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गुरुत्वजनित त्वरण

सूची गुरुत्वजनित त्वरण

गुरुत्वजनित त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity) निम्नलिखित तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है-.

15 संबंधों: त्वरण, द्रवस्थैतिक संतुलन, न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त, पास्कल का सिद्धान्त, प्राकृतिक आवृत्‍ति, फलन का प्रभावक्षेत्र, बर्नूली का प्रमेय, भौतिकी की शब्दावली, मौसम विज्ञान, लोलक, लोलक (गणित), श्यानतामापी, गुरुत्वाकर्षण, गुरुत्वजनित त्वरण, आर्कीमिडीज सिद्धान्त

त्वरण

विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.

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द्रवस्थैतिक संतुलन

बल हैं - (१) उसके ऊपर की गैस का (गुरुत्वाकर्षण की वजह से वज़न से उत्पन्न होने वाला) नीचे की तरफ दबाव, (२) उसका अपना वज़न और (३) उसके नीचे की गैस का ऊपर की तरफ दबाव। अगर डब्बे के अन्दर की गैस द्रवस्थैतिक संतुलन की वजह से स्थिर है तो (१) और (२) मिलाकर ठीक (३) के बराबर होंगे। तरल यांत्रिकी में द्रवस्थैतिक संतुलन या हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम (hydrostatic equilibrium) किसी तरल पदार्थ (फ़्लुइड) की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह तरल पदार्थ या तो बिलकुल स्थिर हो या फिर एक बिलकुल स्थाई गति से हिल रहा हो। ऐसी अवस्था अक्सर तब पैदा होती है जब किसी तरल पर गुरुत्वाकर्षण का बल और उसी तरल में दबाव से उत्पन्न होने वाला विपरीत बल बिलकुल बराबरी में हों। मिसाल के लिए पृथ्वी के वायुमंडल पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का भयंकर खिचाव है लेकिन वायुमंडल न तो पृथ्वी की सतह पर एक पतली परत में सिकुड़ जाता है और न ही सतह से और दूर फैल कर और पतला हो जाता है। इसकी वजह है के हमारा वायुमंडल द्रवस्थैतिक संतुलन में है। .

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न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त

कोई भी वस्तु ऊपर से गिरने पर सीधी पृथ्वी की ओर आती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई अलक्ष्य और अज्ञात शक्ति उसे पृथ्वी की ओर खींच रही है। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की है। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम इसके बाद सर आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को "गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम" (Inverse Square Law) भी कहा जाता है। उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: मान लिया m1 और संहति वाले m2 दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल F का मान होगा:; F .

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पास्कल का सिद्धान्त

पास्कल का सिद्धान्त: जल-स्तम्भ के दबाव के कारण पीपे (barrel) का फटना। सन् १६४६ में पास्कल ने यही प्रयोग किया था। पास्कल का सिद्धान्त या पास्कल का नियम द्रवस्थैतिकी में दाब से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने प्रतिपादित किया था। यह सिद्धान्त इस प्रकार है - .

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प्राकृतिक आवृत्‍ति

किसी बाहरी चलाने वाले बल या डैम्प करने वाले बल की अनुपस्थिति में कोई निकाय जिस आवृत्ति पर कम्पन करता है उसे उस निकाय की प्राकृतिक आवृत्ति (Natural frequency) कहते हैं। किसी भी प्रत्यास्थ वस्तु का स्वतंत्र कम्पन उसकी प्राकृतिक आवृत्ति पर ही होता है। स्वतंत्र कम्पन और प्रणोदित कंपन (forced vibration) से भिन्न है। प्रणोदित कम्पन की आवृत्ति लगाये गये वाह्य बल की आवृत्ति के बराबर होती है (प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर नहीं)। किन्तु यदि लगाये गये वाह्य बल की आवृत्ति निकाय के प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर (या बहुत पास) हो तो दोलन का आयाम कई गुना बढ़ जाता है। इसी को अनुनाद कहते हैं। .

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फलन का प्रभावक्षेत्र

बीजगणित में फलन का प्रभावक्षेत्र (domain of a function) किसी फलन (फ़न्क्शन) में प्रयोग होने वाले कोणांकों (argument) के वह मान होने हैं जिनके लिए फलन परिभाषित हो, यानि आर्थपूर्ण हो। .

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बर्नूली का प्रमेय

तरल के दो बिन्दुओं पर स्तर में अंतर ऊपर वेन्च्युरी नली में हवा के बहाव में अंतर के अनुपात में और उसके कारण है। यही बर्नौली के सिद्धान्त से भी सिद्ध होता है। तरल गतिकी में, बर्नूली का सिद्धान्त (Bernoulli's principle) या 'बर्नूली का प्रमेय निम्नवत है: .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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मौसम विज्ञान

वायुवेगमापी ऋतुविज्ञान या मौसम विज्ञान (Meteorology) कई विधाओं को समेटे हुए विज्ञान है जो वायुमण्डल का अध्ययन करता है। मौसम विज्ञान में मौसम की प्रक्रिया एवं मौसम का पूर्वानुमान अध्ययन के केन्द्रबिन्दु होते हैं। मौसम विज्ञान का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है किन्तु अट्ठारहवीं शती तक इसमें खास प्रगति नहीं हो सकी थी। उन्नीसवीं शती में विभिन्न देशों में मौसम के आकड़ों के प्रेक्षण से इसमें गति आयी। बीसवीं शती के उत्तरार्ध में मौसम की भविष्यवाणी के लिये कम्प्यूटर के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। मौसम विज्ञान के अध्ययन में पृथ्वी के वायुमण्डल के कुछ चरों (variables) का प्रेक्षण बहुत महत्व रखता है; ये चर हैं - ताप, हवा का दाब, जल वाष्प या आर्द्रता आदि। इन चरों का मान व इनके परिवर्तन की दर (समय और दूरी के सापेक्ष) बहुत हद तक मौसम का निर्धारण करते हैं। .

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लोलक

"सरल गुरुत्वीय लोलक" शून्य वायु-घर्षण एवं प्रतिरोध मानकर किसी खूंटी से लटके ऐसे भार को लोलक (pendulum) कहते हैं जो स्वतंत्रतापूर्वक आगे-पीछे झूल सकता हो। झूला इसका एक व्यावहारिक उदाहरण है। .

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लोलक (गणित)

गणित में लोलक की गति का विस्तृत और बिना किसी सरलीकरण के अध्ययन किया जा सकता है। .

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श्यानतामापी

इंग्लर का श्यानतामी जिन उपकरणों से किसी तरल (द्रव या गैस) की श्यानता मापी जाती है उन्हें श्यानतामापी कहते हैं। श्यानता गुणांक के शुद्ध, पूर्ण तथा ठीक ठीक निर्धारण के लिए यह आवश्यक है कि श्यानता के यथार्थ आयाम (exact dimensions) मालूम हों, पर यह कठिन कार्य है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों में श्यानतामापन के लिए सरल उपकरण, जिन्हें श्यानतामापी कहते हैं, प्रयुक्त होते हैं। इन उपकरणों को उन द्रवों द्वारा अंशांकित कियो जाता है जिनकी श्यानता मालूम है। ये उपकरण साधारणतया केशिका प्रवाह अथवा घूर्ण ऐंठन (rotational torque) के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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गुरुत्वजनित त्वरण

गुरुत्वजनित त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण (acceleration due to gravity) निम्नलिखित तीन अर्थों में प्रयुक्त होता है-.

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आर्कीमिडीज सिद्धान्त

आर्कीमिडीज सिद्धांत का उदाहरण: दूसरी परखनली में जो अतिरिक्त आयतन दिख रहा है वह डूबे हुए ठोस के आयतन के बराबर होगा। ठोस पर द्रव द्वारा ऊपर की ओर लगाया गया बल इस अतिरिक्त आयतन के द्रव के भार के बराबर होगा। आर्कीमिडीज सिद्धान्त (Archimedes's principle) भौतिक नियम है जिसके अनुसार- या, जहाँ E .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

गुरुत्व जनित त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण

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