच्चों की परवरिश और रोजमर्रा की जिंदगी में होती हैं। इस विषय के अध्ययन को समझौता वार्ता का सिद्धांत कहा जाता है। पेशेवर वार्ताकार अक्सर विशेषज्ञ होते हैं, जैसे कि संघ के वार्ताकार, उत्तोलन खरीद वार्ताकार, शांति वार्ताकार, बंधक वार्ताकार, या वे अन्य किसी पदनाम के अंतर्गत भी काम कर सकते हैं, जैसे राजनयिक, विधायक या दलाल.

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संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा

संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा (Cognitive behavioral therapy या CBT) मनोचिकित्सा की वह पद्धति है मनोरोगी के सोचने (संज्ञान) तथा उनके व्यवहार पर ध्यान केन्द्रित करती है। इस पद्धति की मान्यता है कि किसी परिस्थिति के बारे में हमारी सोच ही तय करती है कि उस परिस्थिति में हमे कैसा लगेगा और हम क्या आचरण करेंगे। दो लोग किसी एक ही घटना को दो बिलकुल अलग रूप में ले सकते हैं। अतः इस पद्धति में व्यक्ति के सोचने के तरीके या आचरण अथवा दोनो (सोच और आचरण) को बदलने पर बल दिया जाता है। यह मनोचिकित्सा पद्धति निम्नलिखित मनोरोगों में कारगर सिद्ध हुआ है-.

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स्नेह सिद्धान्त

स्नेह सिद्धान्त में जॉन बाल्बी ने मनुष्य की विशेष अन्यों से मज़बूत स्नेह बंधन बनाने की प्रवृत्ति को वैचारिक रूप दिया, तथा विरह से उत्पन्न व्यक्तित्व की समस्याओं व संवेगात्मक पीड़ा के साथ-साथ चिंता, गुस्से, उदासी तथा अलगाव की व्याख्या की। बच्चे के जन्म के समय उसके चारों ओर के वातावरण में माँ की अहम् भूमिका है। बच्चे का पहला सम्बन्ध माँ से आरम्भ होता है। स्मिथ कहते हैं कि कुदरत ने इस रिश्ते को मज़बूत बनाया है, तो समाज, धर्म और साहित्य ने माँ और बच्चे के स्नेह को पवित्रता प्रदान की। इस लेख में, समाजशास्त्रियों की मानव समाज में प्रेममूलक सम्बन्धों की दो अवधारणाओं की चर्चा के बाद, स्नेह की वैकल्पिक सोच के संदभ में, लारेन्ज़ के हंस, बतख आदि पक्षियों के चूज़ों, तथा हार्लो के बंदर के बच्चों, पर अध्ययनों का संक्षिप्त वर्णन देकर, बाल्बी के स्नेह सिद्धान्त को रखा गया है। और अंत में स्नेह सिद्धान्त के अन्य क्षेत्रों में बढ़ते दायरे पर नज़र डाली गयी है। .

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सूर्य देवता

कोई विवरण नहीं।

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हीथ लेजर

एंड्रयू हीथ लेजर (4 अप्रैल 1979 -22 जनवरी 2008) एक ऑस्ट्रेलियाई टीवी और फिल्म अभिनेता थे। 1990 के दशक के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीवी और फिल्म में अभिनय करने के बाद लेजर 1998 में अपने फिल्म करियर के विकास के लिए संयुक्त राज्य अमरीका चले गये। उनका काम उन्नीस फिल्मों में फैला हुआ है जिसमें 10 थिंग्स आई हेट अबाउट यू (1999), द पेट्रियाट (2000), मोन्सटर्स बॉल (2001), अ नाइट्स टेल (2001), ब्रोकबैक माउंटेन (2005) और डार्क नाइट (2008) शामिल हैं। अभिनय के अलावा उन्होंने कई म्यूज़िक वीडियो का निर्माण और निर्देशन किया और वे एक फिल्म निर्देशक बनना चाहते थे। ब्रोकबैक माउंटेन में इनीस डेल मार का किरदार निभाने के लिए लेजर को 2005 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक सर्कल अवार्ड और 2006 में ऑस्ट्रेलिया फिल्म इंस्टिट्यूट का 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार' जीता और 2005 के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के एकेडमी अवार्ड के साथ ही साथ अग्रणी भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए 2006 BAFTA अवार्ड के लिए नामांकित किये गये। उन्हें मरणोपरांत 2007 का इंडिपेंडेंट स्पिरिट राबर्ट अल्टमैन अवार्ड साझे तौर पर फिल्म आई एम नाट देअर के अन्य कलाकारों, निर्देशक और फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर को दिया गया, जो अमरीकी गायक-गीतकार बॉब डिलन के जीवन और गीतों से प्रेरित थी। फिल्म में लेजर ने एक काल्पनिक अभिनेता रोबी क्लार्क का किरदार निभाया है, जो डिलन के जीवन और व्यक्तित्व के छह पहलुओं का एक संगठित रूप है। फिल्म द डार्क नाइट में अभिनीत जोकर की भूमिका के लिए वे नामांकित हुए और उन्होंने पुरस्कार भी जीता, जिसमें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का एकेडमी अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और पहली बार किसी को दिया जाने वाला मरणोपरांतऑस्ट्रेलिया फिल्म इंस्टिट्यूट अवार्ड, 2008 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता लॉस एंजिल्स फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन अवार्ड, 2009 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का 2009 का BAFTA अवार्ड शामिल है। उनकी मौत 28 साल की आयु में "अनुशंसित दवाओं के जहरीले संयोजन" से दुर्घटनावश हो गयी। लेजर की मौत द डार्क नाइट के संपादन के दौरान हुई, जिसका प्रभाव उनकी 180 मिलियन डॉलर की लागत वाली फिल्म के प्रमोशन पर पड़ा.

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व्यसन

व्यसन या आसक्ति (Addiction) की विशेषता है कि दुष्परिणामों के बावजूद व्यक्ति को ड्रग/अल्कोहल की बाध्यकारी लत लग जाती है। व्यसन को एक जीर्ण मानसिक रोग भी कह सकते हैं। मादक द्रव्य वैसे पदार्थ को कहते हैं जिनके सेवन से नशे का अनुभव होता है तथा लगातार सेवन करने से व्यक्ति उसका आदी बन जाता है। हमारे समाज में कई प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रचलन है जैसे- शराब, ह्वीस्की, रम, बीयर, महुआ, हंड़िया आदि सामाजिक मान्यता प्राप्त वैध पदार्थ हैं। अनेक अवैध पदार्थ भी काफी प्रचलित हैं जैसे- भाँग, गांजा, चरस, हेरोइन, ब्राउन सुगर तथा कोकिन आदि। डाक्टरों द्वारा नींद के लिए या चिन्ता या तनाव के लिए लिखी दवाइयों का उपयोग भी मादक द्रव्यों के रूप में होता है। तम्बाकूयुक्त पदार्थ जैसे सिगरेट, खैनी, जर्दा, गुटखा, बीड़ी आदि भी इनके अन्तर्गत आते हैं। इनके अलावे कुछ पदार्थों का भी प्रचलन देखा जाता है जैसे- कफ सीरप, फेन्सीडिल या कोरेक्स का सेवन। वाष्पशील विलायक (वोलाटाइल सोलवेन्ट) यानि वैसे रासायनिक पदार्थों का सेवन जिनके वाष्प को श्वास द्वारा खींचने पर शराब के नशे से मिलता-जुलता असर होता है, जैसे-पेट्रोल, नेल पॉलिश रिमूभर, पेन्ट्स, ड्राई क्लीनींग सोल्यूसन आदि भी मादक पदार्थ हैं। .

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आत्मविश्वास

आत्मविश्वास (Self-confidence) वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के सम्पादन में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती। उसे कोई चिन्ता नहीं सताती। दूसरे व्यक्ति जिन सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है। यह प्राणी की आंतरिक भावना है। इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है। .

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कर्णमल

रूई की एक फुरेरी पर गीला मानव कर्णमैल कान की मैल कान का मैल या कर्णमल (ग्रामीण क्षेत्रों में 'ठेक', 'खोंठ' या खूँट भी कहते हैं), मानव व दूसरे स्तनधारियों की बाह्य कर्ण नाल के भीतर स्रावित होने वाला एक एक पीले रंग का मोमी पदार्थ है। यह मानव की बाह्य कर्ण नलिका की त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है साथ ही यह सफाई और स्नेहन में भी सहायता करता है। यह मैल कुछ हद तक कान को जीवाणु, कवक, कीटों और जल से भी सुरक्षा प्रदान करता है। अत्यधिक या ठूंसा हुआ मैल कान के पर्दे पर दबाव डाल कर बाह्य श्रवण नलिका को अवरुद्ध करके व्यक्ति की श्रवण शक्ति को क्षीण कर सकता है। .

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