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चार एशियाई चीते

सूची चार एशियाई चीते

चार एशियाई चीते या एशियाई ड्रैगन एशिया की चार अतिविकसित अर्थव्यवस्थाएं है जो हैं ताइवान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और हांग कांग। ये चार क्षेत्र एशिया के प्रथम औद्योगिकृत क्षेत्रों में से थे जिन्होंने आरम्भिक १९६० से लेकर १९९० के दशक तक अभूतपूर्व प्रगति की थी। २१वीं सदी में चारों क्षेत्र अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं और उच्च आय वाले बन गए हैं। हालांकि, अब अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं केन्द्र में आ गई हैं जहाँ आर्थिक वृद्धि दर अधिक है। चारों एशियाई चीतों के पास योग्य, उच्च शिक्षा प्राप्त कार्यबल है और इन्होंने कई क्षेत्रों में कौशल प्राप्त कर लिया हैं जहाँ इनके पास प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है। जैसे, हांगकांग और सिंगापुर विश्व के दो अग्रणी वित्तीय केन्द्र हैं, जबकि दक्षिण कोरिया और ताइवान सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में अग्रणी हैं। बाद के दो क्षेत्रों की उन्नति की कहानी को हान नदी पर चमत्कार और ताइवानी चमत्कार कहा जाता है और ये दोनों देश बहुत से विकासशील देशों के लिए आदर्श माने जाते हैं, विशेषतः टागर क्लब की अर्थव्यवस्थाओं के लिए। .

3 संबंधों: दक्षिण कोरिया, दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था, हिन्दू वृद्धि-दर

दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया (कोरियाई: 대한민국 (देहान् मिन्गुक), 大韩民国 (हंजा)), पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है जो कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिणी अर्धभाग को घेरे हुए है। 'शान्त सुबह की भूमि' के रूप में ख्यात इस देश के पश्चिम में चीन, पूर्व में जापान और उत्तर में उत्तर कोरिया स्थित है। देश की राजधानी सियोल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और एक प्रमुख वैश्विक नगर है। यहां की आधिकारिक भाषा कोरियाई है जो हंगुल और हंजा दोनो लिपियों में लिखी जाती है। राष्ट्रीय मुद्रा वॉन है। उत्तर कोरिया, इस देश की सीमा से लगता एकमात्र देश है, जिसकी दक्षिण कोरिया के साथ २३८ किलिमीटर लम्बी सीमा है। दोनो कोरियाओं की सीमा विश्व की सबसे अधिक सैन्य जमावड़े वाली सीमा है। साथ ही दोनों देशों के बीच एक असैन्य क्षेत्र भी है। कोरियाई युद्ध की विभीषिका झेल चुका दक्षिण कोरिया वर्तमान में एक विकसित देश है और सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति) के आधार पर विश्व की तेरहवीं और सकल घरेलू उत्पाद (संज्ञात्मक) के आधार पर पन्द्रहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।कोरिया मे १५ अंतराष्ट्रीय बिमानस्थल है और करीब ५०० विश्वविद्यालय है लोग बिदेशो यहा अध्ययन करने आते है। यहा औद्योगिक विकास बहुत हुऐ है और कोरिया मे चीन सहित १५ देशो के लोग रोजगार अनुमति प्रणाली(EPS) के माध्यम से यहा काम करते है। जिसमे दक्षिण एशिया के ४ देशो नेपाल बांग्लादेश श्रीलंका पाकिस्तान है। .

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दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था

दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था संज्ञात्मक सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्व की पन्द्रहवी और क्रय शक्ति के आधार पर बारहवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह जी-२० नामक विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह एक उच्च-आय वाली विकसित अर्थव्यवस्था है और ओईसीडी का सदस्य है। दक्षिण कोरिया मूल एशियाई चीतों वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह एकमात्र विकसित देश है जिसे नॅक्ट इलैवन समूह में सम्मिलित किया गया है। दक्षिण कोरिया १९६० के आरम्भ से १९९० के अन्त तक विश्व के सबसे तेज़ी से विकास करते देशों में से था और २००० के दशक में भी यह देश विकसित देशों में सर्वाधिक तेज़ी से विकास करने वाले देशों में था। १९६० से १९९० के दशकों के दौरान हुई आश्चर्यजनक प्रगति को कोरियाई लोग "हान नदी पर चमत्कार" की संज्ञा देते हैं। २०१० में दक्षिण कोरिया विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा निर्यातक और दसवाँ सबसे बड़ा आयातक था। एतिहासिक रूप से दक्षिण कोरिया आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) प्राप्त करने वाला देश था। १९८० के पूरे दशक के दौरान से १९९० के दशक के मध्य तक दक्षिण कोरिया की समृद्धि क्रय शक्ति जीडीपी के आधार पर औद्योगिक देशों की अंशमात्र थी। वर्ष १९८० में दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी २,३०० $ थी जो निकट के विकसित देशों जैसे सिंगापुर, हाँगकाँग और जापान का केवल एक-तिहाई थी। तबसे लेकर दक्षिण कोरिया अब एक विकसित देश में परिवर्तित हो चुका है और २०१० में इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी ३०,००० $ थी जो १९८० के स्त्तर से लगभग तेरह गुणा अधिक है। इसी समय के दौरान पूरे देश का सकल घरेलू उत्पाद भी ८८ अरब डॉलर से बढ़कर १,४६० अरब डॉलर हो गया। सन् २००९ में दक्षिण कोरिया सहायता प्राप्त करने वाले देशों से निकलकर सहायता प्रदान करने वाले देशों में सम्मिलित हो गया। २००८ और २००९ के मद्य, दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को छोड़कर विभिन्न देशों को १.७ अरब $ की सहायता राशि प्रदान की थी। दक्षिण कोरिया द्वारा उत्तर कोरिया को दी जाने वाली वार्षिक आर्थिक सहायता राशि एतिहासिक रूप से इसके ओडीए से दोगुनी रही है। .

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हिन्दू वृद्धि-दर

भारतीय अर्थव्यवस्था की 1950 से लेकर 1980 तक निम्न वृद्धि दर को हिन्दू वृद्धि दर (Hindu rate of growth) कहा जाता है। इस शब्द में "हिंदू" शब्द का प्रयोग कुछ शुरुआती अर्थशास्त्रीों द्वारा किया गया था जिसका अर्थ यह है कि हिंदुओं का भाग्यवाद में विश्वास और किसी भी चीज से संतोष करने की प्रवृत्ति भारत की अर्थव्यवस्था की धीमी गति के लिए जिम्मेदार थी। बाद के अर्थशास्त्री भारत सरकार के संरक्षणवादी और हस्तक्षेपवादी नीतियों को कम वृद्धि दर का कारण मानते हैं। यह शब्द दक्षिण कोरिया के हान नदी पर चमत्कार और ताइवान की उच्च वृद्धि दर के विपरीत स्थिति को दर्शाता है। इन एशियाई टाइगर्स की 1950 के दशक में भारत के समान आय स्तर था, तब से तेज आर्थिक विकास ने आज उन्हें विकसित देशों में बदल दिया है। यह टिप्पणी/नामकरण भारत के अर्थशास्त्री प्रो० राजकृष्णा ने व्यंग्यात्मक रूप में एक सभा में की थी। "हिंदू वृद्धि-दर" के प्रयोग की आलोचना भी की गई है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की निम्न विकास दर धर्मनिरपेक्ष नेहरूवादी समाजवाद के कारण रही, जिसका हिंदू धर्म से कोई संबंध नहीं है।http://www.livemint.com/Money/76l5Klit1s3nWARdEbD4LI/The-Nehruvian-rate-of-growth.html .

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