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ग्रीनहाउस गैस

सूची ग्रीनहाउस गैस

वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आठ विभिन्न क्षेत्रों से, वर्ष २००० में ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।। दैनिक भास्कर।।६ दिसंबर, २००७। एनएन सच्चिदानंद। श्रेणी:कार्बन श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना eo:Forceja efika gazo.

24 संबंधों: ध्रुवीय भालू, परमाणु ऊर्जा के पर्यावरणीय प्रभाव, पर्यावरण अभियांत्रिकी, पुनर्चक्रण, फ़्लोरिडा, भूमंडलीय ऊष्मीकरण, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भूगोल शब्दावली, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, मोटरवाहन, यूरोपीय उत्सर्जन मानक, समुद्री प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-रियो,क्योटो,बाली, वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस प्रभाव, ओजोन ह्रास, कार्बन फुटप्रिंट, कार्बन कर, कार्बन-न्यूट्रल ईंधन, कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन, उत्सर्जन व्यापार, १४ दिसम्बर

ध्रुवीय भालू

ध्रुवीय भालू (उर्सूस मारीटिमस) एक ऐसा भालू है जो आर्कटिक महासागर, उसके आस-पास के समुद्र और आस-पास के भू क्षेत्रों को आवृत किये, मुख्यतः आर्कटिक मंडल के भीतर का मूल वासी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मांसभक्षी है और सर्वाहारी कोडिअक भालू के लगभग समान आकार के साथ, यह सबसे बड़ा भालू भी है। एक वयस्क नर का वज़न लगभग होता है, जबकि एक वयस्क मादा उसके करीब आधे आकार की होती है। हालांकि यह भूरे भालू से नज़दीकी रूप से संबंधित है, लेकिन इसने विकास करते हुए संकीर्ण पारिस्थितिकीय स्थान हासिल किया है, जिसके तहत ठंडे तापमान के लिए, बर्फ, हिम और खुले पानी पर चलने के लिए और सील के शिकार के लिए, जो उसके आहार का मुख्य स्रोत है, अनुकूलित कई शारीरिक विशेषताएं हैं। यद्यपि अधिकांश ध्रुवीय भालू भूमि पर जन्म लेते हैं, वे अपना अधिकांश समय समुद्र पर बिताते हैं (अतः उनके वैज्ञानिक नाम का अर्थ है "समुद्री भालू") और केवल समुद्री बर्फ से लगातार शिकार कर सकते हैं, जिसके लिए वे वर्ष का अधिकांश समय जमे हुए समुद्र पर बिताते हैं। ध्रुवीय भालू को एक नाज़ुक प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी 19 में से 8 उप-जनसंख्या में गिरावट देखी गई है।IUCN ध्रुवीय भालू विशेषज्ञ समूह, 2009.

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परमाणु ऊर्जा के पर्यावरणीय प्रभाव

नाभिकीय ऊर्जा से जुडे क्रियाकलाप जो पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं- खनन, संवर्धन, विद्युत-जनन तथा भूगर्भीय निपटान (geological disposal)। पर्यावरण पर पडने वाले प्रभाव की दृष्टि से परमाणु ऊर्जा अन्य ऊर्जाओं से कुछ मामलों में अच्छी है और कुछ मामलों में खराब। नाभिकीय ऊर्जा में सबसे बडी बाधा नाभिकीय दुर्घटना की सम्भावना और उससे जुडे खतरे हैं। नाभिकीय रिएक्टरों से हरितगृह गैसों का उत्सर्जन बहुत कम होता है, जो इसके पक्ष में है। .

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पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

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पुनर्चक्रण

पुनरावर्तन में संभावित उपयोग में आने वाली सामग्रियों के अपशिष्ट की रोकथाम कर नए उत्पादों में संसाधित करने की प्रक्रिया ताजे कच्चे मालों के उपभोग को कम करने के लिए, उर्जा के उपयोग को घटाने के लिए वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए (भस्मीकरण से) तथा जल प्रदूषण (कचरों से जमीन की भराई से) पारंपरिक अपशिष्ट के निपटान की आवश्यकता को कम करने के लिए, तथा अप्रयुक्त विशुद्ध उत्पाद की तुलना में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पुनरावर्तन में प्रयुक्त पदार्थों को नए उत्पादों में प्रसंस्करण की प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। पुनरावर्तन आधुनिक अपशिष्ट को कम करने में प्रमुख तथा अपशिष्ट को "कम करने, पुनः प्रयोग करने, पुनरावर्तन करने" की क्रम परम्परा का तीसरा घटक है। पुनरावर्तनीय पदार्थों में कई किस्म के कांच, कागज, धातु, प्लास्टिक, कपड़े, एवं इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। हालांकि प्रभाव में एक जैसा ही लेकिन आमतौर पर जैविक विकृतियों के अपशेष से खाद बनाने अथवा अन्य पुनः उपयोग में लाने - जैसे कि भोजन (पके अन्न) तथा बाग़-बगीचों के कचरों को पुनरावर्तन के लायक नहीं समझा जाता है। पुनरावर्तनीय सामग्रियों को या तो किसी संग्रह शाला में लाया जाता है अथवा उच्छिस्ट स्थान से ही उठा लिया जाता है, तब उन्हें नए पदार्थों में उत्पादन के लिए छंटाई, सफाई तथा पुनर्विनीकरण की जाती है। सही मायने में, पदार्थ के पुनरावर्तन से उसी सामग्री की ताजा आपूर्ति होगी, उदाहरणार्थ, इस्तेमाल में आ चुका कागज़ और अधिक कागज़ उत्पादित करेगा, अथवा इस्तेमाल में आ चुका फोम पोलीस्टाइरीन से अधिक पोलीस्टाइरीन पैदा होगा। हालांकि, यह कभी-कभार या तो कठिन अथवा काफी खर्चीला हो जाता है (दूसरे कच्चे मालों अथवा अन्य संसाधनों से उसी उत्पाद को उत्पन्न करने की तुलना में), इसीलिए कई उत्पादों अथवा सामग्रियों के पुनरावर्तन में अन्य सामग्रियों के उत्पादन में (जैसे कि कागज़ के बोर्ड बनाने में) बदले में उनकें ही अपने ही पुनः उपयोग शामिल हैं। पुनरावर्तन का एक और दूसरा तरीका मिश्र उत्पादों से, बचे हुए माल को या तो उनकी निजी कीमत के कारण (उदाहरणार्थ गाड़ियों की बैटरी से शीशा, या कंप्यूटर के उपकरणों में सोना), अथवा उनकी जोखिमी गुणवत्ता के कारण (जैसे कि, अनेक वस्तुओं से पारे को अलग निकालकर उसे पुनर्व्यव्हार में लाना) फिर से उबारकर व्यवहार योग्य बनाना है। पुनरावर्तन की प्रक्रिया में आई लागत के कारण आलोचकों में निवल आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को लेकर मतभेद हैं और उनके सुझाव के अनुसार पुनरावर्तन के प्रस्तावक पदार्थों को और भी बदतर बना देते हैं तथा अनुभोदन एवं पुष्टिकरण के पक्षपातपूर्ण पूर्वग्रह झेलना पड़ता है। विशेषरूप से, आलोचकों का इस मामले में तर्क है कि संग्रहीकरण एवं ढुलाई में लगने वाली लागत एवं उर्जा उत्पादन कि प्रक्रिया में बचाई गई लागत और उर्जा से घट जाती (तथा भारी पड़ जाती हैं) और साथ ही यह भी कि पुनरावर्त के उद्योग में उत्पन्न नौकरियां लकड़ी उद्योग, खदान एवं अन्य मौलिक उत्पादनों से जुड़े उद्योगों की नौकरियां को निकृष्ट सकझा जाती है; और सामग्रियों जैसे कि कागज़ की लुग्दी आदि का पुनरावर्तक सामग्री के अपकर्षण से कुछ ही बार पहले हो सकता है जो और आगे पुनरावर्तन के लिए बाधक हैं। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों के ऐसे प्रत्येक दावे में विवाद है और इस संदर्भ में दोनों ही पक्षों से तर्क की प्रामाणिकता ने लम्बे विवाद को जन्म दिया है। .

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फ़्लोरिडा

फ्लोरिडा संयुक्त राज्य के दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है, जिसके उत्तर-पश्चिमी सीमा पर अलाबामा और उत्तरी सीमा पर जॉर्जिया स्थित है।संयुक्त राज्य में शामिल होने वाला यह 27वां राज्य था। इस राज्य के भूस्थल का अधिकांश भाग एक बड़ा प्रायद्वीप है जिसके पश्चिम में मैक्सिको की खाड़ी और पूर्व में अटलांटिक महासागर है। साधारणतया इसकी गर्म जलवायु की वजह से इसे "सनशाइन स्टेट" के रूप में उपनामित किया गया है। इसके उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में उपोष्णकटिबंधीय एवं दक्षिणी भाग में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है। इस राज्य में चार बड़े शहरी क्षेत्र, कई छोटे-छोटे औद्योगिक नगर और बहुत से छोटे कस्बें हैं।संयुक्त राज्य के जनगणना विभाग (यूनाइटेड स्टेट्स सेंसस ब्यूरो) का अनुमान है कि 2008 में इस राज्य की जनसंख्या 18,328,340 थी और फ्लोरिडा, U.S. के चौथे सर्वाधिक आबादी वाले राज्य के रूप में श्रेणीत था। टलहसी, इस राज्य की राजधानी और मियामी सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। फ्लोरिडा के निवासियों को सटीक तौर पर "फ्लोरिडियन्स" के रूप में जाना जाता है। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण

वैश्‍विक माध्‍य सतह का ताप 1961-1990 के सापेक्ष से भिन्‍न है 1995 से 2004 के दौरान औसत धरातलीय तापमान 1940 से 1980 तक के औसत तापमान से भिन्‍न है भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्‍वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि "२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को 'ग्लोबल वार्मिंग' कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव। आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम (extreme weather) में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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भूगोल शब्दावली

कोई विवरण नहीं।

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मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

सितम्बर 2006 के रूप में सबसे बड़ा अंटार्कटिक ओज़ोन होल दर्ज मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओज़ोन परत को क्षीण करने वाले पदार्थों के बारे में (ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए वियना सम्मलेन में पारित प्रोटोकॉल) अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत को संरक्षित करने के लिए, चरणबद्ध तरीके से उन पदार्थों का उत्सर्जन रोकने के लिए बनाई गई है, जिन्हें ओज़ोन परत को क्षीण करने के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इस संधि को हस्ताक्षर के लिए 16 सितंबर 1987 को खोला गया था और यह 1 जनवरी 1989 में प्रभावी हुई, जिसके बाद इसकी पहली बैठक मई, 1989 में हेलसिंकी में हुई.

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मोटरवाहन

कार्ल बेन्ज़'स "वेलो"मॉडल (1894) -सबसे पहले गाड़ियों के होड़ में आई right विश्व मानचित्र प्रति 1000 लोग गाड़ी, मोटरवाहन, कार, मोटरकार या ऑटोमोबाइल एक पहियों वाला वाहन है, जो यात्रियों के परिवहन के काम आता है; और जो अपना इंजन या मोटर भी स्वयं उठाता है। इस शब्द की अधिकांश परिभाषाओं के अनुसार मोटरवाहन मुख्य रूप से सड़कों पर चलाने के लिए हैं, एक से आठ लोगों कों बैठाने के लिए हैं, आमतौर पर जिनके चार पहिये होते हैं, जिनका निर्माण मुख्य रूप से सामान के उपेक्षा लोगों के परिवहन के लिए किया जाता है। मोटरकार शब्द का प्रयोग विद्युतिकृत रेल प्रणाली के सन्दर्भ में, एक ऐसी कार के लिए प्रयुक्त होता है, जो एक छोटा लोकोमोटिव होने के साथ ही, इसमे लोगों और सामान के लिए जगह भी होती है। ये लोकोमोटिव कार उपनगरीय मार्गों में अंतर्नगरीय रेल प्रणालियों में इस्तेमाल की जाती हैं। 2002 तक, 590 मिलियन यात्री करें दुनिया भर में थी (मोटे तौर पर एक कार प्रति ग्यारह लोग).

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यूरोपीय उत्सर्जन मानक

उत्सर्जित गैसें, घोर हानिकारक होने के बावजूद बहुत वर्षों पूर्व जितनी विषैली थीं, उससे कहीम कम आज विषैली हैं। डीजल कारों के लिये यूरोपीय उत्सर्जन मानक की प्रगति दर्शाती सरलीकृत सारणी पेट्रोल कारों के लिये यूरोपीय उत्सर्जन मानक की प्रगति दर्शाती सरलीकृत सारणी। ध्यान दें कि यूरो-५ से पूर्व कोई पी.एम. सीमाएं नहीं थीं। यूरोपीय उत्सर्जन मानक (अंग्रेज़ी:यूरोपियन एमिशन स्टेंडर्ड) प्रदूषण संबंधी नियामक हैं जो यूरोप में सभी वाहनों पर लागू किए जाते हैं। यूरोपियन एमिशन स्टेंडर्डस सभी यूरोपियन देशों में एक समान लागू हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ११ जनवरी २००९ वर्तमान समय में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सभी हाइड्रोकार्बन, गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर संबंधी उत्सर्जन पर कारों, ट्रेनों, ट्रैक्टरों, लॉरियों और इनसे संबंधित मशीनरी पर यह कड़े नियामक लागू होते हैं। इनके विपरीत, समुद्री जहाजों और हवाई जहाजों को इन नियामकों से अलग रखा गया है। प्रत्येक वाहन पर नियामक उसके आकार के अनुसार ही तय किए जाते हैं, अतएव मानकों पर खरे न उतरने वाले वाहनों की बिक्री पर कड़ा निषेध लगा है। नए वाहन वाले मॉडलों को कड़ाई से वर्तमान नियामकों पर खरा उतरना आवश्यक होता है। किन्तु पुराने इंजन वाले और पिछले उत्सर्जन संबंधी नियामकों पर उतारे गए वाहनों में साधारण से सुधारों के बाद उनकी बिक्री पर छूट है। यूरोपीय संघ में कुल कार्बन उत्सर्जन का २० प्रतिशत सड़क यातायात से निकलता है। क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत उद्योग जगत के सभी हलकों से ८ प्रतिशत उत्सर्जन की कमी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन हाल के कुछ वर्षो में यातायात से उत्सर्जन की मात्र में काफी तेज वृद्धि हुई है। अब हाल ये है कि यूरोपीय संघ से पूरे विश्व में यातायात संबंधी कार्बन उत्सर्जन ३.५ प्रतिशत होता है। यूरोपीय उत्सर्जन मानक का यूरो-ककक १ जनवरी, २००६ को लागू किया गया था। भारत सरकार ने भी हाल में की गई एक घोषणा में कहा था कि वह वाहन संबंधित नए नियामक शीघ्र लागू करेगी। फिल्हाल भारत में भारतीय मानक लागू हैं, जिनमेम भारत स्टैन्डर्ड- १,२ व ३ हैं। .

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समुद्री प्रदूषण

अक्सर प्रदूषण के कारण ज्यादातर नुकसान को देखा नहीं जा सकता है, जबकि समुद्री प्रदूषण को स्पष्ट किया जा सकता है जैसा कि समुद्र के ऊपर दिखाए गए मलबे को देखा जा सकता है। समुद्री प्रदूषण तब होता है जब रसायन, कण, औद्योगिक, कृषि और रिहायशी कचरा, शोर या आक्रामक जीव महासागर में प्रवेश करते हैं और हानिकारक प्रभाव, या संभवतः हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। समुंद्री प्रदूषण के ज्यादातर स्रोत थल आधारित होते हैं। प्रदूषण अक्सर कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए कचरे जैसे अस्पष्ट स्रोतों से होता है। कई सामर्थ्य ज़हरीले रसायन सूक्ष्म कणों से चिपक जाते हैं जिनका सेवन प्लवक और नितल जीवसमूह जन्तु करते हैं, जिनमें से ज्यादातर तलछट या फिल्टर फीडर होते हैं। इस तरह ज़हरीले तत्व समुद्री पदार्थ क्रम में अधिक गाढ़े हो जाते हैं। कई कण, भारी ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हुई रसायनिक प्रक्रिया के ज़रिए मिश्रित होते हैं और इससे खाड़ियां ऑक्सीजन रहित हो जाती हैं। जब कीटनाशक समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में शामिल होते हैं तो वो समुद्री फूड वेब में बहुत जल्दी सोख लिए जाते हैं। एक बार फूड वेब में शामिल होने पर ये कीटनाशक उत्परिवर्तन और बीमारियों को अंजाम दे सकते हैं, जो इंसानों के लिए हानिकारक हो सकते हैं और समूचे फूड वेब के लिए भी.

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जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। जलवायु की दशाओं में यह बदलाव प्राकृतिक भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी। ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन को मनुष्य की क्रियाओं का परिणाम माना जा रहा है जो औद्योगिक क्रांति के बाद मनुष्य द्वारा उद्योगों से निःसृत कार्बन डाई आक्साइड आदि गैसों के वायुमण्डल में अधिक मात्रा में बढ़ जाने का परिणाम है। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में वैज्ञानिक लगातार आगाह करते आ रहे हैं .

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जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-रियो,क्योटो,बाली

चित्र:Ravi9.jpg कोपेनहेगेन सम्मेलन, रियो डि जेनेरियो में धरती की सेहत पर शुरू हुई गंभीर विचार-विमर्श की प्रकिया में ही, एक ताज़ा पहल है। ब्राज़ील में 1992 में हुए रियो पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण की रक्षा के लिए एक संधि पर सहमति बनी जिसे 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज' या यूएनएफ़सीसीसी कहते हैं। कोपेनहेगेन सम्मेलन का औपचारिक नाम है- यूएनएफ़सीसीसी में शामिल पक्षों का 15वाँ सम्मेलन, या संक्षेप में- कॉप15। रियो और कोपेनहेगेन के बीच दो महत्वपूर्ण पड़ाव थे- 1997 में जापान के क्योटो और 2007 में इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जलवायु सम्मेलन। क्योटो और बाली में भी रियो में बनी सहमित के अनुरूप कदम उठाने की कोशिशें की गईं। विचार-विर्मश के पश्चात रियो में यह सहमति बनी कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार गैसों गैसों की मात्रा को इस हद तक सीमित की जाए कि जलवायु परिवर्तन मानव नियंत्रण से पूरी तरह बाहर नहीं हो जाय। ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार माने जाने वाले गैसों को हरितगृह गैस कहते हैं। इनमें मुख्य रूप से चार गैस- कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फ़र हेक्साफ़्लोराइड, तथा दो गैस-समूह- हाइड्रोफ़्लोरोकार्बन और परफ़्लोरोकार्बन शामिल हैं। हालाँकि मुख्य चिंता कार्बन डाइऑक्साइड गैस या कार्बन को लेकर है क्योंकि इसकी तुलना में अन्य हरितगृह गैसों की मात्रा बहुत ही कम है। क्योटो से आगे का रास्ता दो साल पहले बाली सम्मेलन में तय हुआ था कि ग्लोबल वार्मिंग के ख़िलाफ़ प्रभावी और दीर्घकालिक उपायों पर सहमति बनाई जाएगी। इसके लिए दिया गया वक़्त कोपेनहेगेन सम्मेलन के साथ ही ख़त्म होने वाला है। कोपेनहेगेन सम्मेलन का एक तात्कालिक उद्देश्य भी है- क्योटो जलवायु संधि के बाद की संधि पर सहमति बनाना। क्योंकि क्योटो संधि की अवधि 2012 में ख़त्म हो रही है। क्योटो में 1997 में हुई संधि की मुख्य बात ये थी, कि औद्योगीकृत देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 1990 के स्तर से ५.२ प्रतिशत कम करेंगे। क्योटो संधि बाध्यकारी नहीं थी और अमरीका ने इस पर हस्ताक्षर भी नहीं किए थे। इसलिए इससे ज़्यादा उम्मीदें लगाई भी नहीं गई थीं। फिर भी अधिकतर औद्योगीकृत देशों ने क्योटो संधि की मूल भावना के अनुरूप कुछ-न-कुछ क़दम ज़रूर उठाए। यानि क्योटो संधि कारगर भले ही न हुई हो, जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय आम सहमति बनाने की दिशा में वो एक महत्वपूर्ण पड़ाव ज़रूर साबित हुई है। कोपेनहेगेन के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कोशिश, क्योटो संधि से कहीं ज़्यादा महत्वाकांक्षी संधि पर सहमति बनाने की है जो कि क़ानूनन बाध्यकारी भी हो। .

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वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग.

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ग्रीनहाउस प्रभाव

ग्रीनहाउस प्रभाव या हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करतीं हैं। इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं। यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो शायद ही पृथ्वी पर जीवन होता, क्योंकि तब पृथ्वी का औसत तापमान -18° सेल्सियस होता न कि वर्तमान 15° सेल्सियस। धरती के वातावरण के तापमान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं जिसमें से ग्रीनहाउस प्रभाव एक है। .

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ओजोन ह्रास

वैश्विक मासिक औसत कुल ओजोन राशि ओजोन ह्रास या ओजोन अवक्षय (ओजोन डिप्लीशन) दो अलग लेकिन सम्बंधित प्रेक्षणों का वर्णन करता है; 1970 के दशक के बाद से पृथ्वी के समतापमंडल (stratosphere) में ओजोन की कुल मात्रा में प्रति दशक लगभग चार प्रतिशत की धीमी लेकिन स्थिर कमी आ रही है;और समान अवधि के दौरान पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर समतापमंडल की ओजोन में अधिक लेकिन मौसमी कमी आ रही है। बाद वाली घटना को सामान्यतः ओजोन छिद्र के रूप में जाना जाता है। इस जाने माने संताप मंडलीय ओजोन (stratospheric ozone) रिक्तीकरण के अलावा, क्षोभ मंडलीय ओजोन रिक्तीकरण की घटनाएँ (tropospheric ozone depletion events) भी पाई गई हैं, जो बसंत ऋतु के दौरान ध्रुवीय क्षेत्रों की सतह के पास होता है। विस्तृत क्रियाविधि जिसके द्वारा ध्रुवीय ओजोन छेद, मध्य अक्षांश रिक्तीकरण से भिन्नता रखता है, लेकिन दोनों प्रवृतियों में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है परमाणु क्लोरीन और ब्रोमीन द्वारा ओजोन का अपघटनी (catalytic) विनाश.

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कार्बन फुटप्रिंट

कार्बन फुटप्रिंट का अर्थ किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। यह उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ दिसम्बर २००९ कार्बन फुटप्रिंट का नाम इकोलॉजिकल फुटप्रिंट विमर्श से निकला है। यह इकोलॉजिकल फुटप्रिंट का ही एक अंश है। उससे भी अधिक यह लाइफ साइकिल असेसमेंट (एल.सी.ए) का हिस्सा है। किसी व्यक्ति, संस्था या वस्तु के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के आधार पर किया जा सकता है। संभवत: कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा कारण मानव की यात्रा इच्छा ही होती है। इसके साथ ही एक अन्य बड़ा कारण घर में प्रयोग होने वाली विद्युत भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार मानव की लगभग सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं, उसके कार्बन फुटप्रिंट का कारण बनते हैं। ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कई तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधा रोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का वातावरण में निकास जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता है। क्योटो प्रोटोकॉल में कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों पर निश्चित समय-सीमा के अंतर्गत रोक लगाने का मसौदा भी प्रतुत किया गया था। .

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कार्बन कर

कार्बन कर एक अप्रत्यक्ष कर है। यह उन आर्थिक गतिविधियों पर लगाया जाता है जिनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके द्वारा सरकारें अपना राजकोष भी संवर्धित करती हैं। इस कर से दो अन्य कर भी संबंधित हैं- उत्सर्जन कर और ऊर्जा कर। उत्सर्जन कर जहाँ प्रत्येक टन हरितगृह गैस के उत्सर्जन पर लगने वाला कर है, वहीं ऊर्जा कर ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं पर आरोपित कर है। .

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कार्बन-न्यूट्रल ईंधन

कार्बन-न्यूट्रल ईंधन ऊर्जा ईंधन या कोई शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या कार्बन पदचिह्न है, जो ऊर्जा प्रणालियों की एक किस्म का उल्लेख करती है। एक वर्ग (मीथेन,पेट्रोल,डीजल,ईंधन,जेट ईंधन या अमोनिया सहित) कृत्रिम ईंधन है ' बिजली संयंत्र ग्रिप निकास गैस से साफ किया जा सकता है या समुद्री जल में कार्बोनिक एसिड से निकाली गई अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड हैद्रोजेनेट करने के लिए इस्तेमाल स्थायी या परमाणु ऊर्जा से उत्पादित होती है 'और इसका प्रयोग अन्य प्रकार के पवन टर्बाइन,सौर पैनलों, और पनबिजली संयंत्रों के रूप में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन किया जा सकता है ' .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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अपशिष्ट प्रबंधन

बर्कशायर, इंग्लैंड में पहियों वाला कचरे का डब्बा अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन (transport), संसाधन (processing), पुनर्चक्रण (recycling) या अपशिष्ट (waste) के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। यह शब्द आम तौर पर उस सामग्री को इंगित करता है जो मानव गतिविधियों से बनती हैं और ये इसलिए किया जाता है ताकि मानव पर उस के स्वस्थ, पर्यावरण (environment) या सौंदर्यशास्त्र.

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उत्सर्जन व्यापार

जर्मनी में एक कोयला ऊर्जा संयंत्र. उत्सर्जन व्यापार करने के कारण, कोयला अन्य विकल्पों की तुलना में एक कम प्रतियोगी ईंधन बन सकता है। उत्सर्जन व्यापार (कैप एंड ट्रेड के रूप में भी ज्ञात) एक प्रशासनिक दृष्टिकोण है जिसका प्रयोग प्रदूषकों के उत्सर्जन में कटौती को प्राप्त करने पर आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करके प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। एक केन्द्रीय प्राधिकरण (आमतौर पर एक सरकारी निकाय), उत्सर्जित किए जा सकने वाले प्रदूषक की मात्रा पर एक सीमा या कैप निर्धारित करता है। कंपनियों या अन्य समूहों को उत्सर्जन परमिट जारी किए जाते हैं और उन्हें एक बराबर संख्या में छूटें (या क्रेडिट) रखने की आवश्यकता होती है जो उत्सर्जन करने की एक विशिष्ट मात्रा के अधिकार को दर्शाता है। छूट और क्रेडिट की कुल मात्रा, सीमा से अधिक नहीं हो सकती, जो कुल उत्सर्जन को उस स्तर तक के लिए सीमित कर देती है। वे कंपनियां जिन्हें अपने उत्सर्जन छूट को बढ़ाने की जरूरत है, उनके लिए यह आवश्यक है कि वे उन लोगों से क्रेडिट खरीदें जो कम प्रदूषण करते हैं। इन छूटों का स्थानांतरण व्यापार कहलाता है। जवाब में, खरीददार, प्रदूषण के लिए एक शुल्क दे रहा है, जबकि विक्रेता को, उत्सर्जन को आवश्यकता से अधिक कम करने के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है। इस प्रकार, सिद्धांत रूप में, जो लोग उत्सर्जन को सबसे सस्ते तरीके से कम कर सकते हैं वे ऐसा करेंगे, समाज पर न्यूनतम असर के साथ प्रदूषण में कमी को प्राप्त करना। विभिन्न वायु प्रदूषकों में सक्रिय व्यापार कार्यक्रम मौजूद हैं। ग्रीनहाउस गैसों के लिए सबसे बड़ी यूरोपियन यूनियन एमिशन ट्रेडिंग स्कीम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अम्ल वर्षा को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय बाज़ार है और नाइट्रोजन आक्साइड में कई क्षेत्रीय बाज़ार हैं। अन्य प्रदूषकों के लिए बाज़ार अपेक्षाकृत छोटे और अधिक स्थानीयकृत हुआ करते हैं। .

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१४ दिसम्बर

14 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 348वॉ (लीप वर्ष मे 349 वॉ) दिन है। साल में अभी और 17 दिन बाकी है। भारत देशमें १४ दिसम्बर के रोज राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिन मनाया जाता है। .

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