4 संबंधों: चार साहिबज़ादे, चार साहिबज़ादे (फ़िल्म), शरन कौर पाबला, ज़फ़रनामा।
चार साहिबज़ादे
चार साहिबज़ादे शब्द का प्रयोग सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने हेतु किया जाता है। छोटे साहिबजादे “निक्कियां जिंदां, वड्डा साका”....
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चार साहिबज़ादे (फ़िल्म)
चार साहिबज़ादे 2014 में हैरी बावेजा द्वारा निर्देशित एक पंजाबी 3डी एनिमेटिड फिल्म है। यह सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह के बलिदान पर आधारित है। फिल्म का निर्माण बावेजा मूवीज़ के बैनर तले पम्मी बावेजा द्वारा किया गया। ओम पुरी ने इस फिल्म में सूत्रधार के रूप में आवाज़ दी है। अन्य पात्रों को आवाज़ देने वाले कलाकारों का नाम गुप्त रखा गया है। .
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शरन कौर पाबला
शरन कौर पाबला एक सिख बलिदानी स्त्री थीं जिन्हें १७०५ ई में चमकौर के युद्ध के बाद गुरु गोबिन्द सिंह के दो पुत्रों का दाह संस्कार करते समय मुगल सैनिकों ने मार दिया था। वह रायपुर गाँव की निवासी थीं जो चमकौर से २ किमी दूरी पर स्थित है। श्रेणी:सिख बलिदानी.
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ज़फ़रनामा
ज़फ़रनामा अर्थात 'विजय पत्र' गुरु गोविंद सिंह द्वारा मुग़ल शासक औरंगज़ेब को लिखा गया था। ज़फ़रनामा, दसम ग्रंथ का एक भाग है और इसकी भाषा फ़ारसी है। भारत के गौरवमयी इतिहास में दो पत्र विश्वविख्यात हुए। पहला पत्र छत्रपति शिवाजी द्वारा राजा जयसिंह को लिखा गया तथा दूसरा पत्र गुरु गोविन्द सिंह द्वारा शासक औरंगज़ेब को लिखा गया, जिसे ज़फ़रनामा अर्थात 'विजय पत्र' कहते हैं। नि:संदेह गुरु गोविंद सिंह का यह पत्र आध्यात्मिकता, कूटनीति तथा शौर्य की अद्भुत त्रिवेणी है। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में ५२ कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय प्रतीक थे। .