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चमार

सूची चमार

चमार अथवा चर्मकार भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली जाति समूह है। वर्तमान समय में यह जाति अनुसूचित जातियों की श्रेणी में आती है। यह जाति अस्पृश्यता की कुप्रथा का शिकार भी रही है। इस जाति के लोग परंपरागत रूप से चमड़े के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। संपूर्ण भारत में चमार जाति अनुसूचित जातियों में अधिक संख्या में पाई जाने वाली जाति है, जिनका मुख्य व्यवसाय, चमड़े की वस्‍तु बनाना था । संविधान बनने से पूर्व तक इनकोअछूतों की श्रेणी में रखा जाता था। अंग्रेजों के आने से पहले तक भारत में चमार जाति के लोगों को उपर बहुत यातनाएं तथा जु़ल्‍म किए गए। आजादी के बाद इनके उपर हो रहे ज़ुल्‍मों व यातनाओं को रोकने के लिए इनको भारत के संविधान में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया तथा सभी तरह के ज़ुल्‍मों तथा यातनाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बावजूद भी देश में कुछ जगहों पर इन जातियों तथा अन्‍य अनुसूचित जातियों के साथ यातनाएं आज भी होती हैं। .

14 संबंधों: प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति, प्रतापगढ़, राजस्थान, बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५, बिहारी लाल हरित, महार, मायावती, रामानन्दी सम्प्रदाय, लाल सिंह दिल, जाटव, वाल्मीकि समुदाय, वाल्मीकि जाति, ग्रैंड ट्रंक रोड, इटहरा, कन्हौरी

प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति

सीतामाता मंदिर के सामने एक मीणा आदिवासी: छाया: हे. शे. हालाँकि प्रतापगढ़ में सभी धर्मों, मतों, विश्वासों और जातियों के लोग सद्भावनापूर्वक निवास करते हैं, पर यहाँ की जनसँख्या का मुख्य घटक- लगभग ६० प्रतिशत, मीना आदिवासी हैं, जो राज्य में 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में वर्गीकृत हैं। पीपल खूंट उपखंड में तो ८० फीसदी से ज्यादा आबादी मीणा जनजाति की ही है। जीवन-यापन के लिए ये मीना-परिवार मूलतः कृषि, मजदूरी, पशुपालन और वन-उपज पर आश्रित हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट-संस्कृति, बोली और वेशभूषा रही है। अन्य जातियां गूजर, भील, बलाई, भांटी, ढोली, राजपूत, ब्राह्मण, महाजन, सुनार, लुहार, चमार, नाई, तेली, तम्बोली, लखेरा, रंगरेज, रैबारी, गवारिया, धोबी, कुम्हार, धाकड, कुलमी, आंजना, पाटीदार और डांगी आदि हैं। सिख-सरदार इस तरफ़ ढूँढने से भी नज़र नहीं आते.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५

बिहार की वर्तमान विधान सभा का कार्यकाल २९ नवंबर, २०१५ को खत्म हुआ। पाँच चरणों में संपन्न चुनावों के परिणाम ८ नवंबर को घोषित किये गये जिसमें राष्ट्रीय जनता दल सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी के रूप में सामने आयी और उसने ८० सीटों पर जीत हासिल की। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को ७१ सीटें मिलीं और भारतीय जनता पार्टी ५३ सीटों पर विजय प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रही। .

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बिहारी लाल हरित

कविता-अछूतों का पैगम्बर (1946),चमार हूँ मैं (1975) श्रेणी:दलित श्रेणी:दलित साहित्यकार.

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महार

महार एक प्रमुख सामाजिक समूह है जो महाराष्ट्र राज्य और आसपास के राज्यों में रहता हैं। महार समूह महाराष्ट्र में सबसे बड़ा अनुसूचित जातियों का समूह है, हिंदू जातियों में इसका स्थान दलित जाति का था। महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या में 10% महार लोक है। सभी महार आज लगभग बौद्ध बन चूके है। महार महाराष्ट्र की अनुसूचित जाति का कुल 80% हिस्सा है। महाराष्ट्र में बौद्ध एवं महार जनसंख्या 16% है। श्री आर.

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मायावती

मायावती (जन्मः १५ जनवरी १९५६; पूरा नाम: मायावती प्रभू दास) भारतीय राजनीतिज्ञ एवं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष है, जो भारतीय समाज के सबसे कमजोर वर्गों - बहुजनों या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग और धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन में सुधार के लिए सामाजिक परिवर्तन के एक मंच पर केंद्रित है। दलित राजनीति की पुरोधा भारतीय राजनीति में अपना दखल रखने वाली इस दलित महिला ने चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली।https://web.archive.org/web/20080608020955/http://www.upgov.nic.in/upinfo/cm_profile_blue%20latest.htm .

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रामानन्दी सम्प्रदाय

तीर्थयात्रा करने के बाद रामानन्द जब घर आए और गुरुमठ पहुँचे तो उनके गुरुभाइयों ने उनके साथ भोजन करने में आपत्ति की। उनका अनुमान था कि रामानन्द ने तीर्थाटन में अवश्य ही खानपान संबंधी छुआछूत का कोई विचार नहीं किया होगा। राघवानन्द ने अपने शिष्यों का यह आग्रह देखकर एक नया संप्रदाय चलाने की सलाह दे दी। यहीं से रामानन्द संप्रदाय का जन्म हुआ। इन दृष्टियों से रामानंद संप्रदाय एवं रामानुज संप्रदाय में भेद है किंतु दार्शनिक सिद्धांत से दोनों ही संप्रदाय विशिष्टाद्वैत मत के पोषक हैं। दोनों ही ब्रह्म को चिदचिद्विशिष्ट मानते हैं और दोनों ही के मत के पोषक हैं। दोनों ही ब्रह्म को चिदचिद्विशिष्ट मानते हैं और दोनों ही के मत से मोक्ष का उपाय परमोपास्य की 'प्रपत्ति' है। रामानंद संप्रदाय में निम्नलिखित बातें प्रधान हैं -.

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लाल सिंह दिल

लाल सिंह दिल (14 अप्रैल 1943–14 अगस्त 2007)नक्सलबाड़ी लहर से जुड़े पंजाबी के चर्चित दलित कवि थे जिन्हें लोग उनके कलमी नाम ‘दिल’ से जानते हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उनके तीन काव्य संग्रह मिलते हैं और उनकी आत्मकथा ‘दास्तान’ है। .

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जाटव

जाटव भारत का एक सामाजिक समूह है जिसे चमार जाति का एक भाग भी माना जाता है। यह आधुनिक भारत के सकारात्मक भेदभाव प्रणाली में अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत की जाती है जो समुदायों (दलित) में से एक मानी जाती है। यह जाति डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के पद चिह्नों को अपनी प्रेरणा मानती है और सामाजिक समता में विश्वास रखती है l .

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वाल्मीकि समुदाय

वाल्मीकि समुदाय, हिन्दू धर्म के अंतर्गत एक दलित समुदाय है, जो ऋषि वाल्मीकि पर केंद्रित है। वाल्मीकि समुदाय के लोग वाल्मीकि को ईश्वर का अवतार मानते हैं तथा उनके द्वारा रचित रामायण तथा योग वशिष्ठ को पवित्र ग्रन्थ मानते हैं। वाल्मीकि समुदाय के लोग अपने कुलनाम के रूप में नायडू या नायुडू, नाइक, डोरा, दोराबिड्डा तथा वाल्मीकि धारण करते हैं। .

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वाल्मीकि जाति

वाल्मीकि दलित समुदाय व जाति है। इनका पारम्परिक काम मल-मूत्र को साफ करना और अन्य सफाई कार्य करना होता है। इन्हें भारतीय जाति व्यवस्था में सबसे नीचा स्थान दिया जाता है और इस कारण ये बहुत शोषित वर्ग है। पंजाब में बसे चूहड़ा को भी इनका भाग माना जाता है जो सिख धर्म के मजहबी सिख अनुभाग को बनाते हैं। वाल्मीकि नाम वाल्मीकि से लिया गया है जिन्हें ये समुदाय अपना गुरू मानता है (देखें वाल्मीकि समुदाय)। इनका मूल नाम भंगी है जिसका अर्थ भांग पीने वाला होता है। लेकिन ये अब अपमानजनक माना जाता है और इसका उपयोग सामाजिक रूप से सही नहीं माना जाता है। कुछ वाल्मीकि अपने को हरिजन कहलाना भी पसंद करते हैं। वाल्मीकि आज भी साफ सफाई का कार्य ही करते हैं और ये उनका रोजगार का मुख्य हिस्सा है। उनके कई सगंठन भी मौजूद है जो सरकारी नौकरी में इस कार्य में किसी और जाति के लोगों के आगमन का विरोध करते हैं। .

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ग्रैंड ट्रंक रोड

ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगाँव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफ़ग़ानिस्तान में काबुल तक जाता है। पुराने समय में इसे, उत्तरपथ,शाह राह-ए-आजम,सड़क-ए-आजम और बादशाही सड़क के नामों से भी जाना जाता था। यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुँह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था। आधुनिक सड़क की पूर्ववर्ती का पुनःनिर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सड़क का काफी हिस्सा १८३३-१८६० के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। .

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इटहरा

इटहरा एक गाँव है और ये उत्तर प्रदेश के संत रविदास नगर जिला के डीघ मंडल में स्थित है यह जिला मुख्यालय से करीब ३५ किलोमीटर दूर है, ये गाँव गंगा नदी से तीनो दिशाओं से घिरी हुई है। प्रसिद्ध मंदिर बाबा गंगेश्वरनाथ धाम इसी गाँव में है। ये गाँव बहुत ही विकसित गाँव था। कोनिया क्षेत्र में मात्र इसी गाँव में बाजार हुआ करता था, कोनिया क्षेत्र के लोग यही से खरीदारी करते थे। इसे आज भी सरकारी तौर पर ग्रामीण बाजार का दर्जा प्राप्त है। धीरे धीरे गाँव की जनसँख्या में वृद्धि हुई और लोग रोजगार की तलाश में बाहर जाने लगे जैसे मुंबई, दिल्ली, कोलकाता,सूरत और बचे हुए लोग भी गाँव की पुरानी बस्ती से बाहर अपना घर बनाने लगे जिससे इस गाँव का दायरा लगभग ३ किलोमीटर से ज्यादा हो गया। आज ये गाँव ३ किलोमीटर के दायरे से ज्यादा में बसा हुआ है। इस गाँव में सबसे बड़ी संख्या में बिसेन राजपूत है क्योंकि ये गाँव इन्ही के द्वारा बसाया गया था। उसके बाद बड़ी संख्या में क्रमश: ब्राह्मण, पासी, चमार,यादव मौजूद है। कायस्थ, बनिया, नाई, कुम्हार, कहार, मुसलमान, पुष्पाकर (माली), चौरसिया (बरई),धोबी, तेली (गुप्ता),मुसहर जाति ये जातियां भी इस गाँव में मौजूद है। सामाजिक तौर पर ये गाँव आज भी काफी विकसित है। इस गाँव में एक इंटर कॉलेज और एक महिला महाविद्यालय भी है। "गंग सकल मुद मंगल मुला। गाँव इटहरा सुर सरि तिरा।।" .

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कन्हौरी

कन्हौरी गांव भारत देश के हरियाणा राज्य में जिला रेवाड़ी का एक माध्यम आकार का सीमावर्ती गाँव है। .

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