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चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सूची चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

17 संबंधों: नौतम भट्ट, प्रेसीडेंसी कालिज, चेन्नई, भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं की सूची, भारत रत्‍न, भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता, भारतीय विज्ञान अकादमी, रमण प्रभाव, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, श्रीनिवास कृष्णन, सी॰ एन॰ आर॰ राव, विक्रम अंबालाल साराभाई, इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स, केदारेश्वर बनर्जी, अन्ना मणी, २१ नवम्बर, ७ नवम्बर

नौतम भट्ट

भारतीय विज्ञान डॉ नौतम भट्ट (१९०९ - २००५) भारत के एक रक्षा वैज्ञानिक थे। उन्होने भारत को रक्षा-सामग्री के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अग्‍नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, ब्रह्मोस, धनुष, तेजस, ध्रुव, पिनाका, अर्जुन, लक्ष्य, निशान्त, इन्द्र, अभय, राजेन्द्र, भीम, मैसूर, विभुति, कोरा, सूर्य आदि भारतीय शस्त्रों के विकास में उनका अद्वितीय योगदान रहा। उन्हें भारत के रक्षा अनुसंधान की नीव रखने वाला वैज्ञानिक माना जाता है। .

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प्रेसीडेंसी कालिज, चेन्नई

प्रेसीडेंसी कालिज चेन्नई का एक कॉलिज है। यह भी माना जाता है, कि यही महाविद्यालय चेन्नई विश्वविद्यालय का उद्गम था। .

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत के प्रथम रिएक्टर '''अप्सरा''' तथा प्लुटोनियम संस्करण सुविधा का अमेरिकी उपग्रह से लिया गया चित्र (१९ फरवरी १९६६) भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं। इन आधुनिक वैज्ञानिक खोजों की दौड़ में भारत के जगदीश चन्द्र बसु, प्रफुल्ल चन्द्र राय, सी वी रमण, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रशान्त चन्द्र महलनोबिस, श्रीनिवास रामानुजन्, हरगोविन्द खुराना आदि का वनस्पति, भौतिकी, गणित, रसायन, यांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है। .

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भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं की सूची

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इस पुरस्कार को पाने वालों की सूची निम्न है: .

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भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

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भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता

भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता में भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता का नाम है। नोबेल पुरस्कार नोबेल फैडरेशन के द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाता है। जो शांति, साहित्य, भौतिकी, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र, रसायन के क्षेत्र में दिया जाता है। .

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भारतीय विज्ञान अकादमी

भारतीय विज्ञान अकादमी, बंगलुरू (The Indian Academy of Sciences, Bangalore) की स्थापना चंद्रशेखर वेंकट रमन ने की थी। यह एक सोसायटी के रूप में २४ अप्रैल १९३४ को पंजीकृत हुई और ६५ संस्थापक फेलों के साथ ३१ जुलई, १९३४ को आरम्भ हुई। यह अकादमी बंगलुरू में स्थित है। .

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रमण प्रभाव

रमण प्रकीर्णन या रमण प्रभाव फोटोन कणों के लचीले वितरण के बारे में है। इसकी खोज प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक श्री सी वी रमन ने की थी। रमन प्रभाव के अनुसार, जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार चन्द्रशेखर वेंकटरमन को उनके इस खोज के लिए प्रदान किया गया था। रमन की पूरी शिक्षा-दीक्षा भारत में ही हुई। स्वयं २०० रु.

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फ़रवरी को भारत में मनाया जाता है। 28 फ़रवरी सन् 1928 को सर सी वी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य तरुण विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। महत्त्वपूर्ण आयोजनों में वैज्ञानिकों के भाषण, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि सम्मिलित हैं। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेष पुरस्कार भी रखे गए हैं। .

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श्रीनिवास कृष्णन

भारतीय भौतिकविद् श्रीनिवास कृष्णन कार्यमाणिवकम् श्रीनिवास कृष्णन् (Sir Kariamanickam Srinivasa Krishnan, FRS; 4 दिसम्बर 1898 – 14 जून 1961) भारत के प्रख्यात भौतिक विज्ञानी थे। रमन प्रभाव की खोज में सी वी रमन के साथ वे भी सम्मिलित थे जिसके लिये सी वी रमन को १९३० में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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सी॰ एन॰ आर॰ राव

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (कन्नड़: ಚಿಂತಾಮಣಿ ನಾಗೇಶ ರಾಮಚಂದ್ರ ರಾವ್) जिन्हें सी॰ एन॰ आर॰ राव के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय रसायनज्ञ हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। डॉ॰ राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है। उन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। वर्ष 2013 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। सी वी रमण और ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं। .

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विक्रम अंबालाल साराभाई

विक्रम अंबालाल साराभाई (१२ अगस्त, १९१९- ३० दिसंबर, १९७१) भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने ८६ वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं ४० संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ॰ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता। यह जगप्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया। .

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इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स

आई ए सी एस का प्रतीकचिह्न इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स (IACS) भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अन्तर्गत एक स्वायत्त शोध संस्थान है। इसकी संस्थापना 29 जुलाई 1876 को डॉ महेन्द्रलाल सरकार ने की थी। यह भारत का प्राचीनतम शोध संस्थान है। यह संस्थान भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, उर्जा, बहुलक तथा पदार्थों के सीमांतवर्ती क्षेत्रों में मौलिक शोध कार्य में समर्पित है। प्रत्येक क्षेत्र में आई ए सी एस युवा एवं प्रगतिशील शोध अध्येताओं का उनके डॉक्टरॉल कार्यक्रमों में उचित पोषण करती है। चन्द्रशेखर वेंकट रमन आई ए सी एस में 1907 से 1933 तक भौतिकी के विविध विषयों पर शोध कार्य करते रहे तथा 1928 में उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन के प्रभाव पर अपना बहुचर्चित आविष्कार किया जिसने उन्हें ख्याति के साथ अनेक पुरस्कार भी दिलवाए जिनमें 1930 में प्राप्त नोबेल पुरस्कार भी शामिल है। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने 1998 में रमन प्रभाव को 'अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक रासायनिक युगांतकारी घटना' की स्वीकृति प्रदान की है। .

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केदारेश्वर बनर्जी

प्रोफेसर केदारेश्वर बनर्जी केदारेश्वर बनर्जी (15 सितम्बर, 1900 – 30 अप्रैल, 1975) एक एक्स-किरण क्रिस्टलोग्राफर तथा कोलकाता के इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स के निदेशक थे। क्रिस्टिलोग्राफी के विकास में प्रो.

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अन्ना मणी

अन्ना मणि (23 अगस्त 1918 – 16 अगस्त 2001) एक भारतीय भौतिक और मौसम वैज्ञानिक थीं। वह भारत के मौसम विभाग के उप-निदेशक थीं। उन्होने मौसम विज्ञान उपकरणों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किए हैं; सौर विकिरण, ओज़ोन और पवन ऊर्जा माप के विषय में अनुसन्धान किया है और कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। .

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२१ नवम्बर

२१ नवम्बर ग्रीगोरी पंचाग का ३२५वां (लीप वर्ष में ३२६वां) दिन है। इसके बाद वर्षान्त तक ४० दिन और बचते हैं। .

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७ नवम्बर

७ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३११वॉ (लीप वर्ष में ३१२ वॉ) दिन है। साल में अभी और ५४ दिन बाकी है। .

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