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गोवा मुक्ति संग्राम

सूची गोवा मुक्ति संग्राम

गोवा मुक्ति संग्राम, गोवा मुक्ति आन्दोलन या गोवा मुक्ति संघर्ष सन् १९६१ में भारतीय सशस्त्र सेना द्वारा किया गया एक अभियान (ऑपरेशन) था जिसके परिणाम स्वरूप गोवा को पुर्तगाल के आधिपत्य से मुक्त कराकर भारत में मिला लिया गया। इसमें वायुसेना, जलसेना एवं थलसेना - तीनों ने भाग लिया। यह संघर्ष ३६ घण्टे से अधिक समय तक चला। इसको "आपरेशन विजय" का कूटनाम दिया गया था। .

9 संबंधों: भारत का राजनीतिक एकीकरण, भारतीय थलसेना, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भारतीय वायुसेना, मनोज कुमार पांडेय, मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट, रवीन्द्र केलकर, सगत सिंह, ऑपरेशन राहत

भारत का राजनीतिक एकीकरण

१९४७ में स्वतन्त्रता के तुरन्त बाद भारत की राजनीतिक स्थिति १९०९ में 'ब्रितानी भारत' तथा देसी रियासतें स्वतंत्रता के समय 'भारत' के अन्तर्गत तीन तरह के क्षेत्र थे-.

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना (इंडियन एयरफोर्स) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा, एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम देश के लिए करती है। इसकी स्थापना ८ अक्टूबर १९३२ को की गयी थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था और १९४५ के द्वितीय विश्वयुद्ध में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी (१९५० में पूर्ण गणतंत्र घोषित होने) के पश्च्यात इसमें से "रॉयल" शब्द हटाकर सिर्फ "इंडियन एयरफोर्स" कर दिया गया। आज़ादी के बाद से ही भारतीय वायुसेना पडौसी मुल्क पाकिस्तान के साथ चार युद्धों व चीन के साथ एक युद्ध में अपना योगदान दे चुकी है। अब तक इसने कईं बड़े मिशनों को अंजाम दिया है जिनमें ऑपरेशन ''विजय'' - गोवा का अधिग्रहण, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस व ऑपरेशन पुमलाई शामिल है। ऐसें कई विवादों के अलावा भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी सक्रिय हिसा रही है। भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायु सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते है। वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल (ACM), एक चार सितारा कमांडर है और वायु सेना का नेतृत्व करते है। भारतीय वायु सेना में किसी भी समय एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में कभी नहीं होते। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है एवं २००६ के आंकडों के अनुसार इसमें कुल मिलाकर १७०,००० जवान एवं १,३५० लडाकू विमान हैं जो इसे दुनिया की चौथी सबसे बडी वायुसेना होने का दर्जा दिलाती है। .

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मनोज कुमार पांडेय

कैप्टन मनोज कुमार पांडेय (Manoj Kumar Pandey) (25 जून 1975, सीतापुर, उत्तर प्रदेश -- 3 जुलाई 1999, कश्मीर), भारतीय सेना के अधिकारी थे जिन्हें सन १९९९ के कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट

मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है हालाँकि यह 26 बटालियनों में बंटी हुई है दो देश भर में फैली हुई हैं। यह सेना में सबसे कम उम्र रेजिमेंटों में से एक है, हालाँकि इसका गठन 1965 के भारत-पाक युद्ध में सीखने के बाद किया गया ताकि पैदल सेना बटालियनों को अधिक से अधिक गतिशीलता दी जा सके। यह बटालियन एक आधुनिक सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए जनरल के॰ सुंदरजी की दूरदर्शिता का नतीजा थी। प्रारंभ में, विभिन्न रेजिमेंटों के पुराने पैदल सेना बटालियनों को कुछ बीएमपी -1 बख़्तरबंद कर्मियों वाहक से लैस किया गया। परन्तु और अधिक ठोस और व्यावहारिक रणनीति के संबंध के साथ एक आम दर्शन विकसित करने की आवश्यकता को महसूस किया गया। परिणाम स्वरुप 1979 में भारतीय सेना में सभी मैकेनाइज्ड रेजिमेंटों को मिलाकार एक पूरी तरह से नए एवं विभिन्न यंत्रीकृत बटालियन का निर्माण किया गया। मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन विजय में भाग लिया है। यह सोमालिया, कांगो, अंगोला और सियरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी शामिल हुई। रेजिमेंट की भारतीय नौसेना के आईएनएस घड़ियाल के साथ अपनी संबद्धता है। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री रेजीमेंट को लद्दाख और सिक्किम के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भी संचालन के लिए विशेष गौरव प्राप्त है। जनरल सुंदरजी यंत्रीकृत पैदल सेना रेजिमेंट के पहले कर्नल थे, उन्हें सेवानिवृत्ति तक इस पद पर नियुक्त किया गया। .

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रवीन्द्र केलकर

रवीन्द्र केलकर (7 मार्च 1925 – 27 अगस्त 2010) कोंकणी साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभ थे। 85 वर्षीय इस महान हस्ती को वर्ष 2006 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी प्रमुख रचनाओं में आमची भास कोंकणीच, 'बहुभाषिक भारतान्त भाषान्चे समाजशास्त्र' शामिल हैं। रवीन्द्र केलकर का जन्म ७ मार्च १९२५ में दक्षिण गोवा के कोकुलिम क्षेत्र में हुआ। कोंकणी, हिन्दी और मराठी में उनकी 32 से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। वह स्वतंत्रता संग्राम और गोवा के मुक्ति संग्राम से जुड़े रहे। वह आधुनिक कोंकणी आंदोलन के प्रणेता थे और कोंकणी भाषा मंडल की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। केलकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार के अलावा 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2008 में पद्मभूषण प्रदान किया गया था और 2007 में उन्हें साहित्य अकादमी का फैलो चुना गया था। .

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सगत सिंह

पाकिस्तानी जनरल नियाजी, जगदीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण के प्रपत्र पर हस्ताक्षर करते हुए। इनके ठीक पीछे खड़े हैं (बायें से दायें) नीलकान्त कृष्णन, हरि चन्द दीवान, ले जनरल सगत सिंह, तथा जनरल जैकब लेफ्टिनेन्ट जनरल सगत सिंह (परम विशिष्ट सेवा मेडल) (14 जुलाई 1918 – 26 सितम्बर, 2001) भारतीय सेना के तीन-सितारा रैंक वाले जनरल थे। वे गोवा मुक्ति संग्राम और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में अपनी विशिष्ट भूमिका के लिये प्रसिद्ध हैं। अपने सैन्य जीवन में उन्होने अनेकों सम्मनिति पदों की शोभा बढ़ाई। सगत सिंह को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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ऑपरेशन राहत

ऑपरेशन राहत उत्तर भारत बाढ़ २०१३ से प्रभावित नागरिकों को निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के बचाव अभियान का सांकेतिक नाम दिया गया। भारी बारिश ने 16 जून को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्य में काफी विकाराल रूप धारण कर लिया जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों सहित हजारों लोग विभिन्न घाटियों में फंस गए। राहत कार्य के लिए भारतीय वायुसेना की सहायता मांगी गई। पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) मुख्यालय ने विभिन्न राज्यों द्वारा बाढ़ से राहत संबंधी सहायता के अनुरोध पर त्वरित प्रतिक्रिया की है। इसके साथ ही वायुसेना ने यमुनानगर, केदारनाथ-बद्रीनाथ क्षेत्र, रूद्रप्रयाग घाटी, किन्नौरजिले के करचम-पुह क्षेत्र में बचाव कार्य शुरू कर दिया। सरसवा वायुसेना स्टेशन को इस अभियान के लिए केन्द्र बनाया गया जहां भटिंडा और हिंडन से हेलीकॉप्टर लाए गए। हाल ही में शामिल एमआई-17 वी5 सहित मध्यम भार वहन करने वाले अनेक हेलीकॉप्टरों को 17 जून को खराब मौसम के बावजूद देहरादून के जॉलीग्रांट हैलीपैड पर स्थित किया गया। एमआई-17 वी 5 द्वारा 17 जून को करनाल क्षेत्र से 36 लोगों को बचाया गया। इसके अलावा 15 बच्चों सहित 21 यात्रियों को नाकुड़ से बचाया गया। 18 जून को हिमाचल प्रदेश के रामपुर-रेकोन्गपिओ क्षेत्र में एनडीआरएफ टीम के साथ ही दो अतिरिक्त एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों की सेवा ली गई। 25 जून 2013 की हेलीकॉप्‍टर दुर्घटना के बावजूद वायुसेना उत्‍तराखण्‍ड के राहतकार्यों में जुटी हुई है। वायुसेना अध्‍यक्ष एयर चीफ मार्शल एन ए के ब्राउन ने कहा कि जिन लोगों की जान गई है उनकी याद में हमें इस राहत कार्य को जारी रखना होगा। बाढ़ग्रस्‍त क्षेत्रों में हेलीकॉप्‍टर सेवाओं के सफल प्रयोग की योजना बनाने के लिए हिन्‍डन से सुबह एक सी 130 जे ने रेकी उड़ान भरी। धरासु और पिथौरागढ़ से लगातार 6 एमआई-17 वी 5 एस, दो ए एल एच और एक एमआई एल 7 हर्षिल से – मनेरी-धरासु और धारचूला-मीलम तथा काली-रामगंगा क्षेत्र में उडा़न भर रहे हैं। सुबह से दोपहर दो बजे तक वायुसेना ने 64 संक्षिप्‍त यात्राएं की और 636 लोगों को सुरक्षित स्‍थानों तक पहुंचाया। 17 जून 2013 से लेकर 25 जून-2013 तक वायुसेना ने 1540 उड़ाने भरीं और लगभग 13,052 तीर्थ यात्रियों को बचाने और 2, 16, 310 किलोग्राम राहत सामग्री को पहुंचाने का महत्‍वपूर्ण काम किया। .

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