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गोरखा जिला

सूची गोरखा जिला

नेपाल के गंडकी प्रान्त का जिला। श्रेणी:नेपाल के जिले اسوقت یہ کمزور ریاست تھی.

21 संबंधों: तनहुँ जिला, धावा, धुवाकोत २, नेपाल के प्रदेश, नेपाल के जिले, पुष्पकमल दाहाल, प्रदेश संख्या ४, मध्य-पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र, मनसिरी हिमाल, मनास्लु, मनोकामना मन्दिर, माथवरसिंह थापा, रामकृष्ण कुँवर, शाह वंश, हिमालचुली, गणेश हिमाल, गंडकी अंचल, गोरखनाथ, गोरखा, गोरखा (बहुविकल्प), कालु पांडे

तनहुँ जिला

तनहुँ जिला नेपाल के पश्चिमांचल विकास क्षेत्र के गण्डकी अंचल में स्थित एक अत्याधिक उर्वर एवं घना वस्ती वाली जिला हैं। इस जिला की क्षेत्रफल १५४६ बर्ग कि॰मी॰ और जनसंख्या करिव ४ लाख हैं। इस जिला के पूर्व में चितवन और गोरखा उत्तर में कास्की और लमजुंग पश्चिम में स्यांजा दक्षिण में पाल्पा और नवलपरासी जिलाएं हैं। इस जिले का केन्द्र दमाैली (डमाैली) है, जाे मादी नदी के तटपर अवस्थित है। इसी जिले के चुँदी रम्घा ग्राम में १८१४ जुलाइ १० में नेपाली भाषा के अादिकवि भानुभक्त अाचार्यका जन्म हुअा था। .

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धावा

धावा नेपाल के गण्डकी अंचल का गोर्खा जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ८४६ घर है। .

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धुवाकोत २

धुवाकोत २ नेपाल के गण्डकी अंचल का गोर्खा जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ९६६ घर है। .

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नेपाल के प्रदेश

20 सितंबर 2015 के अनुसार नेपाल को भारतीय राज्य प्रणाली की तरह ही सात राज्यों (प्रदेशों) में विभाजित किया गया है। संविधान की धारा 295 (ख) के अनुसार प्रदेशों का नामाकरण सम्वन्धित प्रदेश के संसद (विधान सभा) में दो तिहाई बहुमत से होने का प्रावधान है। .

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नेपाल के जिले

२० सितम्बर २०१५ को जारी हुए नए संविधान के अनुसार नेपाल को ७ प्रदेशों (प्रान्तों) में बांटा गया है। सभी प्रदेशों के जिलों को मिलाकर फिलहाल ७५ जिले हैं। ३ नए जिले बनाये जा सकते हैं। नेपाल में जिले (नेपाली:जिल्ला) द्वितीय स्तर के प्रशासनिक विभाग हैं, जो प्रदेशों में विभाजित हैं। नेपाल में अब ७८ जिले हैं जो ७ प्रदेशों में व्यवस्थित हैं। प्रत्येक जिला जिला समन्वय समिति के अधीन प्रशासित हैं। स्थानीय तह निर्वाचन ऐन ०७३ के अनुसार अब गाउँपालिका (ग्रामपालिका) और नगरपालिका में निर्वाचित प्रमुख, उपप्रमुख, वार्ड अध्यक्ष और सदस्य सभी जिल्ला समन्वय समिति के प्रमुख के उम्मीदवार के रूप में खड़ा हो सकते हैं। जिल्ला समन्वय समिति के प्रमुख और उपप्रमुख चुने जाने के लिए मतदान करने का अधिकार सिर्फ ग्रामपालिका और नगरपालिका के प्रमुख और उपप्रमुख को होगा नियम में ऐसी व्यवस्था रखी गई है। जिले नगरपालिका और ग्रामपालिका (गाउँपालिका) में विभाजित हैं। पूरे नेपाल में ७४४ ग्रामपालिका और नगरपालिका हैं। .

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पुष्पकमल दाहाल

पुष्पकमल दाहाल (जन्म:११ दिसम्बर १९५४), जिन्हें नेपाली राजनीति में प्रचंड नाम से संबोधित किया जाता है, व नेपाल के प्रधानमंत्री हैं। 3 अगस्त 2016 को वे दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए। वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) तथा इसी पार्टी के सशस्त्र अंग जनमुक्ति सेना के भी शीर्ष नेता हैं। उन्हें नेपाल की राजनीति में १३ फ़रवरी १९९६ से नेपाली जनयुद्ध शुरु करने के लिए जाना जाता है जिसमें लगभग १३,००० नेपाली नागरिकों की हत्या होने का अनुमान लगाया जाता है। प्रचंड द्वारा मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं माओवाद के मिले जुले स्वरूप को नेपाल की परिस्थितियों मे व्याख्यित करने को नेपाल में प्रचंडवाद के नाम से पुकारा जाने लगा है। .

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प्रदेश संख्या ४

प्रदेश 4 नेपाल के नये संविधान जो 20 सिंतबर 2015 को लागू हुआ के द्वारा स्थापित एक प्रदेश है जिसका अभी प्रदेश विधानसभा द्वारा नामांकन होना बाकी है। इस प्रदेश में 11 जिले हैं.

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मध्य-पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र

मध्य-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र नेपाल का एक प्रान्त है जो नेपाल के पाँच विकास क्षेत्रों में से एक विकास क्षेत्र है। यह नेपाल के मध्य-पश्चिम में स्थित है। इस के पूर्व में नेपाल का पश्चिमांचल विकास क्षेत्र तथा पश्चिम में नेपाल का सुदूर-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र तथा उत्तर में चीन का तिब्बत तथा दक्षिण में भारत का उत्तर प्रदेश स्थित है। मध्य-पश्चिमांचल विकास क्षेत्र का मुख्यालय बिरेन्द्रनगर में स्थित है। इस प्रान्त में ३ अंचल तथा १५ जिलें हैं। .

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मनसिरी हिमाल

मनसिरी हिमाल (Mansiri Himal), जो मनास्लु हिमाल (Manaslu Himal) और गोरखा हिमाल भी कहलाता है, मध्योत्तर नेपाल में स्थित हिमालय का एक छोटा लेकिन ऊँचा भाग है। .

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मनास्लु

मनास्लु (Manaslu), जो कुतंग (Kutang) भी कहलाता है, पृथ्वी का आठवाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। यह 8,163 मीटर (26,781 फ़ुट) ऊँचा पर्वत मध्योत्तर नेपाल के गोरखा ज़िले में स्थित है और हिमालय के मनसिरी हिमाल नामक भाग का सदस्य है। .

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मनोकामना मन्दिर

मनोकामना मंदिर में ऐतिहासिक घंट मनोकामना/मनकामना भगवति गोरखा में स्थित मनोकामना मन्दिर भी एक महत्वपूर्ण देवीस्थान शक्तिपीठ माना जाता है। मन कि कामना पूरी होती है ऐसा माने जाने के कारण इस भगवती का नाम मनोकामना पड़ गया। राम शाह की रानी स्वयं मनोकामना भगवती का अवतार थीं यह जनविश्वास है। दशहरे में पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं कि बहुत बड़ी भीड़ लगती है। यहाँ प्रत्येक अष्टमी के दिन बली चढ़ाने की परंपरा है। मनोकामना के दर्शन से मनोकांक्षा पूरी होती है ऐसा धार्मिक विश्वास छ। .

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माथवरसिंह थापा

माथवरसिंह थापा नेपालके प्रधानमन्त्री एवम् नेपाली सेना के कमाण्डर-इन-चिफ थे। उनका कार्यकाल सन् १८४३ से १८४५ तक रहा जब उनके भान्जा जंगबहादुर राणा द्वारा हत्या हुई। प्रधानमन्त्री भीमसेन थापाको सजाय मिल्नेके बाद, उनके भतिजा होनेके कारण वो शिमला, भारत में शरण लिए। विक्रम सम्वत १९०० में थापा वंशके ज्येष्ठ पुरुष होने के कारण उन्हें महारानी राज्यलक्ष्मी से वापसी का पत्र मिला और वो पंजाब से नेपाल पहुंचे। उन्हें प्रधानमन्त्री पद एवम् मुकुट से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने चाचा के मुद्दे को अनुसन्धान करते हुए पाँडे वंशके रणजंग पाँडे को छोडकर सबही ज्येष्ठ सदस्य को प्राणदण्ड दिया। उनका हत्या अपने भान्जे जंगबहादुर राणा ने किया। .

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रामकृष्ण कुँवर

रामकृष्ण कुँवर गोरखाली सेनाके सरदार थे। उन्होंने गोरखा राज्यके लिए विभिन्न युद्धमें नेतृत्व किया था। उन्होंने २५ अगस्ट १७६७ के हरिहरपुरगढीके युद्धमें ब्रिटिस सेनाको परास्त किया था। http://www.royalark.net/Nepal/lamb2.htm उनके वंशजने नेपालके एक शक्तिशाली राणा वंश स्थापित किया था। उनके नाति काजी बालनरसिंह कुँवर थे जिनके पुत्र जंगबहादुर राणा नेपालके प्रधानमन्त्री एवम् कमाण्डर-इन-चिफ बन गए। .

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शाह वंश

शाह वंश नेपालके अन्तिम शासक वंश है जिन्होंने सन् १७६८ से २००८ तक नेपाल अधिराज्यका शासन किया। नेपालके पहले शाहवंशी राजा पृथ्वीनारायण शाह है। इस वंशके उत्पत्तिमें बोहोत सारे कहानी है। शाहवंशके दाबी अनुरूप चन्द्रवंशी राजपुत ऋषिराज राणाजीके वंशज है। ऋषिराज राणाजीने भट्टारक उपाधि लिइ थी और वो चित्तोढगढके महाराज थे। Daniel Wright, History of Nepāl, Cambridge University Press, 1877, Nepal.

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हिमालचुली

हिमालचुली, जिसे दो शब्दों में हिमाल चुली भी लिखा जाता है, नेपाल में हिमालय के मनसिरी हिमाल भाग में स्थित एक पर्वत है। यह विश्व का १८वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है और मनास्लू के बाद मनसिरी हिमाल का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। हिमालचुली के तीन मुख्य शिखर हैं: पूर्वी (७८९३ मीटर), पश्चिमी (७५४० मीटर) और उत्तरी (७३७१ मीटर)। .

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गणेश हिमाल

गणेश हिमाल (Ganesh Himal) मध्योत्तर नेपाल में स्थित हिमालय का एक खण्ड है। इसके अधिकतर पर्वत नेपाल में हैं लेकिन कुछ नेपाल व तिब्बत की सीमा पर भी स्थित हैं। इसके पूर्व में स्थित त्रिशूल गण्डकी घाटी इसे लांगटांग हिमाल से अलग करती है। पश्चिम में श्यार खोला घाटी इसे मनसिरी हिमाल (जहाँ मनास्लू पर्वत खड़ा है) से अलग करती है। गणेश हिमाल नेपाल की राजधानी काठमांडू से ७० किमी उत्तर-पश्चिमोत्तर पर स्थित है। .

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गंडकी अंचल

गण्डकी अंचल Gandaki Zone नेपाल के madhya पश्चिमी भाग में स्थित है। नेपाल में प्रान्त को अंचल की संज्ञा दी गई है। गंडकी अंचल के पूर्व में बागमती, दक्षिण में नारायणी व लुम्बिनी तथा पश्चिम में धवलागिरी अंचल व उत्तर में चिनका स्वसासीत क्षेत्र तिब्बत स्थित है। इस अंचल में अति सुन्दर पोखरा उपत्यका है। उत्तर में हिमालय की अति सुन्दर चोटीयाँ माछापुर्छ, अन्नपूर्णा, गणेश हिमाल तथा हिमचुली लगायत हैं। इस प्रान्त में कास्की,लमजुंग, तनहऊ, गोरखा, स्यांगजा व मनांग जिले हैं। अंचल के अन्य प्रमुख स्थल हैं- पोखरा, गोरखा, ब्यास नगर (दमोली), पुतली बजार (स्यांगजा), वालीगं, लेखनाथ नगर, चामे, बेसींसहर, खैरहनीटार, अँवुखैरनी, मनकामना तथा बन्दीपुर। श्रेणी:नेपाल के पूर्व शासन प्रणाली श्रेणी:पश्चिमांचल विकास क्षेत्र.

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गोरखनाथ

गोरखनाथ या गोरक्षनाथ जी महाराज प्रथम शताब्दी के पूर्व नाथ योगी के थे (प्रमाण भी हे राजा विक्रमादित्य के द्वारा बनाया गया पञ्चाङ्ग जिन्होंने विक्रम संवत की सुरुआत प्रथम सताब्दी से की थी जब कि गुरु गोरक्ष नाथ जी राजा भरथरी एवं इनके छोटे भाई राजा विक्रमादित्य के समय मे थे) गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। गोरखनाथ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है। गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। गुरु गोरखनाथ जी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में एक जिला है गोरखा, उस जिले का नाम गोरखा भी इन्ही के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यहीं दिखे थे। गोरखा जिला में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है। यहाँ हर साल वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे 'रोट महोत्सव' कहते हैं और यहाँ मेला भी लगता है। .

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गोरखा

इंग्लैण्ड के रक्षा मंत्रालय के बाहर स्थापित एक गोरखा की मूर्ति,हॉर्स गार्डस अवेन्यु, वेस्टमिन्सटर शहर, लण्डन. गोरखा (नेपाली: गोरखाली) नेपाल के लोग हैं। जिन्होने ये नाम 8 वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री गुरु गोरखनाथ से प्राप्त किया था। उनके शिष्य बप्पा रावल ने राजकुमार कलभोज/राजकुमार शैलाधिश को जन्माया था, जिनका घर मेवाड़, राजस्थान (राजपुताना) में पाया गया था। बाद में बप्पा रावल के वंश सुदूर पूर्व के तरफ बढ़ें और गोरखा में अपना राज्य स्थापित किया और बाद में उन्होने नेपाल अधिराज्य को स्थापित किया। उस वंश में चितौड़गढ़ के मनमथ राणाजी राव के पुत्र भूपाल राणाजी राव नेपाल के रिडी पहुंचे। गोरखा जिला आधुनिक नेपाल के 75 जिलों में से एक है। खास्तोर्पे नेपाल के मध्य पश्चिम के पहाडी लडाकु जातिया जैसे कि मगर, गुरुंग, सुदुरपश्चिम के लडाकु जातिया जो कि खस/क्षेत्री और ठकुरी और पूर्व से किरात जातिया होति हैं। गोरखाली लोग अपने साहस और हिम्मत के लिए विख्यात हैं और वे नेपाली आर्मी और भारतीय आर्मी के गोरखा रेजिमेन्ट और ब्रिटिश आर्मी के गोरखा ब्रिगेज के लिए भी खुब जाने जाते हैं। गोरखालीयों को ब्रिटिश भारत के अधिकारियों ने मार्शल रेस की उपाधि दी थी। उनके अनुसार गोरखाली प्राकृतिक रूप से ही योद्धा होते हैं और युद्ध में आक्रामक होते हैं, वफादारी और साहस का गुण रखते हैं, आत्म निर्भर होते हैं, भौतिक रूप से मजबूत और फुर्तीले, सुव्यवस्थित होते हैं, लम्बे समय तक कड़ी मेहनत करने वाले, हठी लड़ाकू, मिलेट्री रणनीतिके होते हैं। ब्रिटिश भारतीय आर्मी में इन "मार्शल रेसेज़" को भारी मात्रा में भर्ती किया गया था। भारतीय आर्मी के भूतपूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जनरल सैम मानेकशॉ ने एक बार प्रख्यात रूप से कहा था:- अर्थात: "यदि कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या गोरखा है।" अंग्रेजों ने अपनी फौज में 1857 से पहले ही गोरखा सैनिकों को रखना आरम्भ कर दिया था। 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था क्योंकि उस समय वे ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए अनुबंध पर काम करते थे। महाराजा रणजीत सिंह ने भी इन्हें अपनी सेना में स्थान दिया। अंग्रेजों के लिए गोरखों ने दोनों विश्वयुद्धों में अपने अप्रतिम साहस और युद्ध कौशल का परिचय दिया। पहले विश्व युद्ध में दो लाख गोरखा सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से लगभग 20 हजार ने रणभूमि में वीरगति प्राप्त की। दूसरे विश्वयुद्ध में लगभग ढाई लाख गोरखा जवान सीरिया, उत्तर अफ्रीका, इटली, ग्रीस व बर्मा भी भेजे गए थे। उस विश्वयुद्ध में 32 हजार से अधिक गोरखों ने शहादत दी थी। भारत के लिए भी गोरखा जवानों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुई सभी लड़ाइयों में शत्रु के सामने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था। गोरखा रेजिमेंट को इन युद्धों में अनेक पदको़ व सम्मानों से अलंकृत किया गया, जिनमें महावीर चक्र और परम वीर चक्र भी शामिल हैं। वर्तमान में हर वर्ष लगभग 1200-1300 नेपाली गोरखे भारतीय सेना में शामिल होते है। गोरखा राइफल्स में लगभग 80 हजार नेपाली गोरखा सैनिक हैं, जो कुल संख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। शेष 30 प्रतिशत में देहरादून, दार्जिलिंग और धर्मशाला असम आदि के स्थानीय भारतीय गोरखे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रिटायर्ड गोरखा जवानों और असम राइफल्स में गोरखों की संख्या करीब एक लाख है। .

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गोरखा (बहुविकल्प)

गोरखा का मतलब हो सकता है.

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कालु पांडे

कालु पांडे वा (कालु पाँडे) (जन्म: वंशिधर पाण्डे) एक महान् गोरखाली भारदार हैं। उनका उच्च इमान्दारिता, पराक्रम और शौर्यके महिमा नेपाली इतिहासमा हैं। पाँडे वंशके कुलदीपक माने जाते हैं। नेपालके एकीकरणमें कीर्तिपुरके दुस्रे युद्धमें वीरगति प्राप्त कालु पाण्डे पृथ्वीनारायण शाहके सेनापति थे। उन्होंने पृथ्वीनारायण शाह और लम्जुंगके राजा रिपुमर्दन शाहके बीच कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। उनके देहान्तबाद जमाइँ केहरसिंह बस्न्यातके भाइ अभिमान सिंह बस्न्यात सेनापति बन गए। .

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