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घड़ी

सूची घड़ी

एक घड़ी घड़ी वह यंत्र है जो संपूर्ण स्वयंचालित प्रणाली द्वारा किसी न किसी रूप में वर्तमान समय को प्रदर्शित करती है। घड़ियाँ कई सिद्धान्तों से बनायी जाती हैं। जैसे धूप घड़ी, यांत्रिक घड़ी, एलेक्ट्रॉनिक घड़ी आदि अधिकतर घड़ियों में नियमित रूप से आवर्तक (recurring) क्रियाएँ उत्पन्न करने की स्वयंचालित व्यवस्था होती है, जैसे लोलक का दोलन, सर्पिल कमानियों (spiral springs) तथा संतुलन चक्रों (balancewheels) को दोलन, दाबविद्युत् मणिभों (piezo-electric crystals) का दोलन, अथवा उच्च आवृत्तिवाले संकेतों की परमाणुओं की मूलअवस्था की अतिसूक्ष्म संरचना (hyperfine structure) से तुलना इत्यादि। प्राचीन काल में धूप के कारण पड़नेवाली किसी वृक्ष अथवा अन्य स्थिर वस्तु की छाया के द्वारा समय के अनुमान किया जाता था। ऐसी धूपधड़ियों का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से होता आ रहा है जिनमें आकाश में सूर्य के भ्रमण के करण किसी पत्थर या लोहे के स्थिर टुकड़े की परछाई की गति में होनेवाले परिवर्तन के द्वारा "घड़ी" या "प्रहर" का अनुमान किया जाता था। बदली के दिनों में, अथवा रात में, समय जानने के लिय जल घड़ी का आविष्कार चीन देशवासियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पहले किया था। कालांतर में यह विधि मिस्रियों, यूनानियों एवं रोमनों को भी ज्ञात हुई। जलघड़ी में दो पात्रों का प्रयोग होता था। एक पात्र में पानी भर दिया जाता या और उसकी तली में छेद कर दिया जाता था। उसमें से थोड़ा थोड़ा जल नियंत्रित बूँदों के रूप में नीचे रखे हुए दूसरे पात्र में गिरता था। इस पात्र में एकत्र जल की मात्रा नाप कर समय अनुमान किया जाता था। बाद में पानी के स्थान पर बालू का प्रयोग होने लगा। इंग्लैंड के ऐल्फ्रेड महान ने मोमबत्ती द्वारा समय का ज्ञान करने की विधि आविष्कृत की। उसने एक मोमबत्ती पर, लंबाई की ओर समान दूरियों पर चिह्र अंकित कर दिए थे। प्रत्येक चिह्र तक मोमबत्ती के जलने पर निश्चित समय व्यतीत होने का ज्ञान होता था। यांत्रिक घड़ियों में अनेक पहिए होते हैं, जो किसी कमानी, लटकते हुए भार अथवा अन्य उपायों द्वारा चलाए जाते हैं। इन्हें किसी दोलनशील व्यवस्था द्वारा इस प्रकार निंयत्रित किया जाता है कि इनकी गति समांग (uniform) होती है। इनके साथ ही इसमें घंटी या घंटा (gong) भी होता है, जो निश्चित अवधियों पर स्वयं ही बज उठता है और समय की सूचना देता है। .

25 संबंधों: ऊष्मातापी, एडिडास, दक्षिणावर्त, पेंगुइन, बम, ब्लैक फॉरेस्ट (काला वन), मशीन सारावली, मुहूर्त, यंत्र, यूरोपीय ज्ञानोदय, लाउडस्पीकर, लोलक घड़ी, समय, समय मापन प्रौद्योगिकी की समयरेखा, समयमापन, सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण, स्वनानुकरणात्मक, घटीयंत्र, घड़ियों का इतिहास, घड़ीसाज़, विद्युत-मापी, विराम घड़ी, ग्रेफाइट, कालमापी, काललेखी

ऊष्मातापी

हनीवेल का स्तुत्य "द राउंड" मॉडल T87 थर्मोस्टैट, जिनमें से एक स्मिथसोनियन में है। लक्स उत्पाद का मॉडल TX900TS टच स्क्रीन थर्मोस्टैट. भवनों के लिए द्विधात्विक थर्मोस्टैट ऊष्मातापी किसी तंत्र के तापमान को नियमित बनाये रखने का एक उपकरण है ताकि तंत्र का तापमान एक वांछित निश्चित बिंदु के आसपास बना रहे। यह नाम ग्रीक शब्दों थर्मो यानि की "गर्म" और स्टेटोस यानि की "एक नियत" से लिया गया है। ऊष्मातापी, यह कार्य तापक और शीतलक उपकरणों को चालू या बंद, या सही तापमान बनाये रखने के लिए ऊष्मा हस्तांतरण द्रव के प्रवाह को आवश्यकतानुसार नियमित करके करता है। एक ऊष्मातापी एक तापक और शीतलक तंत्र की एक नियंत्रण इकाई या एक हीटर या वातानुकूलक का एक घटक हिस्सा हो सकता है। ऊष्मातापी कई तरह से बनाया जा सकता है और तापमान को मापने के लिए विभिन्न प्रकार के संवेदकों का उपयोग कर सकता है। तब संवेदक का निर्गम तापक और शीतलक उपकरण को नियंत्रित करता है। पहला विद्युत कक्ष ऊष्मातापी 1883 में वारेन एस.

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एडिडास

(registered in 1949) | founder .

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दक्षिणावर्त

दक्षिणावर्त (कलॉकवाइज़) का अर्थ इस प्रकार घूमना है कि घूमने की दिशा दाहिने हाथ (दक्षिण हस्त) की तरफ हो, अर्थात घड़ी की सुइयों के घूमने की दिशा। date.

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पेंगुइन

पेंगुइन (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं। हालांकि सभी पेंगुइन प्रजातियां दक्षिणी गोलार्द्ध की मूल निवासी हैं, लेकिन ये केवल अंटार्कटिक जैसे ठंडे मौसम में ही नहीं पाई जातीं. वास्तव में, पेंगुइन की कुछ प्रजातियों में अब केवल कुछ ही दक्षिण में रहती हैं। कई प्रजातियां शीतोष्ण क्षेत्र में पाई जाती हैं और एक प्रजाति गैलापागोस पेंगुइन भूमध्य रेखा के पास रहती है। सबसे बड़ी जीवित प्रजाति एम्परर पेंगुइन (एप्टेनोडाईट्स फ़ोर्सटेरी): है - वयस्क की उंचाई औसतन 1.1 मी (3 फुट 7 इंच) लंबा और वजन 35 किलोग्राम (75 पौंड) होता है। सबसे छोटी प्रजाति लिटिल ब्लू पेंगुइन (यूडिपटुला माइनर), फेयरी पेंगुइन के नाम से भी जानी जाती है, की उंचाई लगभग 40 सेमी (16 इंच) और वजन 1 किलोग्राम (2.2 पौंड) होता है। वर्तमान में पाए जाने वाले पेंगुइनों में, बड़े पेंगुइन ठंडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि छोटे पेंगुइन आम तौर पर शीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी पाए जाते हैं (इसे भी देखें बर्गमैन'ज़ रूल). कुछ प्रागैतिहासिक प्रजातियां आकार में व्यस्क मानव जितनी उंची तथा वजनी थीं (अधिक जानकारी के लिए नीचे देखें). ये प्रजाति अंटार्कटिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी; बल्कि इसके विपरीत, अंटार्कटिक उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में ज्यादा विविधता मिलती थी और कम से कम एक विशाल पेंगुइन उस क्षेत्र में मिला है जो भूमध्य रेखा के 35 से 2000 किमी दक्षिण से ज्यादा दूर नहीं था तथा जहां का वातावरण आज के अपेक्षाकृत ज्यादा गरम था। .

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बम

विशाल आयुध एयर ब्लास्ट (मोआब) संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादित बम दुनिया का एक सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बमें हैं। बम विस्फोटक उपकरणों का कोई एक प्रकार है, जो आमतौर पर एक अत्यंत तेज और प्रबल उर्जा निर्गमन उत्पन्न करने के लिए विस्फोटक सामग्री की उष्माक्षेपी (एक्सोथर्मिक) रासायनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। यह शब्द ग्रीक शब्द βόμβος (बम्बोस) से आया है, यह एक अनुकरणात्मक शब्द है, जिसका अर्थ अंग्रेजी के 'बूम' शब्द के लगभग समान है। एक परमाणु हथियार बहुत बड़े परमाणु-आधारित विस्फोट को करने के लिए रसायनिक-आधारित विस्फोटकों का प्रयोग करता है। "बम" शब्द को आमतौर पर नागरिक उद्देश्यों जैसे निर्माण या खनन के लिए प्रयोग की जाने वाली विस्फोटक उपकरणों पर लागू नहीं किया जाता है, यद्यपि लोग इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए इसे बम के रूप में संदर्भित करते हैं। सैन्य में "बम" या विशेष रूप से हवाई बम इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर हवा से गिराये गए बम के संदर्भ में होता है, यह एक संचालनरहित विस्फोटक हथियार है जिसका सबसे ज्यादा प्रयोग वायु सेना और नौसेना के विमानन द्वारा किया जाता हैं। अन्य सैन्य विस्फोटक हथियार जिन्हें "बम" के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया हैं उनमें ग्रेनेड, गोला (शेल्स), जलबम (पानी में प्रयुक्त), स्फोटक शीर्ष जब मिसाइलों में रहती हैं, या बारूदी सुरंग शामिल हैं। अपरंपरागत युद्ध में, "बम" को आक्रामक हथियार के रूप में या विस्फोटक उपकरणों के असीमित कोई एक प्रकार के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। .

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ब्लैक फॉरेस्ट (काला वन)

हरे रंग में ब्लैक फॉरेस्ट को दिखाता हुआ जर्मनी का नक्शा. ब्लैक फॉरेस्ट (Schwarzwald), दक्षिण-पश्चिम जर्मनी के बादेन-वुर्टेमबर्ग में स्थित एक वनाच्छादित पर्वत श्रृंखला है। इसकी दक्षिणी और पश्चिमी सीमाओं पर राइन घाटी स्थित है। 1493 मीटर (4898 फीट) की ऊंचाई के साथ फेल्डबर्ग इसका सबसे उंचा शिखर है। लंबाई तथा चौड़ाई के साथ यह क्षेत्र लगभग पूरी तरह से आयताकार है। इसलिए इसका क्षेत्रफल लगभग है। श्वार्जवाल्ड नाम (अर्थात ब्लैक फॉरेस्ट) रोमनों द्वारा दिया गया है जो वहां स्थित घने जंगलों वाले पर्वत को सिल्वा निग्रा अर्थात "ब्लैक फॉरेस्ट" कहते थे क्योंकि उसके अंदर के घने शंकुवृक्षों के कारण वन में प्रकाश प्रवेश नहीं कर पाता था। .

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मशीन सारावली

उन युक्तियों को मशीन (Machine) कहते हैं जो कोई उपयोगी कार्य करती हैं या करने में मदद करतीं हैं। सभी मशीनें प्राय: उर्जा लेकर (निवेश) कार्य करतीं हैं। नीचे मशीनों की सारावली दी गयी है जो मशीनों एवं उनसे सम्बन्धित उपविषयों पर एक विहंगम दृष्टि प्रस्तुत करती है। .

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मुहूर्त

हिन्दू धर्म में मुहूर्त एक समय मापन इकाई है। वर्तमान हिन्दी भाषा में इस शब्द को किसी कार्य को आरम्भ करने की शुभ घड़ी को कहने लगे हैं। एक मुहूर्त बराबर होता है दो घड़ी के, या लगभग 48 मिनट के.

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यंत्र

जेम्स अल्बर्ट बोनसैक द्वारा सन् १८८० में विकसित मशीन; यह मशीन प्रति घण्टे लगभग २०० सिगरेट बनाती थी। कोई भी युक्ति जो उर्जा लेकर कुछ कार्यकलाप करती है उसे यंत्र या मशीन (machine) कहते हैं। सरल मशीन वह युक्ति है जो लगाये जाने वाले बल का परिमाण या दिशा को बदल दे किन्तु स्वयं कोई उर्जा खपत न करे। .

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यूरोपीय ज्ञानोदय

''जो कुछ आप जानते हैं उसका प्रसार कीजिये। आप जो नहीं जानते उसकी खोज कीजिये।'' - Encyclopédie के १७७२ के संस्करण में आंकित यूरोप में १६५० के दशक से लेकर १७८० के दशक तक की अवधि को प्रबोधन युग या ज्ञानोदय युग (Age of Enlightenment) कहते हैं। इस अवधि में पश्चिमी यूरोप के सांस्कृतिक एवं बौद्धिक वर्ग ने परम्परा से हटकर तर्क, विश्लेषण तथा वैयक्तिक स्वातंत्र्य पर जोर दिया। ज्ञानोदय ने कैथोलिक चर्च एवं समाज में गहरी पैठ बना चुकी अन्य संस्थाओं को चुनौती दी। .

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लाउडस्पीकर

एक सस्ता, कम विश्वस्तता 3½ इंच स्पीकर, आमतौर पर छोटे रेडियो में पाया जाता है। एक चतुर्मार्गी, उच्च विश्वस्तता लाउडस्पीकर सिस्टम. एक लाउडस्पीकर (या "स्पीकर") एक विद्युत-ध्वनिक ऊर्जा परिवर्तित्र है, जो वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलता है तथा वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है। श्रवण क्षेत्रों की ध्वनिकी के बाद, लाउडस्पीकर (तथा अन्य विद्युत-ध्वनि ऊर्जा परिवर्तित्र) आधुनिक श्रव्य प्रणालियों में सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व हैं तथा ध्वनि प्रणालियों की तुलना करते समय प्रायः यही सर्वाधिक विरूपणों और श्रव्य असमानताओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। .

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लोलक घड़ी

साधारण लोलक घडी लोलक घड़ी (pendulum clock) वह घड़ी है जिसमें समय प्रदर्शित करने वाली प्रणाली का चालन एक लोलक की सहायता से होता है। इसका आविष्कार सन १६५६ में क्रिश्चियन हाइगेंस ने किया था। तब से आरम्भ करके लगभग १९३० तक यह संसार की सर्वाधिक शुद्ध समयदर्शी तंत्र था। आजकल इन्हें सजावटी सामान एवं पुरातन सामान के रूप में प्रयोग किया जाता है। लोलक घड़ी वस्तुतः एक अनुनादी युक्ति है जो अपनी लम्बाई के अनुसार एक निश्चित दर से दोलन करती है तथा किसी अन्य दर से दोलन का विरोध करती है। किन्तु यह स्थिर अवस्था में कार्य करने के लिये ही उपयुक्त है। किसी गतिशील एवं त्वरित होने वाली चीज में यह सही समय नहीं बता पायेगी। पेंडुलम घडी की कार्यविधि .

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समय

समय मापने की प्राचीन (किन्तु मेधापूर्ण) तरीका: '''रेतघड़ी''' समय (time) एक भौतिक राशि है। जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय नापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है। सापेक्षवाद के अनुसार समय दिग्देश (स्पेस) के सापेक्ष है। अत: इस लेख में समयमापन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति से उत्पन्न दिग्देश के सापेक्ष समय से लिया जाएगा। समय को नापने के लिए सुलभ घटीयंत्र पृथ्वी ही है, जो अपने अक्ष तथा कक्ष में घूमकर हमें समय का बोध कराती है; किंतु पृथ्वी की गति हमें दृश्य नहीं है। पृथ्वी की गति के सापेक्ष हमें सूर्य की दो प्रकार की गतियाँ दृश्य होती हैं, एक तो पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी की परिक्रमा तथा दूसरी पूर्व बिंदु से उत्तर की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाकर, कक्षा का भ्रमण। अतएव व्यावहारिक दृष्टि से हम सूर्य से ही काल का ज्ञान प्राप्त करते हैं। .

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समय मापन प्रौद्योगिकी की समयरेखा

* 3000 BC सिन्धु घाटी की सभ्यता में दाशमिक तौल के बाटों का उपयोग होता था।.

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समयमापन

जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय नापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है। सापेक्षवाद के अनुसार समय दिग्देश के सापेक्ष है। अत: इस लेख में समयमापन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति से उत्पन्न दिग्देश के सापेक्ष समय से लिया जाएगा। समय को नापने के लिए सुलभ घटीयंत्र पृथ्वी ही है, जो अपने अक्ष तथा कक्ष में घूमकर हमें समय का बोध कराती है; किंतु पृथ्वी की गति हमें दृश्य नहीं है। पृथ्वी की गति के सापेक्ष हमें सूर्य की दो प्रकार की गतियाँ दृश्य होती हैं, एक तो पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी की परिक्रमा तथा दूसरी पूर्व बिंदु से उत्तर की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाकर, कक्षा का भ्रमण। अतएव व्यावहारिक दृष्टि से हम सूर्य से ही काल का ज्ञान प्राप्त करते हैं। .

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सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण

सामान्य चिकित्सा और क्लिनिकों (अर्थात् आंतरिक चिकित्सा और बाल रोग) में प्रयुक्त उपकरण इस प्रकार हैं: .

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स्वनानुकरणात्मक

स्वनानुकरणात्मक या ध्वनि-अनुकरणात्मक (अंग्रेजी:Onomatopoeia) शब्द वो शब्द होते हैं जिनका, उच्चारण उनके अर्थ का द्योतक होता है। दूसरे शब्दों में यह वो शब्द होते हैं जो जिनका उच्चारण उनसे संबद्ध वस्तु से मिलता है या यह किसी ध्वनि का अनुकरण करते हैं। इनके उदाहरण हैं, घड़ी की टिक टिक, गट गट करके पानी पीना, जानवरों और पक्षियों द्वारा की जाने वाली ध्वनियां जैसे कि बिल्ली की म्याऊं या कबूतर की गुटरगूं आदि। स्वनानुकरणात्मक शब्द सभी भाषाओं में समान नहीं होते हैं; ये कुछ हद तक उस व्यापक भाषाई प्रणाली के अनुरूप होते हैं जिसका कि यह हिस्सा होते हैं: इसीलिए किसी घड़ी की आवाज जो हिन्दी में टिक टिक होती है वही अंग्रेजी में टिक टॉक, चीनी में दि दा और जापानी में कैचिन कैचिन होती है। स्वनानुकरणात्मक शब्दों का प्रयोग कॉमिक्स में बहुतायत से होता है। .

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घटीयंत्र

गीयर और इस्केप मेकैनिज्म १९०४ में निर्मित एक दीवाल घड़ी की मेकेनिज्म घटीयंत्र (clockwork) वह मेकैनिज्म है जिसके द्वारा यांत्रिक घड़ी चलती है। घटीयंत्र का उपयोग अन्य युक्तियों में भी किया जाता है। घटीयंत्र में गीयरों की जटिल शृंखला लगी रहती है। .

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घड़ियों का इतिहास

घड़ी-उद्योग की विकासपरंपरा को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है: सबसे पुरानी घड़ी, 1530 की 1.

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घड़ीसाज़

मध्यकालीन यूरोप में घड़ीसाज़ों का सन् १५६८ में बना चित्र घड़ीसाज़ ऐसे व्यक्ति को बुलाया जाता है जो घड़ियाँ बनाता हो या उनकी मरम्मत करता हो। आधुनिक काल में लगभग सारी घड़ियाँ कारख़ानों में बनती हैं, इसलिए घड़ीसाज़ ज़्यादातर घड़ियों की मरम्मत का काम ही करते हैं। पुराने ज़माने में सारी घड़ियाँ हाथ से बनाई जाती थी और घड़ीसाज़ी को एक ऊंचे दर्जे की कला माना जाता था। .

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विद्युत-मापी

विद्युत-मापी (Electricity meters) या 'ऊर्जामापी' सामान्यत: उन सभी उपकरणों को कहा जाता है विद्युत ऊर्जा का माप करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। विद्युत-मापी प्रायः किलोवाट-घण्टा (kWh) में अंशांकित (कैलिब्रेटेड) होते हैं। कुछ विद्युत् मापी विशेष कार्यों के लिए व्यवस्थित होते हैं, जैसे महत्तम माँग संसूचक (Maximum Demand indicator), जिसमें मीटर के साथ ऐसा काल अंशक होता है जो निश्चित अवधि में अधिकतम ऊर्जा का निर्देश करे। कुछ विद्युत-मापी ऐसे भी होते हैं जो महत्तम लोड (पीकलोड) के समय में स्वयं लोड को काट दें। .

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विराम घड़ी

समय गणना यंत्र प्रयोगशाला, खेल के मैदान तथा ओलम्पिक खेलों में जिस घड़ी का उपयोग होता है, उसे समय गणना यंत्र कहते हैं। इस घड़ी को इच्छानुसार चलाया या बन्द किया जा सकता है। विराम घड़ी की सहायता से सेकेंड के एक पंचमांश अथवा एक दशमांश तक का समय मापा जा सकता है। श्रेणी:यंत्र.

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ग्रेफाइट

ग्रेफाइट ग्रेफाइट कार्बन का एक बहुरूप है। काले भूरे रंग का यह अधातु सिंहल, साइबेरिया, अमेरिका के केलिफोर्निया, कोरिया, न्यूजीलैण्ड तथा इटली में पाया जाता है। इसमें एक विशेष प्रकार की चमक पायी जाती है एवं यह विद्युत तथा ताप का सुचालक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.25 है। यह 7000C पर जलकर कार्बन डाई-आक्साइड बनाता है। .

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कालमापी

जेरेमी थैकर का कालमापी कालमापी (Chronometer) एक विशेष प्रकार की घड़ी है जो बहुत सच्चा समय बताती है। इसका समय ग्रिनिच के स्थानीय समय से मिलाकर रखा जाता है, जिससे जहाज पर ग्रिनिच समय तुरंत जाना जा सकता है। सेक्सटैंट (Sextant) से सूर्य की स्थिति नापकर जहाज जिस स्थान पर है वहाँ का स्थानीय समय ज्ञात किया जा सकता है। स्थानीय समय और ग्रिनिच समय के अंतर से देशांतर की गणना की जा सकती है। देशांतरों में एक अंश का अंत पड़ने पर स्थानीय समयों में चार मिनट का अंतर पड़ता है। .

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काललेखी

एलेक्टा पॉकेट काललेखी (1890) काललेखी (chronograph) एक विशेष प्रकार की घड़ी होती है जिसे 'स्टोप वाच' के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। किन्तु मूलतः काललिख ऐसा यन्त्र था जिसमें समय को कागज या फीते पर 'लिखने' की व्यवस्था थी। .

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