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चांगथंग

सूची चांगथंग

चांगथंग (तिब्बती: བྱང་ཐང་།, चीनी: 羌塘, अंग्रेज़ी: Changtang या Changthang) पश्चिमी और उत्तरी तिब्बत में स्थित एक ऊँचा पठार है जो कुछ हद तक भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी हिस्से में भी विस्तृत है।, Janet Rizvi, Oxford University Press, 2001, ISBN 9780195658170,...

6 संबंधों: चांगपा, झ़ंगझ़ुंग, न्येनचेन थंगल्हा पर्वत, रुपशू, सो मोरिरी संरक्षित आर्द्रभूमि, इउ-त्संग

चांगपा

चांगपा (Changpa) या चाम्पा तिब्बती मूल का एक बंजारा मानव समुदाय है जो भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के चांगथंग इलाके में बसते हैं। इनकी कुछ संख्या तिब्बत में आने वाले चांगथंग के भाग में भी रहती है जिनमें से कुछ को चीन की सरकार ने चांगथंग प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र की स्थापना पर ज़बरदस्ती अन्य इलाको में बसाया था। तिब्बती व लद्दाख़ी भाषाओं में "चांगपा" का अर्थ "चांग(थंग) के लोग" है। अनुमान है कि सन् १९८९ में चांगथंग में लगभग ५ लाख चांगपा रह रहे थे। .

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झ़ंगझ़ुंग

झ़ंगझ़ुंग (तिब्बती: ཞང་ཞུང་, Zhang Zhung), जिसे शंगशुंग (Shang Shung) भी उच्चारित किया जाता है, तिब्बत के पश्चिमी व पश्चिमोत्तरी इलाक़ों में एक प्राचीन संस्कृति और राज्य था। 'झ़ंगझ़ुंग' में बिन्दुयुक्त 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह 'झ' और 'ज़' दोनों से काफ़ी भिन्न है और 'टेलिविझ़न' और 'अझ़दहा' में आने वाले स्वर जैसा है। झ़ंगझ़ुंग संस्कृति कैलाश पर्वत के क्षेत्र पर केन्द्रित थी और इसका बोन धर्म से सम्बन्ध था।, Gary McCue, pp.

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न्येनचेन थंगल्हा पर्वत

न्येनचेन थंगल्हा (तिब्बती: གཉན་ཆེན་ཐང་ལྷ་, चीनी: 念青唐古拉峰, अंग्रेज़ी: Mount Nyenchen Tanglha) दक्षिणी तिब्बत में स्थित एक पर्वत है। यह पारहिमालय पर्वतमाला और उसकी न्येनचेन थंगल्हा उपशृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ है। न्येनचेन थंगल्हा इस उपशृंखला के पश्चिमी भाग में यरलुंग त्संगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी) और चांगथंग पठार की बंद जलसम्भर द्रोणियों के बीच में और नम्त्सो झील से दक्षिण में खड़ा है। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत के ल्हासा विभाग के दमझ़ुंग ज़िले में स्थित है ('दमझ़ुंग' में बिन्दुयुक्त 'झ़' का उच्चारण देखें)। इस पहाड़ का तिब्बती संस्कृति में काफ़ी महत्व है और इसका उल्लेख कई तिब्बती लोककथाओं में मिलता है। .

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रुपशू

रुपशू (Rupshu) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित एक ऊँचा पठार व घाटियों का एक भूखण्ड है। यह त्सो मोरीरी (झील) से 20 किमी से लेकर 50 किमी पश्चिमोत्तर में विस्तृत है। रुपशू की ऊँचाई 4,500 से 5,500 मीटर के बीच है। यहाँ के अधिकतर निवासी चांगपा हैं। त्सो कार नामक खारी झील भी इसी क्षेत्र में है। अगल-अलग स्रोत रुपशू की भौगोलिक परिभाषा पृथक देते हैं। कुछ के अनुसार यह पश्चिम में लेह-मनाली राजमार्ग से लेकर पूर्व में त्सो मोरीरी तक है, जिसमें चांगथंग पठारी क्षेत्र का लद्दाख़ में आने वाला इलाका भी शामिल है। त्सो मोरीरी के किनारे बसा हुआ करज़ोक रुपशू क्षेत्र की मुख्य बस्ती है। .

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सो मोरिरी संरक्षित आर्द्रभूमि

सो मोरिरी अथवा मोरिरी झील, भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में, लद्दाख क्षेत्र में चांगथंग पठार पर स्थित एक प्राकृतिक झील है। यह झील की ऊंचाई पर स्थित है। यह भारत की अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित झीलों में सबसे बड़ी है और अपनी जैवभूगोलिक विशेषताओं के कारण वर्तमान में रामसर स्थल के रूप में संरक्षित क्षेत्र है।http://www.wwfindia.org/about_wwf/what_we_do/freshwater_wetlands/our_work/ramsar_sites/tsomoriri.cfm Tso Moriri झील से पानी का निकास न होने के कारण यह एक खारे पानी की झील है और इसके जलागम का मुख्य स्रोत पहाड़ों पर कि पिघलने वाली बर्फ़ है। कुछ लोग इसे अवशिष्ट झील (remnant lake) भी मानते हैं और इसके खारे जल को पुरा कालीन टीथीज सागर का अवशेष बतलाते हैं Report of the Task Force On the Mountain Ecosystems, Environment and Forest Sector, for Eleventh Five Year Plan 2007–2012 (From web archive) .

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इउ-त्संग

इउ-त्संग (तिब्बती: དབུས་གཙང་, अंग्रेज़ी: Ü-Tsang) या त्संग-इउ तिब्बत के तीन पारम्परिक प्रान्तों में से एक है, जिन्हे तिब्बती भाषा में तिब्बत के तीन 'चोलका' कहा जाता है। अन्य दो प्रान्त खम और अम्दो हैं।, Ashild Kolas, Monika P Thowsen, pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

चांगथंग पठार, चंगथंग पठार

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